यूक्रेन: रूस ने चुराए कृषि वाहन लेकिन नहीं कर सका इस्तेमाल
७ मई २०२२रूसी सैनिक यूक्रेन में अनाज लूटने से ही संतुष्ट नहीं हुए, वे अपने दुश्मन पड़ोसी के करीब पचास लाख डॉलर के कृषि उपकरण भी लूट ले गए.
यूक्रेन के कब्जे वाले मेलिटोपोल शहर में एक अज्ञात स्रोत का हवाला देते हुए, सीएनएन ने इस हफ्ते खबर दी कि रूसी सैनिकों ने किसी स्थानीय डीलर की कृषि मशीनरी का एक बड़ा भंडार चुरा लिया और उसे करीब एक हजार किमी दूर चेचन्या पहुंचा दिया.
क्या चुराया और उसे कहां ले गए ?
सीएनएन के मुताबिक, रूसी सैनिकों ने इस डीलर से 27 कृषि वाहनों को चुराया, जिनमें कई कंबाइन हार्वेस्टर शामिल हैं, जिनकी कीमत करीब तीन लाख डॉलर है. ये उपकरण मेलिटोपोल में जॉन डीरे कंपनी के डीलर के यहां से चोरी हुए थे. जॉन डीरे ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, बेलर, प्लांटर्स/ सीडर, साइलेज मशीन और स्प्रेयर सहित तमाम कृषि उपकरणों का दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता है.
अमेरिकी ब्रॉडकास्टर सीएनएन के सूत्र ने बताया कि लूटे गए वाहनों को जिन फ्लैटबेड ट्रेलरों से ले जाया गया, उनमें से एक पर सफेद रंग से "Z” बनाया गया था. इस चिह्न की वजह से यह रूसी सैन्य वाहन जैसा मालूम होता था. "Z” चिह्न युद्ध का प्रतीक बन गया है क्योंकि यह 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के दौरान रूसी सैन्य वाहनों पर दिखा था.
रिमोट कंट्रोल से बंद की गईं मशीनें
यूक्रेन में संघर्ष के दौरान रूसी सैनिकों के कृषि उपकरण और फसल चोरी करने की कई दूसरी रिपोर्टें भी सामने आई हैं, जबकि रूस यूक्रेन को अनाज निर्यात भी रोके हुए है. पिछले दो महीनों में, यूक्रेन के कृषि मशीन डीलर, एग्रोटेक-इन्वेस्ट ने कई बार फेसबुक पर उपकरण चोरी होने की जानकारी पोस्ट की है, जिसमें जॉन डीरे हार्वेस्टर और स्वीडिश फर्म वेडरस्टैड द्वारा बनाई गई मशीनरी भी शामिल है.
वेडरस्टैड ने इन पोस्ट्स के बारे में कहा कि मशीनों को काम करने से रोकने के लिए उन्हें दूर से यानी रिमोट कंट्रोल के जरिए बंद कर दिया गया था. चूंकि मशीनें जीपीएस और जियोफेंसिंग जैसे उपकरणों से लैस थीं, इसलिए उनकी यात्रा को चेचेन्या की राजधानी ग्रोजनी और पास के एक गांव तक ट्रैक किया जा सकता था.
वाहनों का इस्तेमाल करने में रहे फेल
सीएनएन के मुताबिक, जब चोरों ने चुराए हुए कंबाइन हार्वेस्टर को स्टार्ट करने की कोशिश की तो हार्वेस्टर काम ही नहीं कर रहे थे. क्योंकि इन सारी मशीनों में चोरी-रोधी उपकरण लगे हुए हैं जिन्हें दूर से सक्रिय कर दिया गया था और इन पर दूर से ही नजर रखी जा रही थी.
फिलहाल, वाहनों को बेकार कर दिया गया है लेकिन अभी भी स्पेयर पार्ट्स के लिए उन्हें बेचा जा सकता है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मशीनरी का सॉफ्टवेयर अभी भी हैक किया जा सकता है जिससे उन्हें फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है.
कृषि मशीनरी चोरी की समस्या कितनी बड़ी है?
कृषि उपकरणों की चोरी विश्व स्तर पर एक नियमित घटना है जिससे किसानों को व्यक्तिगत और बीमा क्षेत्र को भारी वित्तीय नुकसान होता है. बीमा कंपनियां जीपीएस ट्रैकिंग तकनीक के उपयोग की सलाह देती हैं, जबकि कई निर्माताओं के पास अब ऐसे सॉफ्टवेयर हैं, जो चोरी होने पर वाहनों को निष्क्रिय कर देते हैं.
ये कृषि उपकरण उच्च तकनीक युक्त हैं और इन्हें बनाने वाली कंपनियां दशकों से जीपीएस का उपयोग कर रही हैं ताकि किसानों को अपने वाहनों को बड़े-बड़े खेतों में चलाने में मदद मिल सके और वो सुरक्षित भी रहें.
जॉन डीरे कंपनी दावा करती है कि उनके कई उपकरण इतने ऑटोमेटिक हैं कि किसानों को कुछ घंटों के अंतर पर सिर्फ ईंधन भरने के लिए उन उपकरणों के पास रहना पड़ता है, इसके अलावा उपकरणों के परिचालन के लिए किसानों को खेत में रहने की जरूरत नहीं है.
जॉन डीरे के कृषि वाहनों को लेकर क्या विवाद है?
जॉन डीरे कंपनी ‘राइट टू रिपेयर' नामक उस बहस के केंद्र में है जो मालिकाना सॉफ्टवेयर का उपयोग करने वाली प्रौद्योगिकी फर्मों को प्रभावित करती है. अपने कृषि वाहनों पर इन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाली फर्म का लाइसेंस इसके उपयोगकर्ताओं को इसमें संशोधन की अनुमति नहीं देता है.
मशीनरी बनाने वाली कंपनियां इस मुद्दे पर कई मुकदमों का सामना कर रही हैं. उन पर आरोप हैं कि वे अपने वाहनों के निर्माण के साथ ही उनकी मरम्मत के सिलसिले में भी एकाधिकार स्थापित करना चाहती हैं. कुछ कंपनियों का तर्क है कि वाहनों को किसी भी कारण से निष्क्रिय किया जा सकता है.
कई सॉफ्टवेयर निर्माता इस बात पर जोर देते हैं कि ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हैकर्स इनका दुरुपयोग न कर सकें और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं के डेटा को साझा न किया जा सके. इस बीच, कुछ अमेरिकी किसान इन प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए जॉन डीरे सॉफ्टवेयर के पायरेटेड संस्करणों का उपयोग करने के लिए भी बदनाम हैं.