कोरोना: भुखमरी से 1,68,000 बच्चों की मौत का अनुमान
१६ दिसम्बर २०२०
कोरोना वायरस महामारी से आर्थिक गिरावट आई है और दशकों से भुखमरी के खिलाफ हुई प्रगति को जोर का झटका लगा है. एक नए अनुमान के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी से भुखमरी के कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है.
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30 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के एक नए अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुईं हैं जिससे भुखमरी बढ़ी है. अध्ययन में कहा गया है कि भुखमरी के खिलाफ दशकों से हुई प्रगति कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित हुई है. अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि इस कारण 1,68,000 बच्चों की मौत हो सकती है. भुखमरी पर स्टैंडिंग टुगेदर फॉर न्यूट्रीशन कंसोर्टियम ने इस साल का आर्थिक और पोषण डाटा इकट्ठा किया और इसके अलावा फोन पर सर्वे भी किया. शोध का नेतृत्व करने वाले सासकिया ओसनदार्प अनुमान लगाते हैं कि अतिरिक्त 11.90 करोड़ बच्चे कुपोषण के सबसे गंभीर रूप से पीड़ित होंगे, सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में हो सकते हैं. माइक्रोन्यूट्रिएंट फोरम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर ओसनदार्प के मुताबिक जो महिलाएं अभी गर्भवती हैं वो ऐसे बच्चों को जन्म देंगी जो जन्म के पहले से ही कुपोषित हैं और ये बच्चे शुरू से ही कुपोषण के शिकार रहेंगे.'' वे कहते हैं, ''एक पूरी पीढ़ी दांव पर है.'' कोरोना वायरस के आने के पहले तक कुपोषण के खिलाफ लड़ाई एक अघोषित सफलता थी लेकिन महामारी से यह लड़ाई और लंबी हो गई है.
दस साल की प्रगति को नुकसान
ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर लॉरेंस हड्डाड के मुताबिक, ''ऐसा लगता है कि यह एक ऐसी समस्या है जो हमेशा से हमारे साथ है लेकिन कोविड-19 से पहले यह कम हो रही थी.'' अध्ययन के मुताबिक ''दस साल की प्रगति 9 से 10 महीनों में समाप्त हो गई.'' अध्ययन के मुताबिक महामारी के पहले अविकसित बच्चों की संख्या में वैश्विक स्तर पर हर साल गिरावट आई. साल 2000 में जहां 20 करोड़ बच्चे अविकसित थे तो वहीं उनकी संख्या 2019 में घटकर 14.40 करोड़ हो गई.
शोध को ऐसे समय में जारी किया गया जिसका लक्ष्य अगले एक साल तक करीब 3 अरब डॉलर कुपोषण के खिलाफ धन इकट्ठा करना है. हालांकि इसमें से कुछ में पूर्व प्रतिबद्धताएं शामिल हैं. पाकिस्तान जो कि दुनिया के सबसे व्यापक कुपोषण का शिकार देशों में से एक है, उसने 2025 तक 2.2 अरब डॉलर कुपोषण के खिलाफ अभियानों पर खर्च करने का वचन दिया है.
एक ऐसा देश जहां सिर्फ ब्रेड खरीदने के लिए चाहिए लाखों रुपये. वेनेजुएला ऐसे आर्थिक संकट से गुजर रहा है जैसा उसने दशकों में नहीं देखा. हर तरफ भूख और गरीबी के बीच देश में संसदीय चुनाव हुए. देखिए किस हाल में हैं वेनेजुएला.
तस्वीर: Miguel Gutierrez/Agencia EFE/imago images
भोजन का संकट
2018 में वेनेजुएला में महंगाई दर 65,374 प्रतिशत हो गई थी, जो देश के पूरे इतिहास में सबसे ज्यादा थी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इसे और भी ज्यादा - 13,70,000 प्रतिशत बताया था. सिर्फ चुनिंदा सामान को छोड़ कर देश कुछ भी आयात नहीं कर सकता था. भोजन और रोजमर्रा की चीजें इतनी महंगी हो गई हैं कि अधिकांश लोगों के लिए सुपरमार्केट से सामान खरीदना असंभव हो गया है.
तस्वीर: Alvaro Fuente/ZUMA Press/imago images
गरीब ज्यादा संकट में
गरीबों की सहायता करने वाली संस्थाएं भी सिर्फ उन्हीं को खाना दे पा रही हैं जिनके पास अपने बर्तन हैं क्योंकि संस्थाएं डिस्पोजेबल बर्तनों का खर्च नहीं उठा पा रही हैं. कभी समृद्ध कहे जाने वाले वेनेजुएला में आज भोजन के अलावा दवाएं, साबुन और डायपर जैसी चीजों की भारी कमी हो गई है.
तस्वीर: Juan Carlos Hernandez/ZUMA Wire/imago images
96 प्रतिशत गरीबी
कराकास में खाना बांटते संगठनों और चर्च समूहों के आगे हाथ फैलाते बच्चे. इनमें से कइयों ने कई दिनों से कुछ भी नहीं खाया. चिली के यूएनबी विश्वविद्यालय के मुताबिक देश के 96 प्रतिशत परिवार गरीबी में रहते हैं और 64 प्रतिशत अत्यधिक गरीबी में. पूरे देश में सिर्फ कुछ ही परिवार मांस, मछली, अंडे, फल या सब्जियां खरीद सकते हैं.
तस्वीर: Roman Camacho/ZUMA Press/imago images
स्वास्थ्य सेवाएं खुद शय्या पर
कराकास के सान हुआन दे दिओस अस्पताल जैसे अस्पतालों में जो भर्ती हैं, उन्हें दवाओं और कैथेटर, सीरिंज इत्यादि जैसे उपकरणों का खर्च खुद ही उठाना पड़ता है. देश के 66,000 पंजीकृत डॉक्टरों में से एक-तिहाई डॉक्टर देश छोड़ कर जा चुके हैं. देश का स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा ध्वस्त होने की कगार पर है.
तस्वीर: Dora Maier/Le Pictorium/imago images
मिट्टी के घर
मिट्टी और लकड़ी से घर बनाना यहां की एक प्राचीन कला है लेकिन विशेष रूप से देश के ग्रामीण इलाकों में अत्याधिक गरीबी की वजह से इस तरह के घर एक बार फिर लोकप्रिय हो गए हैं. इनमें ना बिजली होती है, ना टॉयलेट और ना ही पाइपलाइनें.
तस्वीर: Jimmy Villalta/UIG/imago images
अंधकार में जीवन
बिजली का भी भारी संकट हो गया है. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि निवेश की कमी, भ्रष्टाचार और ऊर्जा संयंत्रों के रख-रखाव में कमी की वजह से आज हालात ऐसे हैं. सरकार ऊर्जा बचाने के लिए तरह तरह के प्रयोग करती है, जैसे सरकारी कर्मचारियों को एक सप्ताह में सिर्फ दो दिन काम पर बुलाना. लेकिन स्थिति पर कुछ खास असर नहीं पड़ा है.
तस्वीर: Humberto Matheus/ZUMA Press/imago images
सड़कों पर ही बीतते हैं दिन
बिजली कट जाने पर गर्मी असहनीय हो जाती है. लोग बाहर सड़कों पर ही बैठ जाते हैं, जैसे इस तस्वीर में मैराकाइबो में बैठे हुए हैं. बीते सालों में प्रांतीय और यहां तक की राष्ट्रीय ब्लैकआउट भी सामान्य हो गए हैं. राष्ट्रपति निकोलास मादुरो इसके लिए देश के दुश्मनों द्वारा की गई तोड़-फोड़ की हरकतों को जिम्मेदार ठहराते हैं.
तस्वीर: Humberto Matheus/ZUMA Press/imago images
बिन पानी सब सूना
वलेंचिया के सांता रोसा जैसे इलाकों में पानी की आपूर्ति पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है. लोग अब सड़कों के किनारे बने गंदे पानी के गड्ढों में नहाते और कपड़े धोते हैं. इलाके में पीने के पानी की भी सप्लाई नहीं है.
तस्वीर: Elena Fernandez/ZUMA Wire/imago images
नदी या गंदा नाला
इन दिनों ग्वाइरे नदी में सिर्फ गंदा पानी और विषैले रसायन जाते हैं. बिजली और रख-रखाव की कमी से बांधों में दरारें पड़ गई हैं, जिस वजह से पानी बह जा रहा है. एक चक्र की तरह इससे देश के जल-विद्युत संयंत्रों में पानी की कमी हो जाती है और उससे फिर बिजली की कमी हो जाती है.
तस्वीर: Adrien Vautier/Le Pictorium/imago images
पीने के पानी की तलाश
काराबोबो का एक निवासी गुआकारा शहर में सड़कों पर एक कनस्तर लिए पीने के पानी की तलाश में घूम रहा है. कुछ स्थानों पर पूरे सप्ताह में सिर्फ कुछ घंटों के लिए पीने के पानी की सप्लाई की जाती है. अधिकांश परिवार जो भी बर्तन मिले उसी में पानी भर लेते हैं ताकि अगली आपूर्ति रुके तो उनके पास पीने का पानी रहे.
तस्वीर: Juan Carlos Hernandez/ZUMA Wire/imago images
प्रदूषित पानी
मैराकाइबो झील में गाड़ियों के पहियों की ट्यूब में बैठ कर मछुआरे जाल बिछा कर मछलियां पकड़ रहे हैं, जब कि झील तेल से प्रदूषित हो चुकी है. समुद्र के तट पर भी असर पड़ा है. हाल ही में तेल की एक पाइपलाइन से रिसाव और पोर्तो काबेल्लो के पास एक रिफाइनरी में एक हादसे की वजह से करीब 20,000 बैरल कच्चा तेल समुद्र में चला गया.
तस्वीर: Miguel Gutierrez/Agencia EFE/imago images
'लोगों को गैस चाहिए'
गुआकारा में एक गैस स्टेशन के बाहर ईंधन के इंतजार में गाड़ियां दो हफ्तों से भी ज्यादा से खड़ी हैं. वेनेजुएला को मजबूर होकर गैसोलीन ईरान से खरीदना पड़ा है क्योंकि उसकी अपनी प्रणाली इतने बुरे हाल में है कि वो तेल ठीक से निकाल भी नहीं पा रही. 10 साल पहले देश में रोज 23 लाख बैरल तेल निकाला जाता था. आज उसका आधा भी नहीं निकल रहा है.
तस्वीर: Juan Carlos Hernandez/ZUMA Wire/imago images
ध्वस्त ऊर्जा आपूर्ति
कराकास में लोग प्रोपेन के खाली सिलिंडर लिए सड़क पर खड़े हैं, इस इंतजार में कि किसी दिन उन्हें भरने का मौका मिल जाए. चूंकि बिजली और गैसोलीन की कमी हो गई है, कई लोगों ने प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. उसकी भी मांग इतनी बढ़ गई है कि सबको देना मुश्किल हो गया है.
तस्वीर: Miguel Gutierrez/Agencia EFE/imago images
धूमिल होते सितारे
कराकास में हूगो शावेज, फिदेल कास्त्रो, एवो मोरालेस और राफाएल कोरेरा की तस्वीरों के ठीक सामने कूड़े से लबालब एक कूड़ेदान है. यहां कई लोग वेनेजुएला, क्यूबा, बोलीविया और इक्वेडोर के समाजवादी नेताओं को संतों की तरह पूजते थे, लेकिन वेनेजुएला में 21वीं सदी का समाजवाद सबको समृद्धि दिलाने के अपने वादे पर खरा नहीं उतर पाया है.