1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लोकसभा चुनावः अवध में राममंदिर से बीजेपी को कितना फायदा

समीरात्मज मिश्र
१९ मई २०२४

पांचवें चरण में यूपी की अमेठी और रायबरेली के अलावा फैजाबाद समेत 14 सीटों पर चुनाव है. फैजाबाद में ही अयोध्या आता है. पिछली बार बीजेपी ने 14 में से 13 सीटें जीती थीं. इस बार राम मंदिर का प्रभाव इन सीटों पर कितना है.

उद्घाटन के मौके पर राम मंदिर में उमड़ी भीड़
अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद वहां दर्शनार्थियों का तांता लगा हुआ हैतस्वीर: Rajesh Kumar Singh/AP/dpa/picture alliance

यूपी में पांचवें चरण में कुल 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 14 में से सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीत सकी थी जबकि बाकी 13 सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं. पिछले चुनाव में समाजवादी  पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन था जबकि कांग्रेस पार्टी अलग चुनाव लड़ रही थी. अमेठी और रायबरेली में गठबंधन ने उम्मीदवार नहीं उतारे थे.

इस बार बीजेपी और बीएसपी ने सभी 14 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. दूसरी तरफ गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी 10 सीटों पर तो कांग्रेस चार सीटों पर लड़ रही है. अमेठी और रायबरेली सीटें गांधी परिवार तो फैजाबाद सीट अयोध्या से और कैसरगंज सीट बृजभूषण सिंह की वजह से चर्चा में है.

दर्शनार्थी कम मतदाता ज्यादा

अयोध्या कस्बा पहले फैजाबाद जिले में आता था लेकिन अब जिले और मंडल का नाम बदलकर अयोध्या हो गया है. लोकसभा सीट अभी भी फैजाबाद ही है. इसी साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा हुई. यूपी सरकार ने यहां हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की हैं.  पीएम मोदी भी यहां रोड शो कर चुके हैं. इसलिए केंद्र और यूपी दोनों ही जगह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए यह सीट बेहद अहम है.

साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर भी बन गया है और मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी हो चुकी है. हालांकि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से राम मंदिर निर्माण का राजनीति लाभ पाने का जो अनुमान बीजेपी ने लगाया था, वह अब तक के चुनाव में तो नहीं दिखा है. हालांकि अयोध्या में इसका असर जरूर है. इसके साथ ही लोगों की दिक्कतें भी उसी अनुपात में हैं जो वोटों में तब्दील होती दिख रही हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी राम मंदिर को अपनी बड़ी उपलब्धियों में गिनाते रहे हैंतस्वीर: Press Information Bureau/AP Photo/picture alliance

अयोध्या के ही रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र त्रिपाठी उस वक्त से यहां की राजनीति को देख रहे हैं जब मंदिर-मस्जिद विवाद अपने चरम पर था. डीडब्ल्यू से बातचीत में महेंद्र त्रिपाठी कहते हैं, "निश्चित तौर पर राम मंदिर का प्रभाव है. ना सिर्फ अयोध्या में बल्कि पूरे देश भर में. ऐसा इसलिए क्योंकि जो भी दर्शनार्थी आ रहे हैं, वो दर्शनार्थी कम हैं मतदाता ज्यादा हैं. दो करोड़ से ज्यादा लोग रामलला का दर्शन कर चुके हैं. इन्हें आप बीजेपी का मतदाता समझिए. दूसरी तरफ फैजाबाद में गठबंधन के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, बीएसपी के उम्मीदवार युवा हैं, अनुभवहीन हैं, इसलिए बीजेपी के मौजूदा सांसद की स्थिति काफी मजबूत है.”

लोकसभा चुनावः क्या इस बार वाराणसी में कोई दे पाएगा मोदी को टक्कर

जातिगत समीकरण

फैजाबाद सीट पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने जीती थीं. बीजेपी ने इस बार भी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी ने फैजाबाद लोकसभा के तहत आने वाली मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक अवधेश प्रसाद को टिकट दिया है. अवधेश प्रसाद नौ बार के विधायक हैं.

फैजाबाद की इस सामान्य सीट पर समाजवादी पार्टी ने दलित उम्मीदवार उतारा है और जाहिर है, उसकी नजर इस लोकसभा सीट पर पांच लाख दलित मतदाताओं पर है.दलित मतदाताओं पर अवधेश प्रसाद की अच्छी पकड़ बताई जा रही है तो दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी ने जिन सच्चिदानंद पांडेय को उम्मीदवार बनाया है वो बीजेपी में दम घुटने की बात कह कर बीएसपी में आए हैं. सच्चिदानंद पांडे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और बीजेपी के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे थे. 

अयोध्या में मशहूर और विशिष्ट लोगों के आने जाने से आम लोगों को कई दिक्कतें होती हैंतस्वीर: Rajesh Kumar Singh/AP Photo/picture alliance

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह की जीत का अंतर महज 65 हजार था जबकि 2014 में उन्होंने यह सीट करीब 2.8 लाख वोटों के अंतर से जीती थी. 2019 में कांग्रेस के उम्मीदवार को भी करीब 54 हजार वोट मिले थे. ऐसे में बीजेपी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

शीतल पी. सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और इस समय यूपी के उन इलाकों में चुनावी जायजा लेने निकले हैं जहां पांचवें चरण में मतदान होने हैं. उनसे हमारी जब बात हुई तो वो कैसरगंज में थे. कहने लगे, "इस इलाके और यहां तक कि फैजाबाद-अयोध्या में भी राम मंदिर का सवाल है तो बीजेपी के कार्यकर्ता तो तर्क दे रहे हैं कि इसका बड़ा प्रभाव है लेकिन उनके अलावा मुझसे किसी और ने मंदिर की चर्चा नहीं की. मोदी का मुद्दा भी उन्हीं तक है जो बीजेपी के समर्थक हैं. उस मुद्दे को पीछे करने वाला सेक्शन भी उसी दमदार मौजूदगी के साथ दिख रहा है. अयोध्या में तो बीजेपी बहुत कड़ी लड़ाई में फंसी है. हार भी सकती है. समाजवादी पार्टी ने जिस सामाजिक समीकरण को साधा है वह काम कर रहा है.”

बेरोजगारी और महंगाई 

अयोध्या के ही रहने वाले दुर्गेश प्रताप पिछले हफ्ते कानपुर में मिले तो कहने लगे कि राम मंदिर को लेकर लोगों में खुशी जरूर है और मंदिर भले ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बना है लेकिन इसका श्रेय सभी लोग पीएम मोदी को ही दे रहे हैं. वो कहते हैं, "चुनाव में इसका कितना असर होगा नहीं कह सकते, क्योंकि ये लोग तो 2014 से ही बीजेपी को वोट दे रहे हैं और शायद इस बार भी दें. सवाल तो ये है कि क्या मंदिर की वजह से बीजेपी के वोटों में बढ़ोत्तरी हुई है? तो ऐसा नहीं दिख रहा है क्योंकि लोगों के सामने बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे भी हैं और इन मुद्दों पर बीजेपी अब कमजोर नजर आने लगी है. बीजेपी के नेता इन मुद्दों पर बात भी नहीं कर रहे हैं.”

अयोध्या में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निर्माण की परियोजनाएं शुरू की गई हैंतस्वीर: Goutam Hore/DW

लोकसभा चुनावः हिंदू-मुस्लिम मुद्दा है या बेरोजगारी

महेंद्र त्रिपाठी यह भी कहते हैं कि राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या का कायाकल्प जरूर हुआ है और बाहर से आने वाले लोग इसे देखकर शायद बीजेपी को वोट भी करें लेकिन अयोध्या के स्थानीय लोगों में कई मामलों में गुस्सा भी है. राम मंदिर निर्माण और रामपथ बनाए जाने के बाद इस इलाके से बड़े पैमाने पर लोगों को हटाया गया. अयोध्या के मुख्य मार्ग को चौड़ा किया गया जिसकी वजह से छोटे दुकानदारों को बहुत नुकसान हुआ. उनकी शिकायत है कि उन्हें ठीक से मुआवजा भी नहीं मिला. आए दिन वीआईपी मूवमेंट से भी स्थानीय लोग बहुत परेशान हैं क्योंकि कई बार तो लोग अपने घरों से नहीं निकल पाते हैं.

अवध की सीटों पर असर

लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का असर फैजाबाद सीट पर कितना होगा यह अपनी जगह है लेकिन आस-पास की यानी अवध क्षेत्र की सीटों पर जो विपरीत असर हो रहा है, उसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहते हैं, "यहां पांच कोसी और पंद्रह कोसी परिक्रमाएं जो होती थीं उनमें ज्यादातर आस-पास के जिलों से लोग आते थे. लेकिन अब इतनी पाबंदियां लगा दी गई हैं कि लोग आ ही नहीं पा रहे हैं. अयोध्या में तो पहले यही लोग आते थे. गरीब श्रद्धालु ही आते थे. वीआईपी तो अब आने लगे हैं. लेकिन अब स्थानीय और गरीब लोगों को ऐसा लग रहा है कि अयोध्या में अब उनके लिए कुछ बचा ही नहीं है.”

अवध क्षेत्र के लोगों का भी कहना है कि सभी सीटों पर तो राम मंदिर का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है. हां, अयोध्या में जरूर प्रभाव रहेगा. स्थानीय व्यापारी और लोग भले ही नाराज हों लेकिन यहां इतना निवेश होने के चलते नए  काम-धंधे शुरू हुए हैं तो कुछ लोगों को फायदा भी हुआ है.

फैजाबाद सीट बीजेपी के लिए हमेशा से एक मुश्किल सीट रही है. यहां तक कि 2019 की मोदी लहर में भी लल्लू सिंह महज साठ हजार वोटों से ही जीत पाए थे. ऐसे में इंडिया गठबंधन ने सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी उतारा है तो सोच-समझकर ही उतारा है. जाहिर है, दलित-पिछड़ा-मुस्लिम समीकरण बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा ने जगाई कुछ लोगों की पुरानी यादें

03:39

This browser does not support the video element.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें