पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीई को अवैध चंदा लेने का दोषी पाया है. दोषी साबित होने के बाद पार्टी और खान दोनों को राजनीति से ही बैन किया जा सकता है.
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पाकिस्तान के चुनाव आयोग के तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने पीटीआई को 34 विदेशी नागरिकों या विदेशी कंपनियों से चंदा लेने का दोषी पाया, जिसकी पाकिस्तान का कानून इजाजत नहीं देता है. न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि पार्टी ने अपने बैंक खातों के बारे में फर्जी हलफनामा दायर किया था और इसके अलावा 13 बैंक खातों की जानकारी को छिपाया भी था.
इस फैसले के बाद खान और उनकी पार्टी दोनों पर हमेशा के लिए बैन लग सकता है. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि आयोग के मुताबिक पार्टी इस प्रतिबंधित धनराशि का मूल्य 21,21,500 डॉलर था. आयोग ने पीटीई से कहा है कि उसके पास इकट्ठा चंदे को क्यों जब्त ना कर लिया जाए इस बारे में वो स्पष्टीकरण दे.
पीटीआई ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी. पार्टी के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने इस्लामाबाद में आयोग के दफ्तर के बाहर पत्रकारों को बताया कि जिस चंदे की बात की जा रही है वो विदेश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों ने भेजा था और यह अवैध नहीं है. इस मामले में पार्टी के खिलाफ शिकायत पार्टी के संस्थापक और इमरान खान के पूर्व करीबी सहयोगी अकबर एस बाबर ने नवंबर 2014 में की थी.
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क्या होगा इमरान खान का
फैसले का स्वागत करते हुए बाबर ने पत्रकारों से कहा कि खान के खिलाफ सभी आरोप साबित हो गए हैं और अब उन्हें पार्टी से इस्तीफा दे देना चाहिए. फैसले के बाद पाकिस्तान की राजनीति में नई उठापटक की संभावना है. खान 2018 से अप्रैल 2022 तक देश के प्रधानमंत्री थे, लेकिन अप्रैल में संसद में एक विश्वास प्रस्ताव हार जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
उसके बाद पीएमएलएन के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बन गए थे. खान तब से पूरे देश में रैलियां कर रहे हैं और फिर से आम चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे हैं. खान की रैलियों में हजारों लोग आ रहे हैं. उनमें खान अपने लंबे लंबे भाषणों में यह दावा कर रहे हैं कि नई सरकार एक अमेरिकी साजिश के तहत पाकिस्तान के लोगों पर थोपी गई है.
इमरान खान: सवाल रूस पर, जवाब कश्मीर
02:28
वो नई सरकार को तेजी से बढ़ती महंगाई के लिए भी जिम्मेदार ठहराते आए हैं, जबकि अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि ये आर्थिक समस्याएं शरीफ को विरासत में मिलीं. हाल ही में उनकी पार्टी ने आबादी के हिसाब से पाकिस्तान के सबसे बड़े राज्य पंजाब की असेंबली में 20 सीटों पर हुए उपचुनावों में 15 सीटों पर जीत हासिल की.
इन उपचुनावों को उनकी और उनकी पार्टी की लोकप्रियता की परीक्षा माना जा रहा था. उपचुनावों को राष्ट्रीय चुनावों के लिए देश के मतदाताओं के मिजाज का संकेत भी माना जा रहा था. राष्ट्रीय चुनाव अगले साल अक्टूबर से पहले कराए जाने हैं, लेकिन खान सत्ता गंवाने के बाद पूरे देश में चुनाव जल्द कराने की मांग लिए कैंपेन कर रहे हैं.
(रॉयटर्स, डीपीए)
पाकिस्तान में कितने लंबे टिके सारे प्रधानमंत्री
पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. एक नजर 1947 से अब तक पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनने वालों और उनके कार्यकाल पर.
तस्वीर: STF/AFP/GettyImages
लियाकत अली खान: 4 साल दो महीने
15 अगस्त, 1947 को लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा न कर सके. 16 अक्टूबर, 1951 को रावलपिंडी में लियाकत अली खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
तस्वीर: Wikipedia/US Department of State
ख्वाजा नजीमुद्दीन: डेढ़ साल
लियाकत अली खान की हत्या के बाद अक्टूबर 1951 में ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. वह पूर्वी पाकिस्तान (आज के बांग्लादेश) से ताल्लुक रखते थे. 17 अप्रैल, 1953 को गवर्नर जनरल ने नजीमुद्दीन को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया.
तस्वीर: Douglas Miller/Keystone/Hulton Archive/Getty Images
मोहम्मद अली बोगरा: 2 साल 4 महीने
पूर्वी पाकिस्तान में पैदा हुए मोहम्मद अली बोगरा को देश का तीसरा पीएम नियुक्त किया गया. 17 अप्रैल, 1953 को ख्वाजा नजीमुद्दीन की छुट्टी के साथ बांग्ला भाषी बोगरा पीएम नियुक्त किए गए. लेकिन 12 अगस्त, 1955 को उन्हें भी पीएम पद से हटा दिया गया.
तस्वीर: gemeinfrei/wikipedia
चौधरी मोहम्मद अली: 13 महीने
12 अगस्त, 1955 को बोगरा की छुट्टी के साथ ही चौधरी मोहम्मद अली को पाकिस्तान का चौथा प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. 1956 के संविधान में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है. लेकिन पार्टी के सदस्यों के साथ मतभेदों के कारण 12 सितंबर, 1956 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: akg images/picture alliance
हुसैन शहीद सुहरावर्दी: 13 महीने
सुहरावर्दी 12 सितंबर, 1956 को प्रधानमंत्री बने. सुहरावर्दी की मातृभाषा बांग्ला थी. उनका 13 महीने का कार्यकाल पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा के साथ अनबन में गुजरा. आखिरकार सुहरावर्दी ने 16 अक्टूबर, 1956 को इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: gemeinfrei/Wikipedia
इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर: 55 दिन
गुजरात के गोधरा में पैदा हुए और मुंबई में कानून की पढ़ाई करने वाले चुंदरीगर 16 अक्टूबर, 1956 को पाकिस्तान के छठे प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए. लेकिन जल्द ही उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया. 16 दिसंबर, 1956 को चुंदरीगर इस्तीफा दे दिया.
तस्वीर: gemeinfrei/wikimedia
फिरोज खान नून: 10 महीने से कम
16 दिसंबर, 1958 को फिरोज खान नून को राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त किया. उनके कार्यकाल में ही ग्वादर पाकिस्तान का हिस्सा बना. 6 अक्टूबर, 1956 को आर्मी चीफ जनरल अयूब खान ने मार्शल लॉ लागू करने के साथ ही सरकार को बर्खास्त कर दिया.
तस्वीर: Fox Photos/Hulton Archive/Getty Images
नूरुल अमीन: 13 दिन
पाकिस्तान के अंतिम बंगाली प्रधानमंत्री नूरुल अमीन सिर्फ 13 दिन प्रधानमंत्री रहे. वे पाकिस्तान के इतिहास में सबसे कम समय तक पीएम बनने वाले नेता है. दूसरे नंबर पर चुंदरीगर (55 दिन) आते हैं. अमीन 7 दिसंबर, 1971 से 20 दिसंबर, 1971 तक सत्ता में रहे, उसी दौरान पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ.
तस्वीर: gemeinfrei/wikipedia
जुल्फिकार अली भुट्टो: 3 साल 11 माह
जुल्फिकार अली भुट्टो 14 अगस्त, 1973 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो 5 जुलाई, 1977 तक प्रधानमंत्री रहे. 5 जुलाई, 1977 को आर्मी चीफ जिया उल हक ने सैन्य तख्तापलट कर भुट्टो सरकार को बर्खास्त कर दिया. 24 मार्च, 1979 को रावलिपिंडी के जेल में भुट्टो को फांसी दे दी गई.
तस्वीर: imago/ZUMA/Keystone
मुहम्मद खान जुनेजो: 3 साल 2 महीने
सिंध के कद्दावर नेता मुहम्मद खान जुनेजो को 1985 में चुनाव जीतने के बाद जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान का 10वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया. रावलपिंडी कैंट में भीषण विस्फोट में 100 लोगों की मौत के बाद उन्होंने जांच का आदेश दिया. राष्ट्रपति और जनरल जिया को यह बात पसंद नहीं आई और संविधान संशोधन कर संसद को भंग कर दिया गया.
तस्वीर: Sven Simon/IMAGO
बेनजीर भुट्टो: दो अधूरे कार्यकाल
जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो 2 दिसंबर, 1988 को पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. लेकिन 6 दिसंबर, 1990 को राष्ट्रपति ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया.
तस्वीर: ZUMA Wire/IMAGO
नवाज शरीफ: तीन अधूरे कार्यकाल
पंजाब के दिग्गज नेता नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के पीएम बने. उनका पहला कार्यकाल नवंबर 1990 से अप्रैल 1993 तक रहा.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. M. Chaudary
नवाज शरीफ: पार्ट 2
पंजाब के दिग्गज नेता नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के पीएम बने. उनके दूसरे कार्यकाल (फरवरी 1997 से अक्टूबर 1999) का अंत जनरल परवेज मुशर्रफ ने इमरजेंसी लगा कर किया.
तस्वीर: K.M. Chaudary/AP/dpa/picture alliance
जफरुल्लाह खान जमाली: 1 साल 6 महीने
नवंबर 2002 में जफरुल्लाह खान जमाली को सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. यह पारी 26 जून, 2004 को खत्म हो गई.
तस्वीर: Aamir Qureschi/AFP
चौधरी सुजात हुसैन: दो महीने
शौकत अजीज के अगला प्रधानमंत्री बनने तक चौधरी सुजात हुसैन को पाकिस्तान का 16वां पीएम बनाया गया. उनका कार्यकाल 30 जून, 2004 को शुरू हुआ 26 अगस्त, 2004 को खत्म.
तस्वीर: Bilawal Arbab/dpa/picture alliance
शौकत अजीज: 3 साल दो महीने
शौकत अजीज को 26 अगस्त, 2004 को प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया. संसद का कार्यकाल पूरा होने के कारण 15 नवंबर, 2006 को अजीज ने इस्तीफा दे दिया. अजीज पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने संसद का कार्यकाल पूरा होने के कारण इस्तीफा दिया.
तस्वीर: Yu Jie/HPIC/picture alliance
यूसुफ रजा गिलानी: 4 साल 1 माह
दिसंबर 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या के बाद फरवरी 2008 में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए. इन चुनावों में बेनजीर की पार्टी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को बहुमत मिला. पार्टी के नेता यूसुफ रजा गिलानी पीएम बने. बाद में अदालत की अवमानना के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण 2012 में उन्हें पीएम पद छोड़ना पड़ा.
तस्वीर: AP
राजा परवेज अशरफ: 9 महीने
गिलानी के पद से हटने के बाद सरकार के मंत्री राजा परवेज अशरफ ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी सरकार के पीएम के रूप में कार्यकाल संभाला. वह 22 जून, 2012 से 24 मार्च, 2013 तक इस पद पर रहे.
तस्वीर: dapd
नवाज शरीफ: पार्ट 3
नवाज शरीफ तीसरी बार जून 2013 से अगस्त 2017 तक पीएम रहे. इस बार मुकदमे का कारण उन्हें पद के लिए अयोग्य करार दिया गया.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
शाहिद खाकान अब्बासी: एक साल
2013 के चुनावों में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) की जीत हुई और नवाज शरीफ तीसरी बार 4 साल 53 दिन तक पीएम बने. कोर्ट केस के कारण नवाज को पद छोड़ना पड़ा, लेकिन संसद के शेष कार्यकाल के दौरान उन्हीं की पार्टी शाहिद खाकान अब्बासी प्रधानमंत्री रहे.
तस्वीर: Reuters/J. Moon
इमरान खान: 3 साल 6 महीने
नया पाकिस्तान बनाने का नारा देकर 2018 के चुनावों में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने सबसे ज्यादा सीटें जीती. गठबंधन ने इमरान खान को पीएम चुना. लेकिन 9 और 10 अप्रैल की रात इमरान अविश्वास प्रस्ताव हार गए.