एचआईवी की वजह से पिछले दिनों चर्चा में आए उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में अब शादी से पहले कुंडलियां नहीं, एचआईवी के सर्टिफिकेट मिलाए जा रहे हैं.
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पिछले दिनों यहां एक ही इलाके में करीब पचास लोगों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के कारण इलाके के लोगों को शादियों के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बांगरमऊ इलाके में जहां यह घटना सामने आई थी, वहां पहले तो लोग अपने बेटे या बेटियों की शादी नहीं कर रहे हैं और यदि कर भी रहे हैं तो इस बात का इत्मीनान करके कि शादी वाले घर में कोई एचआईवी पॉजिटिव तो नहीं है. इसके चलते यहां ज्यादातर लोग खुद ही एचआईवी टेस्ट करा रहे हैं और रिश्ता तय होने से पहले इसे प्रमाण के तौर पर पेश कर रहे हैं.
बांगरमऊ के प्रेमगंज के रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके बेटे की शादी कन्नौज में तय हुई थी. उन्होंने बताया, "शादी पहले से ही तय थी लेकिन घटना सामने आने के बाद लड़की के घर वालों को कुछ आशंका हुई. हम लोगों ने उनकी आशंका को दूर करने के लिए न सिर्फ बेटे का, बल्कि अपना और पत्नी का भी एचआईवी टेस्ट कराया. सभी का टेस्ट नेगेटिव निकला और चार मार्च को धूम-धाम से शादी हो गई."
एड्स पर अहम जानकारी
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दरअसल, बांगरमऊ में लोग शादी से पहले कुंडलियां मिलाने की बजाय यह सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दे रहे हैं कि होने वाला जीवनसाथी एचआईवी नेगेटिव हो. बांगरमऊ का प्रेमगंज मोहल्ला तब चर्चा में आया था जब यहां बड़ी संख्या में लोगों के एचआईवी पॉजिटिव होने की बात सामने आई थी. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि पहले तो यहां रिश्ता करने में लोग हिचक रहे थे लेकिन अब इस बात को सुनिश्चित करने के बाद कि परिवार में किसी को एचआईवी नहीं है, शादी करने में कोई आपत्ति नहीं होती.
स्थानीय सभासद सुनील कुमार कहते हैं कि स्थानीय लोगों को इस बात पर आपत्ति नहीं है और ज्यादातर लोग स्वेच्छा से टेस्ट करा रहे हैं ताकि भविष्य में उन्हें शादी-विवाह में कोई परेशानी न हो. वहीं, एड्स सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर आईएस गिलाडा इसे एक अच्छी पहल मान रहे हैं. उनका कहना है, "कई बार ऐसी शर्तें रखने पर शादियां टूट जाती हैं लेकिन इस मामले में लड़की और लड़के वालों की तारीफ करनी चाहिए. इस तरह के मामलों से सीख लेकर अब लोग बिना कहे ही जांच करा रहे हैं ताकि संदेह की गुंजाइश न रहे और जिन्हें यह बीमारी है, उसका भी पता चल जाए."
उन्नाव में तीन फरवरी को स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बांगरमऊ में खून की जांच के लिए एक कैंप लगाया गया था. जहां खून के नमूने लेने के बाद जब जांच की गई, तो पहली बार मे 46 मरीज एचाईवी पॉजिटिव पाए गए. मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. ग्रामीणों का आरोप है कि झोलाछाप डॉक्टर राजेंद्र यादव ने एक ही इंजेक्शन का बार-बार इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से लोग संक्रमित हो गए.
पार्षद सुनील कुमार कहते हैं कि राजेंद्र यादव आस-पास के मोहल्ले और गांवों में भी लोगों का इलाज करता था और कैंप लगाकर जांच करता था, लेकिन सिर्फ प्रेमगंज में ही इतने लोग एचआईवी पॉज़िटिव कैसे हो गए. इस मामले में उन्नाव के जिला मजिस्ट्रेट के इस बयान पर भी लोगों ने नाराजगी जताई थी कि प्रेमगंज के बहुत से लोग ट्रक ड्राइवर हैं और इसीलिए वहां एचाईवी के अधिक मामले पाए गए हैं.
इस मामले के सामने आने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने घटना की जांच के आदेश दिए और कहा कि इस मामले के दोषी और बिना लाइसेंस के प्रैक्टिस कर रहे अन्य लोगों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
रिपोर्टः समीर मिश्र
दुनिया एड्स के शिकंजे में
संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ का कहना है कि एड्स से लड़ाई के खिलाफ दुनिया में बहुत काम हुआ है. लेकिन इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकने की मंजिल अभी बहुत दूर है.
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जागरूकता की जरूरत
दुनिया भर में एक दिसंबर को वर्ल्ड एड्स दिवस के तौर पर मनाया जाता है. यह तस्वीर जर्मन शहर कोलोन की है जहां सुरक्षित यौन संबंधों को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए 12 मीटर ऊंचा कंडोम बनाया गया है.
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करोड़ों प्रभावित
लंबे समय तक माना जाता रहा कि एयर कनाडा के एक फ्लाइट अटेंडेंट गायटान डुगास 1970 के दशक में एचआईवी वायरस को पश्चिमी दुनिया में लेकर गए. लेकिन बाद में जांच से पता चला कि इस वायरस को फैलाने के लिए वह जिम्मेदार नहीं थे. आज तक इस वायरस से 7.8 करोड़ लोग संक्रमित हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस समय दुनिया में 3.7 करोड़ इससे पीड़ित हैं
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बच्चों पर सबसे ज्यादा मार
एड्स को लेकर काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएड्स का कहना है कि 2015 में 11 लाख लोग एड्स से मारे गए. इनमें से 1.1 लाख की उम्र 15 साल से कम थी. शुरू से लेकर अभी तक इस बीमारी से 3.5 करोड़ लोग मारे जा चुके हैं.
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एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लड़ाई
एशिया में एचआईवी वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 50 लाख है. अब संक्रमण का फैलाव कम हुआ और 41 प्रतिशत लोगों का इलाज हो रहा है. भारत में एचआईवी पीड़ित 21 लाख लोग हैं जबकि चीन में ऐसे लोगों की संख्या 7.8 लाख बताई जाती है.
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अफ्रीका में एड्स
पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में लगभग 1.9 करोड़ लोग एचआईवी के साथ जी रहे हैं. पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में 65 लाख लोगों को यह बीमारी है. मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में ऐसे लोगों का आंकड़ा 2.3 लाख है.
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औद्योगिक दुनिया में एड्स
एचआईवी से कोई महाद्वीप अछूता नहीं है. 2015 में पश्चिमी और मध्य यूरोप और उत्तरी अमेरिका में एचआईवी से संक्रमित लोगों की संख्या 24 लाख थी. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि पिछले साल एड्स के कारण इन क्षेत्रों में 22 हजार लोग मारे गए हैं.
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दक्षिणी अमेरिका में एड्स
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दक्षिणी अमेरिका में लगभग 20 लाख लोग एड्स के साथ जी रहे हैं. इस बीमारी से वहां पिछले साल 50 हजार लोग मारे गए. 2010 से वहां एड्स से जुड़े मामलों में 18 प्रतिशत की कमी आई है और आधे से ज्यादा लोगों को इलाज की सुविधा प्राप्त है.
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भारत में एड्स
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत में फिलहाल 21 लाख लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं. बीते एक दशक में एड्स की चपेट में आने वाले नए मरीजों की तादाद में काफी कमी आई है. 2005 में जहां यह आंकड़ा 150000 था वहीं 2016 में इसकी तादाद घट कर 80 हजार रह गयी है.
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कम हुई मौतें
एक अच्छी खबर है. 2005 के बाद से अब तक एड्स के कारण होने वाली सालाना मौतों में 45 फीसदी कमी आई है. 2005 में इस वायरस से 20 लाख लोग मारे गए थे.
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घर पर टेस्टिंग
यूरोपीय संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि संक्रमित हर सात लोगों में से एक को नहीं पता होता कि वह संक्रमित है. ऐसे में, ऐसी किट की वकालत की जा रही है जिससे कोई भी घर पर पता लगा सके कि वो संक्रमण का शिकार है या नहीं.
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आखिरकार, टीका?
वैज्ञानिक एक ऐसे टीके के बारे में हो रहे प्रयोगों को लेकर उत्साहित हैं जो नए संक्रमण को रोक सकेगा. दक्षिण अफ्रीका में 5,400 लोगों पर इस टीके के ट्रायल हुए हैं. वैज्ञानिकों को 2020 तक इस रिसर्च के नतीजे मिलने की उम्मीद है.