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शिक्षाभारत

भारतीय छात्रों को शेंगेन वीजा मिलने में क्या मुश्किलें हैं

सोनम मिश्रा
१५ सितम्बर २०२५

शेंगेन वीजा के लिए भारतीयों छात्रों में होड़ बढ़ रही है. ऐसे में वीजा अपॉइंटमेंट और आवेदन खारिज होने की दर, दोनों बढ़ते जा रहा हैं. आखिर भारतीय छात्रों को यूरोप के लिए शेंगेन वीजा हासिल करने में क्या दिक्कतें आती हैं.

जर्मनी की एक यूनिवर्सिटी की क्लास में भारतीय छात्र
चीन और तुर्की के बाद जर्मनी में सबसे ज्यादा छात्र भारत से आ रहे हैंतस्वीर: Martin Möller/Funke Foto Services/IMAGO

दूसरे देश पढ़ने जाना हो या किसी काम के सिलसिले में,  सबसे जरूरी चीज है वीजा. लेकिन शेंगेन वीजा के लिए आवेदन खारिज होने की सूची में भारतीय पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर आते हैं. 2024 में वीजा आवेदन खारिज होने के कारण भारतीय आवेदकों को 136 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा. यूरोपीय आयोग के अनुसार 2024 में भारत के सभी शेंगेन वीजा का लगभग 12 फीसदी आवेदन केवल जर्मनी के लिए था. इतना ही नहीं जर्मनी के लिए वीजा का सबसे अधिक आवेदन करने वाले तीन देशों में चीन और तुर्की के बाद अब भारत है. 

जर्मनी में चीन से ज्यादा भारत के छात्र पढ़ने आ रहे हैं

पिछले साल शेंगेन वीजा के लिए भारत से कुल 11,08,239 आवेदन किए गए. जिसमें से लगभग 15 फीसदी यानी  1,65,266 आवेदन खारिज कर दिए गए. 2025 में भारतीयों के लिए शेंगेन वीजा की फीस लगभग 90 यूरो यानी 9,100 रूपये है. पर वीजा खारिज होने पर इस में से एक भी रुपया वापस नहीं मिलता. ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, छात्र, जो पहले ही जद्दोजहद करके एडमिशन से लेकर फीस और टाइम पर वीजा आ जाने की उम्मीद में रहते हैं. एक तरफ बाहर जाकर पढ़ने का खर्च पहले ही काफी भारी होता है और अगर ऐसे में वीजा की प्रक्रिया अटक जाए तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं.

बीते सालों में जर्मन यूनिवर्सिटियों में भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी हैतस्वीर: Rainer Weisflog/IMAGO

छात्रों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत

भारत में जर्मन दूतावास के अनुसार, जर्मनी भारतीय छात्रों के लिए शिक्षा के लिए पसंदीदा देश बनता जा रहा है. 2025 में छात्र वीजा आवेदनों में 35 फीसदी की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है. जिस कारण जर्मनी में भारतीय छात्रों की संख्या 2024 में 46,000 से बढ़कर 2025 में 54,000 हो गई है. और अनुमान है कि 2030 यह आंकड़ा बढ़ कर 1.14 लाख तक पहुंच सकता है.

जर्मनी में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की पढ़ाई असल में कितनी मुफ्त

इस बढ़ती रुचि के कारण अब सरकारी विश्वविद्यालयों में दाखिले और साथ ही साथ वीजा अपॉइंटमेंट के लिए भी प्रतियोगिता पहले से कई गुना बढ़ गई है. अक्टूबर और मार्च के सत्रों में पहले से कहीं ज्यादा आवेदन आ रहे हैं. जिस कारण छात्रों के लिए वीजा पाना पहले से बहुत ज्यादा मुश्किल हो रहा है.

समय रहते आवेदन करना जरूरी

24 साल के सौरभ सुमन को पिछले साल हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी में दाखिला मिला. लेकिन वीजा समय पर ना मिलने के कारण उनका एक साल बर्बाद हो गया. इस साल वह वीजा हासिल करने की कोशिश में दोबारा लगे हुए हैं ताकि इस साल कम से कम वह समय पर अपने कोर्स के लिए जर्मनी पहुंच जाएं.

जर्मनी आने वाले भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही हैतस्वीर: dts Nachrichtenagentur/IMAGO

जर्मन कॉन्सुलेट में काम करने वाली एक सहायक वीजा अधिकारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि ऐसे में जरूरी है कि वीजा के लिए सही समय पर आवेदन किया जाए. आवेदन ज्यादा देर से नहीं करना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है कि आवेदन समय से पहले भी ना किया जाए. दोनों ही हालात में वीजा खारिज होने का खतरा बढ़ जाता है.

कहां से कर रहे हैं अप्लाई यह भी जरूरी

शेंगेन वीजा या सी-टाइप वीजा यानी 90 दिन या उससे कम दिन के वीजा के लिए प्रोसेसिंग समय 15 दिन का होता है. लेकिन यह समय तब शुरू होता है, जब पूरी तरह भरी एप्लीकेशन फॉर्म जर्मन कॉन्सुलेट में पहुंच गई है. ठीक इसी तरह, नेशनल वीजा या डी वीजा यानी 90 दिन से अधिक समय के वीजा के लिए प्रोसेसिंग समय केस के अनुसार निर्भर करता है. जैसे स्टूडेंट वीजा के लिए बारह हफ्ते यानी तीन महीने तक का वक्त भी लग सकता है. यह तब जब स्टूडेंट ने पूर्ण एप्लीकेशन सभी जरूरी कागजात के साथ वक्त रहते जमा किया हो.

अधिकारी ने बताया, "यह भी जरूरी है कि आवेदक कहां से आवेदन कर रहे हैं और वहां से जर्मन मिशन की दूरी कितनी है. अगर भारत से कोई शेंगेन वीजा के लिए आवेदन कर रहा है और भारत के सभी शेंगेन वीजा की प्रोसेसिंग मुंबई में होती है. ऐसे में आपका पासपोर्ट आपके शहर से मुंबई जाएगा और वापस आएगा, जो कि समय का अंदाजा लगाने में मददगार हो सकता है.”

बहुत से छात्र शिकायत करते हैं कि उन्हें समय पर अपॉइंटमेंट नहीं मिलतातस्वीर: Sigrid Gombert/imagebroker/IMAGO

उचित दस्तावेजों से राह आसान हो सकती है

जर्मनी दस्तावेजों को लेकर बहुत गंभीर रुख दिखाता है. ऐसे में आवेदन के साथ लगाए जाने वाले दस्तावेज में किसी भी तरह की दिक्कत मुसीबत बढ़ा सकती है. भारतीयों के लिए वीजा आवेदन खारिज होने की सबसे आम वजह अधूरे या गलत भरे हुए फॉर्म होते हैं.

अधिकारी ने बताया, "हर एक तरह के वीजा के लिए अलग तरह के डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है. जरूरी है कि आवेदक जर्मन दूतावास की वेबसाइट से अपने वीजा की चेकलिस्ट के अनुसार सभी दस्तावेज लाइन से जमा करें.”

उन्होंने कहा इसके अलावा आवेदक का ईमानदार होना बेहद जरूरी है. उन्हें सब कुछ सच बताना चाहिए. जांच के दौरान दी गई जानकारी में कुछ भी अलग दिखने पर एप्लीकेशन अस्वीकृत होने का खतरा बढ़ सकता है.

एआई बोट्स बुक कर रहे अपॉइंटमेंट

आमतौर पर वीजा प्रक्रिया शुरू करने का पहला कदम होता है, वीजा अपॉइंटमेंट बुक करना. जिसके लिए लोगों को जर्मन कॉन्सुलेट, जर्मन दूतावास और वीएफएस ग्लोबल की वेबसाइट को लगातार चेक करना पड़ता है. इस प्रक्रिया में समय तो लगता ही है, पर यह थकाती है, क्योंकि बढ़ती मांग के बीच अपॉइंटमेंट बहुत जल्दी भर जाते हैं.

लगातार बढ़ रहे आवेदनों की वजह से समय पर स्लॉट मिलना और भी मुश्किल हो गया है. इसी समस्या का हल ढूंढने के लिए कई जगहों पर एआई चैटबॉट्स का इस्तेमाल हो रहा है. यह चैटबॉट्स ना केवल स्लॉट उपलब्ध होने पर सूचना दे सकते हैं, बल्कि आपके लिए ऑटोमेटिक बुकिंग भी कर सकते हैं.

हालांकि, भारत से जर्मनी के वीजा के लिए अभी तक ऐसे एआई बॉट सक्रिय नहीं हैं, लेकिन अन्य देशों के वीजा अपॉइंटमेंट्स के लिए यह इस्तेमाल हो रहे हैं.

जर्मनी के रहन-सहन में भारतीय स्टूडेंट्स की चुनौतियां

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