झारखंड में छोड़ दी गई खदानों में अवैध खनन हो रहा है और लोगों की जान भी जा रही है. ताजा मामला धनबाद का है जहां एक ऐसी ही छोड़ी हुई खदान के धंस जाने से पांच लोगों की जान चली गई है.
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मामला धनबाद जिले के गोपीनाथपुर स्थित सरकारी कंपनी ईस्टर्न कोलफील्ड्स (ईसीएल) की एक खुली खदान का है. मंगलवार एक फरवरी को खदान के एक हिस्से के धंस जाने के बाद पांच लोगों की जान चली गई. इनमें चार महिलाएं थीं.
कंपनी आधिकारिक रूप से इस खदान पर खनन बंद कर चुकी है लेकिन इस तरह की छोड़ी हुई खदानों पर यहां भी अब अवैध खनन होता है. स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि पांचों व्यक्ति खदान से कोयला निकालने गए थे ताकि थोड़ा कोयला घर में ईंधन की तरह इस्तेमाल कर सकें और थोड़ा बाजार में बेच सकें.
15 मौतों की आशंका
लेकिन खदान का एक हिस्सा अचानक धंस गया और पांचों उसमें फंस गए. जानकारी मिलने पर प्रशासन के अधिकारी वहां पहुंचे और बचाव कार्य शुरू करवाया. तीन महिलाओं और एक पुरुष के शव बरामद हुए. एक महिला को जीवित निकाला गया और इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया लेकिन बाद में उसकी भी मृत्यु हो गई.
एक दिन पहले जब खदान का एक हिस्सा धंसा था उस दिन ऐसी ही घटनाएं धनबाद जिले में ही दो और स्थानों पर हुई थीं. पहली घटना कापासारा में ईसीएल की ही एक और खदान में और दूसरी घटना एक और सरकारी कंपनी भारत कोकिंग कोल (बीसीसीएल) की छाछ विक्टोरिया खदान में हुई.
तीनों खदानों पर खनन बंद हो चुका है. हादसों में तीनों स्थानों पर कुल मिला कर कई लोगों के फंसे होने की खबर आई थी. गोपीनाथपुर के अलावा बाकी दोनों स्थानों से तो ताजा जानकारी अभी मिल भी नहीं पाई है.
अक्सर होते हैं ऐसे हादसे
कंपनियों ने कहा है कि इन खदानों में खनन बंद कर दिया गया था इसलिए उन्हें नहीं मालूम कि वहां कितने लोग फंसे हुए हो सकते हैं. प्रशासन को भी फंसे हुए लोगों की सही संख्या का अंदाजा अभी तक नहीं लग पाया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि कम से कम 15 लोगों की मौत हो चुकी है.
बचाव कार्य अभी भी चल रहा है. नवंबर 2021 में बोकारो में ऐसा ही हादसा हुआ था जिसमें एक छोड़ी हुई खदान में चार लोग फंस गए थे. उन्हें काफी समय तक खदान से निकाला नहीं जा सका और मृत मान लिया गया, लकिन बाद में चारों किसी तरह अपने अपने घर पहुंच गए.
ये हादसे दिखाते हैं कि खदानें जब बंद कर दी जाती हैं तब कोयला कंपनियां और प्रशासन वहां लोगों के अवैध प्रवेश को रोकने के पुख्ता इंतजाम नहीं करते हैं, जिनसे इस तरह के हादसे रोके जा सकें.
गायब होती बदसूरत कोयला खदानें
जर्मनी में कुछ बड़ी कोयला खदानों को बंद करने के बाद वहां मौजूद विशाल गड्ढे सामने आए. यह किसी सिरदर्द से कम नहीं थे. इस समस्या से कैसे निपटा जा रहा है, देखिए.
तस्वीर: Greenpeace Energy eG
नीचे कोयला, ऊपर टूरिज्म
पूर्वी जर्मनी की लुसेतिया कोयला खदान में कभी 65,000 लोग काम किया करते थे. 1990 के दशक में खदानें बंद कर दी गईं और हजारों लोग बेरोजगार हो गए. स्थानीय लोगों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन ने टूरिज्म को चमकाने का फैसला किया. अब 37,000 एकड़ इलाके में यूरोप का सबसे बड़ा वॉटर प्लेग्राउंड बन रहा है.
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हर जगह पानी
ब्रांडेनबुर्ग और सैक्सनी राज्य की इन 25 झीलों में पानी बदलता रहता है. झीलों में जमीन से भी पानी आता है और स्प्री नदी से भी. लबालब होने के बाद पानी दूसरी झीलों को सप्लाई होता है और अंत में स्प्री नदी में वापस लौट जाता है.
तस्वीर: imago/S. Hässler
पूरा कायाकल्प
जगह जगह बने गड्ढों को पानी से भर कर झीलों में बदला जा रहा है. तालाबों के किनारों को रेत से पाट दिया गया है. अब गर्मियों में लोग यहां धूप सेंकने और नहाने आने लगे हैं.
तस्वीर: Gemeinfrei
खदानों का स्वाद
अंगूर की खेती के लिए ढलान वाली जमीन को मुफीद माना जाता है. खदान में भी ऐसी कई ढलानें हैं. अब कोरनेलिया वोबर जैसे लोग वहां अंगूर उगा कर वाइन भी बना रहे हैं. 2008 से योहानिटर या पिनोटिन नाम की यह वाइन बाजार में है और काफी लोकप्रिय है.
तस्वीर: picture-alliance/ZB/P. Pleul
कैरेबियन अहसास
पानी के अम्लीय गुणों को कम करने के लिए लेक पार्टवित्स में चूना डाला गया. इसकी वजह से झील में कैरेबियाई लुक सा आ गया. 2015 में पूरी तरह भरी यह झील अब तैराकी के लिए सुरक्षित है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Pleul
जर्मनी की सबसे बड़ी स्विमिंग लेक
2019 की शुरुआत में एनर्जी ग्रुप LEAG ने कॉटबुस के पास लेक ओस्टजे को भरना शुरू किया. जनता के लिए इसे खोलने से पहले झील में 10 लाख घनमीटर पानी भरना होगा. यह काम 2025 तक पूरा होगा. फिर यह जर्मनी की सबसे बड़ी स्विमिंग लेक होगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Pleul
पानी का स्रोत
पुरानी कोयला खदान को झील में बदलना इतना आसान भी नहीं है. सबसे पहले जमीन दबाई जाती है ताकि भूस्खलन न हो. इसके लिए खास वाइब्रो-कंप्रेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. अगर पानी भरने के बाद जमीन कटी तो आस पास के इलाके में बाढ़ आ जाएगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P.Pleul
इस तरह का हादसा
अगर सावधानी न बरती जाए तो ऐसे हादसे हो सकते हैं. 18 जुलाई 2009 को मध्य जर्मनी में भूस्खलन का ऐसा ही हादसा हुआ. हादसे में तीन लोग मारे गए. जांच रिपोर्ट के मुताबिक तालाब के दबाव और ढीले पड़े मैटीरियल के कारण यह नौबत आई.
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टिकाऊ भविष्य
ग्रीनपीस एनर्जी पुरानी कोयला खदानों के साथ एक प्रयोग करना चाहती है. वह विवादों में घिरी ऊर्जा कंपनी RWE ग्रुप से 2020 में एक खदान खरीदना चाहती है. खदान को 2025 में बंद कर दिया जाएगा और वहां स्वच्छ ऊर्जा पैदा की जाएगी. हालांकि अभी तक RWE ने खदान बेचने पर हामी नहीं भरी है.(रिपोर्ट: थेरेसा क्रिनिंगर/ओएसजे)