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फिर से ‘वर्जिन’ बनने के लिए सस्ते उपाय अपनातीं महिलाएं

७ दिसम्बर २०२१

वह महिलाओं की डॉक्टर हैं और अपने काम का विज्ञापन बहुत चोरी-छिपे करती हैं. उसे ‘हेल्थ ऐंड ब्यूटी’ सर्विस बताती हैं. लेकिन वह योनि झिल्ली की सर्जरी करके महिलाओं की जानें बचा रही हैं.

तस्वीर: Alexander Farnsworth/picture alliance

26 साल की नूर मोहम्मद का डर बढ़ता जा रहा था. सालों पहले अपने प्रेमी से अलग हो चुकीं नूर की शादी करीब आ रही थी और उन्हें डर सता रहा था कि अपनी शादी की पहली ही रात उनके पति को पता चल जाएगा कि वह पहले सेक्स कर चुकी हैं. मिस्र के रूढ़िवादी समाज में यह बात जानलेवा तक साबित हो सकती है.

नूर मोहम्मद को एक वैद का पता चला. वैद ने उन्हें एक बूटी दी और कहा कि इससे सेक्स के बाद उनकी योनी से रक्त स्राव होगा, जिससे उनके पति को लगेगा कि उनकी योनी झिल्ली अक्षत थी.

तस्वीरेंः वर्जिनिटी टेस्ट की वजह

नूर बताती हैं, "वो बहुत बुरा सपना था. या तो मुझे मार दिया जाता या फिर मेरे पति मुझे सबके सामने बेइज्जत करते. हाइमनोप्लास्टी का खर्च भी मैं नहीं उठा सकती थी. इसलिए यह बूटी मेरी एकमात्र उम्मीद थी.” बूटी काम कर गई.

हजारों की उम्मीद

नूर को बूटी देने वाले वैद नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि वह मिस्र में चार हजार से ज्यादा लड़िकयों का ‘इलाज' कर चुके हैं. इसके अलावा वह अल्जीरिया और मोरक्को में भी ऐसी महिलाओं को दवा दे चुके हैं. इसके लिए वह दो हजार मिस्री पाउंड यानी लगभग दस हजार रुपये लेते हैं. कई बार गरीब या जरूरतमंद महिलाओं का इलाज वह मुफ्त में भी कर देते हैं.

यह बूटी उन हजारों महिलाओं की उम्मीद है जो महंगी हाइमनोप्लास्टी का खर्च नहीं उठा सकतीं. मिस्र जैसे रूढ़िवादी समाजों में योनि की झिल्ली का ना टूटा होना आज भी वर्जिन होने की निशानी माना जाता है. ऐसे में नई दुल्हनों के लिए विक्षत योनि झिल्ली ससुराल पक्ष या रिश्तेदारों द्वारा शर्मिंदा किए जाने का कारण बन सकता है. कई बार तो मामला इज्जत के लिए कत्ल तक भी पहुंच सकता है.

महिला रोग विशेषज्ञ लाएला अपना पूरा असली नाम नहीं बताना चाहती हैं ताकि वह अपने काम के बारे में खुलकर बात कर सकें. वह कहती हैं, "डॉक्टर होने के नाते यह हमारा फर्ज है कि लड़कियों को कत्ल होने से बचाएं और उस सामाजिक शर्मिंदगी से बचाएं जो उन्हें विक्षत झिल्ली के कारण झेलनी पड़ सकती है.”

हाइमन का वर्जिनिटी से कोई लेना देना नहीं

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इसके लिए लाएला झिल्ली को रिपेयर करने वाली सर्जरी करती हैं. इसे हाइमनोप्लास्टी कहते हैं, जिसकी मिस्र में कानूनन इजाजत है. लेकिन यह बहुत महंगी सर्जरी है. इसके लिए 20 हजार मिस्री पाउंड यानी लगभग एक लाख रुपये तक का खर्च आ जाता है.

ग्रामीण महिलाओं की परेशानी

अपर इजिप्ट जैसे ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के लिए सर्जरी कराने के वास्ते इतना धन जमा कर पाना संभव नहीं हो पाता. यूं भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं और हाइमनोप्लास्टी करने वाली डॉक्टरों की भी कमी है. इसलिए लाएला नियमित रूप से मिस्र के दूर-दराज प्रांतों की यात्रा करती हैं. वह इन इलाकों में शहरों के मुकाबले सिर्फ एक तिहाई रकम में ही हाइमनोप्लास्टी कर देती हैं.

वह बताती हैं, "मैं अपने (फेसबुक) पेज पर ऐलान करती हूं कि फलां-फलां दिन मैं उस जगह रहूंगी. लोग समय तय कर लेते हैं और मैं उनके घर पर ही ऑपरेशन कर देती हूं. ऐसी लड़कियां हैं जो अपर इजिप्ट में डॉक्टर नहीं खोज सकतीं. समाज इतना रूढ़िवादी है कि इस विषय पर बात करना भी मुश्किल है.”

पिछले नौ साल में लाएला ने 1,500 से ज्यादा ऑपरेशन किए हैं. वह बताती हैं कि इनमें से एक तिहाई तो उन्होंने मुफ्त में ही किए क्योंकि वे महिलाएं जरूरतमंद थीं

मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल काउंसिल फॉर विमिन के पास हाइमनोप्लास्टी और इससे जुड़ी हत्याओं पर कोई आंकड़ा नहीं है. इस बारे में जब उनसे टिप्पणी मांगी गई तो उन्होंने इनकार कर दिया. लेकिन मानवाधिकार संस्थाएं कहती हैं कि मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में इज्जत के नाम पर हर साल हजारों महिलाओं का कत्ल किया जाता है.

तस्वीरेंः कमाल का कंडोम

यूं तो मिस्र में हाइमनोप्लास्टी वैध है और यदि एक प्रशिक्षित महिला रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाती है तो कमोबेश सुरक्षित भी है लेकिन मिस्र में यह विवाद का विषय है. यूनियन ऑन हार्मफुल प्रैक्टिसेज अगेंस्ट विमिन ऐंड चिल्ड्रन नामक संस्था की कार्यकारी निदेशक रांदा फख्र अल-दीन इस विषय पर वर्कशॉप करती हैं. वह वर्कशॉप में शामिल होने वाली महिलाओं को बताती हैं कि योनि झिल्ली फटने की वजह सिर्फ सेक्स नहीं होता है बल्कि ऐसा किसी कार हादसे या खेल कूद में भी हो सकता है.

फिर भी, सर्जरी को बहुत से लोग इस समस्या का एक व्यवहारिक हल मानते हैं जो महिलाओं को शर्मिंदगी और हिंसा से बचा सकता है. महिलाओं के लिए काम करने वाली एक गैर सरकारी संस्था विमिंस सेंटर फॉर गाइडेंस ऐंड लीगल अवेयरनेस की रेदा एल्दानबोकी कहती हैं, "जब तक समाज इस मुद्दे पर अपना नजरिया नहीं बदलता, महिलाओं को सर्जरी करवाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.”

वीके/एए (रॉयटर्स)

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