लालच देकर भारत से अमेरिका मजदूरों की तस्करी करने के आरोप में फंसे एक हिंदू संगठन का मामला अब चार राज्यों में फैल गया है. आरोप है कि बीएपीएस स्वामी नारायण संस्था 1.20 डॉलर प्रतिदिन की मजदूरी देकर मंदिर बनवा रही थी.
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अमेरिका के न्यू जर्सी में स्वामी नारायण संस्था पर चल रहा मानव तस्करी का मुकदमा अब चार और राज्यों में फैल गया है. पहली बार संस्था पर मई में तब मुकदमा दर्ज हुआ था जब न्यू जर्सी के रॉबिन्सविल में कथित तौर पर बन रहे मंदिर में लोगों से अमानवीय हालात में काम कराने का आरोप लगा. बाप्स के अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने मंदिर निर्माण में लगे मजदूरों से जबरन कॉन्ट्रैक्ट पर साइन कराए. बताया गया कि सुरक्षा गार्डों की निगरानी में मजदूरों से 12-12 घंटे काम करवाया जा रहा था और छुट्टी भी नहीं दी जा रही थी.
भारत का प्राचीन मंदिर बना युनेस्को धरोहर
भारत का प्राचीन मंदिर बना यूनेस्को विश्व धरोहर
यूनेस्को ने नई विश्व धरोहरों का ऐलान कर दिया है. भारत के एक प्राचीन मंदिर को भी इस बार की सूची में जगह मिली है.
तस्वीर: ASI
रामप्पा मंदिर, भारत
हैदराबाद से 200 किलोमीटर दूर यह मंदिर चूना पत्थर और बेसाल्ट का बना है. इसे 13वीं सदी में बनाया गया था और यह ककाती भवन-निर्माण कला का अद्भुत नमूना है.
तस्वीर: ASI
यूरोप के स्नानघर
यूरोप में कई शहरों में ऐसे स्नानघर बने हैं जैसे ब्रिटेन के बाथ शहर का यह स्नानघर, जिसे पहली सदी में बनाया गया था. इसमें आज भी गर्म पानी आता है. फ्रांस, जर्मनी, चेक गणराज्य, इटली और बेल्जियम के स्नानघरों को मिलाकर सूची में एक साथ शामिल किया गया है.
तस्वीर: Peter Phipp/World Pictures/Photoshot/picture-alliance
ग्वांगजो बंदरगाह, चीन
चीन के प्राचीन ग्वांगजो बंदरगाह की तारीफ इटली के खोजी मार्को पोलो ने दुनिया के सबसे शानदार और संपन्न शहर के रूप में की थी. चीन के पूर्वी तट पर स्थित इस शहर ने सिल्क रूट के समुद्री रास्ते में अहम भूमिका निभायी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/N. Evatt
डियर स्टोन स्मारक, मंगोलिया
मंगोलिया में मौजूद कांस्य युग के इन पत्थरों पर बहुत खूबसूरत चित्रकारी की गई है और विभिन्न जानवर, हथियार व पैटर्न बनाए गए हैं. एक से चार मीटर की ऊंचाई वाले ये पत्थर अद्भुत विरासत हैं.
हिमा में चट्टानों पर उकेरी गईं ये कलाकृतियां अरब प्रायद्वीप में 7,000 साल पुरानी सभ्यता के अनूठे बयान हैं. इन कलाकृतियों में शिकार के दृश्य चित्रित हैं. अरबी, ग्रीक और मसनद लिपियों में कहानियां भी दर्ज हैं.
तस्वीर: Saudi Arabia's Ministry of Culture/Xinhua/picture alliance
कोरदुआं लाइटहाउस, फ्रांस
68 मीटर ऊंचा यह लाइटहाउस फ्रांस में अपनी तरह की सबसे पुरानी इमारत है. 1611 में इंजीनियर लुई दा फुआ ने इसे डिजाइन किया था और यह तब से ही काम में लाया जा रहा है. इस तक सिर्फ नौका से पहुंचा जा सकता है.
16वीं सदी में बना मैड्रिड का यह मार्ग और किनारे पर 17वीं सदी में बना उद्यान अब विश्व धरोहर बन गया है. इस उद्यान में कला और संस्कृति के कई अहम संस्थानों का घर है जैसे प्रादो म्यूजियम और राइना सोफिया आर्ट गैलरी.
तस्वीर: Luis Soto/SOPA Images/Zuma Wire/picture alliance
कलाकार कॉलोनी, जर्मनी
हेसन के ग्रैंड ड्यूक एर्नेस्ट लुडविग ने 1899 में इस जगह को कला के प्रचार प्रसार के लिए स्थापित किया था. 1901 से यहां कला प्रदर्शनियां आयोजित होने लगीं. यहां एक रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च, एक प्रदर्शनी भवन और मशहूर वेडिंग टावर भी है, जिसे एर्नेस्ट लुडविग की दूसरी शादी के उपलक्ष्य में बनाया गया था.
तस्वीर: Gaby Kunz/Augenklick/picture alliance
न्यू डच वॉटरलाइन, नीदरलैंड्स
नीदरलैंड्स में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के मकसद से बनाई गई न्यू डच वॉटरलाइन असल में 45 किलों और छह किलेबंदियों का एक समूह है जो 85 किलोमीटर में फैला है. 1815 से 1940 के बीच सक्रिय रही इस घेरेबंदी का मकसद दुश्मन को देश के नजदीक आने से रोकना था.
तस्वीर: Sem van der Wal/AFP
पादुआ के भित्तिचित्र, इटली
14वीं सदी के ये मशहूर भित्तिचित्र आठ धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष इमारतों की सजावट हैं, जो पादुआ शहर में स्थित हैं. अलग-अलग कलाकारों द्वारा बनाए ये चित्र एक जैसे ही लगते हैं.
1927 से 1938 के बीच बनी 1,394 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन ईरान के आर-पार कैस्पियन सागर को फारस की खाड़ी से जोड़ती है. इस पर 324 पुल और 224 गुफाएं हैं.
तस्वीर: MEHR
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मुकदमे के मुताबिक इन मजदूरों को आर-1 वीजा पर न्यू जर्सी ले जाया गया था. यह वीजा धार्मिक पेशों जैसे पुजारी आदि के लिए होता है. पिछले महीने मुकदमे में संशोधन किया गया और अन्य राज्यों के मजदूरों को भी इसमें जोड़ा गया. मुकदमे के मुताबिक ये मजदूर भारत के हाशिये पर रहने वाले समुदायों से हैं. मजदूरों का दावा है कि उन्हें कैलिफॉर्निया, शिकागो, टेक्सस और अटलांटा के मंदिरों में भी प्रताड़ित किया गया.
आरोप निराधारः बाप्स
बाप्स ने इन सारे आरोपों को गलत बताया है. संस्था के वकील पॉल फिशमैन ने एक ईमेल से भेजे बयान में कहा, "अमेरिका में सरकारी अधिकारियों ने आर-1 वीजा को पिछले बीस साल से पत्थर पर नक्काशी करने वाले कलाकारों के लिए अधिकृत किया हुआ है. संघीय, राज्य और स्थानीय स्तर के अधिकारी सभी निर्माण स्थलों पर लगातार दौरा करते रहे हैं, जहां इन कलाकारों ने स्वयंसेवा दी.”
अन्य राज्यों के मजदूरों का कहना है कि उनसे उतने घंटे काम नहीं कराया गया जितना न्यू जर्सी में काम कर रहे मजदूरों से कराया गया, लेकिन उन्हें न्यूनतम मजदूरी से कहीं कम पैसा दिया गया. मुकदमे में वादी बने कई मजदूर ऐसे हैं जिन्होंने एक से ज्यादा मंदिरों के निर्माण में काम किया है. आरोप पत्र के मुताबिक कुछ मजदूरों ने तो आठ-नौ साल काम किया है.
'धमकियां भी दी गईं'
न्यू जर्सी के बाहर रॉबिन्सविल में बन रहे मंदिर में काम करने वाले मजदूरों की तरह अन्य राज्यों के मजदूरों ने भी आरोप लगाया है कि उन्हें उनके पासपोर्ट रखने की इजाजत नहीं थी, उन्हें बड़े हॉल में सुलाया जाता था और सुरक्षा गार्ड उनकी निगरानी करते थे.
पाकिस्तान में हिंदुओं का ऐतिहासिक भव्य मंदिर
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में कोहिस्तान नामक पर्वत श्रृंखला में कटासराज नाम का एक गांव है. यह गांव हिंदुओं के लिए बहुत ऐतिहासिक और पवित्र है. इसका जिक्र महाभारत में भी मिलता है. आइए जानें इसकी विशेषता.
तस्वीर: Ismat Jabeen
कई मंदिर
कटासराज मंदिर परिसर में एक नहीं, बल्कि कम से कम सात मंदिर है. इसके अलावा यहां सिख और बौद्ध धर्म के भी पवित्र स्थल हैं. इसकी व्यवस्था अभी एक वक्फ बोर्ड और पंजाब की प्रांतीय सरकार का पुरातत्व विभाग देखता है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
पहाड़ी इलाके में मंदिर
कोहिस्तान नमक का इलाका छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है. ऊंची पहाड़ियों पर बनाए गए इन मंदिरों तक जाने के लिए पहाड़ियों में होकर बल खाते पथरीले रास्ते हैं. इस तस्वीर में कटासराज का मुख्य मंदिर और उसके पास दूसरे भवन दिख रहे हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सबसे ऊंचे मंदिर से नजारा
कटासराज की ये तस्वीर वहां के सबसे ऊंचे मंदिर से ली गई है जिसमें मुख्य तालाब, उसके आसपास के मंदिर, हवेली, बारादरी और पृष्ठभूमि में मंदिर के गुम्बद भी देखे जा सकते हैं. बाएं कोने में ऊपर की तरफ स्थानीय मुसलमानों की एक मस्जिद भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
नहीं रही हिंदू आबादी
कटासराज मंदिर के ये अवशेष चकवाल शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर दक्षिण में हैं. बंटवारे से पहले यहां हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी रहती थी लेकिन 1947 में बहुत से हिंदू भारत चले गए. इस मंदिर परिसर में राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर खास तौर से देखे जा सकते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव और सती का निवास
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव ने सती से शादी के बाद कई साल कटासराज में ही गुजारे. मान्यता है कि कटासराज के तालाब में स्नान से सारे पाप दूर हो जाते हैं. 2005 में जब भारत के उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी पाकिस्तान आए तो उन्होंने कटासराज की खास तौर से यात्रा की थी.
तस्वीर: Ismat Jabeen
शिव के आंसू
हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब शिव की पत्नी सती का निधन हुआ तो शिव इतना रोए कि उनके आंसू रुके ही नहीं और उन्हीं आंसुओं के कारण दो तालाब बन गए. इनमें से एक पुष्कर (राजस्थान) में है और दूसरा यहां कटाशा है. संस्कृत में कटाशा का मतलब आंसू की लड़ी है जो बाद में कटास हो गया.
तस्वीर: Ismat Jabeen
गणेश
हरी सिंह नलवे की हवेली की एक दीवार पर गणेश की तस्वीर, जिसमें वो अन्य जानवरों को खाने के लिए चीजें दे रहे हैं. ऐसे चित्रों में कोई न कोई हिंदू पौराणिक कहानी है. कटासराज के निर्माण में ज्यादातर चूना इस्तेमाल किया गया है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
धार्मिक महत्व
पुरातत्वविद् कहते हैं कि इस तस्वीर में नजर आने वाले मंदिर भी नौ सौ साल पुराने हैं. लेकिन पहाड़ी पर बनी किलेनुमा इमारत इससे काफी पहले ही बनाई गई थी. तस्वीर में दाईं तरफ एक बौद्ध स्तूप भी है.
तस्वीर: Ismat Jabeen
प्राकृतिक चश्मे
कटासराज की शोहरत की एक वजह वो प्राकृतिक चश्मे हैं जिनके पानी से गुनियानाला वजूद में आया. कटासराज के तालाब की गहराई तीस फुट है और ये तालाब धीरे धीरे सूख रहा है. इसी तालाब के आसपास मंदिर बनाए गए हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
खास निर्माण शैली
कटासराज की विशिष्ट निर्माण शैली और गुंबद वाली ये बारादरी अन्य मंदिरों के मुकाबले कई सदियों बाद बनाई गई थी. इसलिए इसकी हालत अन्य मंदिरों के मुकाबले में अच्छी है. पुरातत्वविदों के अनुसार कटासराज का सबसे पुराना मंदिर छठी सदी का है.
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दीवारों पर सदियों पुराने निशान
ये खूबसूरत कलाकारी एक हवेली की दीवारों पर की गई है जो यहां सदियों पहले सिख जनरल हरी सिंह नलवे ने बनवाई थी. इस हवेली के अवशेष आज भी इस हालत में मौजूद हैं कि उस जमाने की एक झलक बखूबी मिलती है.
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नलवे की हवेली के झरोखे
सिख जनरल नलवे ने कटासराज में जो हवेली बनवाई, उसके चंद झरोखे आज भी असली हालत में मौजूद हैं. इस तस्वीर में एक अंदरूनी दीवार पर झरोखे के पास खूबसूरत चित्रकारी नजर आ रही है. कहा जाता है कि कटासराज का सबसे प्राचीन स्तूप सम्राट अशोक ने बनवाया था.
तस्वीर: Ismat Jabeen
बीती सदियों के प्रभाव
इस तस्वीर में कटासराज की कई इमारतें देखी जा सकती हैं, जिनमें मंदिर भी हैं, हवेलियां भी हैं और कई दरवाजों वाले आश्रम भी हैं. इस तस्वीर में दिख रही इमारतों पर बीती सदियों के असर साफ दिखते हैं.
तस्वीर: Ismat Jabeen
सदियों का सफर
इस स्तूपनुमा मंदिर में शिवलिंग है. भारतीय पुरातत्व सर्वे की 19वीं सदी के आखिर में तैयार दस्तावेज बताते हैं कि कटासराज छठी सदी से लेकर बाद में कई दसियों तक हिंदुओं का बेहद पवित्र स्थल रहा है.
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मूंगे की चट्टानें
कटासराज के मंदिरों और कई अन्य इमारतों में हिस्सों में मूंगे की चट्टानों, जानवरों की हड्डियों और कई पुरानी चीजों के अवशेष भी देखे जा सकते हैं.
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मुकदमे में कहा गया, "रॉबिन्सविल मंदिर और अन्य जगहों पर भी बचाव पक्ष ने मजदूरों को जानबूझ कर ऐसा यकीन दिलाया कि यदि वे काम और मंदिर के परिसर को छोड़ने की कोशिश करेंगे तो उन्हें गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंच सकता है.”
जिन सारे हिंदू मंदिरों का जिक्र मुकदमे में है, वे बीएपीएस से जुड़े हैं, जो डेलावेयर में एक कॉरपोरेशन के तौर पर रजिस्टर्ड है. यह संस्था भारत में अक्षरधाम मंदिर के लिए जानी जाती है.