मशहूर शिकारी ने ट्रिगर दबाया और तेज आवाज के साथ उसका शिकार निढाल हो गया. शिकारी, जानवर के पास पहुंचा तो उसे मरी हुई मां से चिपटा बच्चा मिला. उस दृश्य ने शिकारी को संरक्षक बना दिया.
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माइकल मेगोसिवा सोफी की गिनती कभी पूर्वोत्तर भारत के सबसे अचूक शिकारी के रूप में होती थी. नागालैंड की राजधानी कोहिमा से कुछ दूर बसे खोनोमा गांव के सोफी ने कई जंगली जानवर मारे. उनकी राइफल ने नागालैंड के प्रांतीय पंछी लाल गर्दन वाले तीतर को भी नहीं बख्शा. कंधे में राइफल टांगकर जंगलों में घूमने वाले सोफी की जिंदगी ऐसे ही चलती रही.
पल में बदली जिंदगी
लेकिन 1998 में एक दिन कुछ गांव वालों के साथ सोफी ने एक बंदरिया पर निशाना लगाया. निशाना सटीक लगा, बंदरिया पल भर में मारी गई. लेकिन जब सोफी शव तक पहुंचे तो उन्होंने बंदरिया की गोद में लिपटा मासूम बच्चा देखा. सोफी के मुताबिक वह दृश्य देखते ही उनकी आंखों में अंधेरा सा छा गया. वह अपराध बोध से घिर गए.
(इंसान से हजारों साल पहले ये जीव धरती पर थे)
उस दिन के बाद से सोफी ने राइफल हमेशा के लिए टांग दी. इसी दौरान एक दूसरे गांव के तिसिली साखरी शिकार और जंगलों की कटाई के खिलाफ अभियान चला रहे थे. साखरी गांव गांव जाकर लोगों को बता रहे थे कि अगर शिकार और लकड़ी कटाई ऐसे ही जारी रही तो भावी पीढ़ियों के लिए कुछ नहीं बचेगा. अभियान के दौरान साखरी की मुलाकात सोफी से हुई और दोनों ने मिलकर काम करने की योजना बनाई.
युवाओं को प्रेरणा
सोफी की कहानी ने युवाओं का खासा प्रभावित किया. नई पीढ़ी ने हथियार नहीं उठाए और गांव में शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया. 2002 में शुरू हुई इस मुहिम का नतीजा आज यह है कि गांव और उसके आस पास के इलाके वन्य जीवन से फल फूल चुके हैं. पूर्वोत्तर भारत में सशस्त्र विद्रोह के थमने से भी अवैध हथियार कम हुए हैं और वन्य जीवन को इसका फायदा मिला है.
पूर्वोत्तर भारत में आज भी कबीलाई पहचान बड़ी अहमियत रखती है. 19वीं शताब्दी में अंग्रेजी फौज के छक्के छुड़ाने वाले कई कबीले आज भी खुद को योद्धा और शिकारी मानते हैं. अंगामी कबीले के सोफी के मुताबिक बदलती दुनिया के साथ इस पुरानी सोच को बदलने की जरूरत है और युवा पीढ़ी यह काम बेहतर तरीके के कर सकती है.
(स्कूल और शिक्षा की आम परंपरा को तोड़कर शीर्ष पर पहुंचने वाली हस्तियां)
स्कूल में पीछे, जिंदगी में अव्वल
अच्छे स्कूल और कॉलेज से पढ़ाई पूरी करना सफलता की कोई गारंटी नहीं है. मौलिक विचार, कल्पनाशीलता, मेहनत और लगन हो तो इंसान बुलंदियों को छू सकता है. एक नजर स्कूल में नाकाम और जिंदगी में अव्वल रहने वाली हस्तियों पर.
तस्वीर: Toshifumi Kitamura/AFP/Getty Images
अल्बर्ट आइनस्टाइन
सापेक्षता समेत कई बड़े सिद्धांत देने वाले आइनस्टाइन ने 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया. साल भर बाद उन्होंने स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट की प्रवेश परीक्षा दी, जिसमें नाकामी हाथ लगी. इसके बाद आइनस्टाइन ऐसे स्कूल वापस लौटे जहां कल्पनाशीलता को समीकरण रटने से ज्यादा महत्व दिया जाता था.
तस्वीर: ullstein bild - AISA
थॉमस एडिसन
बिजली का बल्ब, फोनोग्राम और मोशन पिक्चर कैमरा जैसी क्रांतिकारी मशीनें बनाने वाले एडिसन के नाम 1,000 से ज्यादा पेटेंट हैं. बीमार रहने के कारण उन्होंने काफी देर से स्कूल जाना शुरू किया. स्कूल ने भी तीन महीने बाद ही उन्हें बाहर निकाल दिया. एडिसन की मां खुद एक टीचर थीं, उन्होंने अपने बेटे को घर पर ही पढ़ाया.
तस्वीर: picture-alliance/United Archives/TopFoto
वॉल्ट डिज्नी
वॉल्ट डिज्नी दिन में स्कूल जाते और रात में शिकागो की कला अकादमी. यह सिलसिला ज्यादा लंबा नहीं चला. 16 साल की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया. फर्जी बर्थ सर्टीफिकेट बनाकर वह अमेरिका से फ्रांस पहुंचे और रेड क्रॉस की एंबुलेंस चलाने लगे. एंबुलेंस में कार्टून के चित्र भरे पड़े थे. यहीं से वॉल्ट डिज्नी को कार्टूनों का आइडिया आया. देखते देखते उन्होंने सिनेमा में डिज्नी साम्राज्य खड़ा कर दिया.
कॉमेडी के सर्वकालीन महान अदाकार माने जाने वाले चार्ली चैप्लिन ने भी 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया. मां-बाप के निधन के बाद परिवार का पेट पालने के लिए वो स्टेज शो करने लगे. स्टेज शो में उन्हें मसखरे की भूमिका मिलती. लेकिन यही भूमिका धीरे धीरे उन्हें शिखर पर ले गई.
तस्वीर: Roy Export Company Establishment
चार्ल्स डिकेंस
अंग्रेजी के महान लेखकों में शुमार चार्ल्स डिकेंस के पिता को कर्ज के कारण जेल हो गई. घर का खर्च चलाने के लिए 12 साल के डिकेंस ने स्कूल छोड़ दिया और बूट ब्लैकिंग फैक्ट्री में 10 घंटे रोज की नौकरी शुरू कर दी. इसके बाद वो कई नौकरियों और अनुभवों से गुजरे और समाज के गहरे विश्लेषण ने उन्हें कहानीकार बना दिया.
तस्वीर: picture-alliance/empics
बेंजामिन फ्रैंकलिन
बेंजामिन फ्रैंकलिन की राजनीति, कूटनीति, लेखन, प्रकाशन, विज्ञान और अमेरिका की आजादी में अहम भूमिका रही. वह अपने परिवार के 15वें बच्चे थे. गरीबी के चलते 10 साल की उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और प्रिंटिंग में पिता व भाई का हाथ बंटाने लगे.
तस्वीर: Getty Images
हेनरी फोर्ड
फोर्ड की कारें तो आपने देखी ही होंगी, इनके जनक हेनरी फोर्ड हैं. उन्हें आधुनिक उद्योगों का जनक भी कहा जाता है. 16 साल की उम्र में फोर्ड ने स्कूल छोड़ दिया. खाली वक्त में वह घड़ियों के पुर्जे खोलते और जोड़ते रहे. बाद में फोर्ड ने ऑटोमोबाइल उ्द्योग में पहली बार एसेंबली लाइन इस्तेमाल की.
तस्वीर: Topical Press Agency/Getty Images
बिल गेट्स
हावर्ड यूनिवर्सिटी के सबसे मशहूर ड्रॉपआउट छात्र होने का श्रेय माइक्रोसॉफ्ट के जनक बिल गेट्स को जाता है. कॉलेज की पढ़ाई छोड़ने के दो साल बाद गेट्स ने अपने बचपन के मित्र पॉल एलन (तस्वीर में बाएं) के साथ माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना की. दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शुमार गेट्स ने अपने सॉफ्टवेयरों को जरिये कंप्यूटर को कैलकुलेटर से आगे बढ़ाया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Microsoft
स्टीव जॉब्स
आईफोन, आईपॉड और मैकबुक जैसी मशीनें बनाने वाले एप्पल के सह संस्थापक जॉब्स ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी. इस दौरान उन्होंने कला की कक्षाओं में बिना दाखिले के जाना शुरू कर दिया. इंजीनियरिंग से प्यार करने वाले जॉब्स के मुताबिक कला की कक्षा ने उन्हें अद्वितीय खूबसूरती की परिभाषा सिखाई.
तस्वीर: Flickr/sa-by-Ben Stanfield
अजीम प्रेमजी
दयालु और दिलदार भारतीय कारोबारियों में गिने जाने वाले अजीम प्रेमजी से 21 की उम्र में कॉलेज छोड़ दिया. प्रेमजी ने अपनी कंपनी विप्रो शुरू की. आज विप्रो की कीमत 11 अरब डॉलर से ज्यादा है. प्रेमजी अपने आधे शेयर दान करने का एलान कर चुके हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jagadeesh Nv
कर्नल हारलैंड सैंडर्स
हारलैंड सैंडर्स की उम्र सिर्फ छह साल थी जब उनके पिता की मौत हुई. मां दिन भर काम करती और साथ ही पूरे परिवार के लिए खाना भी बनाती. परिवार चलाने के लिए उन्होंने स्कूल के बजाए कई काम करने शुरू किये. इसी दौरान उन्हें नौकरीपेशा लोगों को फ्राइड चिकन बेचने का आइडिया आया. आज दुनिया भर में उनके आउटलेट्स केएफसी (कनटकी फ्राइड चिकन) के नाम से जाने जाते हैं.
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रिचर्ड ब्रैनसन
डिसलेक्सिया के रोगी ब्रैनसन को पढ़ाई में काफी परेशानी होती थी. 16 साल में स्कूल छोड़ वो लंदन आए जहां उन्होंने कारोबार के गुर सीखे. वर्जिन अटलांटिक एयरवेज, वर्जिन रिकॉर्ड्स, वर्जिन मोबाइल जैसे कंपनियां खड़ी करने के बाद अब वह आम लोगों के लिए अंतरिक्ष यात्रा मुमकिन करने की तैयारी कर रहे हैं.
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जेम्स कैमरन
अवतार और टाइटैनिक जैसी सिनेमा जगत की सबसे बड़ी फिल्में बनाने वाले निर्देशक जेम्स कैमरन भी कैलिफोर्निया में अपनी फिजिक्स की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए. उन्होंने कॉलेज छोड़ा, एक वेटर से शादी की और रोजी रोटी के लिए ट्रक चलाने लगे. 1977 में उन्होंने स्टार वॉर्स फिल्म देखी और वहीं से वह रुपहले पर्दे की ओर खिंचे चले आए.
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कपिल देव
क्रिकेट में वेस्ट इंडीज की बादशाहत खत्म करने और पहली बार भारत को विश्व कप दिलाने वाले कपिल देव भी स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं कर सके. भारत के बेहतरीन ऑल राउंडरों में गिने जाने वाले कपिल को हालांकि इस बात का आज भी मलाल है.
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राजकुमारी डायना
डायना स्पेंसर ने 16 साल की उम्र में ब्रिटेन छोड़ दिया और स्विट्जरलैंड के एक स्कूल में दाखिला लिया. वहां भी वह पढ़ाई पूरी नहीं कर सकीं. वह गायिकी और बेले डांस की शौकीन थी. बाद में ब्रिटेन लौटकर उन्होंने एक डे केयर सेंटर में नौकरी की, जहां उनकी मुलाकात राजकुमार चार्ल्स से हुई. शादी के बाद डायना राजकुमारी बन गईं. उनकी खूबसूरती और दरियादिली आज भी लोगों के जेहन में है.
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सचिन तेंदुलकर
क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर ने 10वीं के बाद स्कूली पढ़ाई छोड़ दी. बेहतरीन बल्लेबाजी के चलते 16 साल की उम्र में वो भारतीय टीम के सदस्य बने और इसके बाद तो उनके बल्ले से कीर्तिमान बरसते चले गए.
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मार्क जकरबर्ग
फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने भी कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया. कॉलेज के दिनों में जकरबर्ग एक लड़की को खोजना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने एक सोशल नेटवर्किंग साइट बनाई. दुनिया आज इसे फेसबुक के नाम से जानती हैं. फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक जकरबर्ग दुनिया के सबसे अमीर युवा हैं. आज दुनिया भर में फेसबुक के एक अरब से ज्यादा यूजर हैं.
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लेडी गागा
उनका असली नाम स्टेफनी योआने एंजेलिना जर्मनोटा है. न्यूयॉर्क में आर्ट्स की पढ़ाई करने वाली स्टेफानी ने संगीत उद्योग में अपना करियर बनाने के लिए कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया. वह न्यूयॉर्क के क्लबों में परफॉर्म करने लगीं. 20 साल की उम्र में उन्होंने इंटरस्कोप रिकॉर्ड्स के साथ करार किया. आज लेडी गागा दुनिया के सबसे मशहूर गायकों में गिनी जाती हैं.