भारत में आये दिन होने वाले सड़क हादसों में सबसे ज्यादा युवाओं की जान जाती है. भारत सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन हादसों में बड़ी संख्या में लोग बुरी तरह घायल भी होते हैं.
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सड़क हादसे दुनिया भर में और विशेष रूप से भारत में लोगों की मृत्यु, विकलांगता और अस्पताल में भर्ती होने के प्रमुख कारणों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में सड़क हादसों में मारे गए 10 लोगों में से कम से कम एक भारत से होता है.
भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने "रोड एक्सिडेंट्स इन इंडिया-2020" नाम से एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में कुल 1,20,806 घातक दुर्घटनाओं में से 43,412 राष्ट्रीय राजमार्गों पर, 30,171 राज्य राजमार्गों पर और 47,223 अन्य सड़कों पर हुईं. सबसे चिंताजनक बात ये है कि इन घातक दुर्घटनाओं में सबसे अधिक युवा चपेट में आए.
रिपोर्ट कहती है कि साल 2020 के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 3,66,138 सड़क हादसे हुए जिसमें 1,31,714 लोगों की जान गई और 3,48,279 लोग घायल हुए. हर एक सौ सड़क हादसे में 36 लोगों की जान गई जो कि साल 2019 के 33 के मुकाबले कहीं अधिक है.
दुर्घटना की चपेट में आते युवा वर्ग
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में सड़क हादसों की चपेट में आने वालों में 18-45 साल के आयु वर्ग युवा वाले वयस्कों का हिस्सा 69 प्रतिशत था. जबकि 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी कुल सड़क दुर्घटनाओं में 87.4 प्रतिशत थी. रिपोर्ट में कहा गया, "साल 2020 में लगातार तीसरे साल सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों में बड़े पैमाने पर कामकाजी आयु वर्ग के युवा शामिल हैं."
2020 में सड़क दुर्घटना के कारण कुल 56,334 पुरुष और 1,551 महिला ड्राइवरों की मौत हो गई. सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा कि उसी वर्ष सड़क दुर्घटना के कारण कुल 35,552 पुरुष और 10,624 महिला यात्रियों की मौत हुई. पुरुष (42,923) और महिला (1179) ड्राइवरों की मौत युवा वर्ग समूह 18-45 में हुई.
ताकि सफर आखिरी न हो
भारत में हर मिनट एक इंसान सड़क हादसे में अपनी जान गंवाता है, चार घायल होते हैं. जरा सी सावधानी से अपनी और दूसरों की जान बचाई जा सकती है, आईये जानें सड़क सुरक्षा की 14 अहम बातें.
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ध्यान भटकना
दुनिया भर में हर साल सबसे ज्यादा सड़क हादसे ध्यान भटकने की वजह से होते हैं. बेख्याली में लोगों का ध्यान सड़क से बाहर चला जाता है. मोबाइल फोन, खाना-पीना या फिर बाहर का नजारा देखना इसके मुख्य कारण हैं.
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तेज रफ्तार
आबादी के बीच से गुजरता हाईवे और उस पर लिखी स्पीड लिमिट, कई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करते हैं. और यही तेज रफ्तार हादसे का कारण बनती है. कम लोग जानते हैं कि 80 कि.मी. प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती कार की ब्रेकिंग दूरी भी कम से कम 64 से 90 मीटर होती है.
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शराब
निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब पीने के बाद ड्राइवर को अचानक से फैसना लेने में परेशानी होती है. जांचकर्ताओं के मुताबिक अल्कोहल सड़क हादसों के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार है. शाम को शराब पीने के बाद रात में अचानक इमरजेंसी में गाड़ी चलाना, ऐसे हालात खतरा और बढ़ा देते हैं.
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संयम खोना
तेज रफ्तार, अचानक कट मारना, दूसरे को परेशान करते हुए आगे बढ़ना, ये ऐसी लापरवाहियां हैं जो हादसे को न्योता देती है. सड़क पर संयम रखना भी एक चुनौती है. ड्राइविंग करते वक्त खुद को शांत रखना बेहद जरूरी है.
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रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना
कई बार लोग दूसरी दिशा में जाने के लिए यू टर्न का इस्तेमाल नहीं करते, बल्कि गलत दिशा में गाड़ी डाल देते हैं. ऐसा करके अपनी और दूसरे की सुरक्षा कभी खतरे में न डालें.
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किशोरों से सावधान
दुपहिया या कार पर सवार किशोरों से विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. अनुभव की कमी, बेध्यानी, होड़ लगाने का शौक और लापरवाही की वजह से किशोर सड़कों को खतरनाक बनाते हैं.
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बारिश
बरसात में गाड़ी चलाते वक्त विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए. गीली सड़क पर घर्षण कम हो जाता है, जिसके चलते ब्रेक लगाने पर वाहन के फिसलने का खतरा बना रहता है. बरसात के दौरान सामने का नजारा भी बहुत साफ नहीं होता है.
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रात में ड्राइविंग
रात में वाहन चलाना आसान नहीं, इस दौरान दुर्घटना होने की संभावना भी दोगुनी होती है. शाम के वक्त इंसान पर थकान भी हावी होती है. इसके अलावा कई चालक हर वक्त हेडलाइट को हाई बीम पर रखते हैं. लिहाजा रात में ड्राइविंग करते वक्त सामने के शीशे या हेल्मेट के शीशे को बिल्कुल साफ रखें और बेहद संभलकर आगे बढ़ें.
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हेलमेट या सीट बेल्ट न पहनना
गाड़ी की गति अगर पैदल चाल से ज्यादा तेज हो तो सील्ट बेल्ट जरूर पहनें. हादसे की स्थिति में यह सिर, पेट और छाती की गंभीर चोटों से काफी हद तक बचाती है. दुपहिया में हेलमेट जरूर लगाएं.
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ओवरटेकिंग का जुनून
हर कोई चाहता है कि उसे खाली सड़क मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जोखिम लेकर हर वाहन को ओवरटेक किया जाए. ओवरटेक करते समय हर वाहन से सुरक्षित दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
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रेड लाइट जम्प करना
रेड लाइट को नजरअंदाज करने वाले ड्राइवर, दूसरी दिशा से आ रहे तेज रफ्तार ट्रैफिक की चपेट में आ सकते हैं. इस दौरान होने वाले हादसे गंभीर चोट पहुंचा सकते हैं. लिहाजा बेहतर है कि ट्रैफिक सिग्नल के आस पास जल्दबाजी न करें.
तस्वीर: Bilderbox
वाहन में डिफेक्ट
दुनिया में हर चीज 100 फीसदी परफेक्ट नहीं है. इस बात को ड्राइविंग के वक्त भी ध्यान में रखें. वाहन में आने वाली दिक्कतों को नजरअंदाज न करें. हर गाड़ी में खास किस्म के फायदे और खामियां होती हैं, ड्राइविंग के वक्त इन चीजों को भी ध्यान में रखें.
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वाहन को लहराकर चलाना
मुड़ते वक्त इंडिकेटर न देना, व्यस्त सड़क पर रास्ता पूछने के लिए अचानक रुकना, ज्यादा ट्रैफिक होने पर बार बार लेन बदलना, ऐसा कर बेवजह दुर्घटना को न्योता न दें.
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तालमेल की कमी
ज्यादातर हादसे इस वजह से भी होते हैं कि एक चालक की हरकत दूसरों को समझ में नहीं आती. ऐसा न करें, सड़क पर ऐसी कोई भी हरकत न करें, जिसके चलते दूसरे भ्रमित हों.
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि साल 2020 में ट्रैफिक नियम उल्लंघन की श्रेणी के तहत ओवर स्पीडिंग के तहत 69.3 फीसदी लोगों की मौत हुई, जबकि गलत दिशा में गाड़ी चलाने से हुए हादसे में 5.6 फीसदी लोगों की जान गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में 30.1 प्रतिशत मौतें और 26 प्रतिशत चोटें हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करने के कारण हुईं, इसी तरह 11 प्रतिशत से अधिक मौतें और चोटें सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करने के कारण हुईं. कुछ छूटों को छोड़कर दोपहिया वाहनों पर सभी मोटर चालकों के लिए हेलमेट अनिवार्य है. लेकिन कई बार लोग बिना हेलमेट के ही गाड़ी चलाते हैं और अपनी जान जोखिम डालते हैं. इसी तरह से कार चालक और कार में सवार यात्रियों के लिए भी सीट बेल्ट लगाना जरूरी है.
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मौत का कारण बनते सड़क हादसे
सड़क दुर्घटना से जीवन की हानि हो सकती है या सड़क का इस्तेमाल करने वालों को गंभीर चोटें या मामूली चोटें आ सकती हैं. एक दुर्घटना जिसके परिणामस्वरूप एक या एक से अधिक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उसे एक घातक दुर्घटना के रूप में परिभाषित किया जाता है. गंभीर चोट वाली दुर्घटनाओं को इस तरह से परिभाषित किया जाता है जिसमें एक या अधिक पीड़ितों को गंभीर चोट लगती है जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है.
सड़क पर होने वाले हादसे के कारण पीड़ित और उसके परिवार पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है. असामयिक मौतों, चोटों और विकलांगताओं के कारण संभावित आय का नुकसान भी होता है.
दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कें
दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों में से तीन भारत में हैं. इन 10 तस्वीरों को देखकर आपको खुद अंदाजा हो जाएगा कि ये सड़कें ड्राइवरों को क्यों डराती हैं.
तस्वीर: cc-Ilosuna-sa 3.0
श्रीनगर-लेह हाईवे
443 किलोमीटर लंबा ये हाईवे भारत की कश्मीर घाटी को लेह से जोड़ता है. जोजिला पास से गुजरने वाली यह सड़क सर्दियों में पूरी तरह बर्फ से दबी रहती है. गर्मियों में बर्फ पिघलने के बाद हाईवे पर कीचड़ से फिसलन भी रहती है. पत्थर गिरने और बर्फीले तूफान का खतरा भी बना रहता है.
तस्वीर: Reuters/Danish Ismail
माचू पिचू रोड
दक्षिण अमेरिकी देश पेरू की यह सर्पीली सड़क माचू पिचू को आगुआस कालिएतेंस को जोड़ती है. खड़े पहाड़ पर बनी इस सड़क में 11 तीखे हेयरपिन बैंड हैं. 8.9 किलोमीटर लंबे इस हिस्से को पार करने में बहुत से लोगों की हालत खस्ता हो जाती है.
तस्वीर: Picture-Alliance
रूट 20
अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में फेडरल हाईवे 20 है. बर्फीले पहाड़ों और मोहक वादियों वाली इस सड़क पर सर्दियों में गाड़ी चलाना नामुमकिन सा हो जाता है. बर्फ के चलते इस सड़क पर ट्रक तक फिसलने लगते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ B. Coleman
स्किपर्स कैनियन
न्यूजीलैंड के क्वींसटाउन में यह सड़क 40 साल पहले भेड़ों और चरवाहों के लिए बनाई गई. बाद में इस पर गाड़ियां भी चलने लगीं. यह सड़क बेहद पतली और तीखे मोड़ों वाली है. सामने से आने वाली भेड़ें और गाड़ियां मुश्किल पैदा करती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/All Canada Photos
किन्नूर वैली
हिमाचल प्रदेश की किन्नूर घाटी तक जाने वाली सड़क अथाह गहरी खाई के बराबर चलती है. कई जगहों पर कड़ी चट्टानें काटकर यह सड़क बनाई गई तो कहीं भूस्खलन वाले इलाकों पर. रोड का बड़ा हिस्सा सिंगल लेन है. जरा सी चूक होने पर सैकड़ों मीटर गहरी खाई.
तस्वीर: picture-alliance/imageBROKER
सा कोलोब्रा रोड
स्पेन के मशहूर द्वीप मयोर्का के सा कोलोब्रा गांव तक पहुंचने वाली सड़क ऐसी दिखती है. 13 किलोमीटर लंबी इस सड़क में कई तीखे मोड़ हैं. बस और ट्रक इस सड़क पर बैक होकर वापस नहीं जा सकते. मोड़ों पर दो बड़ी गाड़ियां बमुश्किल पास ले पाती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/prisma
जॉर्ज दे गालामू
फ्रांस की सड़क ड्राइवरों के लिए बहुत बड़ा चैलेंज है. इस सड़क पर कुछ जगहों पर बिल्कुल एक कार के बराबर जगह है. अगर सामने से कोई और गाड़ी आ जाए तो एक वाहन को बहुत दूर तक रिवर्स कर पास लेने के लिए जगह बनानी पड़ती है.
तस्वीर: picture-alliance/imageBROKER
गुओलियांग टनल
चीन के शिनचियांग प्रांत की यह सड़क कड़ी चट्टान को काटकर बनाई गई है. गुओलियांग गांव को जोड़ने वाली इस रोड को बनाना आसान नहीं था. 1970 के दशक में निर्माण के दौरान चट्टानी इलाके में तीन दिन में सिर्फ एक मीटर रोड काटी जा सकी. इस रोड में तीखे और संकरे मोड़ व खड़ी खाइयां हैं.
तस्वीर: picture-alliance/H. Jianxun
ग्रैंड ट्रंक रोड
अमृतसर को एक ओर कोलकाता और चटगांव और दूसरी ओर लाहौर और पेशावर से जोड़ने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड एशिया का सबसे पुराना हाईवे है. करीब 2,700 किलोमीटर की लंबाई, अलग अलग भूगोल और अत्यंत व्यस्त ट्रैफिक इस रूट को खतरनाक सड़कों की लिस्ट में जोड़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/Y. Travert
रोड ऑफ डेथ
बोलिविया की इस सड़क को "रोड ऑफ डेथ" कहा जाता है. 400 किलोमीटर लंबी यह संकरी सड़क पहाड़ों से गुजरते हुए 4,000 मीटर की ऊंचाई तक जाती है. राजधानी ला पाज को कोरुएरो से जोड़ने वाली इस सड़क का 50 किलोमीटर का हिस्सा बहुत ही खतरनाक माना जाता है.