यूरोपीय संघ ने गोल्डन पासपोर्ट वाले देश के नागरिकों के लिए यूरोप की वीजा-मुक्त यात्रा को निलंबित करने का अपनी तरह का पहला निर्णय लिया है.
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प्रशांत महासागर के बीचोबीच बसा देश वानुआतु अमीर विदेशियों को अपना गोल्डन पासपोर्ट देता है. वानुआतु 83 द्वीपों का एक समूह है. यूरोपीय संघ सदस्य देश अगर इस प्रस्ताव को समर्थन देते हैं तो यह पहली बार होगा जब ईयू किसी देश पर "गोल्डन पासपोर्ट" योजना चलाने पर प्रतिबंध लगाएगा. आयोग पहले कई बार मनी लॉन्ड्रिंग और सुरक्षा को लेकर इस देश को चेतावनी देता आया है. ऐसे मसले पर ईयू पूर्वी यूरोपीय देशों समेत अन्य देशों पर भी नजर रख रहा है.
दक्षिण प्रशांत में स्थित वानुआतु के नागरिक किसी भी समय बिना वीजा के यूरोपीय संघ में दाखिल हो सकते हैं. लेकिन हाल के सालों में इस छोटे से देश ने अपनी नागरिकता हासिल करने की योजना शुरू की है, जिसका यूरोपीय संघ ने कड़ा विरोध किया है. एक बयान में कहा गया, "आयोग ने निष्कर्ष निकाला है कि वानुआतु की निवेशक नागरिकता योजनाएं गंभीर कमियां और सुरक्षा विफलता पैदा करती हैं."
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गोल्डन पासपोर्ट योजना क्या है?
इस योजना के जरिए कोई भी विदेशी इस देश की नागरिकता हासिल कर सकता है और इस प्रकार इस देश में कम से कम एक लाख तीस हजार अमेरिकी डॉलर (करीब 96,00,000 रुपये) का निवेश करके अपना पासपोर्ट बनवा सकता है. इस तरह से हासिल पासपोर्ट को 'गोल्डन पासपोर्ट' कहा जाता है क्योंकि उन्हें यात्रा की सुविधा हासिल होती है. वे 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के देशों की यात्रा बड़े आराम से कर सकते हैं.
ये हैं 2022 के सबसे बड़े खतरे
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने 2022 में दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों पर अपनी सालाना रिपोर्ट ‘ग्लोबल रिस्क्स रिपोर्ट 2022’ जारी की है. इसमें बताए गए सबसे बड़े खतरे कौन से हैं, जानिए...
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भारत के निराश युवा
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के मुताबिक भारत के लिए सबसे बड़े खतरों में मतिभ्रम से जूझ रहे युवा भी हैं. इसके अलावा राज्यों के खराब होते आपसी रिश्ते, तकनीक आधारित प्रशासन की विफलता, बढ़ता कर्ज और डिजिटल असमानता भारत के सामने सबसे बड़े खतरे हैं.
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सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय खतरे
इस रिपोर्ट में दुनिया के लिए जो सबसे बड़े खतरे बताए गए हैं, वे हैं पर्यावरण का संकट, बढ़ती सामाजिक असमानता, साइबर असुरक्षा और कोविड से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों का असमान उबार.
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सामने जो दस सबसे बड़े खतरे हैं उनमें से छह तो जलवायु परिवर्तन से ही जुड़े हैं. उत्सर्जन को कम करने वाली तकनीक का इस्तेमाल ना कर पाने का दुनिया को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
तस्वीर: Tolga Akmen/Getty Images/AFP
बढ़ती असमानता
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया की समरसता खतरे में हैं क्योंकि गैरबराबरी बढ़ रही है. आय में असमानता और वैक्सीन तक पहुंच में इतनी अधिक गैरबराबरी है कि एक हिस्सा दूसरे से बहुत ज्यादा पीछे है.
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विस्थापन
लोगों के लिए ना चाहते हुए भी प्रवासन के लिए मजबूर होना एक बड़ा खतरा माना गया है. यह भी पर्यावरण परिवर्तन से जुड़ा है जो लोगों को अपनी बसी-बसाई जिंदगी छोड़ दूसरी जगह जाने पर मजबूर कर रहा है.
तस्वीर: Simon Wohlfahrt/AFP
बढ़ता कर्ज
कोरोनावायरस महामारी ने पूरी दुनिया में ही उद्योग-धंधों को प्रभावित किया है. इस कारण महंगाई और कर्ज बढ़ा है जो एक बड़े खतरे के रूप में सामने आया है क्योंकि इससे लौटना मुश्किल होता जा रहा है.
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सदस्य देशों की मंजूरी जरूरी
इस ब्लॉक के सदस्य देशों को अब आयोग के इस प्रस्ताव पर अपनी राय देनी है. अगर प्रस्ताव का समर्थन किया जाता है, तो यह पहली बार होगा जब संघ "गोल्डन पासपोर्ट" वाले देश के नागरिकों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा पर प्रतिबंध लगाएगा.
इस फैसले का एक और साइड इफेक्ट हो सकता है. अगर यूरोपीय संघ के सदस्य देश वानुआतु के लिए वीजा-मुक्त यात्रा स्थगित करते हैं तो इससे कई पूर्वी यूरोपीय देश प्रभावित होंगे, जिन्होंने इसी तरह की योजनाएं शुरू की हैं.
विदेशी निवेशकों के लिए स्थानीय नागरिकता योजनाएं शुरू करने वाले दुनिया के कई देशों में मुट्ठी भर कैरिबियाई देश, कई प्रशांत द्वीप देश और पूर्वी यूरोप के देश जैसे मोंटेनेग्रो, अल्बानिया और मोल्डोवा शामिल हैं. कई यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने खुद विदेशी निवेशकों को नागरिकता देने के लिए योजनाएं शुरू की हैं. इनमें से कई देशों में ऐसी योजनाओं को ब्रसेल्स द्वारा यूरोपीय संघ के नियमों और विनियमों के अनुरूप माना जाता है.
साइप्रस और माल्टा के यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों ने भी गोल्डन पासपोर्ट योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन यूरोपीय संघ उन्हें अपवाद के साथ अपने नियमों के अनुरूप नहीं मानता है. आयोग ने मई 2015 से जारी वानुआतु पासपोर्ट के सभी धारकों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया है. उस समय देश में निवेशक कार्यक्रम शुरू किया गया था. अगर इस योजना को सही तरीके से अमल में लाया जाता है तो निलंबन रद्द हो सकता है.
एए/ सीके (रॉयटर्स, डीपीए)
2022 में सबसे ताकतवर पासपोर्ट
हेनली इंडेक्स के मुताबिक जापान और सिंगापुर दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट हैं. अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे नीचे है. सूची में और कौन-कौन से देश टॉप में हैं, देखिए...
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जापान, सिंगापुर सबसे ताकतवर
एशियाई देशों जापान और सिंगापुर के पासपोर्ट धारक 192 देशों की यात्रा बिना पहले से वीजा लिए कर सकते हैं, जो इन्हें दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट बनाता है.
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नंबर 2
जर्मनी और दक्षिण कोरिया नंबर दो पर हैं. इनके पासपोर्ट धारक 190 देशों की बिना पहले वीजा लिए यात्रा कर सकते हैं.
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नंबर 3
चार यूरोपीय देश फिनलैंड, इटली, लग्जमबर्ग और स्पेन के पासपोर्ट 188 देशों की यात्रा के अधिकार के साथ तीसरे नंबर पर हैं.
तस्वीर: V. Cheretski/DW
नंबर 4
चौथे नंबर पर भी यूरोपीय देशों का कब्जा है. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड्स और स्वीडन के पासपोर्ट पर 188 देशों की वीजा-फ्री यात्रा की जा सकती है.
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नंबर 5
आयरलैंड और पुर्तगाल के पासपोर्ट 187 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार देते हैं.
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नंबर 6
बेल्जियम, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, युनाइटेड किंग्डम और अमेरिका के पासपोर्ट नंबर 6 पर हैं. ये लोग 186 देशों में बिना पहले से वीजा लिए जा सकते हैं.
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नंबर 7
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक रिपब्लिक, ग्रीस और माल्टा के पासपोर्ट पर 185 देशों की यात्रा वीजा फ्री की जा सकती है.
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नंबर 8
183 देशों की वीजा फ्री यात्रा के अधिकार के साथ हंगरी और पोलैंड के पासपोर्ट नंबर 8 पर हैं.
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नंबर 9
लिथुआनिया और स्लोवाकिया के पासपोर्ट हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में नंबर 9 पर हैं. इन्हें 182 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार है.
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नंबर 10
एस्टोनिया, लातविया और स्लोवेनिया के पासपोर्ट धारक 181 देशों की यात्रा बिना पहले से वीजा लिए कर सकते हैं.
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भारत की रैंकिंग सुधरी
इस सूची में भारत अब 90 से उछलकर 83वें नंबर पर आ गया है. भारत के पासपोर्ट पर 60 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार है, जो पिछले साल के 58 देशों से ज्यादा है.