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मानवाधिकारदक्षिण कोरिया

महिलाओं की जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं डीपफेक वीडियो

७ अक्टूबर २०२४

दक्षिण कोरिया में डीपफेक पोर्न वीडियो महिलाओं की जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं. यह एक ऐसी महामारी बन गई है, जिस पर काबू पाना मुश्किल हो गया है.

सोल में महिला अधिकारियों के लिए प्रदर्शन
तस्वीर: Kim Jae-Hwan/ZUMA Wire/IMAGO

30 साल की एक दक्षिण कोरियाई महिला के लिए अपनी फर्जी न्यूड तस्वीरें देखने का सदमा इतना गहरा था कि आज तीन साल बाद भी वह उससे उबरने की कोशिश कर रही हैं. उन्हें मर्दों से बात करने में मुश्किल होती है. मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना उन्हें फिर से वही भयानक बात याद दिला देता है.

अपना नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर इस महिला ने समाचार एजेंसी एपी को बताया, "भले ही यह मेरे शरीर पर सीधे तौर पर शारीरिक हमला नहीं था लेकिन उस अनुभव ने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया."

दक्षिण कोरिया में पिछले कुछ समय में कई महिलाएं सामने आई हैं जिनके साथ ऐसे ही अनुभव हुए. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक इन सबकी कहानियां लगभग एक जैसी हैं क्योंकि देश बिना सहमति के बनाए गए, डीपफेक वीडियो और तस्वीरों की बाढ़ से जूझ रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उभार के बाद ऐसे वीडियो बनाना बहुत आसान हो गया है.

पिछले महीने दक्षिण कोरिया की संसद ने कानून में संशोधन किया, जिसके तहत डीपफेक पोर्नोग्राफी देखना या रखना अब अवैध बना दिया गया है. 

डीपफेक पोर्न बनाने वाले अधिकांश संदिग्ध अपराधी किशोर लड़के हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये लड़के अपनी दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों को निशाना बनाते हैं. इनमें से भी ज्यादातर नाबालिग होती हैं . इन अपराधों के पीछे मजाक, जिज्ञासा या स्त्रियों के लिए नफरत की भावनाओं जैसे कारण होते हैं.

स्कूलों को निशाना बनाया

दक्षिण कोरिया में डीपफेक पोर्नोग्राफी का मामला तब और ज्यादा चर्चा में आया जब बीते अगस्त में पीड़ितों के स्कूलों की अपुष्ट सूचियां ऑनलाइन शेयर की गईं. कई लड़कियों और महिलाओं ने फटाफट अपने इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट से तस्वीरें और वीडियो हटा लिए. हजारों युवा महिलाओं ने डीपफेक पोर्न के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किए. राजनेताओं, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर फोरम आयोजित किए.

दक्षिण कोरिया की हैलिम यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की प्रोफेसर शिन क्यंग-आह कहती हैं, "किशोर लड़कियां यह सोचकर असहज महसूस कर रही होंगी कि उनके पुरुष सहपाठी ही तो अपराधी नहीं हैं. उनके बीच आपसी विश्वास पूरी तरह से टूट गया है."

स्कूल की सूचियों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन राष्ट्रपति यून सुक योल समेत कई बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया पर डीपफेक कंटेंट बढ़ने की पुष्टि की है. पुलिस ने सात महीने लंबा एक अभियान शुरू किया है.

इससे पहले फ्रांस में अगस्त में ही टेलीग्राम ऐप के संस्थापक पावेल ड्यूरोव को बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी सामग्री को उनके प्लैटफॉर्म पर शेयर किए जाने जैसी अवैध गतिविधियों के आरोपों में गिरफ्तार किया गया. दक्षिण कोरिया में दूरसंचार और प्रसारण की निगरानी करने वाली संस्था के मुताबिक टेलीग्राम ने अवैध डीपफेक कंटेंट के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति लागू करने का वादा किया है.

किशोर लड़के सबसे ज्यादा

पुलिस का कहना है कि इस साल 387 लोगों को डीपफेक से जुड़े अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 80 फीसदी से ज्यादा किशोर हैं. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक लगभग 800 छात्रों ने इस साल अधिकारियों को अपनी निजी डीपफेक सामग्री के बारे में जानकारी दी है.

विशेषज्ञों का कहना है कि देश में डीपफेक पोर्नोग्राफी की असली समस्या इससे कहीं बड़ी है. अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी फर्म 'सिक्योरिटी हीरो' ने पिछले साल दक्षिण कोरिया को "डीपफेक पोर्नोग्राफी का सबसे अधिक निशाना बनाए जाने वाला देश" कहा था. एक रिपोर्ट में कहा गया कि डीपफेक पोर्नोग्राफी में शामिल व्यक्तियों में दक्षिण कोरियाई गायक और अभिनेत्रियां दुनिया भर में आधे से अधिक हैं.

तस्वीर: Colourbox

दक्षिण कोरिया में डीपफेक पोर्नोग्राफी के प्रसार के कई कारण हैं. इनमें स्मार्टफोन का अत्यधिक इस्तेमाल, स्कूलों में व्यापक सेक्स और मानवाधिकार शिक्षा की कमी और नाबालिगों के लिए सोशल मीडिया के अपर्याप्त नियम शामिल हैं. सोल यूनिवर्सिटी के अर्बन ह्यूमैनिटीज संस्थान में शोध प्रोफेसर हांग नाम-ही कहते हैं कि "स्त्री विरोधी संस्कृति" और "महिलाओं का सेक्सुअल ऑजब्जेक्टिफिकेशन" करने वाली सामाजिक सोच भी इसके लिए जिम्मेदार है.

संसद में, सांसद किम नाम-ही ने एक अज्ञात पीड़िता का पत्र पढ़ा, जिसने कहा कि वह डीपफेक वीडियो के कारण और अधिक पीड़ा सहन नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने आत्महत्या करने की कोशिश की. एक फोरम में, विपक्षी पार्टी की पूर्व नेता पार्क जी-ह्यून ने एक और पीड़िता का पत्र पढ़ा, जिसमें उसने कहा कि यौन दुर्व्यवहार वाले डीपफेक वीडियो मिलने के बाद वह बेहोश हो गई और उसे इमरजेंसी में ले जाया गया. अपराधियों ने उसे बताया कि वे उसका पीछा कर रहे थे.

बर्बाद होती जिंदगियां

समाचार एजेंसी एपी से बात करने वाली 30 वर्षीय महिला ने कहा कि उसके साथ हुई घटना ने अमेरिका में उसके डॉक्टरेट अध्ययन को एक साल के लिए रोक दिया. उसे 2022 में पैनिक डिसऑर्डर और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) का पता चला और उसका इलाज चल रहा है.

पुलिस का कहना है कि लगभग 20 महिलाओं के फर्जी अश्लील कंटेंट बनाने और फैलाने के आरोप में पांच पुरुषों को हिरासत में लिया गया है. इन 20 महिलाओं में वह महिला भी शामिल है. सभी पीड़ित सोल नेशनल यूनिवर्सिटी की ग्रैजुएट्स हैं, जो देश का सबसे प्रमुख विश्वविद्यालय है. जिन दो पुरुषों ने उसे फर्जी अश्लील तस्वीरें भेजी थीं, उनमें से एक उसी विश्वविद्यालय में पढ़ता था, लेकिन महिला को उसकी कोई खास याद नहीं है.

महिलाओं के लिए डर का दूसरा नाम, नाइट ड्यूटी

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महिला ने बताया कि उसे जो तस्वीरें टेलीग्राम पर मिलीं, वे उसकी खुद की तस्वीरों का इस्तेमाल करके बनाई गई थीं. ये तस्वीरें स्थानीय मेसेजिंग ऐप काकाओ टॉक पर पोस्ट की गई थीं और उन्हें अजनबियों की न्यूड तस्वीरों के साथ मिलाया गया था. एक फोटो में 42 लोगों के टेलीग्राम चैटरूम का स्क्रीनशॉट दिखाया, जहां उसकी फर्जी तस्वीरें पोस्ट की गई थीं.

महिला का कहना है कि मर्दों के साथ भरोसे का रिश्ता बनाना उसके लिए तनावपूर्ण हो गया है, क्योंकि उसे चिंता रहती है कि "साधारण दिखने वाले लोग मेरी पीठ पीछे ऐसी चीजें कर सकते हैं." स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी कभी-कभी फर्जी तस्वीरों की यादें ताजा कर देता है.

वह कहती हैं, "आजकल लोग एक-दूसरे से आमने-सामने बात करने की तुलना में अपने मोबाइल फोन पर अधिक समय बिताते हैं. इसलिए अगर फोन पर डिजिटल अपराध हो जाए तो हम वास्तव में उस आघात से आसानी से बच नहीं सकते. मैं बहुत मिलनसार थी और नए लोगों से मिलना पसंद करती थी, लेकिन उस घटना के बाद मेरी पूरी पर्सनैलिटी बदल गई है. इससे मेरा जीवन बहुत मुश्किल हो गया है और मुझे दुख होता है."

बच निकलते हैं अपराधी

आलोचकों का कहना है कि हाल के वर्षों में महिलाओं के सार्वजनिक शौचालयों और अन्य स्थानों पर गुप्त कैमरों से बनाए गए अश्लील वीडियो जैसे ऑनलाइन सेक्स अपराधों की महामारी के बावजूद, अधिकारियों ने डीपफेक पोर्न के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की है. 2020 में, एक आपराधिक गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया और सैकड़ों महिलाओं के यौन वीडियो बनाने के लिए ब्लैकमेल करने के आरोप में दोषी ठहराया गया.

सामाजिक संस्था रीसेट ने एक बयान में कहा, "डीपफेक पोर्न देखने वाले किशोर लड़कों की संख्या बढ़ गई है, क्योंकि अधिकारियों ने डिजिटल सेक्स अपराधों के लिए सख्त सजा की मांग कर रही महिलाओं की आवाज को नजरअंदाज किया है."

दक्षिण कोरिया के पास डीपफेक ऑनलाइन पोर्न की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. लेकिन रीसेट का कहना है कि हाल ही में एक ऑनलाइन चैटरूम की एक सर्च में 4,000 से अधिक यौन शोषण करने वाली तस्वीरें, वीडियो और अन्य चीजें मिलीं.

जिला अदालत के फैसलों की समीक्षाओं से पता चला है कि 2021 से वकीलों द्वारा डीपफेक अपराधों के लिए आरोपित 87 लोगों में से एक तिहाई से भी कम को जेल भेजा गया था. लगभग 60 फीसदी को या तो जुर्माना हुआ या जेल की निलंबित सजा सुनाई गई. इनमें से आधे आरोपी किशोर थे.

वीके/सीके (एपी)

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