हंगरी की संसद ने एक कानून पास किया है, जिसके तहत समलैंगिकता और लिंग परिवर्तन को बढ़ावा देने वाली सामग्री को स्कूलों में बांटना अवैध बना दिया गया है. मानवाधिकार संगठनों और देश के विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना की है.
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हंगरी की सरकार ने समलैंगिकता विरोधी एक कानून पास किया है जिसे लेकर कई मानवाधिकार संगठनों में नाराजगी है. दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान को अगले साल चुनाव का सामना करना है और पिछले कुछ समय में उनका कट्टरपंथी रवैया बढ़ता देखा गया है. समलैंगिकों और आप्रवासियों को लेकर उनका रुख लगातार सख्त होता गया है, जिस कारण देश के लोगों की सोच में भी विभाजन नजर आ रहा है.
विक्टर ओरबान की फिदेश पार्टी देश में ईसाई-रूढ़िवादी एजेंडो को बढ़ावा देती है. उसने बाल यौन शोषण के खिलाफ सजा को सख्त बनाने वाले एक विस्तृत कानून में ही स्कूलों में समलैंगिकता पर बात करने को भी जोड़ दिया, जिससे विपक्षी दलों के लिए इस कानून के विरोध में वोट करना मुश्किल हो गया.
ओरबान ने 2010 से लगातार तीन बार जोरदार बहुमत से चुनाव जीते हैं. लेकिन अब वहां के विपक्षी दलों ने पहली बार गठजोड़ बना लिया है जिसके बाद वे फिदेश पार्टी को ओपीनियन पोल में चुनौती दे रहे हैं.
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बच्चों के बहाने से
आलोचकों का कहना है कि यह कदम गलत तरीके से बाल यौन शोषण को समलैंगिक मुद्दों से जोड़ता है. इस कानून के विरोध में 15 जून को संसद के बाहर एक रैली भी हुई थी जिसमें फिदेश पार्टी से अपना बिल वापस लेने की अपील की गई थी. लेकिन फिदेश के सांसदों ने पूरे जोश-ओ-खरोश से इल बिल का समर्थन किया. वामपंथी दलों ने वोटिंग का बहिष्कार कर दिया था.
पिछले हफ्ते ही इस बिल में कुछ संशोधन किए गए जिनके तहत 18 साल के कम आयु के किशोरों और बच्चों को ऐसी कोई सामग्री नहीं दिखाई जा सकती, जो उन्हें समलैंगिक बनने या लिंग परिवर्तन के लिए उकसाए या प्रोत्साहित करे. यह शर्त विज्ञापनों पर भी लागू होगी. इस कानून के तहत कुछ संगठनों की सूची दी गई है जो जिनके अलावा किसी और को स्कूलों में यौन शिक्षा की इजाजत नहीं होगी.
हंगरी में समलैंगिक विवाह गैर कानूनी है और पुरुष और स्त्री ही विवाह के बाद बच्चा गोद ले सकते हैं. ओरबान की सरकार ने विवाह की परिभाषा में बदलाव किए हैं जिसके बाद संविधान के तहत एक पुरुष और स्त्री के विवाह को ही मान्यता दी गई है. समलैंगिकों द्वारा बच्चे गोद लेने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
LGBTQ की ABCD
भारत समेत कई देशों में समलैंगिक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. लेकिन जिन्हें हम एक शब्द "समलैंगिक" में समेट देते हैं, वे खुद को एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी कहते हैं. आखिर क्या है LGBTQ?
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एल से लेस्बियन
लेस्बियन यानी वे महिलाएं जो महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं. 1996 में आई फिल्म फायर ने जब इस मुद्दे को उठाया तब काफी बवाल हुआ. आज 20 साल बाद भी यह मुद्दा उतना ही संवेदनशील है.
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जी से गे
गे यानी वे पुरुष जो पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं. दोस्ताना और कल हो ना हो जैसी फिल्मों में हंसी मजाक में समलैंगिक पुरुषों के मुद्दे को उठाया गया, तो हाल ही में आई अलीगढ़ में इसकी संजीदगी देखने को मिली.
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बी से बायसेक्शुअल
बायसेक्शुअल एक ऐसा व्यक्ति है जो महिला और पुरुष दोनों की ओर आकर्षित महसूस करे. ऐंजेलिना जोली और लेडी गागा खुल कर अपने बायसेक्शुअल होने की बात कह चुकी हैं.
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टी से ट्रांसजेंडर
एल, जी और बी से अलग ट्रांसजेंडर को उनके लैंगिक रुझान के अनुसार नहीं देखा जाता. भारत में जिन्हें हिजड़े या किन्नर कहा जाता है, वे भी ट्रांसजेंडर हैं और बॉलीवुड में जानेमाने बॉबी डार्लिंग जैसे वे लोग भी जो खुद अपना सेक्स बदलवाते हैं.
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क्यू से क्वीयर
इस शब्द का मतलब होता है अजीब. इसके जरिये हर उस व्यक्ति की बात की जा सकती है जो "सामान्य" नहीं है. चाहे जन्म से उस व्यक्ति में महिला और पुरुष दोनों के गुण हों और चाहे वह किसी की भी ओर आकर्षित हो.
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और भी हैं
यह सूची यहां खत्म नहीं होती. कई बार एलजीबीटीक्यू के आगे ए भी लगा दिखता है. इसका मतलब है एसेक्शुअल यानी ऐसा व्यक्ति जिसकी सेक्स में कोई रुचि ना हो. इनके अलावा क्रॉसड्रेसर भी होते हैं यानी वे लोग जो विपरीत लिंग की तरह कपड़े पहनना पसंद करते हैं.
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस कानून की आलोचना हो रही है. हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि इस कानून के समलैंगिकता विरोधी पहलू को लेकर वह गंभीर रूप से चिंतित है. अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में अमेरिकी दूतावास ने कहा, "अमेरिका का विचार है कि सरकारों को अभिव्यक्ति की आजादी को बढ़ावा देना चाहिए और मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, जिनमें समलैंगिक समुदायों के अधिकार भी शामिल हैं."
नए कानून के आलोचकों ने इसकी तुलना रूस के 2013 के एक कानून से की है, जिसके तहत युवाओं के बीच "गैर-पारंपरिक यौन संबंधों के बारे में प्रचार सामग्री बांटना" अवैध करार दे दिया गया था.
पोलैंड की रूढ़िवादी सत्ताधारी पार्टी लॉ एंड जस्टिस यूरोपीय संघ में फिदेश की मुख्य सहयोगी है. उसने भी समलैंगिकता के मुद्दे पर ऐसा ही रुख अपनायया है. हालांकि यूरोपीय संघ में हंगरी और पोलैंड कुछ रूढ़िवादी सुधारों को लेकर एक दूसरे के आमने-सामने हैं.
हंगरी के हालात पर यूरोपीय संसद के प्रतिवेदक ग्रीन्स सांसद ग्वेन्डोलिन डेलबोस-कोरफील्ड ने देश के नए कानून की आलोचना की. मंगलवार को उन्होंने कहा, "बच्चों की सुरक्षा को बहाना बनाकर समलैंगिक समुदाय पर निशाना साधना हंगरी के सारे बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है."
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
समलैंगिक होने पर ये देश देते हैं मौत
ब्रूनेई में समलैंगिकों को पत्थर मारकर मौत के घाट उतारने की इजाजत दी जाने पर दुनिया भर में आलोचना हुई. इसके बाद ब्रुनेई ने अपना फैसला टाल दिया. चलिए जानते हैं कि दुनिया में समलैंगिकों के लिए सबसे बुरे देश कौन से हैं.
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प्यार की सजा मौत
अंतरराष्ट्रीय लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांस एंड इंटरसेक्स एसोसिएशन का कहना है कि ब्रूनेई दुनिया का सातवां देश है जहां समलैंगिक संबंधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. वहीं बहुत से ऐसे देश भी हैं जहां समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. de Waal
यहां मिलती है मौत
जिन छह अन्य देशों में समलैंगिक सेक्स की सजा मौत है उनमें ईरान, सऊदी अरब, यमन, नाइजीरिया, सूडान और सोमालिया शामिल हैं. मॉरेटानिया का कानून समलैंगिकों को पत्थर मार कर मौत की सजा की अनुमति देता है, लेकिन वहां सजा ए मौत पर रोक है.
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मलेशिया
मलेशिया में गुदा मैथुन और समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध है. पिछले साल वहां दो महिलाओं को समलैंगिक संबंध कायम करने का दोषी पाया गया और उन्हें बेंत मारने की सजा दी गई. दुनिया भर में इस सजा की आलोचना हुई.
तस्वीर: AP
रूस
रूस में 2013 में एक व्यापक कानून बना जिसके तहत नाबालिगों में समलैंगिक 'दुष्प्रचार फैलाने' को प्रतिबंधित किया गया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस कानून के बाद वहां समलैंगिकों पर हमले बढ़े हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Vaganov
नाइजीरिया
अफ्रीकी देश नाइजीरिया में गुदा मैथुन के लिए कैद का प्रावधान है, लेकिन 2014 में पारित एक कानून ने समलैंगिक शादियों और संबंधों पर भी प्रतिबंध लगा गया. समलैंगिक अधिकारों की बात करने वाले संगठनों की सदस्यता लेने पर भी रोक लगा दी गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Ludbrook
जापान
बेहद आधुनिक समझे जाने वाले जापान में भी ट्रांसजेंडरों के लिए हालात अच्छे नहीं हैं. वहां सेक्स चेंज कराने वाले लोगों को उनकी नई लैंगिक पहचान को कानूनी मान्यता मिलने से पहले नसबंदी कराने के लिए मजबूर किया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. B. Tongo
अजरबैजान
अजरबैजान में समलैंगिक शादियां और समलैंगिकों जोड़ों से बच्चे गोद लेने पर प्रतिबंध है. 2017 में वहां एलजीबीटी समुदाय के लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई, जिसमें मानवाधिकार समूहों के मुताबिक पुरुष समलैंगिकों को पीटा गया और उनका शोषण हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Stratenschulte
तंजानिया
अफ्रीकी देश तंजानिया में भी समलैंगिक शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसका दोषी करार दिए जाने पर 30 साल तक की सजा हो सकती है.
तस्वीर: Reuters/J. Rinaldi
अमेरिका
अमेरिका में हाल के सालों में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को लेकर जितनी प्रगति हुई, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप उस सब पर पानी फेर देना चाहते हैं. उनकी सरकार ट्रांसजेंडर लोगों की अमेरिकी सेना में भर्ती पर भी रोक लगाना चाहती है.