इक्वाडोर की अदालत ने मृत्यु शैया पर पड़े मरीजों के लिए इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दी है. ऐसा करने वाला यह दूसरा दक्षिण अमेरिकी देश है.
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बुधवार को इक्वाडोर ने इच्छा मृत्यु या दया मृत्यु को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है. ऐसा मृत्यु शैया पर पड़े एक मरीज द्वारा दायर मुकदमे की प्रतिक्रिया में हुआ.
इस मुकदमे की सुनवाई कर रही देश की संवैधानिक पीठ के नौ जजों में से सात की सहमति से यह फैसला सुनाया गया, जिससे डॉक्टरों को ऐसे मरीजों को मरने में मदद करने का अधिकार मिलेगा, जिनके ठीक होने की कोई गुंजाइश नहीं है.
अदालत ने अपने फैसले में कहा, "हत्या के लिए सजा का कानून ऐसे डॉक्टर पर लागू नहीं हो सकता जो इच्छा मृत्यु के तहत किसी व्यक्ति के सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार की सुरक्षा के लिए ऐसा करता है.”
पाओला रोल्डन का मामला
यह मुकदमा एक मरीज पाओला रोल्डन ने बीते साल अगस्त में दायर किया था. रोल्डन एमिट्रोफिक लैटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) नाम की एक बीमारी से ग्रस्त हैं. यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जिसे लू गेरिग्स डिजीज भी कहा जाता है.
हर दिन नरक है, मरने में मदद चाहती हैं लीसा
कनाडा में रहने वालीं लीसा पॉली मरना चाहती हैं. लेकिन कानून उन्हें मरने की इजाजत नहीं देता क्योंकि उनका मामला इच्छा मृत्यु के दायरे में नहीं आता.
तस्वीर: Carlos Osorio/REUTERS
मरना चाहती हैं लीसा पॉली
47 साल की लीसा पॉली इच्छा मृत्यु चाहती हैं. दशकों से बीमारी से जूझ रहीं पॉली ने कनाडा में इच्छामृत्यु की अर्जी दी है. पॉली को आठ साल की उम्र एनरेक्सिया की बीमारी है. अब उनका वजन मात्र 41 किलोग्राम रह गया है.
तस्वीर: Carlos Osorio/REUTERS
बिना खाये कई दिन
पॉली बताती हैं कि कई-कई दिन तक वह बिना ठोस आहार के निकाल देती हैं. वह इतनी कमजोर हो गयी हैं कि बाजार तक भी नहीं जा पातीं.
तस्वीर: Carlos Osorio/REUTERS
हर दिन नरक जैसा
पॉली कहती हैं, “हर दिन नरक जैसा है. मैं बहुत थक गयी हूं. मुझसे अब और नहीं होता. सब कुछ आजमा चुकी हूं. अब लगता है कि मैं अपनी जिंदगी जी चुकी हूं.”
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कानूनी अधिकार नहीं
लेकिन पॉली के चाहने से कुछ नहीं होगा. कानूनन इच्छा मृत्यु नहीं मिल सकती. अगले साल मार्च में कनाडा के इच्छा मृत्यु कानून में संशोधन लागू होना है, जिसमें मानसिक रोगियों को भी शामिल किया जाएगा.
तस्वीर: Carlos Osorio/REUTERS
कब पूरी होगी इच्छा
कनाडा ने 2016 में लाइलाज जानलेवा बीमारी से ग्रस्त रोगियों को इच्छा मृत्यु का अधिकार दिया था. 2021 में उसका दायरा बढ़ाया गया और उसमें गैर-जानलेवा लेकिन लाइलाज बीमारियों को शामिल किया गया. अब इसमें मानसिक रोगियों को भी शामिल किया जा रहा है. उसके बाद कनाडा का इच्छा मृत्यु अधिकार दुनिया में सबसे विस्तृत होगा. तब शायद लीसा पॉली की इच्छा पूरी हो सके.
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अपनी अपील में रोल्डन ने इक्वाडोर के संविधान में पीनल कोड की एक धारा को चुनौती दी थी जिसमें हत्या करने पर 10 से 13 साल तक की सजा का प्रावधान है. नवंबर में हुई सुनवाई में उन्होंने एक वीडियो के जरिए अदालत में गवाही दी थी. इस गवाही में उन्होंने कहा, "मैं सुकून से सो जाना चाहती हूं. जो मेरे साथ हो रहा है वह दर्दनाक, अकेलेपन से लदा हुआ और क्रूर है.”
बिस्तर पर पड़ीं रोल्डन ने कहा, "यह लड़ाई मरने के लिए नहीं है. मुझे पता है मैं मर रही हूं. यह लड़ाई इस बात की है मेरी मौत कैसे होती है.”
किस देश में हैं सबसे ज्यादा कैदी
स्टैटिस्टा रिसर्च के जनवरी 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका की जेलों में दुनिया में सबसे ज्यादा, 18 लाख, लोग बंद हैं. लेकिन प्रति लाख कैदियों का हिसाब लगाया जाए तो कई देश अमेरिका से ऊपर हैं.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/AP/picture alliance
अल सल्वाडोर सबसे ऊपर
दक्षिण अमेरिकी देश अल सल्वाडोर कैदियों की संख्या के मामले में सबसे ऊपर है. वहां हर एक लाख लोगों पर 1,086 कैदी हैं.
तस्वीर: Edgar Romero/AP/picture alliance
क्यूबा
कम्यूनिस्ट देश क्यूबा सूची में दूसरे नंबर पर है, जहां हर एक लाख लोगों पर 794 कैदी हैं.
तस्वीर: Ramon Espinosa/AP/picture alliance
रवांडा
अफ्रीकी देश रवांडा में हर एक लाख लोगों पर 637 कैदी हैं और सबसे ज्यादा कैदियों वाले देशों में यह तीसरे नंबर पर है.
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तुर्कमेनिस्तान
चौथे नंबर पर एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान है जहां प्रति लाख 576 कैदी हैं.
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अमेरिकिन समोआ
पांचवें नंबर पर अमेरिकन समोआ है जहां हर एक लाख लोगों पर 538 लोग जेलों में बंद हैं.
तस्वीर: AP
अमेरिका
सबसे ज्यादा कैदियों वाले देश अमेरिका में प्रति लाख 531 लोग जेलों में हैं. 2023 के आखिर तक अमेरिका में 18 लाख लोग जेलों में बंद थे.
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बड़े देश
बड़े देशों में तुर्की, ब्राजील और रूस प्रमुख हैं. सूची में तुर्की (400)13वें नंबर पर है. ब्राजील (390) 14वें नंबर पर है और रूस (300) 28वें नंबर पर है.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/AP/picture alliance
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इस मामले में इक्वाडोर ने कोलंबिया का ही रास्ता अपनाया है जहां 1997 में ही इच्छा मृत्यु को कानूनी इजाजत मिल गई थी. युरुग्वे और चिली में भी नीति-निर्माताओं के बीच इस मुद्दे पर बहस चल रही है. इसके अलावा मेक्सिको में एक कानून मौजूद है जिसे आमतौर पर ‘अच्छी मृत्यु' कानून कहा जाता है. इसके तहत मरीज या उसके परिजनों को मरीज को लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाने का अधिकार है.
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दर्द से छुटकारा पाने की स्वतंत्रता
इक्वाडोर पारंपरिक रूप से एक रूढ़िवादी देश माना जाता है लेकिन रोल्डन की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने उनके हक में फैसला सुनाया. जजों ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति ऐसी स्थिति से गुजर रहा है तो उसे जिंदा रहने के लिए मजबूर करना तार्किक नहीं होगा. जब किसी व्यक्ति का निजी विकास प्रभावित होता है तो उसे सूचनाओं के आधार पर अपने बारे में फैसले लेने की स्वतंत्रता है. इसमें ठीक ना हो सकने वाली चोट या बीमारी से हो रही अत्यधिक पीड़ा को खत्म करने का विकल्प भी शामिल है.”
अदालत ने स्वास्थ्य मंत्रालय को कहा कि दो महीने के भीतर नियमों का एक मसौदा तैयार करे. इसके अलावा छह महीने के भीतर इच्छा मृत्यु कानून का बिल तैयार करना होगा और एक साल के भीतर इसे संसद से पारित कराना होगा.
कहां कहां अवैध है लिंग परिवर्तन
रूस की संसद ने लिंग परिवर्तन करने पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पेश किया है. ऐसे कई देश हैं, जहां लिंग परिवर्तन अवैध है और ऐसा करने पर सजा का भी प्रावधान है.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अमेरिका
अमेरिका में लिंग परिवर्तन एक विवादास्पद मुद्दा है. कई राज्यों में ऐसी सर्जरी अवैध है. जून में ही टेक्सस ने अवयस्कों के लिए लिंग परिवर्तन सेवा उपलब्ध कराने पर प्रतिबंध लगाया. करीब एक दर्जन राज्यों में ऐसे प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: Spencer Platt/Getty Images
पाकिस्तान
पाकिस्तानी न्यायपालिका ने इसी साल मई में एक फैसला दिया कि ट्रांसजेंडर लोगों को मिली कानूनी सुरक्षा इस्लामिक दृष्टि से अवैध है, इसलिए लागू नहीं होती. हालांकि पाकिस्तान में लोग अपने आपको थर्ड जेंडर के रूप में रजिस्टर करा सकते हैं. 2009 में पाकिस्तान ऐसा करने वाला पहला दक्षिण एशियाई देश बना था. उसके बाद 2014 में भारत ने भी ऐसा ही किया.
तस्वीर: Betsy Joles/Getty Images
स्वीडन
लैंगिक अधिकारों के मामले में सबसे उदारवादी देशों में से एक स्वीडन ने 1972 में ही लिंग परिवर्तन को कानूनन मान्य कर दिया था. लेकिन पिछले साल बच्चों के लिए उपलब्ध कुछ हॉर्मोन थेरेपी पर पाबंदियां लगनी शुरू हुईं. इसकी वजह ‘मांग में बहुत ज्यादा वृद्धि के कारण सावधानी’ को बताया गया. वहां लड़कियों के लिए स्तन हटवाना भी अवैध है.
समलैंगिक अधिकारों के मामले में फिनलैंड को दुनिया के सबसे आधुनिक और उदार देशों में गिना जाता है. लेकिन 2020 में फिनलैंड ने अवयस्कों के लिए हॉर्मोन थेरेपी पर रोक लगा दी थी.
तस्वीर: Peter Endig/ZB/picture alliance
हंगरी
हंगरी में दक्षिणपंथी नेता विक्टर ओर्बन की सरकार आने के बाद से लिंगभेद को लेकर रवैया काफी अनुदार हुआ है. मई 2020 में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए पहचान पत्र पर अपना नाम और लिंग बदलना असंभव कर दिया गया.
तस्वीर: Frank Hoermann/Sven Simon/IMAGO
अर्जेन्टीना
ट्रांसजेंडर अधिकारों को लेकर अर्जेन्टीना ने काफी तरक्कीपसंद रवैया बरता है. 2012 में ही वहां पहचान पत्रों पर लिंग बदलना आसान किया गया. कई दक्षिण अमेरिकी देशों ने भी ऐसा ही किया है.
2014 में डेनमार्क यूरोप का पहला देश बना था, जहां वयस्कों को लिंग परिवर्तन के लिए बिना किसी जांच के अर्जी देने का अधिकार दिया गया. उसके बाद माल्टा, आयरलैंड, नॉर्वे, बेल्जियम और पुर्तगाल ने भी ऐसा ही किया.
इसी साल फरवरी में संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसके तहत 16 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को पहचान पत्र में लिंग परिवर्तन की इजाजत दी गई. 14 वर्ष से अधिक आयु के लोग अपने अभिभावकों की सहमति से ऐसा कर सकते हैं. अब जर्मनी भी ऐसा ही करने जा रहा है.
तस्वीर: Susana Vera/REUTERS
फ्रांस
फ्रांस में लोग बिना लिंग परिवर्तन कराए भी पहचान पत्र पर अपना लिंग बदल सकते हैं. इसके लिए उन्हें सर्जरी कराने की जरूरत नहीं है लेकिन कोर्ट से इजाजत लेनी होती है.
तस्वीर: CHARLY TRIBALLEAU/AFP
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हालांकि रोल्डन की वकील फारिथ सिमोन ने कहा कि कोर्ट का फैसला तुरंत लागू किया जा सकता है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, "फैसला फौरी तौर पर लागू किया जा सकता है.”
जब रोल्डन का मुकदमा अपने अंतिम चरण में था तब उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "कई बार मुझे लगा कि मैं इस मुकदमे का सुखद अंत नहीं देख पाऊंगी. जैसे कोई पेड़ लगाता है ताकि कोई और उसके नीचे बैठकर उसकी छाया का आनंद ले सके.”
कुछ ही देशों में है अधिकार
दुनिया के कुछ ही देशों में इच्छा मृत्यु को कानूनी इजाजत दी गई है. ऑस्ट्रेलिया के अलावा बेल्जियम, कनाडा, कोलंबिया, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, स्पेन में इच्छा मृत्यु का अधिकार दिया गया है.
पुर्तगाल भी ऐसा कानून पारित करने की तैयारी में है. अर्जेन्टीना में कुछ बदलावों के साथ इलाज से इनकार करने का अधिकार दिया गया है. इसी तरह जर्मनी में भी लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने का अधिकार दिया गया है.
ऑस्ट्रेलिया में इच्छा मृत्यु को कानूनन लागू करने वाला विक्टोरिया पहला राज्य था. वहां 2017 में ऐसा कानून लागू किया गया था. उसके बाद अन्य सभी राज्यों ने ऐसे ही कानून लागू कर दिए. हालांकि सभी राज्यों के कानूनों में थोड़ा-बहुत अंतर है लेकिन योग्यता के मानकों को लेकर सभी एक जैसे हैं और न्यूनतम आयु सीमा 18 साल रखी गयी है.
2017 विक्टोरिया में कानून के लागू होने के बाद से देशभर में सैकड़ों लोग इच्छा मृत्यु चुन चुके हैं. विक्टोरिया में ऐसा करने वालों की संख्या 600 से ज्यादा है. इनमें से 75 फीसदी लोगों की आयु 65 या उससे ऊपर थी और 80 प्रतिशत से ज्यादा कैंसर पीड़ित थे. वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया राज्य में कानून लागू होने के बाद एक साल के भीतर ही 190 लोग इच्छा मृत्यु को चुन चुके थे.
भारत में इच्छा मृत्यु अभी भी एक अपराध है और सिर्फ उन्हीं लोगों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाया जा सकता है जिनका मस्तिष्क काम करना बंद कर चुका है. ऐसा परिजनों की सहमति से किया जा सकता है.