सीरिया पर जर्मनी और भारत समेत बाकी देशों ने क्या कहा
९ दिसम्बर २०२४जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने असद के सत्ता से बाहर होने को "अच्छी खबर" बताया और युद्ध ग्रस्त सीरिया को स्थिर बनाने में मदद की पेशकश की. एक बयान में शॉल्त्स ने कहा, "बशर अल-असद ने अपने लोगों का क्रूरता से दमन किया. उनकी अंतरात्मा पर अनगिनत जिंदगियों का भार है और उन्होंने कई लोगों को देश से भगाया, जिनमें से कई जर्मनी पहुंचे."
जर्मनी में रहते हैं करीब 10 लाख सीरियाई
जब सीरिया में बसर अल असद के सत्ता से बाहर होने की खबर आई, तो जर्मनी के कई शहरों में हजारों सीरियाई प्रवासी जश्न मनाने सड़कों पर उतर आए. सीरिया के तकरीबन 10 लाख लोग जर्मनी में रहते हैं. साल 2015 में जब सीरिया में गृह युद्ध के दौरान हिंसा चरम पर थी, तब अंगेला मैर्केल के नेतृत्व में तत्कालीन जर्मन सरकार ने लगभग 8,90,000 शरणार्थियों को जर्मनी में पनाह दी.
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इसे जर्मन भाषा में कथित तौर पर "विलकॉमेनस्कुलटुअर" यानी, "स्वागत की संस्कृति" पर आधारित आप्रवासन नीति कहा गया. बाद के सालों में भी कई सीरियाई नागरिक जर्मनी आए. इतने विशाल सीरियाई डायस्पोरा की मौजूदगी के कारण स्वाभाविक ही सीरिया के आगामी राजनीतिक और सामाजिक घटनाक्रमों पर जर्मनी की करीबी नजर रहेगी.
जर्मन चांसलर शॉल्त्स का संदेश
इसी परिप्रेक्ष्य में बेहतरी की उम्मीद जताते हुए कहा शॉल्त्स ने कहा, "सीरिया में असद के शासन का अंत अच्छी खबर है. अब यह अहम है कि सीरिया में जल्दी कानून-व्यवस्था कायम हो. सभी धार्मिक समुदाय और सारे अल्पसंख्यकों को अब और आगे भविष्य में भी सुरक्षा मिलनी चाहिए." टीवी पर प्रसारित अपने संक्षिप्त संदेश में शॉल्त्स ने सीरियाई जनता के साथ एकजुटता जताते हुए कहा, "हम उन सभी सीरियाई लोगों के साथ खड़े हैं, जो एक स्वतंत्र, न्याय संगत और सुरक्षित सीरिया की उम्मीद से भरे हुए हैं. भले ही वो खुद सीरिया में हों या कहीं बाहर."
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शॉल्त्स ने रेखांकित किया कि अब सीरिया को बदलाव के लिए एक व्यवस्थागत और शांतिपूर्ण प्रक्रिया का पालन करना चाहिए. उन्होंने संकल्प जताया, "अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के आधार पर, जर्मनी इसमें योगदान देगा."
शॉल्त्स ने यह भी कहा, "सीरिया के कई लोग सोच रहे हैं कि आगे क्या होगा क्योंकि विद्रोही योद्धाओं में कई कट्टरपंथी और चरमपंथी तत्व भी शामिल हैं." अन्य देशों या एजेंसियों द्वारा दखल दिए जाने की आशंकाओं के प्रति आगाह करते हुए शॉल्त्स ने कहा, "भूभागीय अखंडता और संप्रभुता सीरिया के भविष्य के लिए बहुत अहमियत रखते हैं. कोई भी देश, किसी और देश का पिछला आंगन नहीं है. अन्य पक्षों का अवैध हस्तक्षेप खत्म होना चाहिए."
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स्वतंत्र और संप्रभु सीरिया की उम्मीद
जर्मनी के पड़ोसी फ्रांस में राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने बशर अल-असद की सरकार को "बर्बर" करार देते हुए कहा, "मैं सीरिया के लोगों, उनकी हिम्मत और उनके सब्र का सम्मान करता हूं."
अमेरिका ने भी कहा है कि वह सीरिया के समूहों के साथ संवाद के लिए तैयार है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, "असद की सत्ता से दूर एक स्वतंत्र और संप्रभु सीरिया की स्थापना के लिए हम सभी सीरियाई समूहों से बातचीत करेंगे." यह पूछे जाने पर कि अपदस्थ किए गए सीरियाई राष्ट्रपति के साथ क्या होना चाहिए, बाइडेन ने कहा, "असद की जवाबदेही तय की जानी चाहिए."
तुर्की, सीरियाई विद्रोही गुट में से कई को मदद देता रहा है. तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान ने कहा कि उनका देश "सीरिया के घाव भरने और उसकी एकता, अखंडता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने" में मदद करेगा.
भारत ने कहा, "सभी वर्गों के हितों का सम्मान हो"
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि वह सीरिया के मौजूदा घटनाक्रम पर निगाह रख रहा है. बयान में आगे कहा गया, "हम सभी पक्षों द्वारा सीरिया की एकता, संप्रभुता और भूभागीय अखंडता को सहेजे जाने की जरूरत को रेखांकित करते हैं. हम सीरिया के लोगों के नेतृत्व में एक शांतिपूर्ण और सहिष्णु राजनीतिक प्रक्रिया का समर्थन करते हैं, जिसमें सीरियाई समाज के सभी वर्गों के हितों और आकांक्षाओं का सम्मान किया जाए." मंत्रालय ने यह भी बताया कि दमिश्क स्थित दूतावास सीरिया में रह रहे भारतीय समुदाय की सुरक्षा के लिए उनके साथ संपर्क में है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह सीरिया की स्थितियों पर करीबी नजर रख रहा है. बीजिंग ने सीरिया में जल्द-से-जल्द स्थिरता बहाल होने की भी उम्मीद जताई.
असद सरकार के दूसरे सबसे बड़े सहयोगी रहे ईरान ने उम्मीद जताई है कि सीरिया के साथ उसके "दोस्ताना रिश्ते" बरकरार रहेंगे. ईरान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि दमिश्क में "प्रभावी तत्वों" के व्यवहार के मुताबिक ही तेहरान "सीरिया के प्रति समुचित रुख अपनाएगा."
सीरिया के लिए सेहतमंत भविष्य चुनने का मौका
ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने असद को सत्ता से हटाए जाने को "असली मौका" बताते हुए सीरिया में शांति और स्थिरता की अपील की. उन्होंने आम लोगों और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर जोर दिया. 8 दिसंबर को संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा पर पहुंचे स्टार्मर ने बताया कि वह क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहे हैं.
सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गैएर पीडरसन ने देश के घटनाक्रम को "एक निर्णायक क्षण" बताते हुए कहा, "हम नए अध्याय की शुरुआत के लिए एक सतर्कता भरी उम्मीद के साथ आगे की ओर देख रहे हैं. ऐसा अध्याय जिसमें शांति हो, सुलह हो, सम्मान हो और जो सभी सीरियाई लोगों को समावेशित करे."
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) "एक ऐसे सीरिया के पुनर्निर्माण में मदद करेगा, जो सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करे."
ईयू की विदेश नीति प्रमुख कया कल्लास ने भी असद के सत्ता से बाहर होने पर खुशी जताई और इसे "एक सकारात्मक और बहुप्रतीक्षित घटनाक्रम" बताया. उन्होंने यह भी कहा कि सीरिया में जो हुआ, वो "असद के समर्थकों, रूस और ईरान की कमजोरी भी दिखाता है."
यूक्रेन ने भी असद के सत्ता से बाहर होने का स्वागत करते हुए कहा कि पुतिन की मदद पर निर्भर सत्तावादियों का पतन निश्चित है. यूक्रेन ने यह भी कहा कि वह सीरिया के लोगों के साथ है.
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने सीरियाई जनता और विद्रोहियों को बधाई दी और उम्मीद जताई कि बदलाव का यह रास्ता "एक आजाद और सेवा पर आधारित इस्लामिक सरकार" की ओर बढ़ेगा और सीरिया बाहरी हस्तक्षेप से मुक्त होगा.
इराक ने सभी सीरियाई लोगों की इच्छा के प्रति सम्मान की अपील की और कहा कि सीरिया की सुरक्षा, भूभागीय अखंडता और स्वतंत्रता बहुत महत्वपूर्ण हैं.
एसएम/आरपी (डीपीए, एपी, एएफपी)