क्या 2020 में अफगानिस्तान से सेना वापसी की शुरुआत होगी
१७ दिसम्बर २०१९![Afghanistan Zabul - U.S. Soldat](https://static.dw.com/image/47848113_800.webp)
सीनेटर लिंडसे ग्राहम के मुताबिक अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की शुरुआत साल 2020 में हो सकती है. अफगानिस्तान के दौरे पर पहुंचे रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने काबुल में कहा कि ट्रंप सैनिकों की संख्या 12,000 से घटाकर 8600 कर सकते हैं. ग्राहम ने कहा, "अगर राष्ट्रपति ट्रंप अगले कुछ हफ्तों में सेना की संख्या 12,000 से कम करने का फैसला लेते हैं तो हम उसका समर्थन करेंगे." ग्राहम ने अफगानिस्तान की सेना की तारीफ करते हुए कहा, "अफगान सेना की क्षमता बढ़ रही है. जैसे-जैसे अफगान सेना की क्षमता बढ़ती रहेगी, अमेरिकी सेना की जरूरी मौजूदगी कम की जा सकती हैं."
अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर पहले जताई अनिच्छा के बावजूद ग्राहम अब वापसी का समर्थन कर रहे हैं. ग्राहम के मुताबिक, "8600 अमेरिकी सैनिक यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त हैं कि अफगानिस्तान का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ एक और आतंकी हमले के लिए नहीं होगा." सीनेटर ग्राहम के मुताबिक सेना वापसी "शर्त आधारित" होनी चाहिए और तालिबान को बातचीत के दौरान किया गया वादा निभाना चाहिए.
ग्राहम के मुताबिक, "हमारा लक्ष्य सेना को वापस ले जाना है लेकिन हमारा अंतिम लक्ष्य इसे स्थायी रूप से करना है ताकि हमें यहां दोबारा ना आना पड़े. दुनिया भर में हम अपनी प्रतिष्ठा को कम नहीं करना चाहते." ग्राहम के बयान से यह साफ नहीं हो पाया है कि क्या अमेरिका पूरी तरह से फौज वापसी करेगा. हालांकि तालिबान का कहना है कि शांति वार्ता की शर्त में अफगानिस्तान से सेना की पूरी तरह से वापसी को भी शामिल करना चाहिए.
अमेरिका और तालिबान के बीच हाल ही में शुरू हुई शांति वार्ता दोबारा "रोक" दी गई है. बुधवार को बागराम एयरबेस के बाहर हुए हमले में दो अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी और 70 लोग घायल हुए थे.
अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता में अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व उसके विशेष दूत जालमाय खलीलजाद कर रहे हैं. वह पिछले एक साल से तालिबान और अमेरिका के बीच करार की कोशिशों में जुटे हुए हैं. अमेरिका की कोशिश है कि वह तालिबान से इस बात का वादा करा ले कि चरमपंथी गुट अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अमेरिका पर हमले के लिए नहीं करेगा. हालांकि ग्राहम ने कहा है कि तालिबान पर आतंकवाद से लड़ने के लिए विश्वसनीय तौर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.
ग्राहम का कहना है, "अमेरिका के लिए यह नासमझी होगी कि वह तालिबान पर विश्वास करे कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट और अल कायदा दोबारा वापस नहीं आएंगे और अमेरिका और उसके सहयोगियों पर फिर से हमला नहीं करेंगे."
11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद अक्टूबर 2001 में अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में दाखिल हुई. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 2001 से मार्च 2019 तक अफगानिस्तान में अमेरिका का कुल सैन्य खर्च 760 अरब डॉलर है. इस युद्ध में अब तक अमेरिका अपने 2,300 सैनिक खो चुका है. करीब 20,500 सैनिक विकलांग होकर अफगानिस्तान से वापस लौटे हैं.
एए/एनआर (एपी)
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