स्विट्जरलैंड में शिकार पर बवाल
२७ अक्टूबर २०१७
शिकार की जिस समस्या ने हाथियों और गैंडों की प्रजाति को घेर रखा है उसकी छाया अब जिराफ पर भी पड़ने लगी है और लोगों का ध्यान इस पर है. हालांकि धरती के सबसे लंबे जीव की घटती संख्या बता रही है, अभी बहुत कुछ करना होगा
खतरे की जद में हैं जिराफ
शिकार की जिस समस्या ने हाथियों और गैंडों की प्रजाति को घेर रखा है उसकी छाया अब जिराफ पर भी पड़ने लगी है और लोगों का ध्यान इस पर है. हालांकि धरती के सबसे लंबे जीव की घटती संख्या बता रही है, अभी बहुत कुछ करना होगा.
धीरे धीरे गायब
जिराफों की संख्या हाल के वर्षों में कम हुई है. संरक्षणवादियों का कहना है कि जिराफ "चुपके चुपके विलुप्त" हो रहे हैं. सहारा के आसपास के अफ्रीकी इलाकों में अब केवल 97,500 जिराफ बचे हैं. इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) के मुताबिक 1985 की तुलना में यह संख्या करीब 40 फीसदी कम है.
"इनामी" जानवर
यह शानदार जीव बीमारियों, आवास की कमी, जंगली गोश्त के लिए शिकार होने की समस्या से जूझ रहा है. इसके साथ ही गाड़ियों और बिजली के तारों के संपर्क में आने के खतरा भी कम नहीं है. अफ्रीका में तो अब हाथियों से कम जिराफ बचे हैं. जिराफ के संरक्षण के लिए अभियान चलाने वाले बताते हैं कि इनाम पाने की लालच में शिकार के लिए अफ्रीका आने वाले शिकारी भी इनके पीछे हैं. ज्यादातर ऐसे शिकारी अमेरिका से ही यहां आते हैं.
एक नहीं चार जीव
2016 में वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि जिराफ की एक नहीं चार अलग अलग प्रजातियां हैं. करेंट बायोलॉजी जर्नल में छपे रिसर्च के नतीजो की अभी समीक्षा हो रही है लेकिन इसमें औपचारिक तौर पर माना गया है कि चार अलग प्रजातियां है. इनमें से तीन आईयूसीएन के लुप्त होते जीवों में शामिल हैं.
जिराफ की गर्दन लंबी कैसे हुई
जिराफ की गर्दन छह फीट तक लंबी हो सकती है, जबकि उसकी गर्दन में भी सात ही हड्डियां होती हैं जितनी की इंसानों में, हां इतना जरूर है कि ये लंबी होती हैं. दिमाग तक खून पहुंचाने के लिए दिल को इसे 2 मीटर तक पंप करना पड़ता है. वैज्ञानिक अब भी ये रहस्य सुलझाने में लगे हैं कि जिराफ की गर्दन इतनी लंबी कैसे हो गई.
धम्म से शुरू होता जीवन
जिराफ में गर्भावस्था करीब 15 महीने की होती है और मां खड़े खड़े ही बच्चे को जन्म देती है, मतलब कि दुनिया में आने वाले हर नन्हे मेहमान का स्वागत धरती पर कम से कम पांच फीट की ऊंचाई से गिर कर होता है. हालांकि जिराफ के बच्चे बड़ी तेजी से जीना सीख लेते हैं. पैदा होने के 30 मिनट बाद ही वो खड़े हो जाते हैं और 10 घंटे बाद ही अपनी मां के साथ दौड़ना शुरू कर देते हैं.
24 घंटे चलता है मुंह
जिराफ का मुंह हर वक्त चलता रहता है. यह हफ्ते भर में कई सौ किलो पत्तियां चबा जाते हैं और खाने की तलाश में कई मीलों का सफर तय कर आते हैं. लंबे होने की वजह से इन्हें पानी पीने में दिक्कत होती है. ये अपने पैर फैलाकर नीचे झुकते हैं, ऐसी स्थिति में शिकारी इन्हें आसानी से अपना निशाना बना सकते हैं. शुक्र है कि जिराफ को रोज प्यास नहीं लगती. पत्तियों में खूब पानी होता इसलिए ये कई कई दिन बाद पानी पीते हैं.
21 इंच की जबान
जिराफ की 21 इंच लंबी जबान पत्तियों को शाखाओं से तोड़ने में बहुत मददगार होती है. जिराफ पेड़ की बहुत उन ऊंची शाखों से भी पत्तियां चबा जाते हैं जहां दूसरे जानवर शायद ही पहुंच सकें, इसमें भी बबूल इन्हें खासतौर से खूब भाता है.
भारत में भी जिराफ
पश्चिम और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में जिराफ पाये जाते हैं. वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण यूरोप में पाया जाने वाला बोहिलिनिया नाम का जीव चीन और भारत की तरफ चला आया. बोहिलिनिया को आधुनिक जिराफ का पूर्वज माना जाता है.