बम, टैंक के गोले और मिसाइलों के धमाकों के बीच रासायनिक हमले के निशान और सबूत ढूंढना आसान नहीं है तो फिर इनकी जांच की जाती है. आखिर ये कौन लोग हैं जो ऐसे हमलों के सबूत ढूंढ निकालते हैं और कैसे?
ओपीसीडब्ल्यू दुनिया में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल रोकने और इस प्रतिबंध को सुनिश्चित करने का काम करता है. 193 देश इसके सदस्य हैं, जिनमें रूस और यूक्रेन भी शामिल हैं. रासायनिक हथियारों को खत्म करने से जुड़े विस्तृत प्रयासों के लिए इसे 2013 में नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला था.
ओपीसीडब्ल्यू ने अभी तक यूक्रेन से जुड़ी किसी जांच का ऐलान नहीं किया है.हालांकि उसकी वेबसाइट पर निगरानी किए जाने की बात जरूर बताई गई है. इस जानकारी के मुताबिक, ओपीसीडब्ल्यू संबंधित रासायनिक औद्योगिक प्रतिष्ठानों और जहरीले रसायनों को बतौर हथियार इस्तेमाल किए जाने के खतरे पर नजर बनाए हुए है. संगठन के पूर्व प्रमुख मार्क माइकल ब्लूम ने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि ओपीसीडब्ल्यू हाल-फिलहाल तो अपनी किसी टीम को मारियोपोल में जांच के लिए नहीं भेजेगा. उन्होंने कहा, "अभी युद्ध जारी है, जहां ओपीसीडब्ल्यू अपनी टीम नहीं भेजेगा क्योंकि उस टीम की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है."
उन डॉक्टरों से भी बात करने की कोशिश की जाएगी, जिन्होंने उन लोगों का इलाज किया हो. अतीत में इस तरह की जांचों में विशेषज्ञों ने "गैस डिस्पर्सन मॉडल" और टोपोग्राफिक चार्ट्स का भी सहारा लिया था और डिजिटल तस्वीरों को भी देखा गया. ओपीसीडब्ल्यू के पास सीरिया में इस तरह की जांच करने का अनुभव है. वहां संगठन के विशेषज्ञों ने कई मौकों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल होने की पुष्टि की थी. हालांकि सीरिया की सरकार रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े आरोपों को खारिज करती है.
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अतीत के रासायनिक हमलों से जुड़ी घटनाओं में क्या हुआ?
सीरिया में गृह युद्ध के दौरान जहरीली गैस की चपेट में आकर सैकड़ों लोग मारे गए. इन मामलों की जांच कर पाना ओपीसीडब्ल्यू के लिए आसान नहीं था. उसे कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. रूस ने भी जांच ना होने देने के लिए अड़चनें लगाईं.केमिकल हथियारों के इस्तेमाल से जुड़ी उन घटनाओं में आज तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी है.
सीरिया के बाहर के दो हालिया मामले हैं, जिनसे समझ आता है कि संदिग्ध रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल से जुड़ी घटनाओं में स्थानीय एजेंसियां किस तरह जांच कर सकती हैं. ये घटनाएं हैं, 2020 में रूसी विपक्षी नेता आलेक्सी नवाल्नी और 2018 में पूर्व डबल एजेंट सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी को दिया गया जहर. अलेक्सी नवाल्नी हमले के बाद अपने इलाज के लिए जर्मनी आए थे.
इसी तरह सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर ब्रिटेन में हमला हुआ. वहां के अधिकारियों ने उनके नमूने लिए. जांच के बाद बताया गया कि उनके ऊपर नोविचोक से हमला हुआ, जो कि सोवियत संघ के दौर का एक नर्व एजेंट है. उन मामलों में ओपीसीडब्ल्यू ने भी संबंधित नमूनों की जांच की थी और जर्मन और ब्रिटिश अथॉरिटीज द्वारा बताए गए निष्कर्ष की पुष्टि की थी. इन दोनों हमलों में रूस पर आरोप लगता है, लेकिन वह इससे इनकार करता है.
बर्बाद हो गया लेकिन झुका नहीं मारियोपोल
युक्रेन पर रूस के हमले का दर्द शायद सबसे ज्यादा अब तक मारियोपोल ने झेला है. नागरिकों पर बढ़ते हमले और भारी तबाही के बाद भी शहरवासियों ने घुटने नहीं टेके हैं. यूक्रेन की सरकार ने भी मारियोपोल सौंपने से इनकार कर दिया है.
तस्वीर: Str/AA/picture alliance
मारियोपोल से पलायन
पिछले हफ्ते में तबाह हो चुके मारियोपोल से हर दिन दसियों हजार लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं. जंग शुरू होने के बाद से ही रणनीतिक लिहाज से अहम दक्षिणी तटवर्ती शहर बमों और मिसाइलों की मार सह रहा है. बहुत से हमले आम नागरिकों पर हुए हैं. रूस की तरफ से जारी आंकड़े बता रहे हैं कि करीब 440,000 की आबादी वाले शहर के 130,000 लोग अब भी शहर में हैं.
तस्वीर: Str/AA/picture alliance
मलबा बन गया मारियोपोल
करीब चार हफ्ते से मिसाइलों और बमों की मार ने शहर को रहने लायक नहीं छोड़ा है. शहर प्रशासन के मुताबिक 80 फीसदी अपार्टमेंट ध्वस्त हो चुके हैं. शहर की जो तस्वीरें आ रही हैं उनमें हर तरफ ध्वस्त इमारतें ही नजर आ रही हैं जैसा कि ऊपर की तस्वीर में. हर तरफ टूटी इमारतों का मलबा ही दिखता है.
यूक्रेन के नागरिकों पर रूस के हमलों के बाद पश्चिमी देशों के कई राजनेता 'युद्ध अपराध' की बात कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के अभियोजकों ने भी जांच करने की बात कही है. जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक, यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के राजदूत जोसेप बोरेल ने भी यह मुद्दा उठाया है. बोरेल का तो कहना है कि रूस जंग के नियमों की परवाह किए बगैर यूक्रेन को तबाह कर रहा है.
तस्वीर: REUTERS
रणनीतिक ठिकानों पर हमले का रूसी दावा
रूस का दावा है कि उसने केवल रणनीतिक और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है. मारियोपोल थिएटर पर बमबारी के लिए भी उसने यूक्रेनी मिलिशिया अजोव बटालियन को जिम्मेदार ठहराया है. इस थियेटर के नीचे बने बंकर में हजारों लोग रूसी हवाई हमले से बचने के लिए छिपे हुए थे. तस्वीर में हमले के बाद ध्वस्त हुए थिएटर का मलबा नजर आ रहा है.
तस्वीर: Azov Battalion/AP/dpa/picture alliance
भागने के रास्तों पर रूसी नियंत्रण
पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्स्क और आस पास के इलाकों पर रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है और यही लोग मारियोपोल से भागने के रास्तों पर भी निगरानी रख रहे हैं. शहर पर कई हफ्तों से रूसी सैनिकों की घेराबंदी है और केवल निहत्थे नागरिकों को ही यहां से बाहर निकलने दिया जा रहा है.
तस्वीर: Str/AA/picture alliance
दुश्मन देश में भाग कर पहुंचे
यह तस्वीर रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने जारी की है. इसमें दावा किया गया है कि ये वो लोग हैं जो मारियोपोल से भाग कर रूसी कब्जे वाले दोनेत्स्क के अस्थायी शिविरों में पहुंचे हैं. रूस का कहना है कि वह यूक्रेनी शरणार्थियों को सुरक्षा देना चाहता है. मारियोपोल की नगर परिषद का कहना है कि अलगाववादी हजारों यूक्रेनी लोगों को बंधक बना कर रूस ले जा रहे हैं और रूस ऐसा होने दे रहा है.
मारियोपोल से भाग कर आए बहुत से लोगों का इलाज जापोरिझिया में हो रहा है. मारियोपोल में अस्पतालों पर हुए बमबारी के बाद आपातकालीन इलाज की सेवा लगभग असंभव हो गई है. दो हफ्ते पहले जापोरिझिया में यूरोप के सबसे बड़े परमाणु बिजली घर के पास मिसाइल हमले ने दुनिया को चिंता में डाल दिया था. हालांकि इसे अगर छोड़ दें तो 7.5 लाख की आबादी वाला यह शहर लड़ाई से मोटे तौर पर दूर ही है.
तस्वीर: Stringer/AA/picture alliance
अपनों तक सुरक्षित पहुंचने की कोशिश
मारियोपोल से भाग कर पश्चिमी यूक्रेन के लवीव में अपनी मां की बांहों तक पहुंची किशोरी. रूसी सेना लवीव पर भी हमले कर रही है. मारियोपोल से भाग कर आने वाले बहुत से शरणार्थियों के लिए यूक्रेन के पड़ोसी देशों तक पहुंचने से पहले लवीव आखिरी पड़ाव बन गया है.
तस्वीर: picture alliance / ASSOCIATED PRESS
कई शहरों से में जल रही है इमारतें
मारियोपोल अकेला शहर नहीं है जो रूसी हमले के बाद धूल में मिल गया है. उत्तरी और पूर्वी यूक्रेन में रॉकेट और टैंकों के गोले लगातार सुमी, खारकीव और राजधानी कीव जैसे प्रमुख शहरों को निशाना बना रहे हैं. यह तस्वीर कीव के शॉपिंग मॉल की है जो रूसी हमले का निशाना बना है.
तस्वीर: Daniel Ceng Shou-Yi/ZUMAPRESS/picture alliance
मारियोपोल को सौंपने से इनकार
रविवार को रूस ने यूक्रेन को चेतावनी दी थी कि वह सोमवार दोपहर से पहले मारियोपोल को उसके हवाले कर दे. यूक्रेन ने यह मांग मानने से इनकार कर दिया. हजारों आम लोग एक बार फिर शहर छोड़ कर चल दिए. यूक्रेन का कहना है कि इन लोगों के बाहर जाने और शहर तक सहायता पहुंचाने के रास्तों पर भी लगातार हमले हो रहे हैं. रूसी अलगाववादी नेता डेनिश पुश्लिन का कहना है कि मारियोपोल की लड़ाई अभी कई हफ्ते और चल सकती है.
तस्वीर: Evgeniy Maloletka/AP/dpa/picture alliance
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मारियोपोल से जुड़े सवाल
फॉस्फोरस युक्त हथियार रासायनिक हथियार नहीं माने जाते हैं. ज्यादातर सेनाओं के पास फॉस्फोरस वाली युद्ध सामग्रियां होती हैं, जिनका इस्तेमाल युद्ध क्षेत्र या निशाने वाली जगह पर रोशनी करने या धुआं पैदा करने के लिए किया जाता है. अगर कोई सेना जान-बूझकर किसी बंद जगह पर फॉस्फोरस हथियारों का इस्तेमाल करे, ताकि वहां रह रहे लोग जहरीले धुएं की चपेट में आएं, तो यह "केमिकल वीपन्स कन्वेंशन" का उल्लंघन होगा.
यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान अब तक युद्ध को कवर कर रहे छह पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की मौत हो गई है. मारे गए कुछ पत्रकार यूक्रेनी और कुछ विदेशी हैं.
तस्वीर: Oksana Baulina/REUTERS
येवहनी सकुन
यूक्रेन के 'लाइव' स्टेशन के लिए बतौर कैमरा ऑपरेटर काम करने वाली 49 वर्षीय येवहनी सकुन यूक्रेन युद्ध में मारी गई पहली मीडियाकर्मी थी. 1 मार्च को सकुन की मृत्यु तब हो गई जब रूस ने कीव में एक टीवी टावर पर हमला किया था. इस हमले में चार अन्य लोगों की भी मौत हुई थी.
तस्वीर: Yaghobzadeh Alfred/ABACA/picture alliance
ब्रेंट रेनॉड
50 साल के ब्रेंट रेनॉड की 13 मार्च को रूसी सैनिकों की फायरिंग में तब मौत हो गई जब वे कीव के बाहरी इलाके में अपनी गाड़ी से जा रहे थे. रेनॉड टाइम स्टूडियो के लिए काम कर रहे थे. वे यूक्रेन में शरणार्थी संकट पर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.
तस्वीर: Jemal Countess/Getty Images
ऑलेक्जांड्रा कुवशिनोवा
फॉक्स न्यूज के लिए एक काम करने वाली 24 वर्षीय यूक्रेनी ऑलेक्जांड्रा कुवशिनोवा की 14 मार्च को फायरिंग में मौत हो गई थी. वो एक वाहन में अपने सहकर्मियों के साथ यात्रा कर रही थीं.
तस्वीर: Yaghobzadeh Alfred/ABACA/picture alliance
पियरे जक्रजेवस्की
55 वर्षीय पियरे जक्रजेवस्की फॉक्स न्यूज के कैमरामैन थे और होरेनका शहर में कुवशिनोवा के साथ ही यात्रा कर रहे थे. उनकी गाड़ी पर फायरिंग होने से कुवशिनोवा के साथ उनकी भी मौत हो गई. हमले में फॉक्स न्यूज के एक और पत्रकार बेंजामिन हॉल गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
तस्वीर: Pierre Zakrzewski/dpa/Fox News/AP/picture alliance
ओक्साना बाउलिना
रूस की खोजी साइट द इनसाइडर के लिए काम करने वाली पत्रकार ओक्साना बाउलिना की कीव में 23 मार्च को रूसी गोलाबारी के दौरान मौत हो गई थी. जिस वक्त रूसी हमला हुआ तब वे तबाही को फिल्मा रही थीं और उसी दौरान वे हमले की चपेट में आ गई.
तस्वीर: Oksana Baulina/REUTERS
माक्सिम लेविन
यूक्रेनी फोटो पत्रकार माक्सिम लेविन, जिन्हें उनके सहयोगी मैक्स कह कर पुकारते थे, वे राजधानी कीव के उत्तरी इलाके में मृत पाए गए थे. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा कि लेविन रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस, बीबीसी और यूक्रेनी आउटलेट होरोमाडस्के समेत संगठनों के लिए काम कर चुके थे. लेविन मार्च में कीव के पास विशोरोड के आसपास युद्ध कवर करते हुए गायब हुए थे.