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दस साल में तेल और गैस की बराबरी कर लेगी क्लीन एनर्जी

३१ अक्टूबर २०२४

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का मानना है कि अगले दशक में स्वच्छ ऊर्जा का बाजार तेल और गैस के बाजार के बराबर पहुंच जाएगा.

ब्राजील के साओ पाउलो में चलतीं इलेक्ट्रिक बसें
दुनिया के हर हिस्से में इलेक्ट्रिक बसों और कारों को अपनाया जा रहा है तस्वीर: Oslaim Brito/Imago Images

अक्षय ऊर्जा के वैश्विक बाजार का आकार 2022 में 700 अरब डॉलर था, जो 2035 तक बढ़कर 2,000 अरब डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है. यह जानकारी बुधवार, 30 अक्टूबर को जारी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की एक रिपोर्ट में दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया कि सौर ऊर्जा, विंड टर्बाइन, इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी और हीट पंप जैसी तकनीकों की मांग तेजी से बढ़ रही है.

आईईए की रिपोर्ट के अनुसार, अगले दशक में स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों का व्यापार तीन गुना बढ़कर 575 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. एजेंसी की कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने कहा, "स्वच्छ प्रौद्योगिकी बाजार अगले दशक में कई गुना बढ़ने वाला है और यह जीवाश्म ईंधन बाजार के नजदीक पहुंच रहा है."

ऊर्जा, उद्योग और व्यापार के बीच संबंध

बिरोल ने कहा कि ऊर्जा, उद्योग और व्यापार की नीतियां अब एक-दूसरे से अधिक जुड़ी हुई हैं. उन्होंने कहा, "देश अपनी नई ऊर्जा अर्थव्यवस्था में भूमिका तय करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में ऊर्जा, उद्योग और व्यापार तीन अहम क्षेत्र बनते जा रहे हैं."

यह बदलती स्थिति सरकारों के लिए नई चुनौतियां भी पैदा कर रही है. बिरोल ने कहा कि सरकारों को ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक लाभ और उत्सर्जन में कमी के बीच संतुलन बनाना होगा. उन्होंने कहा, "हालांकि सरकारों के लिए ये फैसले मुश्किल हैं, लेकिन आईईए की यह नई रिपोर्ट उनके लिए एक मजबूत और डेटा-आधारित नींव प्रदान करती है."

रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वच्छ ऊर्जा में निवेश मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में हो रहा है, जो पहले से इस क्षेत्र में आगे हैं. इनमें चीन, यूरोपीय संघ, अमेरिका और अब भारत भी शामिल हैं.

चीन आने वाले समय में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बना रहेगा, भले ही अमेरिका और यूरोपीय संघ इस पर निर्भरता कम करने के उपाय कर रहे हों. वहीं, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे उभरते और विकासशील क्षेत्र स्वच्छ ऊर्जा तकनीक उत्पादन से होने वाली आय में अभी केवल 5 फीसदी योगदान दे रहे हैं.

विकासशील देशों के लिए अवसर

जर्मन न्यूज एजेंसी डीपीए ने इस रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में कई अवसर हैं, लेकिन इन देशों में निवेश के रास्ते में कई बाधाएं भी हैं. जैसे कि राजनीतिक जोखिम, मुद्रा अस्थिरता, कौशल की कमी और खराब बुनियादी ढांचा. हालांकि, रिपोर्ट में इन देशों में प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल करने की क्षमता का भी जिक्र है. आईईए ने कहा, "कुछ खास खनिजों के खनन और प्रोसेसिंग के अलावा, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के पास कीमतों में ऊपर उठने की क्षमता है."

बिरोल ने कहा, "यह रिपोर्ट दिखाती है कि दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका जैसे क्षेत्र नई ऊर्जा अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं." हाल के वर्षों में सौर ऊर्जा, विंड टर्बाइन और इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में तेजी आई है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या 10 गुना तक बढ़ जाएगी. आईईए के अनुसार, 2015 से 2023 के बीच प्रमुख स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों का वैश्विक बाजार मूल्य चार गुना बढ़कर 700 अरब डॉलर से अधिक हो गया है. यह आंकड़ा 2023 में वैश्विक प्राकृतिक गैस बाजार के आधे के बराबर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा नीतियों के तहत, स्वच्छ ऊर्जा बाजार 2035 तक 2,000 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो हाल के वर्षों में वैश्विक कच्चे तेल बाजार के बराबर होगा. 2023 में स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के उत्पादन में वैश्विक निवेश 50 फीसदी बढ़कर 235 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

तेल उद्योग का रुख

तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक का मानना है कि पेट्रोल और डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना "एक कल्पना" है. सऊदी अरब के नेतृत्व वाले इस समूह ने भविष्यवाणी की है कि तेल की मांग कम से कम 2050 तक बढ़ती रहेगी, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण साल है.

ओपेक की वार्षिक विश्व तेल संभावना (डब्ल्यूओओ) रिपोर्ट में, संगठन के महानिदेशक हैथम अल गाएस ने कहा कि आज ऊर्जा स्रोतों में तेल और गैस की हिस्सेदारी आधे से ज्यादा है और "2050 तक भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है."

भारत की जियोथर्मल संभावनाएं

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रिपोर्ट में कहा गया कि केवल तेल की मांग 2050 तक 12 करोड़ बैरल प्रति दिन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2023 में करीब 10 करोड़ बैरल प्रति दिन से 17.5 प्रतिशत अधिक है.

ओपेक ने 2045 के लिए अपने पूर्वानुमान को भी बढ़ाकर लगभग 11.8 करोड़ बैरल प्रति दिन कर दिया, जबकि पिछले साल की रिपोर्ट में इसे 11.6 करोड़ बैरल प्रति दिन बताया गया था, जिसमें 2050 का आकलन नहीं किया गया था. गाएस ने कहा, "तेल की मांग में किसी भी प्रकार की कमी भविष्य में दिखाई नहीं देती."

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