नेतन्याहू और हमास के नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की मांग
२० मई २०२४
द हेग की अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत, इस्राएल और हमास के नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर सकती है. दोनों पक्षों पर इस्राएल और गाजा में मानवता के खिलाफ अपराध व युद्ध अपराध के आरोप लगाये जा रहे हैं.
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अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत (आईसीसी) के अभियोजक ने इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू, इस्राएली रक्षा मंत्री और हमास के तीन नेताओं के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी करने की दरख्वास्त की है. युद्ध अपराधों में इनकी कथित भूमिका के लिए यह गुजारिश की गई है. आईसीसी के प्रॉसेक्यूटर करीम खान ने सोमवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि सात महीने से ज्यादा समय से चल रहे गाजा युद्ध ने उन्हें वारंट की दरख्वास्त करने का पर्याप्त आधार दिया है. बयान के मुताबिक, युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में इन पर "आपराधिक जिम्मेदारी पड़ती है."
किस किस के खिलाफ मांगा अरेस्ट वारंट
करीम ने इस्राएली पीएम नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गालांत के खिलाफ गाजा में सैन्य कार्रवाई को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग की है. करीम खान के मुताबिक गाजा में कार्रवाई के दौरान आम लोगों को भूखा रखना और उन्हें जानबूझकर मारना, युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है.
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वहीं हमास के चीफ याह्या सिनवार, मिलिट्री विंग के कमांडर इन चीफ मोहम्मद अल-मसरी और हमास के राजनीतिक ब्यूरो के हेड इस्माइल हानियेह पर इस्राएल में आम लोगों की हत्या करने, बलात्कार व यौन अपराध करने, बंधक बनाने और प्रताड़ित करने के आरोप लगाए गए है. इस्राएल और हमास के नेताओं ने युद्ध अपराध के आरोपों को खारिज किया है.
अरेस्ट वारंट की मांग पर अब जजों का एक पैनल प्री-ट्रायल करेगा. प्री-ट्रायल में देखा जाएगा कि अरेस्ट वारंट जारी करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं या नहीं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक जब तक अमेरिका और इस्राएल, ऐसे अरेस्ट वारंट का विरोध करते रहेंगे तब तक इसे अमल में लाना मुश्किल होगा.
इस्राएल और हमास ने अरेस्ट वारंट की मांग की निंदा की
इस्राएल के कई नेताओं और फलीस्तीन के कई प्रतिनिधियों ने करीम खान के इस कदम की निंदा की है. इस्राएल की युद्ध कैबिनेट के मंत्री बेनी गांत्ज के मुताबिक, "आत्मरक्षा की इच्छाशक्ति वाले एक लोकतांत्रिक देश के नेताओं को खून के प्यासे आतंकवादी संगठन के आतंक के नेताओं के समकक्ष रखना न्याय से गंभीर छेड़छाड़ है और खुला मानसिक दिवालियापन भी."
हमास के वरिष्ठ नेता सामी अबु जुहरी ने अभियोजन पक्ष की अरेस्ट वारंट जारी करने की दरख्वास्त को "पीड़ित और जल्लाद को एक तराजू में" रखने वाला कदम बताया है.
आईसीसी के गिरफ्तारी वारंट में कितनी ताकत
कुल 124 देश, नीदरलैंड्स के शहर द हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत के सदस्य हैं. सदस्य देश आईसीसी के गिरफ्तारी वारंट पर अपनी सीमा के भीतर कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन ऐसी गिरफ्तारी के लिए वे बाध्य नहीं हैं.
वहीं इस्राएल और उसका मुख्य साझेदार अमेरिका आईसीसी के सदस्य नहीं हैं. चीन और रूस भी इस अंतरराष्ट्रीय संस्थान से दूर हैं. आईसीसी ने 2023 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी अरेस्ट वारंट जारी किया था.
इस्राएल में 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकियों ने हमला किया. हमले में करीब 1,200 लोग मारे गए और 250 ज्यादा लोग बंधक बनाए गए. इस हमले के बाद से इस्राएल ने गाजा में हमास के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर रहा है. फलीस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इस्राएली कार्रवाई में अब तक कम से कम 35,000 फलीस्तीनी मारे जा चुके हैं. राहत संगठनों के मुताबिक इस्राएल की सैन्य कार्रवाई से गाजा में राहत सामग्री, भोजन, दवाओं और ईंधन का भयानक संकट पैदा हो गया है.
ओएसजे/आरपी (रॉयटर्स, एएफपी)
सेना में सेवा देना अनिवार्य है इन देशों में
दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए भी सेना की जरूरत पड़ती है. ज्यादातर देशों के पास छोटी बड़ी सेनाएं हैं. कुछ देशों में नागरिकों के लिए अनिवार्य सैनिक सेवा है. यानी उन्हें कुछ वर्ष सैन्य सेवा में गुजारने पड़ते हैं.
तस्वीर: Anna Marchenko/TASS/dpa/picture alliance
ब्राजील
18 साल की उम्र में पहुंचने के बाद ब्राजील के हर पुरुष के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है. यह 10-12 महीने के लिए होती है. सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से ही उन्हें इससे छूट मिल सकती है.
तस्वीर: Agência Verde-Oliva/Exército Brasileiro
क्यूबा
क्यूबा के हर पुरुष नागरिक को 17 से 28 साल की उम्र के बीच दो साल के लिए सेना में सेवा देनी पड़ती है. महिलाओं के लिए यह सेवा उनकी इच्छा पर निर्भर है.
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एरिट्रिया
एरिट्रिया में 18 साल की आयु के बाद सैन्य सेवा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए अनिवार्य है. पहले इसकी अवधि 18 महीने होती थी लेकिन अब इसे अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया है. 40 साल से कम आयु के सभी नागरिकों को सरकार के निर्देश पर सैन्य सेवा देनी पड़ती है.
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ईरान
ईरान के संविधान के मुताबिक 18 साल की आयु से सभी नागरिकों को सेना में शामिल किया जाता है. यह सेवा 18 से 24 महीने के लिए होती है. यह नियम ईरान की महिलाओं पर लागू नहीं होता है.
तस्वीर: Vahid Salemi/AP/dpa/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल में भी 18 साल की उम्र में पहुंचने के बाद सभी नागरिक सेना में सेवा देने जाते हैं. पुरुषों को 3 साल तो महिलाओं को लगभग 2 साल यह सेवा देनी पड़ती है. गर्भावस्था, खराब स्वास्थ्य, एथलीट और कुछेक अपवादों को छोड़ सबके लिए यह जरूरी है.
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रूस
रूस में 18 से 30 साल की उम्र के पुरुष नागरिकों को सेना में एक साल की अनिवार्य सेवा देनी पड़ती है. ऐसा नहीं करने या इससे बचने वालों के लिए 18 महीने की कैद की सजा का नियम है.
तस्वीर: Erik Romanenko/TASS/dpa/picture alliance
स्वीडेन
स्वीडेन में लंबे समय से अनिवार्य सैनिक सेवा है. 2010 में इसे खत्म करने के बाद 2017 में फिर से बहाल कर दिया गया. फिलहाल 18 वर्ष की आयु से सभी नागरिकों को सेना की ट्रेनिंग में शामिल होना पड़ता है. हालांकि ट्रेनिंग लेने वाले सभी लोगों को सेना में शामिल नहीं किया जाता.
तस्वीर: Anders Wiklund/TT/AP/picture alliance
स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड के सभी सक्षम पुरुषों को सेना में सेवा देनी पड़ती है. महिलाओं के लिए यह ऐच्छिक है. स्विस आर्मी में बहुतायत ऐसे सैनिकों की है जो अनिवार्य सेवा के तहत सेना में शामिल हुए हैं. 2013 में अनिवार्य सैनिक सेवा पर हुए जनमत संग्रह में 73 फीसदी लोगों ने इसे हटाने से मना कर दिया.
तस्वीर: FABRICE COFFRINI/AFP
तुर्की
तुर्की में 20-41 साल के सभी पुरुषों के लिए सेना में सेवा देना अनिवार्य है. इसकी अवधि 6 से 12 महीने तक होती है. महिलाओं के लिए यह सेवा अनिवार्य नहीं है, लेकिन उन्हें सेना में अधिकारी बनने का अवसर मिलता है.
तस्वीर: dapd
उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया उन चुनिंदा देशों में है जहां महिलाओं के लिए भी अनिवार्य सैनिक सेवा है. यहां 17-30 साल की उम्र में अनिवार्य सैनिक सेवा के लिए जाना होता है. राजनीतिक कुलीनों के बच्चों के लिए यह जरूरी नहीं है. यहां सेना की जरूरत के मुताबिक नागरिकों को अनिवार्य सैनिक सेवा के लिए भेजा जाता है. इसकी अवधि 7-10 साल तक हो सकती है.
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दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया में 18-35 साल के सभी पुरुष नागरिकों को सेना में सेवा के लिए जाना पड़ता है. इसकी अवधि 21-24 महीने तक होती है. इसके लिए उनका मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है. महिलाओं के लिए यह जरूरी नहीं है लेकिन अगर वो चाहें तो सेना में शामिल हो सकती हैं. कलाकारों और खिलाड़ियों को भी यहां कुछ परिस्थितियों में अनिवार्य सेवा से छूट मिलती है.
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यूक्रेन
क्रीमिया के रूस में मिलाए जाने के बाद यूक्रेन में 2014 से सेना के लिए विशेष भर्ती अभियान शुरू हुआ. 2022 में रूसी हमले के बाद राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लागू किया. इसके बाद 18-60 वर्ष के पुरुषों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी गई. यहां फिलहाल 25 साल से ऊपर की आयु के लोगों के लिए सेना में सेवा देना अनिवार्य है. सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से ही उन्हें छूट मिल सकती है.