गहराते जल संकट की वजह से खतरे में करोड़ों लोगों की जिंदगी
एलिस्टर वाल्श
२१ अक्टूबर २०२३
जलवायु परिवर्तन की वजह से कहीं अचानक बाढ़ आ रही है, तो कहीं सूखा पड़ रहा है. जान-माल की भारी क्षति हो रही है. आखिर इस स्थिति से निपटने का तरीका क्या है?
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विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बीते गुरुवार नई रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और इंसानी गतिविधियों की वजह से जल चक्र की स्थिति वैश्विक स्तर पर बिगड़ गई है. इससे करोड़ों लोगों के लिए जल संकट पैदा हो सकता है. डेटा की कमी की वजह से अब तक बाढ़ और सूखे से जुड़े अनियमित जल चक्र की निगरानी में समस्या पैदा हो रही थी. यह जल चक्र पीने के पानी की आपूर्ति और फसलों के लिए उपलब्ध होने वाले पानी, दोनों को प्रभावित करता है. हालांकि, अब प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के विकसित होने से लोगों की जिंदगियां बचाने में मदद मिलेगी.
जल संसाधन की वैश्विक स्थिति को लेकर WMO की ओर से जारी की गई इस दूसरी रिपोर्ट के लेखकों के अनुसार, यह बदलाव की शुरुआत हो सकती है. WMO की एक वैज्ञानिक अधिकारी और रिपोर्ट की कोऑर्डिनेटर सुलग्ना मिश्रा ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के हिसाब से खुद को ढालने, योजना बनाने और जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के लिए हमें यह जानना जरूरी है कि जल संसाधनों की मौजूदा स्थिति कैसी है और उनमें क्या बदलाव होने जा रहा है.”
मिश्रा ने DW को बताया, "हाइड्रोलॉजिकल डेटा उन देशों के लिए बहुत संवेदनशील है, जहां नदियां बहती हैं. इसलिए यह भू-राजनीति में भी अहम भूमिका निभाता है. देश अक्सर जल आपूर्ति पर जानकारी साझा करने में सावधानी बरतते हैं.”
किसानों और बीमा कंपनियों की एक साथ मदद करती मौसम ऐप
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पानी से जुड़ा डेटा शेयर करना
कुछ क्षेत्रों में निगरानी की कमी के कारण भी डेटा सीमित था. अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया डेटा की पर्याप्त निगरानी न होने की वजह से खासतौर पर प्रभावित हुए हैं. अब इस दिशा में प्रगति हो रही है. 2021 की पहली रिपोर्ट में सिर्फ 38 जगहों का डेटा शामिल किया गया था, जबकि 2022 की रिपोर्ट में 500 से ज्यादा जगहों का डेटा शामिल किया गया. जहां जमीनी डेटा उपलब्ध नहीं था, वहां शोधकर्ताओं ने रिमोट सेंसिंग और अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया.
मिश्रा ने कहा, "इस तरह के विश्लेषणों के नतीजे मिलने के बाद अब अलग-अलग देश अपना डेटा साझा करने लगे हैं. मुझे लगता है कि यह बेहतर हो रहा है.”
WMO के महासचिव पेटेरी टालस ने एक बयान में कहा कि यह रिपोर्ट बेहतर चेतावनी प्रणालियों को विकसित करने के लिए ज्यादा डेटा साझा करने और साथ मिलकर जल प्रबंधन नीतियों के लिए कदम उठाने का आह्वान है. यह जलवायु कार्रवाई का अभिन्न हिस्सा है.
WMO ने निगरानी से जुड़ी कमियां दूर करने और दुनिया के जल संसाधनों की स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराने के लिए निवेश करने की भी मांग की है. साथ ही, नीति निर्माताओं से पानी की समस्याओं से जुड़े मुख्य कारणों पर ध्यान देने और उन्हें दूर करने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया.
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कैसे बदल रहा है वैश्विक जल चक्र
रिपोर्ट में पाया गया कि 2022 में पूरी दुनिया में आधे से ज्यादा जलग्रहण क्षेत्रों में उनकी स्रोत नदियों में पानी का स्तर असामान्य था. अधिकांश नदियों में पानी का स्तर औसत से काफी ज्यादा कम था. वहीं कुछ में काफी ज्यादा पानी था.
नदियों में कम पानी और जीवाश्म ईंधन के जलने से जुड़ी अनियमित वर्षा ने 2022 में दुनियाभर में समस्याएं पैदा कीं. अमेरिका में मिसीसिपी में बाढ़ ने खूब तबाही मचाई. वहीं दक्षिण अमेरिका के ला प्लाटा नदी बेसिन में बोलीविया, उरुग्वे, ब्राजील, पैराग्वे और अर्जेंटीना के कुछ हिस्सों में नदी के कम प्रवाह के कारण जलविद्युत उत्पादन बाधित हुआ. इस वजह से 2022 में पराग्वे में पानी की आपूर्ति कई बार बाधित हुई.
खतरे में है दुनिया के अंतिम सिरे पर बसा गांव
एस्किमो शिकारियों का आखिरी गांव इतोकोर्तोमित जुझारूपन और लचीलेपन की मिसाल है. पृथ्वी की सबसे सुदूर और दुष्कर जगह जीने का तरीका अनोखा है. इन मुश्किलों में जलवायु परिवर्तन की परेशानियां शामिल हो गई हैं.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
11 महीने दुनिया से संपर्क के बगैर
ग्रीनलैंड के स्कोरेस्बी साउंड में हिमशिलाओं पर बसे इस गांव में जिंदगी कभी आसान नहीं रही. बर्फ साल के 11 महीने बाकी दुनिया से इनका संपर्क बिल्कुल काटकर रख देती है.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
बर्फ की सौगातें
हालांकि, यही सर्द महीने इनके पास सील, कस्तूरी बैल, सफेद व्हेल और ध्रुवीय भालू की सौगात लेकर आते हैं. वीरान इलाके के ठंडे मौसम में इनका गुजारा इन्हीं जीवों से मिले भोजन और गर्म कपड़ों पर होता है.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
चार गुना तेजी से बढ़ता तापमान
ग्लेशियरों के साथ यहां की यह निश्चिंतता तेजी से पिघलती जा रही है. आर्कटिक सागर में बाकी दुनिया के मुकाबले तापमान चार गुना तेजी से बढ़ रहा है. शिकार की गई सील की सफाई करता एक युवा.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
लकड़ी के घर
तस्वीर में दिख रहा गांव ग्रीनलैंड का इतोकोर्तोमित है. इन लाल, नीले और पीले रंग के लकड़ी के घरों में गांव के 350 लोग रहते हैं. इसे धरती के छोर पर बसा आखिरी गांव भी कहा जाता है.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
कुछ हफ्तों की गर्मियां
गर्मियों में यहां जिंदगी आसान होती है. समाचार एजेंसी एएफपी के पत्रकार ओलिवियर मोरिन ने गर्मियों में यहां के जीवन की कुछ तस्वीरें ली हैं, जब यहां के लोग कुछ हफ्तों के लिए एक अलग तरह की जिंदगी का लुत्फ उठाते हैं. इसी मौसम में सैलानी भी आते हैं.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
जलपरी की मस्तियां
स्विमिंग पूल में जलपरी जैसी पूंछ वाली ड्रेस पहने लड़की मस्ती के मूड में है. इन बच्चों को ऐसे दिन यहां कम ही नसीब होते हैं, लेकिन जब भी मिले, ये मौका नहीं चूकते.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
पढ़ाई से अलग
स्कूल की नियमित पढ़ाई से कुछ अलग करने की कोशिश में चित्रकारी करते गांव के बच्चे. बर्फ से ढंकी दुनिया में बहुत कुछ करने को नहीं होता.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
सील मछली का संरक्षण
इतोकोर्तोमित के हार्बर के पास डॉक में फंसी एक मरी हुई सील मछली ठंडे पानी में बह रही है. इन मछलियों को संरक्षित किया जा रहा है. यही मछलियां यहां के लोगों का जीवन चलाती हैं. इनके शिकार का कोटा तय किया गया है.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
सैलानियों से संकट
एस्किमो गांव घूमने के बाद वहां से रवाना होते सैलानी. सैलानियों के आने से इन्हें आमदनी तो होती है, लेकिन परेशानी भी है. एक तरफ प्रदूषण हो रहा है, तो दूसरी तरफ शिकार, जिनके कारण सीलों की आबादी सिमट रही है. इस साल गर्मियों में यहां सैलानियों के साठ जहाज आए.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
सील का शिकार
ग्रीनलैंड के मशहूर शिकारी जेलमेर इतोकोर्तोमित के हार्बर पर हामेकेन शिकार के बाद सील को नाव में खींच रहे हैं. सील के शिकार के लिए बाहरी लोग भी यहां आते हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ घटती जा रही है और साथ ही सील मछलियां भी.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
शिकार बंद करना होगा
शिकारियों से भरी नाव सील की तलाश में निकली है. ये लोग गांव से कई दर्जन किलोमीटर दूर चले आए हैं. पहले सील गांव के पास ही मिल जाती थी. अब दूर जाना पड़ता है. सीलों की संख्या घटती जा रही है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर शिकार बंद न हुआ, तो गांव उजड़ जाएगा.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
कुछ और जानवर भी हैं
सील और पोलर बियर के अलावा आर्कटिक खरगोश जैसे कुछ जीव भी यहां के बाशिंदे हैं. धूप सेंक रहा यह खरगोश भी मौसम के मजे ले रहा है.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
क्वाडबाइक की सवारी
मां-बाप अपने बच्चों को इन क्वाडबाइक में बिठाकर स्कूल छोड़ने आते हैं. चार पहिए वाली यह बाइक यहां यातायात के लिए बढ़िया साधन है. ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर भी यह संतुलन बना लेती है और इन्हें गिरने से बचाती है.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
पोलर बियर की खाल
तस्वीर में पोलर बियर यानी ध्रुवीय भालू की खाल सुखाते हुए दिखाई जा रही है. ये लोग इनकी खाल से अपने लिए कपड़े बनाते हैं. यह इलाका पोलर बियर का प्राकृतिक आवास है. भालू और इंसान दोनों का आहार सील मछली है.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
फुटबॉल का मैदान
इस पूरे इलाके में हरियाली सिर्फ इसी फुटबॉल के मैदान पर दिखती है. इसमें कृत्रिम घास लगाई गई है. बर्फ में ढंके रहने की वजह से यहां हरियाली का नामो-निशान नहीं है.
तस्वीर: Olivier Morin/AFP
गांव से गुजरने वाली नदी
इतोकोर्तोमित गांव से यह नदी ऊपर के ग्लेशियर से बहकर नीचे तक जाती है. इसी नदी से गांव के लोगों को पीने का पानी मिलता है. फिलहाल इसमें पानी नहीं है, लेकिन जल्दी ही बर्फ गिरेगी और यह भर जाएगी.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
गांव में राशन की दुकान
यह इस गांव में राशन की इकलौती दुकान है. जरूरत का सारा सामान यहीं से मिलता है. तस्वीर में नजर आ रहे शख्स दुकान के कैशियर हैं.
तस्वीर: OLIVIER MORIN/AFP
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यूरोप भी इस जल संकट से नहीं बच पाया. यहां सूखे के कारण पानी का स्तर कम हो गया, जिससे डेन्ब्यू और राइन नदी में जहाजों के परिचालन में काफी मुश्किलें आईं. फ्रांस के परमाणु ऊर्जा स्टेशनों को ठंडे पानी की कमी के कारण उत्पादन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा.
हॉर्न ऑफ अफ्रीका में 2022 में लगातार तीसरे साल काफी कम बारिश हुई, जिसके कारण भयंकर सूखा पड़ा और कम से कम 3.61 करोड़ लोग प्रभावित हुए. 49 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हो गए.
ज्यादा पानी से भी पैदा हुई समस्याएं
जल चक्र प्रभावित होने से दुनिया में सिर्फ सूखा ही नहीं पड़ा, बल्कि कई जगहों पर बाढ़ भी आई. नाइजर बेसिन और दक्षिण अफ्रीका के तटीय क्षेत्रों में 2022 में भीषण बाढ़ आई. पाकिस्तान के सिंधु नदी बेसिन में आई भीषण बाढ़ में 1,700 से अधिक लोगों की जान चली गई. इन आपदाओं से 30 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ.
भारी बारिश और गर्म लहरों की वजह से ग्लेशियर पिघलने के कारण नदियों के स्तर में असामान्य बढ़ोतरी हुई और भयंकर बाढ़ आई. वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन रिसर्च ग्रुप के अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी स्थितियां बनने की संभावना बढ़ गई हैं. पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में भी भीषण बाढ़ की स्थिति देखने को मिली.
ग्लेशियर के पिघलने से किस तरह असर पड़ता है?
नई रिपोर्ट में धरती की उन जगहों का भी विश्लेषण किया गया है, जहां पानी ठोस अवस्था में है. इसमें पाया गया कि एशिया के ‘तीसरे ध्रुव' के तौर पर पहचाने जाने वाले उच्च पर्वतीय इलाके में बर्फ वाले क्षेत्र का दायरा कम हो गया है. बर्फ के पिघलने की अवधि कम हो गई है. हिमनदों के पिघलने से झीलें बड़ी और गहरी हो रही हैं.
इस वजह से मध्य एशिया, दक्षिणी एशिया और चीन में सिंधु, अमु दरिया, यांग्त्जी और येलो रिवर बेसिन में जल स्तर पर असर पड़ा है. इससे लगभग 2 अरब लोगों के लिए पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है. यूरोप भी इस असर से अछूता नहीं है. यहां आल्प्स पर भी बर्फ के क्षेत्र का दायरा कम हो गया है और कई ग्लेशियर पूरी तरह पिघल गए हैं.
ब्राजील: अमेजन में भीषण सूखा
अमेजन वर्षावन गंभीर सूखे का सामना कर रहे हैं. नदी का स्तर काफी गिर गया है, मछलियां मर रही हैं और इंसान भी इस सूखे से पीड़ित हैं. अल नीनो और जलवायु परिवर्तन इसके लिए जिम्मेदार हैं.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP/Getty Images
एक संकरी गली की तरह
ऊपर से ली गई ये तस्वीर किसी संकरी गली की तरह दिख रही है. असल में यह मनकापुरु क्षेत्र में अमेजन नदी है. नदी का पानी खतरनाक स्तर तक गिर गया है. नदी का पानी सूखने से वहां के एक लाख निवासियों को परेशानी हो रही है. ब्राजील सरकार उन लोगों की मदद के लिए एक टास्क फोर्स का गठन कर रही है जो भोजन और अन्य आवश्यक चीजों के परिवहन मार्ग के रूप में नदियों पर निर्भर हैं.
तस्वीर: Edmar Barros/AP/dpa/picture alliance
स्थिति गंभीर है
इन नदियों का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्थानीय निवासियों द्वारा खाद्य उत्पादों समेत परिवहन के विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है. ब्राजील की पर्यावरण मंत्री मरीना सिल्वा ने कहा, ''स्थिति बेहद चिंताजनक'' हो गई है. सरकार नदी के प्रवाह को बनाए रखने की कोशिश कर रही है. अधिकारियों ने नदी की खुदाई के लिए 14 करोड़ यूरो की योजना शुरू की है.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP/Getty Images
बाहरी दुनिया से कटे
सूखे की इन परिस्थितियों में देश के अमेजन और एकर क्षेत्रों की कई बस्तियां मुख्य भूमि से कट गई हैं. इस संकट से निपटने के लिए वायुसेना वहां के निवासियों तक हवाई मार्ग से भोजन और पानी पहुंचाने के लिए आगे आई है. अधिकारियों को डर है कि इस साल के अंत तक पांच लाख लोग सूखे से प्रभावित होंगे.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP
मरी हुई मछलियों की झील
पिरान्हा झील के पानी में मरी हुईं मछलियां हर ओर बिखरी पड़ी हैं. स्थानीय मछुआरे पाओलो मोंटेरो को मरी हुई मछलियों के ऊपर से नाव ले जानी पड़ती है. पानी की गहराई कम होने और पानी का तापमान बढ़ने के कारण मछलियां बड़ी संख्या में मर रही हैं.
तस्वीर: BRUNO KELLY/REUTERS
खतरे में आजीविका
पर्यावरण में हो रहे इस बदलाव के कारण ना सिर्फ नदियां सूख रहीं हैं बल्कि उनमें मछलियां भी मर रही हैं. इन मछलियों को पकड़ कर गुजर बसर करने वालों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है. मरी हुई मछलियों के इस ढेर से पीने का पानी भी प्रदूषित हो रहा है.
तस्वीर: BRUNO KELLY/REUTERS
सूखा, तापमान और आग
सिर्फ सूखा और बढ़ता तापमान ही नहीं बल्कि आग भी यहां के लोगों के जीवन के लिए अभिशाप बनती जा रही है. भीषण गर्मी में जंगल की आग कभी-कभी घरों तक फैल जाती है.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP
भयानक भविष्य
पर्यावरण मंत्री सिल्वा ने रॉयटर्स को बताया, "हम दो घटनाओं के संयोग का अनुभव कर रहे हैं: एक प्राकृतिक अल नीनो और एक मानव निर्मित ग्लोबल वार्मिंग." उन्होंने कहा इस कारण अमेजन में अभूतपूर्व सूखा पड़ा है, जैसा कि ब्राजील में शायद भविष्य में और भी देखने को मिलेगा. जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा बार-बार पड़ता है और लंबे समय तक बना रहता है.
तस्वीर: MICHAEL DANTAS/AFP/Getty Images
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पानी से जुड़ी आपदाओं के लिए चेतावनी प्रणाली में सुधार
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार 90 फीसदी से अधिक प्राकृतिक आपदाएं पानी से जुड़ी हैं, जिनमें सूखा, जंगल की आग, प्रदूषण और बाढ़ शामिल हैं. WMO को 2027 तक सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने से जुड़े कामों का नेतृत्व सौंपा गया है. हालांकि, अभी दुनिया के सिर्फ आधे हिस्से में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली तक पहुंच है. अफ्रीका, छोटे द्वीपीय देश और कई विकासशील देश इसके इस्तेमाल में काफी पीछे हैं.
शोधकर्ताओं के मुताबिक पानी से जुड़ी आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां काफी कारगर हैं. मिश्रा कहती हैं, "हमें इन घटनाओं की भविष्यवाणी करने और खुद को इससे निपटने में सक्षम होने के लिए अनुमान लगाने से जुड़े बेहतर तरीके की जरूरत है. इससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा.”