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११ दिसम्बर २०१८
इनसे मिली सबसे अधिक शिकायतें
आपसी शिकायतों का दौर कभी नहीं थमता, लेकिन अगर शिकायतें भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता से मिले तो यह सरकारों के लिए चिंता का विषय है. केंद्रीय सतर्कता आयोग के मुताबिक लोगों को सबसे ज्यादा शिकायत रेलवे और बैंकों से है.
रेलवे और बैंक
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायतें रेलवे और सरकारी बैंकों के खिलाफ दर्ज की गई हैं. आयोग के मुताबिक साल 2016 में दर्ज शिकायतों के मुकाबले साल 2017 में दर्ज शिकायतों में करीब 52 फीसदी की गिरावट आई है.
छह साल में आई कमी
अपनी सालाना रिपोर्ट संसद में पेश करते हुए सीवीसी ने कहा है कि उसे साल 2017 के दौरान करीब 23 हजार शिकायतें मिली. जो साल 2011 के बाद से अब तक सबसे कम है. साल 2016 में शिकायतों की संख्या तकरीबन 50 हजार थी.
अस्पष्ट आरोप
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर शिकायतों में लगाए गए आरोप अस्पष्ट है. आयोग ने कहा कि उसे राज्य सरकार समेत सरकारी संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ काफी शिकायतें मिली जो आयोग के कार्यक्षेत्र में नहीं आती या प्रशासनिक प्रकृति की थीं.
पिछले सालों में कितनी शिकायतें?
सीवीसी के मुताबिक उसके सामने साल 2015 में तकरीबन 29 हजार भ्रष्टाचार की शिकायतें आईं थीं. वहीं साल 2014 में यह संख्या तकरीबन 62 हजार थी. 2013 में करीब 31 हजार शिकायतें आईं और साल 2012 में यह संख्या 37 हजार के लगभग थी. साल 2011 में सीवीसी के पास करीब 16 हजार शिकायतें आईं थीं.
कुछ निपटी, कुछ है बाकी
सीवीसी को मिलने वाली सीधी शिकायतों के अलावा, तकरीबन 57 हजार अलग-अलग शिकायतें तमाम विभागों के सतर्कता अधिकारियों को मिली हैं. सीवीसी के मुताबिक सबसे अधिक तकरीबन 12 हजार शिकायतें रेलवे अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गईं हैं. इनमें में करीब साढ़े नौ हजार निपटा ली गई हैं और दो हजार बाकी हैं.
स्थानीय निकायों पर नाराजगी
इसके बाद करीब 8 हजार शिकायतें स्थानीय निकाय मसलन दिल्ली जल बोर्ड, नगर निगम आदि के खिलाफ प्राप्त हुई. करीब आठ हजार ही बैंक अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों में इजाफा हुआ है.
सरकारी विभाग में नहीं सुनी जाती
इसके इतर करीब 2700 शिकायतें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, 2713 शिकायतें पेट्रोलियम मंत्रालय, 1194 केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड के खिलाफ आईं. इसके बाद 1662 भ्रष्टाचार की शिकायतें खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के खिलाफ दर्ज की गई. वहीं करीब 1300 बीमा क्षेत्र, 1313 श्रम मंत्रालय और 856 शिकायतें दूरसंचार विभाग के खिलाफ आईं.