अमेरिका में शशि थरूर ने कहा कि पहलगाम हमले का भारत ने सटीक और सीमित जवाब देकर दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया कि आतंक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
शशि थरूर अमेरिका में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैंतस्वीर: IANS
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि पहलगाम में हुए हमले का मकसद देश को बांटना था, लेकिन इसका असर उलटा हुआ और देश और भी ज्यादा एकजुट हो गया.
थरूर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं, जहां वह ‘ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत की राजनयिक मुहिम का नेतृत्व कर रहे हैं. उनके साथ इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या और भुवनेश्वर कलिता, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सरफराज अहमद और टीडीपी सांसद गंटी हरीश मधुर भी शामिल हैं.
"भारतकाजवाबबिल्कुलसहीथा”
थरूर ने कहा, "मैं सरकार के लिए काम नहीं करता, मैं विपक्ष का सांसद हूं. लेकिन मैंने खुद भारत के एक प्रमुख अखबार में लेख लिखकर कहा था कि अब समय आ गया है कि भारत सख्ती से और समझदारी से जवाब दे. मुझे खुशी है कि भारत ने ऐसा ही किया.”
भारत का दावा, इन "आतंकवादी कैंपों" पर किए हमले
भारत का दावा है कि उसने पाकिस्तान के भीतर नौ "आतंकवादी कैंपों" को निशाना बनाया है. एक नजर उन जगहों पर जिन्हें कैंप बताते हुए नई दिल्ली ने निशाना बनाने का दावा किया है.
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मरकज तैयबा कैंप
भारत का दावा है कि नियंत्रण रेखा से 25 किलोमीटर भीतर, यह लश्कर ए तैयबा का मुख्यालय है. नई दिल्ली का आरोप है कि पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले का संबंध लश्कर ए तैयबा से है. भारत का आरोप है कि 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमला करने वालों में शामिल अजमल कसाब को भी मरकज तैयबा कैंप में ट्रेन किया गया.
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मरकज सुभान कैंप
यह जगह भारत-पाकिस्तान के सीमा रेखा से 100 किलोमीटर दूर है. यह भारतीय सेना के निशाने पर आया पाकिस्तान का सबसे भीतरी इलाका है. भारत का दावा है कि मरकज सुभान में जैश ए मोहम्मद का कैंप है. नई दिल्ली के मुताबिक मरकज सुभान कैंप के जरिए जैश ए मोहम्मद भर्ती, ट्रेनिंग और प्रचार करता है.
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महमूना जोया कैंप
भारत का आरोप है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले का प्लान इसी कैंप में बनाया गया. नियंत्रण रेखा के 12 किलोमीटर भीतर चलने वाले इस कैंप को भारत ने हिज्बुल मुजाहिद्दीन का ट्रेनिंग सेंटर बताया है. इसी संगठन पर 2016 में भारतीय वायु सेना के अड्डे पर हमला करने का आरोप भी है.
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गुलपुर कैंप
यह जगह, बॉर्डर से 30 किलोमीटर दूर है. भारत का कहना है कि जून में पुंछ में श्रद्धालुओं पर हुआ हमला इसी कैंप में ट्रेनिंग कर चुके हमलावरों ने किया. बतौर भारत, 2008 के मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता जकी उर रहमान लखवी ने अकसर इस कैंप में जाकर प्रचार और भाषण अभियान चलाए हैं.
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सरजाल कैंप
भारत का कहना है कि मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर में चार पुलिसकर्मियों की जान लेने वाले हमलावरों ने इसी कैंप में ट्रेनिंग ली थी. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर से चलने वाला यह कैंप नियंत्रण रेखा से छह किलोमीटर भीतर है.
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अब्बास कैंप
नियंत्रण रेखा के 13 किलोमीटर भीतर मौजूद इस कैंप को भारत, लश्कर ए तैयबा का "नर्व सेंटर" करार दे रहा है. नई दिल्ली का आरोप है कि लश्कर ए तैयबा के आत्मघाती हमलावरों को यहीं ट्रेनिंग दी जाती है.
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सईदना बेलाल कैंप
भारत का दावा है कि जैश ए मोहम्मद इस कैंप के जरिए हथियार और विस्फोटक मुहैया कराता है. भारतीय पक्ष के मुताबिक, कश्मीर में हमले के दौरान जिंदा बचे रहने की ट्रेनिंग भी यहीं दी जाती है.
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बरनाला कैंप
भारत के मुताबिक जंगल में लड़ने और जिंदा रहने की तकनीक इसी कैंप में सिखाई जाती है. नई दिल्ली के मुताबिक, इस कैंप में हथियार चलाने, विस्फोटक डिवाइसें बनाने और उन्हें ऑपरेट करने की भी ट्रेनिंग दी जाती है.
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सवाई नाला कैंप
नियंत्रण रेखा से 30 किलोमीटर अंदर इस कैंप को भारत लश्कर ए तैयबा का अहम ट्रेनिंग सेंटर बताता है. (सोर्स: फैक्टबॉक्स, रॉयटर्स)
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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. थरूर ने कहा कि भारत ने इस हमले का जवाब बहुत सोच-समझकर और सटीक तरीके से दिया.
थरूर ने कहा कि इस हमले के पीछे मंशा थी, लोगों में धर्म और पहचान के आधार पर दरार पैदा करना, "लेकिन हुआ इसका उलटा. हर धर्म, हर क्षेत्र के लोगों ने मिलकर एकजुटता दिखाई. यह साफ संकेत था कि भारत अब भ्रमित नहीं है कि यह हमला कहां से आया.”
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ऑपरेशनसिंदूर: आतंकपरसटीकप्रहार
थरूर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' का जिक्र करते हुए बताया कि यह कार्रवाई 7 मई की सुबह अंजाम दी गई. भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तानी कश्मीर में स्थित नौ चुनिंदा आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया.
उन्होंने बताया, "इनमें लश्कर-ए-तैयबा का मुरीदके स्थित मुख्यालय और जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर ठिकाना शामिल था, जो पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या समेत कई हमलों के लिए जिम्मेदार हैं.”
थरूर के मुताबिक, भारत ने यह संदेश दिया कि आतंक को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि यह कोई युद्ध की शुरुआत नहीं, बल्कि एक सटीक जवाब था.
थरूर ने कहा, "भारत ने बहुत ही सटीक और सीमित जवाब दिया. यह एक स्पष्ट संदेश था कि हम चुप नहीं बैठेंगे, लेकिन यह जवाब किसी लंबी जंग की शुरुआत नहीं बल्कि एक निर्णायक कार्रवाई है, और हम यहीं रुक सकते हैं.”
न्यूयॉर्कमें9/11 मेमोरियलकादौरा
थरूर और उनके प्रतिनिधिमंडल ने न्यूयॉर्क स्थित ‘नेशनल सेप्टेंबर 11 मेमोरियल' का भी दौरा किया और आतंकवाद के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर भी थरूर ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की आलोचना करते हुए कहा कि यह "हमें मंजूर नहीं है.”
बॉर्डर के पास रहने वाले क्या सोच रहे हैं, जानिए
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शशि थरूर का यह दौरा भारत की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जहां वे विपक्ष में रहते हुए भी भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को वैश्विक मंच पर रख रहे हैं. भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए दुनिया भर से समर्थन जुटाने और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए यह अभियान छेड़ा है. इसके तहत भारत सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजा है.