अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के नए वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक के मुताबिक 2030 तक वैश्विक ऊर्जा में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी मौजूदा 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.
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आईईए के कार्यकारी निदेशक फातिह बिरोल ने कहा कि पर्यावरण के लिहाज से स्वच्छ ऊर्जा में बदलाव दुनिया भर में हो रहा है. उन्होंने कहा, "यह रुक नहीं सकता है. यह अगर-मगर का सवाल नहीं है. यह सिर्फ कितनी जल्दी का सवाल है. जितनी जल्दी स्वच्छ ऊर्जा के साधनों को अपनाएंगे, उतना ही सभी के लिए बेहतर होगा."
हालांकि लक्ष्य को जीवित रखने के लिए अभी भी मजबूत उपायों की आवश्यकता होगी. जिसमें बढ़ते तापमान को पूर्व औद्योगिक स्तर के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी शामिल है. यह लक्ष्य पेरिस जलवायु समझौते के तहत तय किया गया था.
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स्वच्छ ऊर्जा पर जोर देने की वकालत
बिरोल ने कहा, "सरकारों, कंपनियों और निवेशकों को स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में बाधा डालने के बजाय उसका समर्थन करने की जरूरत है." एशिया में चीन, जापान और भारत जैसे देशों में इस समय ई-गाड़ियों की मांग तेज पकड़ रही है.
दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण कार बाजार चीन, इस बीच इलेक्ट्रिक कारों के सेक्टर में तेजी से वृद्धि कर रहा है. नये रजिस्ट्रेशन में ही नहीं बल्कि उत्पादन में भी उसने बाजी मारी है. फिलहाल दुनिया भर में हर दूसरा इलेक्ट्रिक वाहन चीन में दौड़ रहा है.
चीनी निर्माता तेज गति से प्रौद्योगिकी में तरक्की कर रहे हैं और उद्योग की सरताज कंपनी टेस्ला के करीब पहुंचने को तत्पर हैं. मध्यवर्ग और उच्च वर्ग वाले चीनी कार खरीदारों के बीच घरेलू ब्रांडों का रुझान बढ़ता जा रही है.
चाइना पैसेंजर कार एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक चीन की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी बीवाईडी ने इस साल के पहले आधे हिस्से में टेस्ला से ज्यादा विशुद्ध इलेक्ट्रिक कारें बेच डालीं.
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भारत में ई-कारों पर जोर
भारत में भी प्रमुख कार कंपनियां अपनी लोकप्रिय कारों का इलेक्ट्रिक वर्जन भी पेश कर रही हैं. टाटा मोटर्स के कई मॉडल अब इलेक्ट्रिक वर्जन में भी बाजार में उपलब्ध हैं.
वहीं ह्यूंडई, किया और मॉरिस गैराज जैसी कंपनियों की कारें भी बाजार में ग्राहकों को खूब लुभा रही हैं. लेकिन कारों को चार्ज करने की व्यवस्था एक चुनौती बनी हुई है. हालांकि इस समस्या को सुलझाने के लिए सरकारें अपने स्तर पर नीतियां बना रही हैं.
इसी साल मई में भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय की सलाहकार समिति ने केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि भारत को 2027 तक 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर बैन लगा देना चाहिए.
समिति का सुझाव था कि उत्सर्जन में कटौती और प्रदूषित शहरों में इलेक्ट्रिक और गैस-ईंधन वाले वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए. भारत, ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है. इन कदमों से वह साल 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को नेट जीरो तक लाने का लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है.
इसी के तहत देश नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी 40 फीसदी बिजली का उत्पादन करना चाहता है. दुनिया में चीन स्वच्छ ऊर्जा में सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश है. भारत भी 2030 तक 40 फीसदी ऊर्जा जीवाश्म ईंधन के बिना पैदा करना चाहता है.
रिपोर्ट: आमिर अंसारी
कौन सा देश कब छोड़ेगा पेट्रोल-डीजल वाहन
यूरोपीय संघ ने 2035 तक जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाले वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद करने के समझौते को पारित कर दिया है. देखिए, कौन-कौन से देश कब जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले वाहन पूरी तरह बंद कर देंगे.
तस्वीर: Oliver Ruhnke/IMAGO
यूरोपीय संघ में 2035 तक
यूरोपीय संघ के 27 देशों के बीच 2035 तक जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाले वाहन पूरी तरह बंद करने को लेकर समझौता हो गया है. उसके बाद से सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही यूरोप की सड़कों पर चल पाएंगे.
तस्वीर: Oliver Ruhnke/IMAGO
नॉर्वे सबसे आगे
पेट्रोल और डीजल आदि से चलने वाले वाहनों को सड़कों से हटाने के मामले में नॉर्वे सबसे आगे है. 2025 के बाद से वहां वही वाहन बेचे जाएंगे जो इलेक्ट्रिक बैट्री या फिर हाइड्रोजन पर चलते हों. 2022 में वहां कुल कार बिक्री का 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन थे.
तस्वीर: Roberto Moiola/Cavan Images/imago images
ब्रिटेन, इस्राएल, सिंगापुर
ये तीनों देश 2030 तक इंटरनल कंबस्चन इंजन (ICE) वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद कर देना चाहते हैं. ब्रिटेन में नई ‘हरित औद्योगिक क्रांति‘ की योजना बन रही है, जिसके तहत हजारों नौकरियां पैदा करने की कोशिश है.
तस्वीर: DANIEL LEAL-OLIVAS/AFP
चीन का हाल
इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के मामले में चीन बाकी देशों से आगे है. वहां सैकड़ों कंपनियां इलेक्ट्रिक कारें बना रही हैं और उन पर भारी सब्सिडी भी दी जा रही है. दुनिया का सबसे बड़ा प्रदूषक चीन 2035 तक अधिकतर आईसीई वाहनों को हटा लेना चाहता है. लेकिन 2025 तक कुल बिक्री का सिर्फ 20 फीसदी ही इलेक्ट्रिक होने का अनुमान है.
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अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की क्लाइमेट योजना के तहत 2030 तक कुल बिक्री की आधी कारें शून्य उत्सर्जन करने वाली होने का लक्ष्य तय किया गया है. लेकिन इस लक्ष्य में हाइब्रिड कारों को भी शामिल किया गया है, जिनमें पेट्रोल या डीजल इंजन के साथ-साथ बैट्री होती है.
तस्वीर: Patrick Pleul/dpa/picture alliance
नीदरलैंड्स, स्वीडन और आयरलैंड
इन तीनों देशों के लक्ष्य बाकी यूरोप से ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं. यूरोपीय संघ के सदस्य होने के बावजूद वे 2030 तक अपने यहां से आईसीई वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
तस्वीर: Johan Nilsson/TT/REUTERS
जापान
जापान कारों की बड़ा निर्माता है. हाइब्रिड कारों के मामले में टोयोटा दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में से एक है. इसके बावजूद 2022 में जापान की कुल कार बिक्री का मात्र 1.7 फीसदी इलेक्ट्रिक कारें थीं. 2030 तक सरकार आइस वाहनों को सड़कों से हटाना चाहती है लेकिन हाइब्रिड कारें इनमें शामिल नहीं हैं.
तस्वीर: Kyodo News/AP/picture alliance
भारत
भारत में कारों की बिक्री और तेज होने की संभावना है. प्रदूषण की मार से जूझ रहे भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक देश की कुल कार बिक्री का 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन हों.
तस्वीर: Divyakant Solanki/picture alliance/dpa
चिली
चिली लीथियम के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जो कारों के लिए बैट्री बनाने में काम आता है. उसका लक्ष्य है कि 2035 तक देश में आईसीई वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए.