16 साल तक के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करेगा ऑस्ट्रेलिया
८ नवम्बर २०२४
ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल तक के बच्चों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल प्रतिबंधित करने का फैसला किया है. इसके लिए एक बिल पेश किया जा रहा है.
तस्वीर: HalfPoint Images/IMAGO
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ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने गुरुवार को एक कानून प्रस्तावित किया, जिसके तहत बच्चों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल की न्यूनतम उम्र 16 साल रखी जाएगी. यह कानून सोशल मीडिया कंपनियों को इस उम्र सीमा को लागू करने के लिए जिम्मेदार बनाएगा.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीजी ने कहा, "सोशल मीडिया हमारे बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है, और अब इसे रोकने का समय आ गया है.” यह बिल 18 नवंबर से शुरू होने वाले संसदीय सत्र के दौरान पेश किया जाएगा. कानून पास होने के 12 महीने बाद से यह उम्र सीमा लागू हो जाएगी. इस दौरान, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे एक्स (पहले ट्विटर), टिकटॉक, इंस्टाग्राम और फेसबुक को यह सुनिश्चित करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के ऑस्ट्रेलियाई बच्चे इनका इस्तेमाल न करें.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस साल एक आयु-सीमा तकनीक का परीक्षण शुरू किया था. देश के ई-सेफ्टी कमिश्नर इस परीक्षण के परिणामों के आधार पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को मार्गदर्शन देंगे कि वे कैसे इस नियम का पालन सुनिश्चित कर सकते हैं. संचार मंत्री मिशेल रॉलैंड ने बताया कि एक साल का समय देना इस कानून को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए है.
विपक्ष ने भी इस कानून का सैद्धांतिक समर्थन किया है. विपक्ष के सांसद पॉल फ्लेचर का कहना है कि प्लेटफॉर्म के पास पहले से तकनीक है, बस इसे लागू करने की इच्छा और खर्च उठाने की आवश्यकता है.
वियतनाम का 'अगरबत्तियों का गांव'
वियतनाम के कांग फू चाउ गांव को 'अगरबत्तियों का गांव' के नाम से जाना जाता है. यहां रंग-बिरंगी अगरबत्तियां बनाई जाती हैं, जो कि एक बड़ा उद्योग है. लेकिन अब 'सेल्फी' लेने वालों की वजह से कमाई का एक और जरिया खुल गया है.
तस्वीर: Nhac Nguyen/AFP
चमत्कारी दृश्य
कांग फू चाउ गांव वियतनाम की राजधानी हनोई के पास ही स्थित है. गांव में हर सुबह हजारों रंगी हुई अगरबत्तियों को करीने से सजा कर धूप में सुखाने के लिए रख दिया जाता है. डांग थी होआ का परिवार तीन पीढ़ियों से नए साल के त्योहार 'तेत' से पहले अगरबत्तियों को स्कारलेट लाल या मजेंटा गुलाबी रंग से रंग रहा है.
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रंग बिरंगी तस्वीरें
लेकिन आजकल यहां रहने और काम करने वाले डांग थी होआ और अन्य लोग अब अगरबत्तियों को पीले, नीले और हरे रंग से भी रंग रहे हैं. इतने रंग पर्यटकों के लिए सजाए जा रहे हैं जिन्हें इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया सेवाओं के लिए तस्वीरें लेना पसंद है.
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अगरबत्तियों के बीच सेल्फी
तीन दशकों से अगरबत्तियां बना रहे 45 वर्षीय होआ कहते हैं, "हमारा गांव पर्यटकों के लिए एक हॉटस्पॉट बन गया है." सेल्फी लेने वालों की बदौलत गांव वालों की अच्छी कमाई हो जाती है. 50,000 डॉन्ग (करीब 1.80 यूरो) के बदले पर्यटक अगरबत्तियों के साथ उतनी तस्वीरें खींच सकते हैं जितना उनका मन चाहे. अगरबत्तियों की कीमत काफी कम है. सिर्फ 50 सेंट में 20 अगरबत्तियों का एक पैकेट खरीदा जा सकता है
तस्वीर: Nhac Nguyen/AFP
फलता-फूलता उद्योग
अगरबत्ती बनाने के लिए बांस की टहनियों को काट कर लकड़ियां तराशने की एक मशीन में डाला जाता है. फिर पतली-पतली पट्टियों को रंगीन सुगंध में डुबो कर निकाला जाता है. उसके बाद उन्हें फूलों के एक गुलदस्ते की तरह सजा कर हवा में सुखाया जाता है. उद्योग काफी फल-फूल रहा है - ना सिर्फ एशियाई मंदिरों में बल्कि दुनियाभर के योग स्टूडियो में भी इनका इस्तेमाल हो रहा है.
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वियतनामी परंपरा
वियतनाम में नया साल करीब आ रहा है और अगरबत्ती उत्पादन जोरों पर है. परंपरागत रूप से इन्हें पूजा करने के लिए मंदिरों या घरों के अंदर पूजा के स्थान में जलाया जाता है. शादियों और अन्य समारोहों में भी इनका इस्तेमाल होता है.
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परफेक्ट तस्वीर के लिए
व्यस्त सीजन में भी पर्यटकों के लिए कोई न कोई हमेशा उपलब्ध रहता है. इस वर्कशॉप के मालिक गुयेन हू लॉन्ग ने एएफपी समाचार एजेंसी को बताया, "मैं तस्वीरों के लिए सबसे अच्छा एंगल खोजने में पर्यटकों की मदद करने के लिए एक या दो लोगों को काम पर लगा देता हूं और यह सुनिश्चित करता हूं कि सूख रही अगरबत्तियों को कुछ ना हो."
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आसमान से ऐसा दिखता है नजारा
गांव के एक मंदिर के सामने सैकड़ों रंग-बिरंगी अगरबत्तियों को सुखाने के लिए धूप में रखा गया है. इन्हें वियतनाम के एक विशालकाय नक्शे और झंडे के आकार में सजाया गया है. डांग थी होआ खुशी से कहते हैं, "मुझे अपने परिवार की परंपरागत कारीगरी पर गर्व है...और खुशी भी होती है कि हमारे गांव का नाम हुआ है...मैं ज्यादा कमा भी रहा हूं." पर्यटक इन लोगों की मेहनत की सराहना भी कर रहे हैं. (यूली ह्यूएनकेन)
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अल्बानीजी ने कहा कि उन्होंने कई माता-पिता और अभिभावकों से बात की है, जो बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कानून का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की होगी, न कि माता-पिता या बच्चों की.
विशेषज्ञों और अभिभावकों की राय
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी होने के बावजूद, माता-पिता या बच्चों को किसी प्रकार की सजा नहीं होगी. मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम की कंपनी) की सुरक्षा प्रमुख एंटीगोन डेविस ने कहा कि वे सरकार के किसी भी उम्र सीमा का सम्मान करेंगे. हालांकि, उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि ऐसे कानूनों के साथ बेहतर तकनीकी उपाय भी जरूरी हैं ताकि यह सिर्फ दिखावे का कदम न बन जाए.
डिजिटल इंडस्ट्री ग्रुप इंक (डीआईजीआई) ने इस उम्र सीमा को "21वीं सदी की चुनौतियों के लिए 20वीं सदी का हल” बताते हुए आलोचना की. डीआईजीआई की प्रबंध निदेशक सुनीता बोस ने कहा, "बैन के बजाय, उम्र के अनुसार सुरक्षित माहौल बनाना चाहिए और डिजिटल साक्षरता को बढ़ाना चाहिए.”
इंस्टाग्राम पोस्ट से करोड़ों कमाते हैं सेलिब्रिटी
एक रिपोर्ट के मुताबिक क्रिकेटर विराट कोहली इंस्टाग्राम पर हर एक स्पॉन्सर्ड पोस्ट से करोड़ों रुपये कमाते हैं. हालांकि विराट कोहली ने एक्स यानी पूर्व में ट्विटर रहे सोशल मीडिया पर अपनी कमाई के आंकड़े का खंडन किया है.
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14 करोड़ प्रति पोस्ट
हॉपर एचक्यू नाम के एक इंस्टाग्राम शेड्यूलिंग टूल ने 2023 की इंस्टाग्राम रिच लिस्ट की घोषणा की है. इंस्टाग्राम से कमाई के मामले में चोटी के 20 लोगों में भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली इकलौते भारतीय हैं. कोहली हर स्पॉन्सर्ड पोस्ट से करीब 14 करोड़ रुपये कमाते हैं. वो सूची में 14वें स्थान पर हैं. हालांकि विराट ने इन आंकड़ों का खंडन किया है.
तस्वीर: Martin Keep/AFP
चोटी पर रोनाल्डो
इस सूची के शीर्ष पर हैं फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो, जो हर पोस्ट से करीब 26 करोड़ रुपये कमाते हैं. रोनाल्डो को इंस्टाग्राम पर 59.6 करोड़ लोग फॉलो करते हैं. कोहली को फॉलो करने वालों की संख्या है 25.5 करोड़.
तस्वीर: Franck Fife/AFP
दूसरे नंबर पर मेसी
सूची में दूसरे नंबर पर हैं दुनिया के सबसे चहेते फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक, लियोनेल मेसी. मेसी को 47.9 करोड़ लोग फॉलो करते हैं और वो हर पोस्ट से करीब 21 करोड़ रुपये कमाते हैं.
तस्वीर: Lynne Sladky/AP Photo/picture alliance
टॉप पांच
इस सूची में चोटी के पांच सेलेब्रिटियों में रोनाल्डो और मेसी के बाद तीसरे नंबर पर हैं अमेरिकी गायिका और अभिनेत्री सेलेना गोमेज, चौथे नंबर पर अमेरिकी सोशलाइट काइली जेनर और पांचवें नंबर पर हैं 'द रॉक' के नाम से जाने जाने वाले पूर्व रेस्टलर ड्वेन जॉनसन.
तस्वीर: Marechal Aurore/ABACA/picture alliance
दूसरा भारतीय नाम
29वे नंबर पर हैं इस सूची में जगह पाने वाली दूसरी भारतीय सेलिब्रिटी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा. इंस्टाग्राम पर उन्हें 8.8 करोड़ लोग फॉलो करते हैं और वो हर पोस्ट से 4.40 करोड़ रुपये कमाती हैं.
तस्वीर: Sujit Jaiswal/AFP/Getty Images
अफ्रीकी नाम भी हैं
सूची में कुछ अफ्रीकी सेलेब्रिटी भी हैं. इनमें सबसे ऊपर है मिस्र की फुटबॉल टीम के कप्तान मोहम्मद सलाह, जिन्हें मो सलाह के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें 6.1 करोड़ लोग फॉलो करते हैं और वो हर पोस्ट से करीब 2.7 करोड़ रुपये कमाते हैं.
तस्वीर: DW
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140 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उम्र सीमा को 'बहुत कठोर' बताया गया है. युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम करने वाली संस्था रीचआउट की निदेशक जैकी हेलन ने भी इस कानून पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि 73 फीसदी युवा सोशल मीडिया के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त करते हैं और बैन से यह सुविधा बाधित हो सकती है.
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क्या कर रहे हैं अन्य देश
दुनिया भर में सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही बढ़ाने की मांग तेज हो रही है. कई देश बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं, जिसमें उन्हें जानकारी तक पहुंच देने और नुकसान से बचाने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है. फ्रांस ने स्कूलों में 15 साल तक के बच्चों के लिए मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने का परीक्षण शुरू किया है, जो सफल होने पर पूरे देश में लागू किया जा सकता है. फ्रांस ने यह भी कानून बनाया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 15 साल से कम उम्र के बच्चों को अभिभावकों की अनुमति के बिना सेवा का उपयोग न करने दें.
अमेरिका ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए 1998 में "चिल्ड्रन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट” लागू किया था. यह कानून 13 साल से कम उम्र के बच्चों से जानकारी जमा करने से पहले वेबसाइटों को अभिभावकों की अनुमति लेने का निर्देश देता है. 2000 में, "चिल्ड्रन इंटरनेट प्रोटेक्शन एक्ट” के तहत स्कूलों और पुस्तकालयों में बच्चों को अनुपयुक्त सामग्री से बचाने के लिए इंटरनेट फिल्टर लगाना अनिवार्य कर दिया गया. हालांकि कानूनों पर यह आलोचना हुई है कि यह बच्चों के बीच आयु के इस्तेमाल में धोखाधड़ी को बढ़ावा देते हैं और उनकी जानकारी और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकारों को सीमित करते हैं.
भारत में शौकिया वेदर इन्फ्लूएंसर पर क्यों निर्भर लोग
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दक्षिण कोरिया ने 2011 में "शटडाउन कानून” लागू किया, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को आधी रात के बाद ऑनलाइन गेमिंग से प्रतिबंधित किया गया. लेकिन इसे 2021 में कानूनी चुनौती और आलोचनाओं के बाद हटा लिया गया.
यूरोप में सक्रियता
यूरोप भी बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. 2023 में लागू किए गए "डिजिटल सर्विसेज एक्ट” के तहत प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, टिकटॉक और स्नैपचैट को बच्चों को टारगेट करने वाले विज्ञापन दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बड़े प्लेटफॉर्म बच्चों के लिए हानिकारक सामग्री और एल्गोरिदम के प्रभाव को नियंत्रित करें.
कुछ यूरोपीय देशों, जैसे फ्रांस ने अपनी ओर से अतिरिक्त उम्र-सीमा के नियम लागू किए हैं. नॉर्वे ने भी हाल ही में एलान किया कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल की आयु सीमा को 13 से बढ़ाकर 15 वर्ष किया जाएगा.