नासा की कोशिश ऐसे रोबोट तैयार करने की है जो अंतरिक्ष यात्रियों की जिम्मेदारियां कम कर दें ताकि वे खोज और अनुसंधान जैसे जरूरी काम कर सकें.
विज्ञापन
नासा के नए छह फुट दो इंच ऊंचे रोबोट का नाम है वल्कायरी. वल्कायरी नाम पौराणिक नोर्स देवी के नाम पर दिया गया है. आजकल टेक्सस के ह्यूस्टन में जॉनसन स्पेस सेंटर में वल्कायरी का परीक्षण किया जा रहा है.
136 किलोग्राम वजनी वल्कायरी को ऐसे इलाकों में काम करने के लिए बनाया गया है जहां हालात सामान्य नहीं हैं. मसलन, कुदरती आपदा के बाद हुए विनाश के वक्त काम करने में वल्कायरी सक्षम है. लेकिन यह वल्कायरी का असली मकसद नहीं है. मकसद है एक दिन वल्कायरी जैसे रोबोट का अंतरिक्ष में इस्तेमाल.
चुंबक वाला सर्जन रोबोट
सर्जरी के लिए ताकतवर चुंबक का इस्तेमाल करने वाले एक रोबोट ने अपनी पहली सर्जरी की है. चिली में मार्स (MARS) नाम के इस रोबोट ने काम शुरू किया है.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
चुंबक वाला रोबोट
मार्स (MARS) नाम के एक रोबोट ने अपनी पहली सर्जरी की है. यह रोबोट चुंबकीय प्रभाव का इस्तेमाल करता है और अब तक के सर्जरी करने वाले रोबोट से कहीं ज्यादा सक्षम और सटीक है.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
गाल ब्लैडर निकाला
चिली की राजधानी सैन टियागो के एक अस्पताल में इस रोबोट ने अपनी पहली सर्जरी की है. उसने एक मरीज का गाल ब्लैडर निकाला.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
अमेरिकी कंपनी ने बनाया
मार्स को अमेरिका के कैलिफॉर्निया स्थित लेविटा मैग्नेटिक्स ने विकसित किया है. कंपनी का कहना है कि यह रोबोट, लिवर जैसे अंगों पर शक्तिशाली चुंबक चिपका देता है और फिर चुंबकीय प्रभाव से उन्हें निकालता है.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
सर्जन के पास कंट्रोल
इस रोबोट को चलाने का पूरा कंट्रोल डॉक्टरों के पास होता है, जो कैमरे से देखते हैं और ज्यादा स्थिरता से काम कर पाते हैं.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
मरीज के लिए आराम
लेविटा के संस्थापक डॉ. अल्बेर्टो रोड्रिगेज-नावारो कहते हैं कि सर्जरी में देखना ही सब कुछ होता है. वह कहते हैं, “यह मरीजों के लिए ज्यादा अच्छा है. काटना कम पड़ता है और दर्द भी कम होता है. मरीज की रिकवरी भी जल्दी होती है."
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
डॉक्टर के लिए आराम
डॉ. नावारो कहते हैं कि सर्जन के लिए भी यह तकनीक बेहतर है क्योंकि वह ज्यादा सक्षम होकर काम कर पाते हैं और रोजाना ज्यादा सर्जरी कर सकते हैं.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
अक्टूबर में हुई शुरुआत
अमेरिकी अधिकारियों से सितंबर में मान्यता मिलने के बाद इस रोबोट ने आहायो के क्लीवलैंड क्लीनिक में अपनी पहली व्यवसायिक सर्जरी की थी.
तस्वीर: Ivan Alvarado/REUTERS
7 तस्वीरें1 | 7
वल्कायरी एक ह्यूमनोएड है. हम्यूनोएड उन रोबोट्स को कहा जाता है जो शारीरिक रूप से इंसानों जैसे होते हैं. यानी उनकी धड़, सिर, दो बाहें और दो टांगें होती हैं. इंजीनियरों का मानना है कि सही सॉफ्टवेयर की मदद से एक दिन हम्यूनोएड हर तरह से इंसानों की तरह काम करने लगेंगे और वे औजारों व उपकरणों का उसी तरह इस्तेमाल कर पाएंगे जैसे इंसान करते हैं.
इंसानों के लिए काम करें
नासा के डेक्स्टरस रोबोटिक्स टीम के प्रमुख शॉन आजमी कहते हैं कि अंतरिक्ष में ये हम्यूनोएड ऐसे काम संभाल सकते हैं जो इंसानों के लिए खतरनाक हो सकते हैं, मसलन सोलर पैनल साफ करना या अंतरिक्ष यान के बाहर किसी उपकरण में खराबी आ जाने पर उसकी जांच और मरम्मत करना. अगर ऐसा हो पाता है कि रोबोट ये सब काम संभालें तो वैज्ञानिक खोज और अनुसंधान जैसे कामों पर ज्यादा ध्यान लगा पाएंगे.
खाएंगे क्या? रोबोट ने फ्राई किया चिकन
दक्षिण कोरिया में लोग फ्राइड चिकन बहुत शौक से खाते हैं. अब एक रेस्तरां ने इसे तैयार करने के लिए एक रोबोट को रख लिया है. जानिए, कैसे काम करता है यह रोबोट.
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
फ्राइड चिकन प्रेमी देश
फ्राइड चिकन दक्षिण कोरियाई लोगों के बीच एक लोकप्रिय व्यंजन है. यह उन्हें इतना पसंद है कि इसे देशभर के रेस्तरां में बेचा जाता है. हर गली मोहल्ले में आपको फ्राइड चिकन बेचने वाले मिल जाएंगे.
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
चिकन फ्राई कौन करेगा?
दक्षिण कोरिया हाल के सालों में जन्मदर में गिरावट का सामना कर रहा है. ऐसे में श्रम बाजार में कर्मचारी नहीं है और रेस्तरां को चिकन फ्राई करने के लिए रोबोट रखने पड़ रहे हैं. एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक 54 फीसदी रेस्तरां मालिकों का कहना है कि उन्हें कर्मचारी ढूंढने में परेशानी हो रही है.
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
शेफ रोबोट
श्रमिकों की कमी को देखते हुए 38 साल के कांग जी यांग ने अपने रेस्तरां के लिए एक समाधान निकाला है. उन्होंने एक ऐसे बिजनेस मॉडल की शुरुआत की जहां मानव श्रमिकों के बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है.
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
पांच कर्मचारियों के बराबर एक रोबोट
कांग का रोबोट अपने हाथों के सहारे दो घंटे में 100 चिकन को तलने में सक्षम है. वहीं यही काम को करने में पांच लोग और कई डीप फ्रायर की आवश्यकता होती.
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
कैसे काम करता है ये रोबोट?
यह रोबोट फ्रायर में तेल के तापमान और चिकन के पकने की निगरानी कर सकता है. उसके पास चिकन को स्वादिष्ट बनाने के साथ-साथ स्वस्थ तरीके से तलने का आवश्यक कौशल भी है.
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
रोबोट के हाथ से फ्राइड चिकन का मजा!
सवाल उठता है कि क्या रोबोट इंसानों की तरह स्वादिष्ट चिकन फ्राई बना सकते हैं? इस सवाल का जवाब खुद ग्राहक ही देते हैं. किम मून-जुंग नाम के एक ग्राहक का कहना है, ''मुझे नहीं पता कि एक रोबोट इंसान की तुलना में अलग तरीके से चिकन कैसे तल सकता है. लेकिन एक बात पक्की है कि इसे खाने में बहुत मजा आता है.''
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
लोकप्रिय होता रोबोट फ्राइड चिकन
कांग ने दक्षिण कोरिया में अपने 15 रेस्तरां में रोबोट रखे हैं. सिंगापुर में भी उनकी कंपनी के एक रेस्टोरेंट में एक रोबोट चिकन फ्राई कर रहा है.
तस्वीर: Anthony Wallace/AFP
7 तस्वीरें1 | 7
आजमी बताते हैं, "ऐसा नहीं है कि हम अंतरिक्ष यात्रियों के इंसानी दल का विकल्प तैयार कर रहे हैं. हम बस यह कोशिश कर रहे हैं कि थकाऊ, ऊबाऊ और खतरनाक कामों को उनके हाथ से ले लिया जाए ताकि वे उच्च-गुणवत्ता वाले कामों पर ध्यान लगा सकें.”
नासा ने अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए कई रोबोटिक कंपनियों से साझेदारी की है. इनमें ऑस्टिन की एप्ट्रोनिक भी है. टेक्सस की एप्ट्रोनिक अंतरिक्ष के लिए तैयार होने वाले रोबोट से भविष्य में होने वाले लाभ समझने की कोशिश कर रही है.
विज्ञापन
अपोलो पर निगाह
एप्ट्रोनिक अपोलो नाम का एक रोबोट विकसित कर रही है जो वेयरहाउस में बक्सों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने, पैलेट को यथास्थान लगाने और सप्लाई चेन से जुड़े दूसरे काम कर सके. कंपनी की कोशिश है कि वह 2025 में विभिन्न उद्योगों को ऐसे काम करने वाले रोबोट सप्लाई करना शुरू कर दे.
क्या इंसानों जैसी हो जाएंगी एआई मशीनें
02:41
एप्ट्रोनिक के मुख्य तकनीकी अधिकारी निक पाएन कहते हैं कि इंसानों की तुलना में अपोलो की क्षमता कहीं ज्यादा है. पाएन कहते हैं, "हमारा मकसद है कि यह सिस्टम रोजाना 22 घंटे काम करे. इसमें ऐसी बैट्री है जिसे बदला जा सकता है ताकि आप चार घंटे तक लगातार काम करें, फिर बैट्री बदलकर तुरंत दोबारा काम शुरू कर दें.”
एप्ट्रोनिक के सीईओ जेफ कार्डेनास के मुताबिक जैसे जैसे सॉफ्टवेयर में बदलाव होगा, अपोलो की क्षमताएं और संभावनाएं बढ़ती जाएंगी. वह बताते हैं, "अभी तो हम वेयरहाउस और मैन्युफैक्चरिंग के काम की सोच रहे हैं लेकिन यह रीटेल के काम में भी जा सकता है. उसके बाद डिलीवरी करने उन जैसी जगहों पर जा सकता है, जिसे हम बाहरी दायरा कहते हैं.”
आजमी कहते हैं की आने वाले सालों में इस बाहरी दायरे में अंतरिक्ष भी शामिल हो सकता है. उन्होंने कहा, "अपोलो जैसे रोबोट इस तरह डिजाइन किए जाते हैं कि वे अलग-अलग तरह के कामों के हिसाब से ढल सकें. और नासा की निगाहउसी क्षमता में है. हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कमियां कहां और भविष्य में हमें कहां निवेश करने की जरूरत होगी."