तालिबान ने अफगान महिलाओं के जीवन को कैसे बदल दिया?
१७ फ़रवरी २०२२
अफगानिस्तान में मौजूदा तालिबान सरकार के तहत भी महिलाएं कई अधिकारों से वंचित नजर आती हैं. अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था और उसके बाद से ही महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं.
विज्ञापन
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने कठोर शासन की बजाय एक नरम शासन का वादा किया, पहले शासन में तालिबान ने महिलाओं के लिए सख्त कानून बनाए थे और महिलाओं से उनके अधिकांश अधिकार छीन लिए गए थे. इस बार तालिबान ने बड़े पैमाने पर कठोर राष्ट्रीय कानून बनाने से परहेज किया है, लेकिन प्रांतीय स्तर पर अधिकारियों ने नियम और दिशानिर्देश जारी किए हैं जो तय करते हैं कि महिलाओं को कैसे रहना चाहिए.
वर्तमान सरकार में तालिबान का कहना है कि वे महिलाओं को काम करने की अनुमति देने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्हें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. व्यवहार में महिलाएं अभी भी सरकारी दफ्तरों में रोजगार पाने में असमर्थ हैं. मौजूदा समय में महिलाएं चिकित्सा देखभाल और शिक्षा सहित व्यावसायिक कौशल के क्षेत्रों में काम करने के लिए अधिकृत हैं.
निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं का कहना है कि उन्हें कार्यालय से आने जाने के दौरान उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. ऐसे निजी संस्थानों में तालिबान के गुप्त एजेंट भी औचक छापेमारी करते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि महिलाएं पुरुषों से अलग काम करती हैं या नहीं. कुछ मामलों में एहतियात के तौर पर महिलाओं को नौकरी से निकाल दिया गया है.
अब महिला पुतलों के सिर कटवा रहा तालिबान
अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में कपड़ा और अन्य दुकानदारों को अपनी दुकान के महिला पुतलों का सिर काटने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस आदेश को लेकर स्थानीय दुकानदार गुस्से में हैं जबकि बाहर आदेश का मजाक उड़ाया जा रहा है.
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
महिला पुतलों के सिर काटने का आदेश
अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी दुकानदारों को महिला पुतलों के सिर काटने का आदेश दिया है. तालिबान का तर्क है कि इस तरह का इंसानी बुत इस्लामिक कानूनों का उल्लंघन करता है. हेरात के एक शख्स की दुकान पर इन पुतलों के सिर काटने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसका अफगानिस्तान के अंदर और बाहर काफी मजाक उड़ाया जा रहा है.
तस्वीर: Sayed Aqa Saeedi/dpa/picture alliance
महिलाओं और लड़कियों पर पाबंदियां
अगस्त में सत्ता में लौटने के बाद से ही तालिबान ने इस्लामिक कानूनों की कट्टर व्याख्या को लोगों पर लागू किया है. लोगों की आजादी पर कई तरह की पाबंदियां लग गई हैं, खासकर महिलाओं और लड़कियों पर. हालांकि कट्टर इस्लामिक गुट ने इन पुतलों को लेकर अब तक कोई औपचारिक राष्ट्रीय नीति या प्रतिबंध घोषित नहीं किए हैं लेकिन कई स्थानीय धड़े ऐसी चीजों को अनैतिक बताकर लोगों पर नकेल कसने का काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Jalil Rezayee/dpa/picture alliance
स्कार्फ से ढंकने की कोशिश रही बेकार
हेरात में सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई को रोकने के मंत्रालय के प्रमुख अजीज रहमान ने बुधवार को ऐसा आदेश दिए जाने की पुष्टि भी की. आदेश आने के बाद कुछ दुकानदारों ने स्कार्फ या बैग से ढंककर पुतलों का सिर छिपाने की कोशिश की लेकिन यह बेकार रही. रहमान ने यह भी कहा, "अगर वे सिर्फ सिर ढकेंगे या पूरे पुतले को ही छिपा देंगे तो अल्लाह उनकी दुकान, या घर में नहीं घुसेगा और उन्हें आशीर्वाद भी नहीं देगा."
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
गुस्से में कपड़ा विक्रेता
6 लाख की आबादी वाले इस शहर के कई दुकानदार आदेश को लेकर गुस्से में हैं. एक कपड़ा विक्रेता बशीर अहमद कहते हैं, "आप देख सकते हैं, हमने सिर काट दिए हैं." उन्होंने यह भी बताया कि हर डमी का दाम करीब साढ़े तीन हजार होता है. उनके मुताबिक "जब कोई पुतले ही नहीं होंगे तो हम अपना सामान कैसे बेचेंगे? जब कोई कपड़ा ढंग से पुतले को पहनाया गया हो तभी वो ग्राहकों को वह पसंद आता है."
तस्वीर: Jalil Rezayee/dpa/picture alliance
शासन के कट्टर कानून
15 अगस्त को सत्ता में वापसी के बाद तालिबान ने 1996 से 2001 के दौरान पहले शासन के कट्टर कानूनों को इस बार हल्का रखने का वादा किया था. तब भी इंसान जैसी दिखने वाली नकली चीजों को बैन किया गया. ये कड़ी पाबंदियां फिर वापस आ रही हैं. नई पाबंदियों में लोगों को दिन में पांच दफा नमाज के लिए आने, मर्दों को दाढ़ी बढ़ाने और पश्चिमी कपड़े ना पहनने के लिए प्रेरित करने की बात भी स्थानीय रिपोर्ट्स में कही गई है.
तस्वीर: Mohd Rasfan/AFP/Getty Images
लड़कियों के ज्यादातर स्कूल बंद
महिलाएं इन पाबंदियों का खासा नुकसान झेल रही हैं और धीरे-धीरे उनकी सार्वजनिक जिंदगी खत्म होती जा रही है. लड़कियों के ज्यादातर स्कूल बंद कर दिए गए हैं. महिलाओं को ज्यादातर सरकारी नौकरियों में शामिल होने से रोक दिया गया है. पिछले हफ्ते एक नए आदेश में महिलाएं के लंबी यात्राओं पर अकेली जाने पर भी रोक लगा दी गई है. उन्हें किसी न किसी पुरुष रिश्तेदार को साथ लेकर ही यात्रा करनी होगी.
तस्वीर: Allauddin Khan/AP/picture alliance
शराब बेचने वालों पर छापेमारी
तालिबान ने शराब बेचने वालों पर छापेमारी तेज कर दी है. ड्रग्स के आदी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और संगीत को भी बैन कर दिया है. तालिबान के सत्ता में आने ने अफगानिस्तान की पहले से ही मदद पर आधारित अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. अमेरिका ने जहां कई बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है, वहीं अफगानिस्तान को मिलने वाली ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मदद भी रोक दी गई है.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
7 तस्वीरें1 | 7
तालिबान की वापसी से दसियों हजार अफगान महिलाएं बेरोजगार हो गई हैं, जिन्होंने रोजगार के सभी पहलुओं में विविधता लाने में दो दशकों की प्रगति हासिल की थी. तालिबान ने एक तरह से उसे पलट दिया है. पिछली सरकार में ये महिलाएं पुलिस और अदालतों में भी कार्यरत थीं.
कहीं-कहीं महिलाओं के छोटे-छोटे समूह विशिष्ट कार्य करते नजर आते हैं. इनमें कुछ सहकारी समितियां शामिल हैं, जैसे चमेली फूल प्रसंस्करण और उसे तोड़ने का काम. यह अफगान प्रांत हेरात में महिलाओं द्वारा किया जाता है. हेरात शहर को वर्षों से अफगान सामाजिक मानकों द्वारा कुछ हद तक उदार भी माना जाता रहा है.
विज्ञापन
दूसरी ओर तालिबान ने कहा है कि लड़कियों को शिक्षा मिल सकती है, लेकिन 13 से 18 साल की उम्र की लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालय पिछले साल अगस्त से बंद हैं और फिर से नहीं खोले गए हैं. अब तालिबान अधिकारियों ने कहा है कि इस साल मार्च के अंत तक सभी स्कूल फिर से खोल दिए जाएंगे.
हाल ही में कई निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षा देने की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन उनमें भी शिक्षकों की भारी कमी है. इसी तरह कुछ सरकारी विश्वविद्यालय करीब दो हफ्ते पहले फिर से खुल गए हैं. छात्राओं की संख्या असामान्य रूप से कम ही है.
सरकार के गठन के बाद तालिबान ने राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों को ऐसे नाटकों और सीरियलों के प्रसारण को तुरंत निलंबित करने का निर्देश दिया था जिसमें महिलाओं ने अभिनय किया था. तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने खेलों में महिलाओं की भागीदारी को कमतर आंका है, लेकिन कहा कि अगर वे खेलों में महिलाओं की भागीदारी को प्रतिबंधित करते हैं तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय फंडिंग हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.
दूसरी ओर तालिबान की वापसी के समय लगभग सभी प्रमुख अफगान गायक, संगीतकार, कलाकार और फोटोग्राफर देश छोड़ चुके हैं और जो देश नहीं छोड़ पाए हैं वे छिप कर रहने को मजबूर हैं.
एए/सीके (एएफपी)
मिल गया काबुल की भगदड़ में खोया सोहेल
अगस्त में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया और तमाम लोग देश छोड़कर भागना चाहते थे, तो एक भगदड़ मच गई थी. उस भगदड़ में दो महीने का सोहेल अपने परिवार से बिछड़ गया था. पांच महीने बाद सोहेल मिल गया है.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
पांच महीने बाद मिला नन्हा सोहेल
काबुल की भगदड़ में अपने माता-पिता से बिछड़ा सोहेल तब दो महीने का था. 19 अगस्त को सोहेल लापता हो गया था.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
भागते मां-बाप के हाथों से छूटा
तालिबान के आने के बाद जब लोग किसी भी तरह काबुल से बाहर निकलना चाहते थे तब सोहेल को दीवार के ऊपर से एक अमेरिकी सैनिक को सौंपा गया था
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
भटकते रहे माता-पिता
सोहेल के पिता मिर्जा अली अहमदी अमेरिकी दूतावास में सिक्यॉरिटी गार्ड के तौर पर काम करते थे. उन्हें, उनकी पत्नी और चार अन्य बच्चों को एक अमेरिकी विमान से काबुल से बाहर निकाला गया.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
महीनों तक पता नहीं चला
वे लोग तो अमेरिका चले गए लेकिन दो महीने का सोहेल पीछे छूट गया. महीनों तक वे दर-दर भटकते रहे लेकिन सोहेल का कहीं पता नहीं चला.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
खबरों से पता चला
सोहेल के बारे में कई जगह समाचार छपे. उन समाचारों को काबुल में भी लोगों ने पढ़ा. और तब बात एक टैक्सी ड्राइवर हामिद सफी तक पहुंची.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
सोहेल को मिला नया नाम
सफी ने बताया कि उन्होंने सोहेल के घरवालों को काफी खोजा फिर उसे वे अपने घर ले गए. उन्होंने उसे मोहम्मद आबिद नाम भी दिया और अपने फेसबुक पेज पर उसकी तस्वीरें पोस्ट की.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
दादा को सौंपा सोहेल
सारी मालूमात के बाद सोहेल के दादा मोहम्मद कासिम रजावी सफी से मिले. दोनों परिवारों के बीच सात हफ्ते तक बातचीत होती रही. इस बीच पुलिस को भी दखल देना पड़ा.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
आखिरकार घर लौटा सोहेल
रजावी ने जब अपने पोते को सफी से गोद में लिया तो सफी फूट-फूटकर रो रहे थे. पांच महीने में ही सोहेल उनका अपना हो गया था.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
अब अमेरिका का सफर
सोहेल के सौंपे जाने को उसके माता-पिता वीडियो चैट से देख रहे थे. रजावी बताते हैं कि वे खुशी से नाचने-गाने और उछलने लगे थे. परिवार को उम्मीद है कि सोहेल के अमेरिका जाने का प्रबंध जल्दी ही किया जाएगा जहां वह महीनों बाद अपनी अम्मी से मिल पाएगा.