डॉक्टरों का कहना है कि लोग कोरोना वायरस महामारी के समय में आइसोलेशन में रहते हुए भी स्वस्थ रह सकते हैं. उनके मुताबिक अच्छी नींद और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना लाभदायक साबित हो सकता है.
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कोरोना वायरस महामारी के समय में लोग अपने अपने घरों में कैद हैं लेकिन जो बीमार हैं उनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि लोग सेहतमंद रह कर स्वास्थ्य सेवाओं पर और दबाव डालने से बच सकते हैं. दुनिया भर में 28 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. दुनिया भर के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है और इस वजह से स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव है.
ऐसी स्थिति में लोगों को खुद से स्वस्थ रहने की कोशिश करनी होगी. कुछ चीजों पर ध्यान दे कर रोजमर्रा की बीमारियों से मुक्त रहा जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग आइसोलेशन में अपने घरों में हैं उन्हें अपनी रोज की आदतों में उचित नींद, पर्याप्त मात्रा में पानी, पौष्टिक भोजन, शारीरिक गतिविधि, आभासी सामाजिक संपर्क और सीमित शराब का ही सेवन करना चाहिए.
ज्यादातर लोग आज कल घर में ही रह रहे हैं ऐसे में सेहत से जुड़ी अच्छी आदतों पर ध्यान दे कर अपने मन और शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है. अमेरिका के डलास स्थित मनोविज्ञानी डॉ. केविन गिल्लिलैंड कहते हैं, "जब मैं सुबह उठता हूं तो खुद से पूछता हूं कि मुझे किन-किन चीजों पर नजर रखनी है. मैंने कितनी नींद ली? मैं भोजन में क्या लेने वाला हूं?"
सिर्फ शरीर ही नहीं मन को प्रसन्न और उत्साह से भरपूर रखना भी जरूरी है. विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए वे सिफारिश करते हैं कि न्यूज दिन में एक या दो बार ही देखें. वे सलाह देते हैं कि ऐसी फिल्में देखें जो आराम देती हैं. परिवार के साथ वीडियो चैट करें और जहां संभव हो बाहर जाएं. विशेषज्ञों की राय है कि चिंताजनक विचारों को स्वीकार करने की बजाय उन्हें दबा देना चाहिए और जल्दी से आगे बढ़ जाना चाहिए.
तालाबंदी में प्रकृति से जुड़ने के 8 तरीके
प्रकृति में वक्त बिताना मन और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है. कोविड 19 को रोकने के लिए चल रही तालाबंदी में करोड़ों लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. देखिए इस तालाबंदी में भी आप प्रकृति के कैसे करीब जा सकते हैं.
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अगर अनुमति हो तो टहलने जाइए
हरे भरे इलाकों में वक्त बिताने से तनाव घटता है, हमें खुशी और तंदुरुस्ती का अहसास होता है. जर्मनी की तरह अगर बाहर जा कर कसरत करने की इजाजत आपके यहां भी हो तो हर रोज नजदीक के किसी पार्क या जंगल में जाइए. व्यस्त इलाकों और दूसरे लोगों से दूर रहिए. घर आकर हाथ जरूर धोइए. हाथ कैसे धोना है ये तो आपको हजारों बार बताया जा चुका होगा.
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प्रकृति का संगीत
अगर बाहर जाना संभव नहीं है तो घर में रह कर भी प्रकृति के करीब जाइए. रिसर्च से पता चला है कि खिड़की से हरियाली को देखना या फिर प्राकृतिक आवाजों को सुनाना हमारे लिए अच्छा है. बहती हवाओं की आवाज, झूमते पेड़ों के पत्तियों की सरसराहट, चिड़ियों का कलरव यह सब आवाजें आसानी से ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं. आप इन्हें सुन कर भी प्रकृति को अपने पास महसूस कर सकते हैं.
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आभासी यात्रा
कई राष्ट्रीय पार्क बंद कर दिए गए हैं और फिलहाल यात्रा संभव नहीं है. तकनीक की मदद से आप घर से निकले बगैर भी यहां पहुंच सकते हैं. कई नेशनल पार्कों और वन्य जीव अभयारण्यों में वेबकैम है जिनकी फुटेज लाइव स्ट्रीम की जा रही है. ऐसे में आप कांगो के गुरिल्ला कॉरिडोर से लेकर, दक्षिण अफ्रीका के एलिफैंट पार्क और अमेरिका के ईगल नेस्ट तक बड़ी आसानी से जा कर जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में लाइव देख सकते हैं.
चिड़ियाघर और एक्वेरियम भी अपने बाड़ों की लाइवस्ट्रीम उपपलब्ध करा रहे हैं. यूएस कोस्ट के मोनटेरे बे एक्वेरियम में जेलीफिश कैम लगा है. रिसर्च बताते हैं कि मछलियों को एक्वेरियम में थोड़ी देर देखने का भी मन और शरीर पर बड़ा सुखद असर होता है. इससे तनाव और चिंता घट जाती है. अब घर बैठे बैठे ये अहसास मिल जाए तो फिर क्या कहना.
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घर में बैठ चिड़ियों को निहारना
अपने आस पास मौजूद उन्मुक्त जीवों को देखना शुरू कीजिए. शायद किसी फूल पर मंडराती मधुमक्खी आपकी बालकनी में नजर आ जाए या फिर घर के चारों और लगी झाड़ियों में कोई और जीव. ब्रिटेन में लोगों के आस पास मौजूद चिड़ियों की तस्वीर भेजने की एक मुहिम शुरू हुई है. लोगों को सोशल मीडिया पर #BreakfastBirdwatch पर तस्वीरें भेजने को कहा जा रहा है. इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में #BirdingatHome शुरू हुआ है.
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चिड़ियों को दाना डालिए
चिड़ियों को दाने डालते रहें तो आपके घर के आस पास चिड़ियों का झुंड उमड़ता रहेगा और घर में रहने वाले बच्चों को भी उन्हें देख कर खुशी होगी. इसके लिए कुछ ज्यादा नहीं करना बस थोड़े से बीज, कुकिंग फैट और नारियल के छिलकों की जरूरत है. अगर आपके पास गार्डेन नहीं है तो भी कोई चिंता नहीं है. आप अपनी खिड़की या बालकनी में फीडर लटका कर भी परिंदों को न्यौता दे सकते हैं.
स्थानीय जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए आप कीड़ों के लिए घर बना सकते हैं. इसके लिए भी आपके पास बगीचा होना जरूरी नहीं है. तस्वीर में दिख रही संरचना जैसी छोटे या बड़े घर आप कीड़ों के लिए तैया कर सकते हैं. इसका आकार इस पर निर्भर करेगा कि आप इसे अपने अहाते में बना रहे हैं या फिर बालकनी में. लकड़ी के पुराने टुकड़े, सूखे पत्ते, पुआल और दूसरी प्राकृतिक चीजें आपकी इसमें मदद करेंगी.
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बागवानी
बागवानी से तनाव दूर होता है और प्रसन्नता बढ़ती है. तालाबंदी का उपयोग क्यों ना कुछ सब्जियां या फिर रंग बिरंगे फूलों को उगाने में किया जाए. लैवेंडर, अजवाइन और तेजपत्ता जैसे कीड़ों के दोस्त हैं. ये तितलियों और मक्खियों को भी आकर्षित करते हैं. जिनसे परागण होता है. आप ये पौधे घर में भी उगा सकते हैं. तो फिर सोच क्या रहे हैं? आस पास की किसी नर्सरी को फोन घुमाइए, कहीं तालाबंदी खत्म ना हो जाए.
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अटलांटा के मनोविज्ञानी डॉ. लोरी व्हाटले कहती हैं, "मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अभी अपनी भावनाओं के बारे में बात करें. हमें पता है कि यह समय भी पार हो जाएगा. हमें संयमित होना चाहिए. हमें वह काम करना चाहिए जिसे करने में हमें आनंद मिलता है." डॉ. लोरी के मुताबिक स्वस्थ रहने के लिए कसरत करें, ध्यान लगाएं, सेहतमंद भोजन करें, नींद लें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं. वह कहती हैं, "यह वह चीजें हैं जिन पर हम नियंत्रण कर सकते हैं."
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. विंसेंट रकानिएलो कुछ सावधानियों की बात करते हैं. उनका कहना है कि हाथ धोना, चेहरा को नहीं छूना और शारीरिक दूरी का अभी ज्यादा महत्व हैं. दरवाजे की कुंडी जैसी चीजों को छूने के बाद हाथ धोना जरूरी है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मेडिकल सेंटर में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. स्टेफन मोर्स कहते हैं कि फोन को डिसइंफेक्टेंट वाइप्स से साफ करना भी अच्छा आइडिया है. विशेषज्ञों की राय है कि पार्सल और राशन की पैंकिंग को खोलने के बाद हाथ धोना जरूरी है और बाहरी पैकिंग को फेंक देना चाहिए.
स्मार्टफोन, जीवन को आसान बनाते हैं, लेकिन इनकी लत कई बीमारियां और मुश्किलें सामने ला रही है.
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हमेशा थकी थकी आंखें
स्मार्टफोन की स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी में नीली लाइट सबसे ज्यादा होती है. काफी देर तक स्क्रीन को करीब से देखने पर आंखों पर बहुत दबाव पड़ता है. अगले दिन भी आंखों में असहजता सी महसूस होती है. लंबे समय तक ऐसा करने से आँखों की पुतली प्रभावित हो सकती है.
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नींद में खलल
रात में सोने की तैयारी की लेकिन तभी व्हट्सऐप पर एक मैसेज आ गया. मैसेज को पढ़ने वाला सोच में डूब गया. ऐसा होने पर नींद आना बहुत आसान नहीं होता. स्मार्टफोन की रोशनी नींद के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन मेलाटोनिन को भी प्रभावित करती है.
यूरोप और अमेरिका में हुए कई शोधों के बाद यह साफ हो गया है कि टेबलेट और मोबाइल फोन के अति इस्तेमाल से गर्दन, बांह और रीढ़ की हड्डी पर जरूरत से ज्यादा जोर पड़ता है. इसका नतीजा टीस देने वाले दर्द के रूप में सामने आता है.
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कमर में दर्द
ब्रिटेन की चीरोप्रैक्टिस एसोसिएशन के मुताबिक बीते सालों में युवाओं में कमर दर्द के बढ़ते मामले हैरान करने वाले हैं. 2015 में ब्रिटेन में 45 फीसदी युवाओं को कमर में दर्द की शिकायत हुई. 16 से 24 साल के इन युवाओं को ऐसा दर्द होने लगा जैसा रीढ़ की हड्डी में दबाव पढ़ने से महसूस होता है.
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अवसाद
स्मार्टफोन और उसमें बसी सोशल मीडिया की दुनिया अवसाद का कारण भी बन रही है. नॉर्थवेस्ट यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिताने वालों पर मानसिक अवसाद का खतरा बहुत ज्यादा रहता है.
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सामाजिक रिश्तों में अंतर
लोगों से मिलना, खाना पकाना, कसरत करना या फिर घूमना फिरना, ये आदतें इंसान को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखती हैं. लेकिन स्मार्टफोन की लत लग जाए तो इंसान ये सब करने के बजाए कीड़े की तरह फोन में ही घुसा रहता है.
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टाइम की बर्बादी
एक चीज देखने के लिए स्मार्टफोन उठाया. फिर कुछ और देखा, फिर कुछ और...अंत में बैटरी खत्म होने तक यह अंतहीन सिलसिला चलता रहा. सेहत तो गई ही साथ में टाइम भी बर्बाद हुआ. स्मार्टफोन लाइफस्टाइल में यह बड़ी आम समस्या है.
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सेल्फी, सेल्फी
भारत में 2015 और 2016 में कई लोगों की सेल्फी के चक्कर में जान गई. दुनिया भर में आए दिन सेल्फी डेथ के मामले सामने आ रहे हैं.
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इंटरनेट के लिए जीना
क्या जिंदगी सिर्फ इंटरनेट पर जी जाती है. सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का कॉकटेल जीवन के आयाम को कैद भी कर रहा है.
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ऐन टाइम पर फुस्स
स्मार्टफोन का खूब इस्तेमाल किया लेकिन जब कॉल करने जैसे असली काम की जरूरत महसूस हुई तो बैटरी खत्म, ये भी स्मार्टफोन लाइफस्टाइल की आम समस्या है.