एक साथ हजारों ब्लैक होल, वैज्ञानिक अब तक इससे इंकार करते आये थे. लेकिन अब एक तारामंडल में आस पास मौजूद हजारों ब्लैक होल मिले हैं.
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सरे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तारों के एक बहुत बड़े समूह ग्लोबुलर क्लस्टर की खोज की है. वैज्ञानिकों के मुताबिक उस ग्लोबलुर क्लस्टर के पीछे हजारों ब्लैक होल हैं. अपनी आकाशगंगा के केंद्र के करीब चक्कर काटने वाले तारों के समूह को ग्लोबुलर क्लस्टर कहा जाता है. ये तारे बेहद शक्तिशाली आपसी गुरुत्व बल के चलते एक समूह में रहते हैं. ताकतवर कंप्यूटर सिम्युलेशन के जरिये वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल खोज निकाले.
खोज के लीड ऑथर मिकलोस प्योटन के मुताबिक, "ब्लैक होलों को दूरबीन से देखना मुमकिन नहीं है क्योंकि कोई भी फोटॉन (प्रकाश का कण) उनसे बच नहीं पाता. ऐसे में ब्लैक होलों का पता लगाने के लिए हमने आस पास के इलाके में उनका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव आंका. शोध और सिम्युलेशन के जरिये हमें उनकी स्थिति और उनके असर के बारे में कई सटीक संकेत मिले."
ग्लोबुलर क्लस्टर NGC 6101m की खोज 2013 में हुई. खगोलविज्ञान की प्रतिष्ठित पत्रिका रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में यह रिसर्च प्रकाशित हुई है. शोध के को-ऑथर प्रोफेसर मार्क गिलेस कहते हैं, "हमारा काम तारों और ब्लैक होल के रिश्ते के बारे में बुनियादी सवालों का जबाव दे सकेगा. अगर हमारा शोध सही निकला तो यह साफ हो जाएगा कि जहां ब्लैक होल आपस में मिलते हैं वहां ग्लोबुलर क्लस्टर्स बनते हैं."
NGC 6101m के ज्यादातर ब्लैकहोल सूर्य से भी बड़े हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह ग्लोबुलर क्लस्टर 13 अरब साल से लगातार बदल रहा है. कोई बड़ा तारा जब बूढ़ा होकर अपने ही गुरुत्वबल के चलते ध्वस्त हो जाता है तो अद्भुत घटनाएं होती हैं. कुछ मामलों में ब्लैक होल का निर्माण होता है.
मिकलोस प्योटन मानते हैं कि उनकी टीम की खोज ब्लैक होलों के बारे में कई जानकारियां सामने लाएगी. खोज यह भी बता सकेगी कि ब्रह्मांड में ब्लैक होल कैसे छुपे रहते हैं.
(ब्रह्मांड में पृथ्वी का भविष्य)
हमारी प्यारी पृथ्वी का अंत
पृथ्वी, जिसे हम अपनी धरती कहते हैं उसकी उम्र भी सीमित है. अब धरती के पास सिर्फ 3 से 5 अरब साल बचे हैं. तब तक इंसान बचेगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है.
तस्वीर: Fotolia/olly
कैसे की गई गणना
धरती बीते 4.5 अरब साल से लगातार बदल रही है. सौरमंडल में उसकी जगह बदल रही है. धरती के भीतर भी विशाल भूखंड एक दूसरे से जुड़ और अलग हो रहे हैं. ब्रह्मांड की गतिविधियों, सैटेलाइट डाटा और पृथ्वी की भीतरी हलचल के आधार पर वैज्ञानिक धरती का भविष्य बताते हैं.
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पृथ्वी का संघर्ष
सौरमंडल के ठंडे कोनों से निकलकर पृथ्वी लगातार सूर्य के करीब जा रही है. सूर्य के गुरुत्व बल से होने वाले इस खिंचाव को धीमा करने के लिए परिक्रमा करती धरती अपना रूप बदलती रहती है. महाद्वीप लगातार यात्रा कर रहे हैं. इसी के चलते हिमालय जैसा पहाड़ बना. हजारों झीलें बनीं.
टेक्टॉनिक मूवमेंट के चलते महाद्वीप इधर उधर होते हैं. धरती का गर्भ, बाहरी सतह की तुलना में बहुत गरम है. वहां का तापमान 10,000 डिग्री फारेनहाइट के बराबर है. ज्वालामुखी के अलावा जहां से यह गर्मी बाहर आती है, उसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है. यह गर्मी चुंबकीय क्षेत्र को बदलती है और सूर्य और चंद्रमा की ताकतों को हल्का करती है.
परिक्रमा करने में छटपटाहट
सूर्य और चंद्रमा लगातार अपनी गुरुत्वीय ताकतों से पृथ्वी की परिक्रमा को रोकने की कोशिश करते हैं. वैसे जिस दिन यह परिक्रमा रुकेगी, उसी दिन जीवन तो करीब करीब खत्म हो जाएगा.
तस्वीर: Reuters
सूर्य से शुरुआत, सूर्य से अंत
सूर्य, ब्रह्मांड में मौजूद इस महातारे की मदद से धरती पर जीवन फलता है. लेकिन वक्त गुजरने के साथ यही सूर्य धरती का पूरा विनाश भी करेगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बूढ़ा होता सूर्य
सूरज भी बुढ़ापे की ओर बढ़ रहा है. उसकी हाइड्रोजन पूरी तरह खत्म हो जाएगी और फिर हीलियम जलने लगेगी. वैज्ञानिक यह साबित कर चुके हैं कि बुढ़ापे की ओर बढ़ते तारों का तापमान उनकी मौत तक बढ़ता जाता है. खगोलविदों के मुताबिक सूर्य लगतार बड़ा और पहले से ज्यादा गर्म होता जा रहा है.
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लाल हो जाएगी धरती
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 1.75 से 5 अरब साल बाद सूर्य की बाहरी सतह नेब्यूला (तस्वीर में) में बदल जाएगी. इससे निकलने वाली अथाह गर्मी और विकिरण धरती पर मौजूद जीवन को जलाने लगेगा. हालात ऐसे होंगे कि समुद्र तक सूख जाएंगे.
तस्वीर: NASA, ESA/Hubble and the Hubble Heritage Team
सब कुछ भस्म
इसके बाद सूर्य इतना बड़ा हो जाएगा कि वह धरती के करीब आ जाएगा. जमीन पूरी तरह लावे में बदल जाएगी. सूर्य में होने वाले अंदरूनी विस्फोट धरती को भी अपनी आगोश में ले लेंगे. फिलहाल जिसे हम भीतरी सौरमंडल कहते हैं, वह पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा.
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आगे का पता नहीं
धीरे धीरे वक्त के साथ सूर्य धरती के बराबर छोटा हो जाएगा. तब से सिर्फ चमकीला तारा बचेगा. इसमें दूसरे को ऊर्जा देने लायक ताकत नहीं बचेगी. फिर धीरे धीरे बुझ जाएगा. अगर धरती बच भी गई तो वक्त के साथ बेहद ठंडी हो जाएगी.
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कहां छुपे इंसान
वैज्ञानिक रूप से इन दावों की पुष्टि के चलते ही इंसान मंगल जैसे ग्रहों पर इंसानी बस्ती बनाने की सोच रहा है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि निकट भविष्य में तकनीक इतनी आगे पहुंच जाएगी कि इंसान आराम से कहीं और बस सकेगा.