1997 में सेवानिवृत्त कर दिए जाने के बाद आईएनएस विक्रांत को एक नए रूप में फिर से भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. यह लगभग पूरी तरह से भारत के ही अंदर बना पहला विमान वाहक जंगी जहाज है.
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आईएनएस विक्रांत को केरल के कोच्चि में नौसेना में कमीशन किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे नौसेना के सुपुर्द किया. यह भारत में ही डिजाइन किया गया और बनाया गया पहला विमानवाहक जंगी जहाज है.
नौसेना में इसके शामिल होने के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो खुद अपना विमानवाहक जंगी जहाज डिजाइन कर सकते हैं और बना सकते हैं. अभी तक यह क्षमता सिर्फ अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन के पास थी.
इसे आईएनएस विक्रांत का पुनर्जन्म भी कहा जा रहा है क्योंकि इस नाम का जहाज दशकों पहले भारतीय नौसेना को अपनी सेवाएं दे चुका है. उसका मूल नाम एचएमएस हरक्यूलीज था और उसे ब्रिटेन में बनाया गया था. भारत ने उसे ब्रिटेन से 1957 में खरीदा था और फिर उसे आईएनएस विक्रांत नाम दे कर 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.
1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में वह जहाज भारतीय नौसेना के बहुत काम आया. उसने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के नेवल ब्लॉकेड का नेतृत्व किया था. 36 सालों तक नौसेना को सेवाएं देने के बाद उसे 1997 में सेवानिवृत्त कर दिया गया था.
90 के दशक में पहली बार भारत सरकार ने देश के अंदर अपने विमानवाहक युद्धपोत को बनाने के कार्यक्रम को हरी झंडी दिखाई और तब फैसला लिया गया कि इस कार्यक्रम के तहत बनने वाला पहला जहाज आईएनएस विक्रांत के प्रति एक श्रद्धांजलि होगा.
लेकिन आज के विक्रांत और पुराने विक्रांत में बहुत फर्क है. पुराना विक्रांत करीब 210 मीटर लंबा था जबकि नया विक्रांत 260 मीटर से भी ज्यादा लंबा है. पूरी तरह लोड कर दिए जाने पर नए विक्रांत का वजन करीब 45,000 टन है, जबकि पुराने विक्रांत का वजन इससे आधा ही था.
इसे बनाने में 17 साल लगे और करीब 20,000 करोड़ रुपयों की लागत आई. इस पर एक बार में करीब 1700 लोग और तरह तरह के लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टर समेत कम से कम 30 जहाज रखे जा सकते हैं. यह इतना विशाल है कि इसे एक 'चलता फिरता शहर' भी कहा जा रहा है.
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इसका डेक 18 मालों का है, यानी दूर से यह एक 18 मंजिलों की इमारत के जैसा नजर आता है. इसके अंदर ही 16 बिस्तरों का एक अस्पताल भी बनाया गया है. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि पूरी तरह से ईंधन भरे जाने के बाद यह 45 दिनों तक समुद्र में रह सकता है.
यह भारतीय नौसेना का दूसरा विमानवाहक जंगी जहाज है. रूसी मूल का आईएनएस विक्रमादित्य पहले से नौसेना को अपनी सेवाएं दे रहा है. अब नौसेना भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर एक साथ एक एक युद्धपोत तैनात कर सकती है.
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अधूरी सफलता?
हालांकि विषेधज्ञों का मानना है कि इस मामले में भारतीय नौसेना अभी भी चीन से पीछे है. डिफेन्स इंटेलिजेंस कंपनी जेन्स के लिए काम करने वाले समीक्षक प्रथमेश कर्ले के मुताबिक चीन के पास कुल 355 जहाज हैं, जबकि भारत के पास सिर्फ 44.
कर्ले के मुताबिक चीन के पास तीन विमानवाहक जहाज, 48 डिस्ट्रॉयर, 43 फ्रिगेट और 61 कोर्वेट हैं, जबकि भारत के पास सिर्फ 10 डिस्ट्रॉयर, 12 फ्रिगेट और 20 कोर्वेट हैं. विक्रांत के भी नौसेना में भर्ती किए जाने के बावजूद भी उसमें कमियां रहेंगी.
विक्रांत के पास खुद के लड़ाकू विमान नहीं होंगे और विक्रमादित्य से लिए विमानों को उस पर तैनात किया जाएगा. विक्रांत के लिए करीब 24 विमान खरीदे जाने हैं लेकिन कॉन्ट्रैक्ट अभी तक दिया नहीं गया है.
भारत के पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "उम्मीद है कि यह पूरी तरह से सफल होगा...हमारी अनूठे रूप से असंबद्ध निर्णय लेने की प्रक्रिया की वजह से विमान का चयन जहाज की परियोजना से अलग हो गया और उस पर अभी तक फैसला नहीं हुआ."
कर्ले का कहना है कि इसके अलावा नौसेना द्वारा प्रकाशित की गई तस्वीरों के आधार पर ऐसा लगता है कि विक्रांत के पास नेवल राडार सिस्टम भी नहीं है, जिसका मतलब है विमानों के साथ विक्रांत की तैनाती में अभी वक्त है. (रॉयटर्स से जानकारी के साथ)
किसके पास कितने विमानवाहक युद्धपोत हैं
विमानवाहक युद्धपोत समंदर में चलता फिरता एयरबेस है, जिस पर विमान उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं. चलिए जानते हैं किस देश के पास कितने विमानवाहक युद्धपोत हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Zumapress
थाईलैंड
थाईलैंड के पास इस समय एक विमानवाहक युद्धपोत है जिसे 1997 में तैयार किया गया था. थाई नौसेना में शामिल यह पोत आज भी अपनी सेवाएं दे रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
नीदरलैंड्स
1940 के दशक के आखिर में नीदरलैंड्स ने ब्रिटेन से दो विमानवाहक युद्धपोत खरीदे थे. इनमें से एक 1968 में अर्जेंटीना को बेच दिया गया और दूसरा 1971 में बेड़े से हटा दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/arkivi
अर्जेंटीना
नीदरलैंड्स से खरीदा गया विमानवाहक युद्धपोत 1969 से 1999 तक सेवा में रहा. इससे पहले अर्जेंटीना के पास 1959 से 1969 तक एआरए इंडिपेंडेंसिया नाम का विमानवाहक युद्धपोत था.
तस्वीर: Reuters
ब्राजील
इस समय ब्राजील के पास फ्रांस में निर्मित एक विमानवाहक युद्धपोत है. इससे पहले 1960 के दशक में खरीदा गया विमानवाहक पोत 2001 तक ब्राजीली नौसेना में शामिल रहा.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa/A. Zemlianichenko
स्पेन
खुआन कार्लोस नाम का विमानवाहक युद्धपोत 2010 से स्पेन की नौसेना का हिस्सा है. स्पेन के पास एक विमानवाहक युद्धपोत रिजर्व में भी है.
तस्वीर: Getty Images/P. Dominguez
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के पास अलग अलग समय में तीन विमानवाहक युद्धपोत रहे हैं. इनमें से दो 1950 के दशक के आखिर तक और एक 1982 तक सेवा में रहा.
तस्वीर: picture-alliance/epa/J. Brown
कनाडा
पिछली सदी के मध्य तक कनाडा के पास ऐसे पांच युद्धपोत थे, जिन्हें 1960 और 1970 के दशक तक खत्म कर दिया गया. अब कनाडा के पास ऐसा कोई युद्धपोत नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/newscom/MC3 K.D. Gahlau
भारत
रूस में तैयार आईएनएस विक्रमादित्य 2013 से भारतीय नौसेना का हिस्सा है. आईएनएस विक्रांत 2016 तक इस्तेमाल होने के बाद रिजर्व में है. एक विमानवाहक युद्धपोत कोच्चि में तैयार हो रहा है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/A. Poyrekar
रूस
इस समय रूस के पास सिर्फ एक विमानवाहक युद्धपोत है. सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने चार विमानवाहक युद्धपोतों में से तीन को स्क्रैप कर दिया जबकि एक भारत को बेच दिया था.
तस्वीर: picture-lliance/AP Photo
जापान
दूसरे विश्व युद्ध से पहले जापान के पास 20 विमानवाहक युद्धपोत थे, जिनमें से 18 को अमेरिका ने लड़ाई में तबाह कर दिया. बाकी दो जापान ने 1946 में स्क्रैप कर दिए.
तस्वीर: Reuters/Handout/P. G. Allen
फ्रांस
फ्रांस की नौसेना के पास इस समय एक विमानवाहक युद्धपोत है. फ्रांस ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद के दशकों में सात विमानवाहक युद्धपोतों को स्क्रैप किया है.
तस्वीर: dapd
जर्मनी
जर्मनी ने बीसवीं सदी की शुरुआत से लेकर दूसरे विश्व युद्ध तक आठ विमानवाहक युद्धपोत तैयार करने की योजना बनाई थी, जो पूरी नहीं हो सकी. फिलहाल जर्मनी के पास ऐसा कोई युद्धपोत नहीं है.
तस्वीर: picture alliance/akg-images
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास अभी कोई विमानवाहक युद्धपोत नहीं है, लेकिन वहां दो विमानवाहक युद्धपोत बनाने पर काम चल रहा है. कभी ब्रिटेन के पास ऐसे 40 पोत थे. इनमें चार दूसरे विश्व युद्ध में तबाह हो गए जबकि बाकी को स्क्रैप कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Marine Nationale
इटली
इटली की नौसेना के पास अभी दो विमानवाहक युद्धपोत हैं जिनमें से एक 1985 और दूसरा 2008 से काम कर रहा है. 1944 में इटली का एक विमानवाहक युद्धपोत डूब गया था जबकि एक 1950 के दशक में स्क्रैप कर दिया गया.
तस्वीर: DW/B. Riegert
चीन
चीन ने पूरी तरह अपने देश में तैयार विमानवाहक पोत को 13 मई 2018 को समंदर में उतारा. इससे पहले चीनी नौसेना के पास रूस में निर्मित एक विमानवाहक युद्धपोत है, जिसे 1998 में यूक्रेन से खरीदा गया.
अमेरिका के पास दस विमानवाहक युद्धपोत हैं जबकि एक रिजर्व में भी है. ये युद्धपोत अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं. अब तक अमेरिका 56 विमानवाहक युद्धपोत स्क्रैप कर चुका है.