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समाज

कोरोना संकट के बीच रमजान का महीना

२१ अप्रैल २०२०

इस्लामी दुनिया भी कोरोना महामारी से निपट रही है. ऐसे वक्त में दुनियाभर में इस्लाम को मानने वाले रमजान का रोजा रखेंगे लेकिन महामारी से बचने के लिए सामाजिक दूरी भी जरूरी है. साथ नमाज पढ़ना या इफ्तार करना इस बार मुश्किल है.

Symbolbild Ramadan Mekka

इस्लामी कैलेंडर का सबसे पवित्र महीना है रमजान, जिसमें परिवार और समुदाय में एकजुटता और गहरी हो जाती है. रमजान नमाज, दुआ और दान का महीना है. लेकिन कोरोना वायरस संकट के समय मस्जिदों में सार्वजनिक नमाज नहीं हो रही है. कोरोना वायरस कर्फ्यू सेनेगल से लेकर दक्षिणपूर्व एशिया तक लगा हुआ है और करीब 1.8 अरब मुसलमान एक ऐसे रमजान का सामना करने जा रहे हैं जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया. पूरे मुस्लिम जगत में कोरोना वायरस ने रमजान के शरू होने से पहले नई स्तर की चिंता पैदा कर दी है. अल्जीयर्स में 67 साल की यामिने हरमर्श आमतौर पर रमजान में रिश्तेदारों और पड़ोसियों की इफ्तार के दौरान मेहमाननवाजी करती हैं लेकिन इस साल उन्हें भय है कि अलग होगा. वह कहती हैं, "हम उनके घर नहीं जाएंगे, वो हमारे घर नहीं आएंगे.” रोते हुए हरमर्श कहती हैं, "कोरोना वायरस के कारण हर कोई डरा हुआ है, यहां तक की खास मेहमानों से भी.”

अल्जीरिया में मस्जिदें बंद कर दी गईं हैं. हरमर्श के शौहर 73 साल के मोहम्मद जेमुदी को किसी और चीज की भी चिंता है. वह कहते हैं, "मैं तरावीह की नमाज के बिना रमजान की सोच नहीं सकता हूं.” इफ्तार के बाद मस्जिदों में सब लोग साथ तरावीह की नमाज पढ़ते हैं. खाड़ी क्षेत्र में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बाद सऊदी अरब ने मुसलमानों से नमाज के लिए इकट्ठा ना होने और मेल-मिलाप ना करने को कहा है. सोमवार 20 अप्रैल को सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्री तौफीक अल-राबिया ने टेलीविजन पर दिए बयान में कहा, "हम सब एक नाव में सवार हैं, अगर हम एक साथ प्रतिबद्ध रहते हैं तो हम सुरक्षित रूप से किनारे तक पहुंच जाएंगे. रमजान के दौरान कई सामाजिक गतिविधियां होती हैं, यह साल थोड़ा अलग होगा और सभी से आग्रह करता हूं कि वे सामाजिक दूरी बनाए रखें."

रमजान में लोग साथ मिलकर रोजा खोलते हैं. (फाइल तस्वीर.)तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. A. Mohammedaw

जॉर्डन की सरकार पड़ोस के अरब देशों के साथ मिलकर फतवा का ऐलान करने वाली है. इस तरह से सरकार बताएगी कि किन किन धार्मिक कार्यक्रमों की अनुमति होगी, लेकिन लाखों मुसलमानों के लिए यह अभी से बिलकुल अलग सा अनुभव है. अफ्रीका से लेकर एशिया तक कोरोनो वायरस ने उदासी और अनिश्चितता की छाया डाल दी है. 23 लाख की आबादी वाले काहिरा के लिए कोरोना वायरस विनाशकारी साबित हो रहा है. काहिरा के बाजारों से रौनक गायब है. ऐतिहासिक अल-सैयदा जैनब मस्जिद के बगल में स्टॉल लगाने वाले समीर अल-खतीब कहते हैं, "लोग दुकानों में नहीं जाना चाहते हैं. वे बीमारी से डरे हुए हैं. यह अब तक का सबसे बुरा साल है. पिछले साल की तुलना में हमने एक चौथाई की भी बिक्री नहीं की है.” रमजान के दौरान मिस्र की राजधानी में मेज पर खजूर और मीठे खुबानी से सजते थे ताकि लोग अपना रोजा खोल सकें. लेकिन प्रशासन ने रात का कर्फ्यू लगा दिया है और सामुदायिक प्रार्थनाएं और अन्य गतिविधियों पर रोक लगी हुई है.

अबु धाबी में बतौर इंजीनियर काम करने वाले भारतीय मोहम्मद असलम तीन रूम के अपार्टमेंट में 14 अन्य लोगों के साथ रह रहे हैं. वे कोरोना वायरस के कारण बेरोजगार हैं. असलम जिस इमारत में रहते थे वहां कोरोना का मामला सामने आने के बाद उसे क्वारंटीन कर दिया गया है. असलम दान में मिलने वाले भोजन से अपना काम चला रहे हैं. संयुक्त अरब अमीरात ने 19 अप्रैल से एक करोड़ फूड पैकेट ऐसे लोगों को बांटने का काम शुरू किया है जो कोरोना के कारण प्रभावित हुए हैं.

एए/सीके (रॉयटर्स)

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