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भारत: क्या अग्निपथ योजना में बदलाव की है तैयारी

आमिर अंसारी
१३ जून २०२४

भारत सरकार ने अग्निपथ योजना की समीक्षा के लिए केंद्रीय सचिवों का समूह बनाया है. 2022 में शुरू हुई योजना का लंबे समय से विरोध हो रहा है.

भारतीय सेना में भर्ती के लिए इकट्ठा हुए नौजवान
अग्निपथ योजना की समीक्षा एनडीए के 100 दिवसीय एजेंडे का भी हिस्सा हैतस्वीर: Getty Images/AFP/N. Nanu

बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार अपने पिछले कार्यकाल में सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से ही विरोध का सामना करती रही है. भारत में हाल ही में खत्म हुए लोकसभा चुनाव 2024 में अग्निपथ योजना भी बहस का मुद्दा रहा. भारतीय सेना की तरफ से भी इस योजना की समीक्षा किए जाने की खबर है. अब 10 केंद्रीय सचिवों के रिव्यू के आधार पर इस विवादित योजना में बदलावों की संभावना बन रही है.

बीते लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि अगर विपक्षी इंडिया गठबंधन की सरकार आई तो वह अग्निपथ योजना खत्म कर देगी. ऐसा कहा जा रहा है कि इस योजना की वजह से बीजेपी को लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ है. जानकारों का कहना है कि सेना में जाने वाले नौजवानों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हुए बीजेपी के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया.

अग्निपथ योजना को खत्म करने का वादा कर चुकी है कांग्रेसतस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance

आकर्षक बनेगी अग्निपथ योजना?

बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एनडीए सरकार ने अग्निपथ योजना की समीक्षा करने और सशस्त्र बलों में भर्ती कार्यक्रम को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझाने के लिए 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के एक समूह को काम सौंपा है. सचिवों का यह समूह अग्निपथ योजना के जरिए सैनिकों की भर्ती को और अधिक आकर्षक बनाने के तरीके सुझाएगा.

अखबार ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा सचिवों का यह समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन से लौटने के बाद उन्हें अंतिम प्रेजेंटेशन देगा. अंतिम रिपोर्ट के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय इसमें सुधार के लिए जरूरी कदम उठा सकता है. मीडिया में कहा जा रहा है कि पीएमओ राज्यों समेत दूसरे स्रोतों से मिले सुझावों और फीडबैक की समीक्षा के बाद योजना में बदलावों पर अंतिम फैसला लेगा. अखबार को एक अधिकारी ने कहा, "सेना भी अपना आंतरिक मूल्यांकन कर रही है."

भारतीय सशस्त्र बलों में जवानों की अल्पकालिक भर्ती के लिए जून 2022 में अग्निपथ योजना शुरू हुई थीतस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee

सेना भी कर रही अग्निपथ योजना की समीक्षा

वहीं अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना अग्निवीरों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना में बदलावों पर चर्चा कर रही है. इस चर्चा में अग्निवीरों के ट्रेनिंग पीरियड को बढ़ाना और साथ ही साथ ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद मौजूदा 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही आगे मौका देने के नियमों में बदलाव करना शामिल है.

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हालांकि, ये बदलाव अभी तक सरकार को औपचारिक सिफारिशें नहीं हैं. ये ऐसे प्रस्ताव हैं जिन पर सेना द्वारा अभी भी चर्चा की जा रही है. सेना के भीतर योजना में जिन बदलावों पर चर्चा हो रही है, उनमें से एक है नियमित सैनिकों के लिए बरकरार रखने के प्रतिशत के मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत करना और विशेष बलों समेत तकनीकी और विशेषज्ञ सैनिकों के लिए लगभग 75 प्रतिशत करना.

अग्निपथ योजना की समीक्षा एनडीए के 100 दिवसीय एजेंडे का भी हिस्सा है. अग्निवीरों का मुद्दा हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान चर्चा का विषय बना, खासकर हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में. इस योजना की विपक्ष ने उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भी आलोचना की जिन्हें भारतीय सेना के लिए पारंपरिक भर्ती क्षेत्र माना जाता है.

सेना का आधुनिकीकरण करना चाहता है भारततस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

अग्निपथ योजना और विवाद

यही कारण है कि चुनाव बाद एनडीए के कुछ सहयोगी दलों और उनके नेताओं ने भी अग्निपथ योजना की समीक्षा किए जाने की बात कही थी. एनडीए सरकार में शामिल नीतीश कुमार की जेडीयू ने अग्निपथ योजना की समीक्षा की पहले ही मांग रख दी थी. 6 जून को जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने मीडिया से बातचीत में कहा था, "अग्निवीर योजना को लेकर मतदाताओं के मन में नाराजगी रही है. जेडीयू चाहती है कि इस योजना की कमियों और खामियों पर विस्तार से बात होनी चाहिए."

भारत सरकार ने भारतीय सशस्त्र बलों में जवानों की अल्पकालिक भर्ती के लिए जून 2022 में अग्निपथ योजना शुरू की थी. अग्निपथ योजना के तहत सेना में अग्निवीरों को भर्ती किया जाता है. यह भर्ती चार साल के लिए होती है. इस दौरान नियमित वेतन के अलावा चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीर सैनिकों को लगभग 12 लाख रुपये मिलते हैं. हालांकि, एक निश्चित संख्या में अग्निवीरों को स्थायी सेवा का मौका भी मिलता है.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक शोध के मुताबिक एक अग्निवीर की वजह से सरकार को हर साल पूर्णकालिक भर्ती की तुलना में 1.75 लाख रुपये कम खर्च करने पड़ते हैं. इस तरह से 60,000 अग्निवीरों के एक बैच के लिए वेतन पर कुल बचत 1,054 करोड़ रुपये होगी.

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