करोड़ों बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने की एक कोशिश
१९ सितम्बर २०२२दुनिया के कई इलाकों में जलवायु संकट और अन्य संकटों की वजह से बच्चे स्कूलों से और शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं. 'एजुकेशन कैननॉट वेट' एक ऐसा कोष है जो ऐसे इलाकों में शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
कोष की मुखिया यास्मीन शरीफ कहती हैं, "यह बड़ी विकट और अकल्पनीय स्थिति है. वे अपना सब कुछ खो चुके हैं और उसके ऊपर से अच्छी शिक्षा से भी महरूम हो गए हैं." संयुक्त राष्ट्र की सालाना महासभा से एक दिन पहले शिक्षा के संकट पर शरीफ ने एएफपी समाचार एजेंसी से बातचीत की.
इस कोष का अनुमान है कि अलग अलग संघर्षों या जलवायु से जुड़ी आपदाओं की वजह से पूरी दुनिया में 22.2 करोड़ बच्चों की शिक्षा अस्त व्यस्त हो गई है. इनमें करीब आठ करोड़ ऐसे बच्चे भी हैं जिन्होंने कभी स्कूल में कदम ही नहीं रखा.
(पढ़ें: बढ़ती फीस का असरः 40 लाख बच्चों ने निजी स्कूल छोड़े)
70 लाख बच्चों की मदद
2016 के बाद से 'एजुकेशन कैननॉट वेट' ने एक अरब डॉलर से भी ज्यादा धनराशि जुटाई है जिससे स्कूल बनाए जा सकें, शिक्षण सामग्री खरीदी जा सके और रोज भोजन व मनोचिकित्सीय सेवाएं भी मुहैया कराई जा सकें.
इससे 32 देशों में करीब 70 लाख बच्चों की मदद की जा रही है, लेकिन शरीफ कहती हैं कि स्थिति की यह मांग है कि और बड़ी कोशिश की जाए. उन्होंने कहा, "अगर हमें जरूरतों को पूरा करना है तो हमें बिलकुल नए तरीके से सोचना पड़ेगा. हम यहां लाखों नहीं बल्कि करोड़ों डॉलरों की बात कर रहे हैं."
संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के बाद शरीफ फरवरी में जिनेवा में एक सम्मलेन का आयोजन करेंगी जहां कोष के लिए अतिरिक्त 1.5 अरब डॉलर धनराशि मांगी जाएगी. इसका लक्ष्य अतिरिक्त दो करोड़ बच्चों तक पहुंचना होगा.
स्वीडिश मूल की शरीफ कहती हैं कि कुछ पश्चिमी देश एक बच्चे को पढ़ाने के लिए एक साल में 10,000 डॉलर तक खर्च कर देते हैं, जबकि संघर्ष वाले इलाकों में हर बच्चे तक एक साल में सिर्फ 150 डॉलर पहुंच पाते हैं. वो कहती हैं, "आप इस चरम विभाजन को देख सकते हैं."
(पढ़ें: नई बसें आईं तो पढ़ पा रही हैं पेशावर की लड़कियां)
बच्चों को मिले सहारा
संघर्ष वाले कुछ इलाकों में स्कूलों को तबाह कर दिया गया है. शरीफ इसे युद्ध अपराध मानती हैं. कुछ स्कूलों को तो हथियारों के अड्डों में बदल दिया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.
दूसरे स्थानों में शारीरिक खतरों या जनसेवाओं और मूलभूत ढांचे के धीरे धीरे नष्ट होने से शिक्षा क्षेत्र ही बंद हो गया है. शरीफ के अनुसार शिक्षा दुनिया के युवाओं के लिए जीवन रेखा होनी चाहिए.
उन्होंने बताया, "हम जिसकी पेशकश कर रहे हैं वो एक औजार है, एक उम्मीद है, एक सशक्तिकरण है ताकि संघर्ष की शक्तियों का मुकाबला किया जा सके और वो अपने दम पर उस राख से निकल सकें."
शिक्षा के अभाव के प्रत्यक्ष और तत्कालीन परिणाम होते हैं. बच्चे कभी कभी सड़कों पर पहुंच जाते हैं, जहां वे हिंसा, मानव तस्करी, हथियारबंद समूहों द्वारा भर्ती जैसे खतरों का सामना करने लगते हैं. लड़कियों के लिए जबरन विवाह का भी खतरा रहता है.
(पढ़ें: आधार नहीं है इसलिए स्कूल नहीं जा रहे लाखों बच्चे)
शरीफ कहती हैं, "उन्होंने अपने गांवों को जलकर नष्ट होते हुए देखा है, अपने माता पिता की हत्या देखी है, उनके साथ भी हिंसा हुई है. अब उनके लिए बस यही बचा है कि 'अगर मुझे शिक्षा मिल जाए तो मैं इससे निकल सकती हूं और अपने जीवन को बदल सकती हूं'. हम अगर उन्हें शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं तो हम उम्मीद के उस आखिरी टुकड़े को भी छीन ले रहे हैं."
सीके/ओएसजे (एएफपी)