21वीं सदी के भारत में बंधुआ मजदूरी एक कड़वा सच है. रोजगार का लालच देकर बंधुआ मजदूरी कराने वाले भोल-भाले लोगों को अपने जाल में फांस लेते हैं. ताजा मामले में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से 127 बंधुआ मजदूरों को छुड़ाया गया है.
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को मिली शिकायत के बाद अलीगढ़ जिला प्रशासन ने बंसाली गांव में एक ईंट भट्टे से 127 बंधुआ मजदूरों को छुड़ाया है. इन लोगों में 67 बच्चे भी शामिल हैं. छुड़ाए गए सभी लोगों को बिहार के नवादा जिला भेज दिया गया है. बताया जाता है कि पिछले महीने बंधुआ मजदूरों में से एक ने ईंट भट्ठा मालिक के रिश्तेदार पर नाबालिग लड़की के साथ कथित यौन उत्पीड़न करने की एफआईआर दर्ज कराई थी.
इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. इसके बाद मजदूरों ने कहा था कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और वे यहां असुरक्षित महसूस करते हैं, लिहाजा वे अपने घर वापस लौटना चाहते हैं. इगलास के उप-मंडल मजिस्ट्रेट कुलदेव सिंह ने कहा कि आरोपों की जांच के लिए जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से 3 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था और पूछताछ के दौरान यह पाया गया कि मजदूर बिहार वापस जाना चाहते हैं. लिहाजा उनके लिए एक बस की व्यवस्था की गई और वे मंगलवार, 6 अप्रैल को बिहार रवाना हुए.
अधिकारियों ने बताया कि हर मजदूर को प्रति 1,000 ईंटें बनाने पर 400 रुपये दिए जाते थे. यहां काम करने के लिए आने से पहले मजदूरों ने 25-25 हजार रुपये एडवांस में लिए थे.
पुलिस ने ईंट भट्ठे की मालकिन और उसके बेटे के खिलाफ बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 की धारा 16, 17 के तहत मामला दर्ज किया है.
2011 की जनगणना में देश में 1,35,000 बंधुआ मजदूरों की पहचान की गई थी. भारत में बंधुआ मजदूरी के खात्मे के लिए पहली बार कानून 1976 में बना था. कानून में बंधुआ मजदूरी को अपराध की श्रेणी में रखा गया था. साथ ही बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराए गए लोगों के आवास और पुर्नवास के लिए दिशा निर्देश भी इस कानून का हिस्सा हैं. लेकिन दशकों बाद भी बंधुआ मजदूरी से जुड़े मामले आते रहते हैं.
बाल श्रम की बात की जाए तो पूरे देश में 5 से 14 साल की उम्र वाले कामकाजी बच्चों की संख्या करीब 44 लाख है. कई बार बच्चों से बतौर बंधुआ मजदूर भी जबरन काम करवाया जाता है और उन्हें उसके बदले पैसे तक नहीं मिलते हैं.
एए/सीके (रॉयटर्स)
भारत में 85 फीसदी महिलाएं वेतन बढ़ने और प्रमोशन से चूकीं- रिपोर्ट
लिंक्डइन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 85 फीसदी महिलाएं वेतन वृद्धि और पदोन्नति से चूक गईं. इसमें कहा गया है कि देश में कई महिलाओं के पास घर से काम करने की छूट है लेकिन वे समय की कमी जैसी बाधाओं का सामना करती हैं.
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महिला कर्मचारियों के लिए समानता का रास्ता अभी दूर
लिंक्डइन ऑपर्च्युनिटी इंडेक्स 2021 रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एशिया प्रशांत के 60 फीसदी औसत से 15 फीसदी अधिक यानी 85 फीसदी महिला कर्मचारियों से औरत होने के कारण वेतन वृद्धि, पदोन्नति और अन्य लाभ के मौके छिन गए.
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काम और परिवार की जिम्मेदारी
रिपोर्ट में कहा गया कि 10 में 7 कामकाजी महिलाओं और मांओं को लगता है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाना अक्सर उनके करियर के विकास में आड़े आता है. लगभग दो-तिहाई कामकाजी महिलाओं (63 प्रतिशत) और कामकाजी माताओं (69 प्रतिशत) ने कहा कि उन्हें पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण काम में भेदभाव का सामना करना पड़ा.
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"पुरुषों की तुलना में कम अवसर"
देश में महिलाओं से पूछा गया कि वे अपने करियर में आगे बढ़ने के अवसरों से नाखुश होने का कारण क्या मानती हैं तो पांच में से एक (22 प्रतिशत) ने कहा कि कंपनियां 'अनुकूल पूर्वाग्रह' का प्रदर्शन करती है, जो कि क्षेत्रीय औसत 16 प्रतिशत से काफी अधिक है.
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"37 प्रतिशत महिलाओं को कम वेतन"
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि 37 फीसदी महिलाओं का यह भी कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है. रिपोर्ट में 21 फीसदी पुरुष इस बात से सहमत पाए गए. वहीं 37 फीसदी कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं. इस पर सिर्फ 25 फीसदी पुरुष ही सहमत हुए.
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करियर और जेंडर
पुरुषों और महिलाओं दोनों का मानना है कि वे नौकरी में तीन चीजों की तलाश करते हैं- नौकरी की सुरक्षा, एक ऐसा काम जिससे वे प्यार करते हैं और एक अच्छा वर्क लाइफ बैलेंस. रिपोर्ट के मुताबिक 63 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए लिंग महत्वपूर्ण होता है. जबकि पुरुषों में 54 फीसदी को ऐसा लगता है.
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नौकरी पर महामारी का असर
5 में से 4 भारतीयों ने कहा कि उनपर कोरोना वायरस महामारी का नकारात्मक असर हुआ, जबकि 10 में से 9 ने कहा कि वे नौकरी से छंटनी, वेतन में कटौती और काम के घंटों में कटौती से प्रभावित हुए.
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"महिलाओं को मिले अवसर"
लिंक्डइन इंडिया में टैलेंट और लर्निंग सॉल्यूशंस की निदेशक रूचि आनंद कहती हैं कि देश में कामकाजी महिलाओं के लिए नौकरी की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है. उनके मुताबिक महिला कर्मचारियों के लिए लचीले शेड्यूल और सीखने के नए मौके महत्वपूर्ण हैं जो संगठनों को अधिक महिला प्रतिभाओं को आकर्षित करने, काम पर रखने और बनाए रखने में मदद कर सकते हैं.
सर्वे में कौन-कौन शामिल
लिंक्डइन ने यह सर्वे करने की जिम्मेदारी बाजार अनुसंधान कंपनी जीएफके को दी थी. सर्वे 26 से 31 जनवरी के बीच हुआ और भारत में 2285 लोग शामिल हुए, जिनमें 1223 पुरुष और 1053 महिलाएं थीं.