राज्य में कुत्ते का मांस सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. राज्य में आवारा कुत्ते कहीं नजर नहीं आते. दूसरे राज्यों से तस्करी के जरिए कुत्ते नागालैंड ले आकर मुंहमांगी कीमतों पर बेचे जाते रहे हैं.
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नागालैंड सरकार ने करीब चार महीने पहले राज्य में कुत्तों और उनके मांस की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन अब गौहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा पीठ ने उस पाबंदी को हटा लिया है. सरकार के फैसले ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री एन क्रोनू ने बताया था कि कुत्तों के वाणिज्यिक आयात व व्यापार पर और कुत्ते के मांस की बिक्री पर पाबंदी लगाने का फैसला राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है. यह रोक कुत्ते के पके हुए और कच्चे दोनों तरह के मांस पर लगी है. क्रोनू का कहना था, "राज्य मंत्रिमंडल ने यह फैसला दूसरे राज्यों से कुत्तों को लाने के खतरों को ध्यान में रखते हुए पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत लिया है.”
इससे पहले फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशंस (एफआईएपीओ) ने राज्य सरकार से नागालैंड में कुत्ते के मांस की बिक्री पर पाबंदी लगाने की अपील की थी. संगठन ने कहा था कि राज्य में कुत्ते के मांस की भारी मांग की वजह से असम और पश्चिम बंगाल से तस्करी के जरिए काफी तादाद में कुत्ते राज्य में लाए जाते हैं और ऊंची कीमतों पर बिकते हैं. उससे दो दिन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने भी सरकार से ऐसी ही अपील की थी. लेकिन राज्य सरकार ने पाबंदी लगाने के बाद दलील दी थी कि यह फैसला आम लोगों की खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया है.
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बाकायदा लाइसेंस जारी किए जाते हैं
सरकार की पाबंदी के फैसले का उस समय बड़े पैमाने पर विरोध शुरू हुआ था. कुत्ते के मांस का कारोबार करने वालों को कोहिमा नगर निगम की ओर से बाकायदा लाइसेंस जारी किए जाते हैं. इन कारोबारियों ने सरकारी फैसले को चुनौती देते हुए गौहाटी हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. सरकारी सूत्रों ने बताया कि याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने बीते 14 सितंबर को नागालैंड सरकार को इस मामले में कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने का मौका दिया था. लेकिन सरकार ने अदालत में हलफनामा दायर नहीं किया.
अब कोर्ट के इस फैसले के बाद मांस का व्यावसायिक आयात, व्यापार, कुत्ते की बिक्री और कुत्ते के मांस की बिक्री फिलहाल फिर शुरू हो गई है. अदालत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए एक याचिकाकर्ता एन क्वोत्सू कहते हैं, "सरकारी पाबंदी से इस कारोबार से जुड़े हजारों लोगों की आजीविक ठप हो गई थी. कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने परिस्थिति को और गंभीर बना दिया है. हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं.”
कई देशों में बैन हैं ये खूंखार कुत्ते
भारत में खूंखार कुत्ता पालना स्टेटस सिंबल सा बन गया है. दूसरों की परवाह किए बिना लोग ऐसे कुत्ते पाल रहे हैं जो कई देशों में बैन हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
पिटबुल टेरियर और बुल टेरियर
बेहद आक्रामक और सिरफिरे किस्म की इन प्रजातियों को जर्मनी, डेनमार्क, स्पेन, ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड, रोमानिया, कनाडा, इटली और फ्रांस में बैन किया गया है. ताकतवर जबड़ों वाला पिटबुल अपने इलाके के लेकर बहुत ही गुस्सैल होता है. गुस्सा आने पर मालिक भी इसे काबू नहीं कर पाता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP
रोटवाइलर
हर वक्त चुस्त रहने वाले रोटवाइलर स्पेन और फ्रांस में बैन है. कुत्ते की यह नस्ल आम तौर पर चौकीदारी में बहुत तेज होती है. इसे ढंग से ट्रेनिंग न दी जाए या मालिक खुद कंप्यूज रहे तो रोटवाइलर को संभालना मुश्किल हो जाता है.
तस्वीर: Eva-Maria Krämer
अकीता इनु
जापान से निकली कुत्ते की यह नस्ल स्पेन और आयरलैंड में बैन है. अकिता आक्रामक किस्म का कुत्ता है. यह बड़े मूडी भी माने जाते हैं. खेल खेल में ये कब भड़क जाएं, अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. अमेरिकी केनल क्लब के मुताबिक इस कुत्ते को बच्चों के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/CPA Media
मास्टिफ
मास्टिफ प्रजाति में कई किस्मे के कुत्ते आते हैं और ये सभी फ्रांस में प्रतिबंधित हैं. शांत स्वभाव वाले इन कुत्तों में बहुत ज्यादा ताकत होती है. इन्हें घुमाना आसान नहीं. अक्सर ये कमजोर लोगों को अपने साथ चेन या पट्टे समेत खींच ले जाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Risberg
स्टेफोर्डशायर टेरियर
यह नस्ल भी डेनमार्क, जर्मनी, स्पेन, आयरलैंड, फ्रांस और रोमानिया में बैन है. आम तौर पर स्टेफोर्डशायर टेरियर कुत्ते पारिवारिक माने जाते हैं. लेकिन इनके भीतर भी अपने इलाके को लेकर बहुत ज्यादा संवेदनशीलता होती है. गुस्सा आने पर यह कहना नहीं मानते.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
रूसी शेपर्ड डॉग
डेनमार्क में बैन यह कुत्ता अपनों की बखूबी हिफाजत करता है. लेकिन बाहरी किसी चीज को बर्दाश्त नहीं करता. भले ही वो बच्चे हों, मेहमान हो या जानवर. इस कुत्ते का वजन 36 से 80 किलो तक जा सकता है.
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राज्य के विपक्षी दल नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के विधायक चोतिसू साजो कहते हैं, "नागा समुदाय में कुत्ते को पालतू जानवर और इंसानों का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है. लेकिन साथ ही हम कुत्ते के मांस को बेहद अहम मानते हैं और दवा के तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं. यह सदियों से नागा संस्कृति और जनजीवन का हिस्सा रहा है. ऐसे में अदालत का फैसला स्वागत के योग्य है.”
प्रोटीन का अहम जरिया
इस पूर्वोत्तर राज्य में कुत्ते का मांस खाने का प्रचलन रहा है. नागालैंड के कुछ समुदाय इसे अपने प्रोटीन का जरिया मानते हैं. यही वजह है कि पाबंदी लगने के बाद कई नागरिक अधिकार संगठनों ने इसका विरोध किया. इन संगठनों का तर्क था कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में लोगों को अपनी पसंद का भोजन चुनने की आजादी होनी ही चाहिए. इनमें उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) का इसाक-मुइवा गुट भी शामिल था. संगठन ने अपने बयान में कहा था, "किसी भी सरकार को नागा संस्कृति में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है. जब देश के दूसरे राज्यों में मुर्गे, बकरियों, गाय, भेड़ और भैंसों समेत कई जानवरों के मांस के सेवन पर कोई पाबंदी नहीं है तो यहां कुत्ते के मांस पर भला पाबंदी कैसे लगाई जा सकती है. महज एक सरकारी आदेश से लोगों की खान-पान की आदतों को बदलना मुमकिन नहीं है.”
एक सामाजिक कार्यकर्ता जीटी साजो कहते हैं, "सरकार ने कुत्ते के मांस के कारोबार का फैसला काफी जल्दबाजी में लिया था. हमारे देश में ऐसी कोई पाबंदी लगाने से पहले विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था. इसके बिना कोई फैसला थोपना आम लोगों के खान-पान के अधिकार में हस्तक्षेप ही माना जाएगा. बहरहाल अब अदालत के फैसले से गलती दुरुस्त हो गई है.”
दुनिया भर में कुत्तों की 10 नस्लें सबसे ज्यादा पाली जाती हैं. एक नजर इन कुत्तों और उनके मिजाज पर.
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10. चिवावा
देखने में छोटे लेकिन तेज तर्रार और गु्स्सैल. कुत्तों की यह प्रजाति बहुत ही तेज प्रतिक्रिया देती है. छोटे कद के बावजूद इनकी हिम्मत इंसान को पंसद आती है. गुस्सा आने पर यह मालिक को भी नाराजगी तुरंत दिखा देते हैं.
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09. बुलडॉग
अपने घर और इलाके से प्यार करने वाले बुलडॉग आम तौर पर नींद निकालना बहुत पंसद करते हैं. तेज गर्मी इनसे बर्दाश्त नहीं होती. गुस्सा आने पर यह बेहद आक्रामक हो जाते हैं.
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08. बीगल
लंबे कान और नाटा कद. बीगल की नाक बहुत ही तेज होती हैं. खाने की खूशबू पाते ही यह मालिक को रिझाने लगते हैं. कई लोगों को इनकी यही मुहब्बत बड़ी पसंद आती है.
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07. बॉक्सर
ताकतवर शरीर और चेहरे पर हमेशा गंभीर चिंतन वाला भाव. बॉक्सर इसके लिए मशहूर हैं. बॉक्सर को खेल कूद काफी पंसद हैं. यह रखवाली भी जबरदस्त ढंग से करते हैं. लेकिन कुर्सी, मेज, जूते और पौधे अक्सर इनके खेल कूद की भेंट चढ़ जाते हैं.
नाटे लेकिन पीछा करने में माहिर. डाक्सहुंड असल में शिकारी प्रवृत्ति के कुत्ते हैं. यह पूरे परिवार से मुहब्बत करने के बजाए किसी एक पर जान छिड़कते हैं.
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05. यॉर्कशर टेरिएर
घने, मुलायम, लंबे बाल, यह छोटे आकार वाले यॉर्कशर टेरियर की पहचान हैं. खेल कूद में माहिर ये नस्ल हमेशा चौकन्नी भी रहती हैं. दूसरे कुत्तों के मुकाबले ये ज्यादा मूडी भी होते हैं.
तस्वीर: Colourbox
04. पूडल
डॉग शो में पूडल की उपस्थिति हमेशा दिखाई पड़ती हैं. तैराकी पसंद करने वाले ये कुत्ते इंसान और दूसरे जीवों के साथ आसानी से घुल मिल जाते हैं.
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03. जर्मन शेपर्ड
खोजी और बहादुर रखवाले, जर्मन शेपर्ड कुत्ते पुलिस, सेना और किसानों का बड़ा सहारा बनते हैं. बहुत तेज दिमाग वाले ये कुत्ते ट्रिक्स बड़ी जल्दी सीखते हैं. लेकिन गर्म जलवायु इन्हें परेशान करती है.
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02. गोल्डन रिट्रिवर
लंबे भूरे या सुनहरे बालों वाले गोल्डन रिट्रिवर देखने में बड़े खूबसूरत और मासूम लगते हैं. ये बहुत ही मिलनसार होते हैं और अंजान लोगों से भी आसानी से घुल मिल जाते हैं. ये बच्चों के साथ भी बड़े दोस्ताना ढंग से पेश आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur-online/V. Cap
01. लेब्राडोर रिट्रिवर
ये कुत्ते अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके में सबसे ज्यादा पाले जाते हैं. ये बहुत ही सामाजिक और पारिवारिक नस्ल है. इंसान के साथ वक्त बिताने में इन्हें बड़ा मजा आता है. लेकिन अगर इन्हें पर्याप्त समय न दिया जाए तो ये बहुत जल्द उदास भी हो जाते हैं.