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अफ्रीका में पहुंच गहरी करने की कोशिश में भारत

१८ नवम्बर २०२४

रविवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला टीनूबू से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने भारत और नाइजीरिया के बीच संबंधों को और गहरा करने पर सहमति जताई.

नरेंद्र मोदी और बोला अहमद टीनुबू
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अबुजा में नाइजीरियाई राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबूतस्वीर: Azeez Akunleyan/AP/picture alliance

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार नाइजीरिया के दौरे पर पहुंचे. इस दौरे को अपने-अपने महाद्वीपों की मजबूती से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच संबंधों की नई शुरुआत के तौर पर पेश किया जा रहा है, जिसमें भारत और नाइजीरिया को "कुदरती साझेदार" बताया गया. प्रधानमंत्री मोदी नाइजीरिया से जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए  ब्राजील और फिर गयाना के दौरे पर जाएंगे.

अबुजा में राष्ट्रपति भवन 'आसो रॉक' में हुई बातचीत के दौरान दोनों देशों ने कई अहम मुद्दों पर सहमति जताई. मोदी ने कहा, "हमारा सहयोग बहुत मजबूत है. आतंकवाद, अलगाववाद, समुद्री डकैती और नशीली दवाओं की तस्करी जैसे मुद्दों पर हमने हमेशा साथ काम किया है.” 

राष्ट्रपति टीनूबू ने प्रधानमंत्री मोदी को नाइजीरिया का दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर' प्रदान किया. उन्होंने कहा, "भारत के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं. हम इन्हें और मजबूत करने के लिए काम करेंगे.”

व्यापार और आर्थिक सहयोग

दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग समझौते, दोहरे कराधान से बचाव और निवेश संधि को अंतिम रूप देने पर सहमति जताई. भारत और नाइजीरिया के बीच 2022 में 14.9 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ. भारत नाइजीरिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.

नाइजीरिया में 200 से अधिक भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं. इन कंपनियों ने वहां 27 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है. मोदी ने कहा,"नाइजीरिया सिर्फ व्यापारिक साझेदार नहीं है, बल्कि भारतीय विकास परियोजनाओं का केंद्र भी है.” 

भारत ने नाइजीरिया में 10 करोड़ डॉलर के कर्ज और स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की योजनाओं के माध्यम से विकास को बढ़ावा दिया है. 

ग्लोबल साउथ के हितों पर जोर 

बैठक में ‘ग्लोबल साउथ' के हितों को आगे बढ़ाने पर भी सहमति हुई. यह शब्द विकासशील देशों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मोदी ने कहा, "हम मिलकर वैश्विक मंच पर ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को उजागर करेंगे और अपने प्रयासों से सफलता भी हासिल करेंगे.” 

नाइजीरिया लंबे समय से वैश्विक संस्थानों में सुधार की मांग करता रहा है. दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भी जोर दे रहे हैं. दोनों नेताओं ने समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया. खासतौर पर हिंद महासागर और पश्चिम अफ्रीका के खाड़ी क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने पर सहमति बनी. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि खुफिया जानकारी साझा करने और क्षमता बढ़ाने के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे. 

अफ्रीका में भारत की बढ़ती भूमिका 

जब चीन और अमेरिका अफ्रीका में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में नाइजीरिया के दौरे के साथ भारत ने अफ्रीका में अपनी बढ़ती उपस्थिति का संकेत दिया है. नाइजीरिया में 22 करोड़ लोग रहते हैं और यह अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है. इसे अफ्रीका महाद्वीप में दक्षिण अफ्रीका के प्रभाव के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा जाता है. भारत और नाइजीरिया के बढ़ते संबंध अफ्रीका में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं. 

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मोदी के दौरे में दोनों देशों के सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को भी प्रमुखता दी गई. नाइजीरिया में 60 हजार से ज्यादा भारतीय रहते हैं. मोदी का अबुजा हवाई अड्डे पर भारतीय समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया. 

इस दौरे ने भारत-नाइजीरिया संबंधों को एक नया आयाम दिया है. दोनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. राष्ट्रपति टीनूबू ने कहा,"हमारी साझेदारी केवल आज के लिए नहीं है, बल्कि आने वाले वर्षों और दशकों के लिए है. यह आपसी सम्मान और साझा लक्ष्यों पर आधारित है.”

वीके/सीके (एएफपी, एपी)

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