कैसे घटाया जा सकता है 80 फीसदी प्लास्टिक प्रदूषण
१७ मई २०२३दुनिया भर के प्रतिनिधिप्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए संधिकर चुके हैं. संधि की डिटेल्स 2024 तक फाइनल हो जाएंगी. संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण एजेंसी, यूएनईपी अगुवाई में हुई इस संधि का लक्ष्य प्लास्टिक प्रदूषण में भारी कमी लाना है. फिलहाल इस्तेमाल के बाद यह प्लास्टिक नदियों, महासागरों और जमीन को दूषितकर रहा है.
प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के जांचे परखे तरीकों के आधार पर बनाये गये कुछ नियम बड़ा असर छोड़ सकते हैं. मंगलवार को पेश की गयी रिपोर्ट के मुताबिक सिस्टम में बड़े बदलाव करके 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को एक तिहाई कम किया जा सकता है. इस प्रक्रिया में हजारों नयी नौकरियां भी पैदा होंगी और खरबों डॉलर के नुकसान को टाला जा सकेगा.
यूएनईपी की डायरेक्टर इंगर एंडर्सन के मुताबिक, "रिपोर्ट दिखाती है कि सिर्फ इंटीग्रेटेड, सिस्टमैटिक बदलाव के जरिये एकरेखीय से सर्कुलर इकोनॉमी में जाने पर ही हमारे इकोसिस्टम और अंगों, और अर्थव्यवस्था से प्लास्टिक को अलग रखा जा सकता है."
भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगा प्रतिबंध फेल क्यों हो रहा है?
रिपोर्ट ऐसे वक्त में आयी है कि जब फ्रांस की राजधानी पेरिस में दुनिया भर के प्रतिनिधियों को इस मुद्दे पर बातचीत करनी है. यह प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने की संधि पर बातचीत का दूसरा चरण है. यूएनईपी ने इसे "पेरिस के जलवायु समझौते के बाद सबसे अहम पर्यावरणीय संधि" करार दिया है.
दुनिया फिलहाल हर साल 35 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा फैला रही है. यह कचरा जैवविविधता, सेहत और फूड सप्लाई के लिए खतरा बन चुका है.
क्या करने की जरूरत है
यूएनईपी की रिपोर्ट, गैरजरूरी और दिक्कत पैदा करने वाले प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन लगाने की मांग कर रही है. इसमें ऐसा प्लास्टिक भी शामिल है जिसे न तो रिसाइकल किया जा सकता है, ना ही फिर इस्तेमाल या कंपोस्ट. इंसानी सेहत के लिए घातक प्लास्टिक और पैकेजिंग के लिए खूब प्लास्टिक इस्तेमाल करने पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गयी है.
प्लास्टिक पॉल्यूशन को काबू में करने के लिए तीन दीर्घकालीन रास्ते भी सुझाये हैं. यह रियूज, रिसाइक्लिंग और वैकल्पिक मैटीरियल के इस्तेमाल पर आधारित हैं. रियूज के तहत बार बार इस्तेमाल की जानेवाली चीजों को बढ़ावा देना. प्लास्टिक के बदले पैसा देने का विकल्प भी पेश किया गया है.
फ्रांस में 2021 से ही एंटी वेस्ट लॉ लागू है. इसके तहत बड़े स्टोरों को फिर से इस्तेमाल करने वाली चीजों को बढ़ावा देना है. देश में यूज एंड थ्रो प्लेटें बैन कर दी गयी है.
रिसाक्लिंग के रेट बढ़ाने को भी एक कारगर कदम बताया गया है. कच्चे तेल पर सब्सिडी खत्म करने से नया प्लास्टिक महंगा हो जाएगा. इससे रिसाइक्लिंग को बढ़ावा मिल सकता है. अगर ऐसा किया जाए तो प्लास्टिक प्रदूषण में 20 फीसदी कमी लायी जा सकती है.
स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों में नए प्लास्टिक पर अलग से टैक्स और शुल्क लगाये गये हैं. रिसाक्लिंग के बदले ज्यादा पैसा देने की वजह से मेक्सिको में 2002 के मुकाबले 2018 में 56 फीसदी ज्यादा प्लास्टिक रिसाइकल किया गया.
प्लास्टिक की जगह वैकल्पिक मैटीरियल का इस्तेमाल कर भी दुनिया भर में प्लास्टिक प्रदूषण को 17 फीसदी घटाया जा सकता है. फिलहाल खाने पीने के लिए डिस्पोजल का इस्तेमाल और पैकेजिंग के रैपर्स में खूब प्लास्टिक इस्तेमाल किया जाता है. किन इसके बावजूद, शॉर्ट टर्म प्रोडक्ट्स की वजह से करीब 10 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होगा.
आर्थिक फायदे
यूएनईपी की रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी प्लानिंग के साथ प्लास्टिक से दूरी बनाने पर दुनिया 2040 के अंत तक 4500 अरब डॉलर बचा सकती है. इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रोडक्शन न करने से बचने वाली लागत भई शामिल है. वैसे फिलहाल सबसे ज्यादा पैसा प्लास्टिक के कारण सेहत और पर्यावरण को रहे नुकसान पर खर्च हो रहा है.
यूएनईपी की आर्थिक शाखा के उपनिदेशक और शोध में मदद करने वाले स्टीवन स्टोन ने डीडब्ल्यू से इस बारे में बातचीत की. स्टोन कहते हैं कि अब वैज्ञानिक रूप से भी यह साबित हो रहा है कि प्लास्टिक की सबसे ज्यादा कीमत स्वास्थ्य के रूप में चुकानी पड़ रही है. प्लास्टिक या प्लास्टिक बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायनों की वजह से कैंसर समेत कई गंभीर बीमारियां सामने आती हैं.
प्लास्टिक के अंधाधुंध इस्तेमाल को बंद करने के लिए सरकारों नयी सोच अपनानी होगी. सरकारें अगर सर्कुलर इकोनॉमी का मॉडल अपनाएं तो प्लास्टिक प्रदूषण पर काबू पाने के साथ साथ 7,00,000 नये रोजगार भई पैदा हो सकेंगे. इनमें से ज्यादातर नौकरियां प्लास्टिक की रिसाइक्लिंग से जुड़ी होंगी. कम आय वाले देशों के लिए यह मॉडल खासा कारगर साबित हो सकता है.
क्या प्लास्टिक का अंत हो जाएगा
अधिकारियों का कहना है कि यूएनईपी प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह खत्म करने की नहीं सोच रही है. स्टीवन स्टोन कहते हैं, "आप आप लगातार इस्तेमाल करते रहें तो प्लास्टिक की बहुत ही हाई वैल्यू रहती है. यह मजबूत और हल्का होता है. इसे कारों और हवाई जहाजों में इस्तेमाल किया जाता है. समाज के लिए यह कई तरह के काम करता है, जिसकी वजह से इसकी वैल्यू बहुत ज्यादा है. इसीलिए हम प्लास्टिक को विलेन बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं."
स्टोन के मुताबिक, अगर कंपनियों को प्लास्टिक का कचरा निपटाने में मुनाफा होने लगे तो अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं. वह इस मुहिम में आम लोगों को भी फायदा पहुंचाने की वकालत भी कर रहे हैं.
स्टोन कहते हैं, "इस रिपोर्ट की मुख्य बात यही है कि प्लास्टिक दिखने में बहुत सस्ता लगता है लेकिन ऐसा है नहीं. इसकी कीमत या तो भविष्य पर थोपी जाती है या फइर उन पर जो इसे इस्तेमाल भी नहीं करते. वे तो बस इससे जूझ रहे हैं."