1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
विज्ञानलीबिया

फोरेंसिक से आसान हुई प्राकृतिक विपदा के मृतकों की पहचान

कार्ला ब्लाइकर
२९ सितम्बर २०२३

प्राकृतिक विपदाओं के बाद मृतक की पहचान का अक्सर एक ही तरीका होता है, और वो है डीएनए, फिंगर प्रिंट और डेंटल रिकॉर्ड. जैसा कि लीबिया में आई बाढ़ या हवाई की जंगल की आग के मृतकों की पहचान के मामलों में देखा गया था.

आपदा के बाद पीड़ितों की पहचान करना एक मुश्किल काम है
अमेरिका के हवाई द्वीप पर माउवी तूफान से हुई तबाहीतस्वीर: Rick Bowmer/AP/dpa/picture alliance

खराब हालात के बीच, हवाई से एक अच्छी खबर निकल कर आई थी. अधिकारियों ने 8 अगस्त 2023 को माउई द्वीप पर भड़की जंगल की आग से मरने वालों की सूची को अपडेट किया था. नयी लिस्ट में अग्निकांड के शिकार लोगों की संख्या में कमी आई थी. शुरू में अधिकारियों ने कहा था कि कम से कम 115 लोग मारे गए थे. अब उनका कहना है कि सिर्फ 97 लोगों की मौत हुई थी.

संख्या में यह अंतर कैसे आया?

लाहाइना कस्बे में भड़की आग ने अपने रास्ते में आई हर चीज को निगल लिया था. कई मामलों में चिकित्सकों और पुलिस बल के पास मृतकों की पहचान के लिए सिर्फ अवशेष और हड्डियां ही बची रह गई थी. कुछ मामलों में उन्हें लगा कि उनके पास दो लोगों के डीएनए सैंपल थे लेकिन बाद में एक ही व्यक्ति के नमूने निकले. कुछ अवशेष पहले इंसानों के समझे गए थे लेकिन वे पालतू जानवरों के थे.

पाकिस्तान में बाढ़ के एक साल बाद भी मदद के इंतजार में बच्चे

माउई काउंटी फिशियन्स कोरोनर जेरेमी श्टुअल्पनागेल ने एसोसिएटड प्रेस को बताया, "जब आग भड़की तो लोग एक साथ भागे, वे झुंड बनाकर भागे. वे उन पलों में एक दूसरे को पकड़े हुए थे. उनमें से कुछ ने अपने पालतू जानवर भी पकड़े हुए थे."

हवाई की खबर बाहर आने के कुछ दिन बाद, अधिकारियों ने मध्य सितंबर में लीबिया में आई बाढ़ में मरने वाले लोगों की संख्या के अपने आकलन में भारी कटौती कर दी.

पहले लीबिया में मरने वालों की संख्या 11,300 होने का अनुमान लगाया गया था. 18 सितंबर को मानवाधिकार मामलों के समन्वय के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने कहा कि मरने वालों की संख्या 3958 थी.

शुरुआती संख्या लीबिया स्थित रेड क्रेसेंट की ओर से जारी की गई थी जबकि कम आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन से जारी हुआ.

मारे गए लोगों को अपनी पहचान वापस मिली

प्राकृतिक विपदाओंके मृतकों की पहचान में मदद करने वाली, कनाडा स्थिति परामर्शदाता कंपनी फॉरेन्सिक्स गार्जियंस की निदेशक मेगन बासेनडेल ने कहा कि इस किस्म का गड़बड़झाला आम बात है.

एक ईमेल के जरिए उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "आपात स्थितियों के फौरन बाद पूरी सूचना नहीं मिल पाती या उसकी पूरी जांच नहीं हो पाती है, अवशेषों को वास्तव में एक समुचित विश्लेषण अवस्था से गुजारा जाना चाहिए. उसके बाद ही वस्तुस्थिति को समझा जा सकता है. फील्ड से हासिल सूचना जरूरी है लेकिन फोरेंसिक विश्लेषण प्रक्रिया ठोस संख्या तक पहुंचने के लिहाज से अनिवार्य है."

जब कभी कुदरती आफत आती है या किसी युद्ध क्षेत्र में सामूहिक कब्र मिलती है, तो बड़ी संख्या में मृतकों की पहचान के लिए फोरेंसिक वैज्ञानिकों को बुलाया जाता है.

थाईलैंड में 2004 की सुनामी के बाद का नजारा तस्वीर: Pornchai Kittiwongsakul/AFP/Getty Images

लीबिया में तबाही मचाने वाली बाढ़ सरीखी आपदाएं, अपने पीछे अक्सर बिल्कुल पहचान में नहीं आने वाली लाशें छोड़ जाती हैं या फिर आगजनी में सिर्फ राख और अवशेष बचते हैं. जानकारों को अपनी फोरेंसिक झोली में से हर उपाय का इस्तेमाल करना होता है कि आखिर मृतक कौन थे. यह असाधारण रूप से महत्वपूर्ण कार्य है.

जर्मनी में हाले के यूनिवर्सिटी अस्पताल में फोरेंसिक मेडिसिन संस्थान के निदेशक रुडिगर लेसिग कहते हैं, "अगर प्राकृतिक विपदा में आपके परिवार का कोई सदस्य लापता हो गया तो आप निश्चित रूप से उसके बारे में जानने को व्याकुल होंगे. इस काम का यही मकसद है. जो लोग मारे गए उन्हें उनकी पहचान वापस मिल सके."

आपदा में जान तो बच जा रही है लेकिन संपत्ति नहीं

फिंगरप्रिंट, डीएनए नमूने और डेंटल प्रोफाइल

शिनाख्त का काम दो तरीकों से पूरा होता है. एक समूह पहचान की निशानियों से जुड़ा हैः जैसे, मेरे दोस्त के बाल लाल हैं. मेरे पिता ने सोने की अंगूठी पहनते हैं, मेरी बेटी के दाएं कंधे पर हमिंग बर्ड का टैटू बना है.

लेकिन प्राकृतिक आपदा में क्षत-विक्षत लाशों के मामलों में ये कथित सेकेंडरी आइडेन्टफाइर्स मददगार नहीं होते. यहां तक कि मेडिकल सूचना ( मेरी मां की देह पर सी-सेक्शन का निशान है) भी उपयोगी नहीं होती क्योंकि अकसर अग्निकांड में पूरा शरीर ही राख हो जाता है.

यहां पर काम आते हैं प्राथमिक निशान यानी मुख्य निशानदेही जैसे कि डीएनए, अंगुलियों के निशान और डेंटल प्रोफाइल. फोरेंसिक जानकार आपदा वाली जगहों से तमाम इंसानी अवशेष जमा करते हैं और फिर उन नमूनों की तुलना परिजनों को सौंपे डीएनए नमूनों या डेंटल रिकॉर्डो से की जाती है. ये पहचानें तब भी काम आती हैं जब सामान्य निशानदेही किसी काम की नहीं रह जाती.

मोरक्को में भूकंप के बाद मलबे में फंसे लोगों को ढूंढते राहतकर्मीतस्वीर: FETHI BELAID/AFP

इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रॉस में फोरेंसिक की डिप्टी हेड जेन टेलर ने डीडब्ल्यू को बताया, "अधिकांश मामलों में एक नमूना उठा सकने लायक पर्याप्त सामग्री बची रह जाती है. आपको हड्डी के भीतर देखना होगा. आपके मोलर दांत भी डीएनए के अच्छे स्रोत होते हैं. ऐसी कोई जगह जहां आंतरिक संरचना बची रह जाए."

एक लंबी और विकट प्रक्रिया

लेसिग ने डीडब्ल्यू को बताया कि किसी शरीर से मुख्य निशानदेही का नमूना निकालने में करीब एक घंटा लग जाता है. इसमें वो समय शामिल नहीं जो आपदा स्थल तक जाने में लगता है जहां तक पहुंचना दुष्कर होता है. और अगर विशेषज्ञ सिर्फ अवशेष जमा कर पाएं और उन्हें ये तय करना हो कि उनमें से कौनसे अवशेष एक ही देह के हैं तो ये प्रक्रिया लंबी खिंच जाती है.

शिनाख्त का काम तब और मुश्किल हो जाता है जब समूचे शहर का बुनियादी ढांचा ही तहसनहस हो उठा हो जैसे कि डेंटिस्टो के क्लिनिक. इसका मतलब तुलनात्मक सामग्री के तौर पर तमाम डेंटल रिकॉर्ड भी नहीं बच पाते. तुलना के लिए परिजनों से हासिल डीएनए नमूनों की कमी भी प्रक्रिया को पेचीदा बनाती है.

लीबिया के तूफान में हुई बर्बादी तस्वीर: Zohra Bensemra/REUTERS

बासेनडेल ने अपने ईमेल में लिखा, "अगर एक ही परिवार के बहुत से लोग जान गंवा देते हैं, तो ऐसे लोगों को ढूंढना बहुत चुनौतीपूर्ण हो जाती है जो लापता लोगों के बारे में जानकारी दे सकें."

नतीजे खुशगवार ना हो तो भी परिवार अहसानमंद

दिसंबर 2004 में हिंद महासागर में सुनामी के बाद, लेसिग और टेलर दोनों, विशेषज्ञों की उस अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा थे जो थाईलैंड में मारे गए 5000 से ज्यादा लोगों की शिनाख्त के लिए बनाई गई थी. जितने मृतकों की शिनाख्त संभव थी, वो पूरी करने में टीम को करीब 12 महीने लग गए.

टेलर के मुताबिक, "परिवारों को याद दिलाना जरूरी है कि यह एक लंबी प्रक्रिया होती है."

उसी दौरान, मृतक के परिजन भी अपने प्रियजनों की तलाश में किसी किस्म की जल्दबाजी नहीं चाहते. टेलर के मुताबिक, "परिवारों के लिए ये असाधारण रूप से महत्वपूर्ण है कि पहचान के काम में हर संभव कोशिश की जाए ताकि वे जान सकें कि उनके परिवार के सदस्य के साथ क्या हुआ और अगर मुमकिन हो पाए तो उसके अवशेष उन्हें मिल जाएं."

जंगलों की आग के बाद अब ग्रीस बाढ़ की ऐसी मार

02:05

This browser does not support the video element.

अगर किसी मां, भाई या बेटी की तलाश खुशगवार नहीं भी निकलती है तो मृतक के परिजन जान लेते हैं कि वो नहीं रहे और तलाश का काम तत्काल बंद कर दिया जाता है.

लेसिग ने खुद इसका अनुभव कियाः सूनामी के बाद थाईलैंड से वापसी की उड़ान के दौरान परिजन उनके पास आए और उन्हें उनके काम के लिए शुक्रिया कहा.

लेसिग कहते हैं, "आप यकीन नहीं करेंगे कि परिजन कितने अहसानमंद होते हैं, भले ही सूचना बुरी हो. क्योंकि कम से कम वे जान पाते हैं कि उनके प्रियजन की पहचान कर ली गई है और वे उसे दफना सकते हैं. दुख का सामना ऐसे ही करना होता है."

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें