यौन हिंसा से निपटने के लिए कनाडा के क्यूबेक में अनोखी पहल
८ जुलाई २०२२
कनाडा के एक प्रांत ने यौन हिंसा के मामलों से निपटने के लिए एक अहम पहल की है. क्यूबेक ने न्याय प्रक्रिया को पीड़ितों के लिए आसान और भरोसेमंद बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है.
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पांच साल पहले आए मी-टू आंदोलन ने दुनियाभर को हिलाकर रख दिया था. उसका असर कहीं मुकदमों के रूप में देखने को मिला तो कहीं जेल और सजाओं तक भी बात पहुंची. लेकिन महिलाओं के शोषण या घरेलू हिंसा में कमी का कोई बड़ा संकेत इस आंदोलन के बाद भी नहीं मिला. अब कनाडा का क्यूबेक प्रांत एक पहल कर रहा है जिसका मकसद पीड़ितों की आवाज को न्याय की देहरी तक लाना है.
फ्रेंच भाषी क्यूबेक प्रांत में दुनिया की पहली ऐसी अदालत स्थापित की जा रही है जो यौन हिंसा के मामलों की सुनवाई करेगी. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इस अदालत से पीड़ितों को भरोसा मिलेगा कि न्याय व्यवस्था ने उनसे मुंह नहीं मोड़ लिया है और उनकी आवाज सुनी जाएगी.
इस मुद्दे को देखने वाली विशेषज्ञ समिती के अध्यक्षों में से एक जूली डेजरोजिएर्स कहती हैं, "आज महिलाओं को डर लगता है कि उनकी बात पर भरोसा नहीं किया जाएगा. वे उन सवालों से डरती हैं जो उनसे किए जाएंगे. और उन्हें वकीलों की जिरह से घबराहट होती है. इन महिलाओं को भरोसा दिलाया जाना चाहिए कि कानूनी प्रक्रिया के दौरान उन्हें दुख नहीं पहुंचाया जाएगा." कानून पढ़ाने वालीं डेजरोजिएर्स कहती हैं कि समाज में हो रहे बदलावों को कानून का समर्थन मिलना चाहिए. यह भी पढ़ेंःइंडोनेशिया में 13 छात्राओं से रेप करने वाले प्रिंसिपल को मौत की सजा
एक्टर जॉनी डेप और उनकी पूर्व पत्नी एंबर हर्ड के बीच चले मानहानि के मुकदमे और उसके दौरान दोनों पक्षों की ओर से लगाए गए आरोपों ने घरेलू हिंसा के मुद्दे को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है. एक जानीमानी एक्टर एंबर हर्ड को डेप पर लगाए गए अपने आरोपों के कारण इंटरनेट पर काफी भला-बुरा सुनना पड़ा. इस मुकदमे का फैसला जॉनी डेप के पक्ष में आया. बहुत से विशेषज्ञों को डर है कि इस फैसले के कारण महिलाएं अपने जीवन-साथियों पर आरोप लगाने से घबरा सकती हैं.
क्यूबेक में 2018 में बदलाव की यह प्रक्रिया शुरू हुई जब हर पार्टी की महिला राजनेताओं के एक समूह ने घरेलू हिंसा की समस्या को आड़े हाथों लेना शुरू किया. वे कहती हैं कि यह एक व्यसस्थागत समस्या है. पार्टी क्यूबेकोएस नाम दल की विधायक वेरोनीक हिवोन कहती हैं, "मी-टु के बाद मैंने खुद से पूछा कि चुने हुए प्रतिनिधि होने के नाते हम क्या कर सकते हैं और क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं."
इस सवाल के जवाब में कई राजनेता साथ आए और विशेषज्ञों की एक समिति स्थापित की गई. उन्होंने यौन हिंसा के दर्जनों पीड़ितों से बातचीत की और अदालतों में उनके अनुभवों के बारे में जाना. साथ ही, जजों, वकीलों, पुलिस अफसरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी बात की गई.
दिसंबर 2020 में इस कमेटी ने इपनी रिपोर्ट दी जिसमें कहा गया कि भरोसे को दोबारा स्थापित करने की जरूरत है. इस कमेटी ने 190 सिफारिशें कीं जिनमें शिकायतों को बेहतर तरीके से सुने जाने से लेकर विशेष अदालत स्थापित करने तक कई तरह के सुझाव थे. एक साल बाद ही क्यूबेक की विधायिका ने विशेष न्यायालय स्थापित करने का प्रस्ताव आम सहमति से पारित कर दिया.
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बड़ी उम्मीदें
हालांकि यह अदालत अभी शुरुआती दौर में है लेकिन इसके संस्थापकों का विचार काफी विस्तृत है और वे उम्मीद करते हैं कि यौन हिंसा के मामलों की जांच करने के लिए और ज्यादा वकीलों की भर्ती की जा सकेगी. उन्हें उम्मीद है कि उन्हें और ज्यादा धन मिलेगा जिससे पीड़ितों की मदद होगी और जजों व पुलिसवालों को प्रशिक्षित किया जा सकेगा. आयोजक उम्मीद करते हैं कि वे पूरी न्यायिक प्रक्रिया के दौरुन पीड़ितों को मदद उपलब्ध करा पाएंगे ताकि न्याय व्यवस्था की छवि न्याय में बाधक की ना रहे.
क्यूबेक के न्याय मंत्री साइमन जोलिन-बारेटे ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "अपने विशेषज्ञ ट्राइब्यूनल की स्थापना के जरिए हम एक बड़ा संदेश देना चाहते हैं कि इन अपराधों की हमारे समाज में कोई जगह नहीं है." हालांकि यह कोई छोटा काम नहीं है क्योंकि बाकी दुनिया के बहुत से हिस्सों की तरह क्यूबेक में भी अक्सर यौन हिंसा के मामले सामने ही नहीं आ पाते हैं. बल्कि आंकड़े तो कहते हैं कि बहुत ही कम मामले सामने आ पाते हैं और अंजाम तक पहुंच पाते हैं.
दुनियाभर में हिंसा के भंवर में फंसी हैं महिलाएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा शोध के मुताबिक दुनिया भर में हर तीसरी महिला ने शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया है. संगठन ने महिलाओं पर अब तक का सबसे बड़ा शोध किया है.
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महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर सबसे बड़ा शोध
विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके साझेदारों ने एक नए शोध में पाया कि विश्व में तीन में से एक महिला को अपने जीवनकाल में शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करना पड़ा. संगठन का कहना है कि यह शोध महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर सबसे बड़ा अध्ययन है.
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अपनों द्वारा हिंसा
इस शोध के मुताबिक हिंसा की शुरुआत कम उम्र में ही हो जाती है. 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग में, हर चार में से एक महिला को अपने अंतरंग साथी के हाथों हिंसा का अनुभव करना पड़ा है.
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"हर देश और संस्कृति में हिंसा"
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ हिंसा हर देश और संस्कृति में है, जो लाखों महिलाओं और उनके परिवारों को नुकसान पहुंचाती है. कोविड-19 महामारी के दौर में स्थिति ज्यादा बिगड़ी है.
करीब 31 फीसदी, 15-49 वर्ष आयु वर्ग में या 85 करोड़ से अधिक महिलाओं ने शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया. इस अध्ययन के लिए साल 2000 से 2018 तक इकट्ठा किए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया.
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"पति या साथी आम अपराधी"
साथी या पति द्वारा हिंसा के मामले को सबसे सामान्य बताया गया है. गरीब देशों की महिलाओं के साथ इस तरह की हिंसा सबसे अधिक होती है. यौन अपराध से जुड़े मामले कई बार रिपोर्ट नहीं किए जाते और असली आंकड़े अधिक हो सकते हैं.
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गरीब देशों का हाल
गरीब देशों में 37 प्रतिशत महिलाओं ने अपने जीवन में साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया. कुछ देशों में तो यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक है. वहीं यूरोप की बात की जाए तो वहां यह दर 23 प्रतिशत है.
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कम उम्र से ही हिंसा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हिंसा की शुरुआत खतरनाक रूप से कम उम्र में ही हो जाती है. 15 से 19 वर्ष आयु वर्ग की युवतियां जो किसी रिश्ते में थीं, उनमें चार में से एक ने अपने साथी द्वारा शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया.
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एक रिपोर्ट के मुताबिक यौन हिंसा के कुल पीड़ितों में से सिर्फ पांच फीसदी एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के चरण तक पहुंच पाते हैं, जबकि कनाडा में ऐसे मामलों में समय की कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन अपने हमलावरों से अदालत में लड़ने वालीं बहुत सी पीड़ित कहती हैं कि उन्हें अफसोस है.
‘न्याय प्रक्रिया दर्दनाक है'
जूलिया ब्रॉल्ट के साथ 19 साल की उम्र में यौन हिंसा हुई थी. वह कहती हैं कि पूरी प्रक्रिया उनके लिए बेहद दर्दनाक और हिंसक समय था. ब्रॉल्ट बताती हैं, "मुझे पता है मेरा केस दर्ज कराना और उसे उसके अंजाम तक लेकर जाना समाज के लिए एक अच्छी बात थी. लेकिन मुझ पर हमल करने वाले को हुई सजा के बावजूद मुझे ऐसा करने का अफसोस है. अगर मुझे दोबारा ऐसा करना पड़े, तो मैं शिकायत दर्ज नहीं कराऊंगी. मैं नहीं चाहूंगी कि किसी को भी उस अनुभव से गुजरना पड़े."
अब 24 साल की हो चुकीं ब्रॉल्ट एक एथलीट रह चुकी हैं. वह अब एक डे-केयर सेंटर चलाती हैं. वह याद करती हैं, "अपने साथ हिंसा होने के महीनों बाद जब मैं पहली बार पुलिस थाने रिपोर्ट दर्ज कराने गई तो अफसर कमरे के बीच में, सबकी मौजूदगी में मेरा बयान लेना चाहता था. मैं वहां से चली आई. फिर से हिम्मत जुटाने और शिकायत दर्ज कराने के लिए एक अन्य स्टेश जाने में मुझे महीनों लग गए."
बड़े नामों की फेहरिस्त बना #MeToo
सोशल मीडिया के #MeToo अभियान ने भारत में कई नामी लोगों को गिरफ्त में लिया है. महिलाओं का यौन शोषण करने के आरोपों से घिरी इन हस्तियों में से कुछ ने माफी मांगी हैं तो कुछ आरोप लगाने वालों पर कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं.
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बिनी बंसल
वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली भारतीय ऑनलाइन रिटेल कंपनी फ्लिपकार्ट के सीईओ बिनी बंसल ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया. फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स ऑपरेशन को संभालने वाले कल्याण कृष्णमूर्ति अब कार्यवाहक सीईओ होंगे. वॉलमार्ट ने आरोप के बारे में विस्तार से नहीं बताया लेकिन कहा कि बिनी के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण और चुनौतीपूर्ण स्थिति है.
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नाना पाटेकर
मीटू में सबसे पहला नाम अभिनेता नाना पाटेकर का आया, जिन पर अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने गंभीर आरोप लगाए. पूर्व मिस इंडिया तनुश्री का कहना है कि 10 साल पहले नाना पाटेकर ने एक फिल्म के सेट पर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया था.
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एमजे अकबर
पत्रकार से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले एमजे अकबर पर करीब 10 महिलाओं ने यौन शोषण और अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया है. अकबर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन महिलाओं के खिलाफ अदालत का रास्ता अपनाया है.
तस्वीर: imago/Hindustan Times/Manoj Verma
आलोक नाथ
लेखिका और निर्माता विनता नंदा ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि बॉलीवुड में "संस्कारी" कहे जाने शख्स ने उनके साथ 19 साल पहले दुष्कर्म किया. उनके आरोप अभिनेता आलोक नाथ पर थे. नंदा के बाद अभिनेत्री संध्या मृदुल और दीपिका अमीन ने भी आलोक नाथ पर संगीन आरोप लगाए हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
विनोद दुआ
पत्रकार विनोद दुआ पर फिल्म निर्माता निष्ठा जैन ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. जैन ने कहा कि 1989 में जब वह दुआ के पास जॉब इंटरव्यू के लिए गईं थीं तो उन्होंने बेहद ही अभद्र कमेंट पास किया. जैन ने लिखा कि दूसरी जगह नौकरी लगने के बाद भी दु्आ उन्हें परेशान करते रहे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
विकास बहल
चर्चित फिल्म 'क्वीन' फिल्म के डायरेक्टर विकास बहल पर फिल्म प्रॉडक्शन कंपनी फैंटम से जुड़ी एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. इस मामले के बाद क्वीन की अभिनेत्री रही कंगना रनौत ने भी अपने साथ हुए घटना के बारे में बताया था.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
कैलाश खेर
कैलाश खेर पर एक पत्रकार और गायिका सोना महापात्रा ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. एक अन्य महिला ने यूट्यूब पर वीडियो अपलोड कर बताया था कि वह कैलाश खेर को अपना गुरू मानती थी लेकिन उन्होंने उसके साथ गलत व्यवहार किया.
तस्वीर: AP
अभिजीत
अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में रहने वाले गायक अभिजीत भट्टाचार्य पर एक महिला ने पब में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह महिला एक फ्लाइट अटेंडेंट हैं जिसके साथ यह वाकया 20 साल पहले कोलकाता के एक पब में हुआ था.
तस्वीर: Imago/Indiapicture
साजिद खान
फिल्म डायरेक्टर साजिद खान के लिए मीटू में आरोपों का सिलसिला थम ही नहीं रहा है. खान के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर चुकी सलोनी अरोड़ा ने उन पर अश्लील व्यवहार का आरोप लगाया है. अभिनेत्री बिपाशा बासु के अलावा कई महिलाओं ने भी साजिद के खराब व्यवहार पर खुलकर बोला है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
रघु दीक्षित
गायक और संगीतकार रघु दीक्षित पर भी अभद्र व्यवहार के आरोप लगे हैं. गायिका चिन्मई श्रीपदा ने एक महिला द्वारा लगाए आरोपों को ट्विटर पर शेयर किया. महिला का आरोप है कि जब वह रिकॉर्डिंग के लिए गई थी तो रघु ने उसे जबरदस्ती किस करने की कोशिश की.
तस्वीर: Getty Images/A.P. Gupta
सुभाष घई
राजकपूर के बाद बॉलीवुड के दूसरे शोमैन कहे जाने वाले सुभाष घई पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया है. महिला ने कहा कि उसे घई ने नशीला पदार्थ दिया और फिर उसका रेप किया. पीड़िता के साथ बातचीत के स्क्रीन शॉट्स लेखिका महिमा कुकरेजा ने सोशल मीडिया पर शेयर किए थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
सुहेल सेठ
सेलेब्रिटी कंसल्टेंट और लेखक सुहेल सेठ पर चार महिलाओं ने गलत और अभद्र व्यवहार के आरोप लगाए हैं. इनमें से दो महिलाओं ने सेठ पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
चेतन भगत
मीटू मूवमेंट में लेखक चेतन भगत का भी नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्होंने सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांग ली. हालांकि अब भगत ने एक स्क्रीनशॉट ट्वीट करते हुए अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया. उन्होंने लिखा है कि महिला ने उन्हें "किस यू मिस यू" लिखा था.
तस्वीर: PRAKASH SINGH/AFP/Getty Images
रजत कपूर
अभिनेता रजत कपूर पर एक महिला पत्रकार ने अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया था. इस आरोप के बाद कपूर ने अपने ट्वीट में लिखा, "पूरी जिंदगी मैंने एक अच्छा इंसान बनने की कोशिश की है. अगर मेरे शब्दों या हरकत से किसी को भी दुख पहुंचा हो तो मैं पूरे दिल से माफी मांगता हूं."
तस्वीर: imago/Hindustan Times/S. Bate
सीपी सुरेंद्रन
पत्रकार और लेखक सीपी सुरेंद्रन पर भी अभद्र व्यवहार के आरोप लग रहे हैं. न्यूजपोर्टल स्क्रॉल ने अपनी एक रिपोर्ट में 11 पीड़िताओं की आपबीती बयान करते हुए लिखा है कि सुरेंद्रन उन्हें गलत ढंग से छूते थे और भद्दे कमेंट करते थे.
तस्वीर: Imago/Zumapress
और भी कई नाम
न्यूज पोर्टल द क्विंट के पत्रकार मेघनाद बोस, हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार प्रशांत झा के अलावा, कमेडियन तन्मय भट्ट, गुरुशरण खंभा और महिला कमेडियन अदिति मित्तल का नाम भी मीटू मूवमेंट में सामने आया है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/V. Bhatnagar
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मुकदमे की सुनवाई को याद करते हुए वह कहती हैं जब विपक्षी वकील उनसे पूछताछ कर रहे थे तो वह "इतना रोईं कि सांस लेना तक मुश्किल हो गया." वह कहती हैं, "मुझे लगा कि मैं कोई बहुत आम गवाह हूं और मेरी स्थिति को कोई नहीं समझ रहा है."
बहुत सी पीड़ित कहती हैं कि कानूनी प्रक्रिया उनके लिए पीड़ा से दोबारा गुजरने जैसा अनुभव होता है. अपने यौन उत्पीड़न के बारे में एक डॉक्युमेंट्री बनाने वालीं लिया क्लेरमोंट-डियोन कहती हैं, "बहुत सालों तक न्याय व्यवस्था पीने ड़ितों के साथ दुर्व्यवहार किया है. एक वक्त तो मुझे ऐसा लगता कि मैं ही आरोपी हूं, हमलावर मैं हूं. इन जिरहों के दौरान अपराध बोध को सबसे बुरे स्तर तक पहुंचा दिया जाता है."
क्लेरमोंट-डियोन कहती हैं कि नई अदालत की सफलता के लिए सही प्रशिक्षण सबसे अहम बात होगी. अधिकारियों को उम्मीद है कि आने वाले पांच साल में पूरे राज्य में ऐसी अदालतें स्थापित हो जाएंगी.