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समाज

एलओसी पर शांति के लिए भारत-पाकिस्तान में सहमति

२५ फ़रवरी २०२१

भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियानों के निदेशक जनरलों ने गुरुवार को नियंत्रण रेखा पर शांति स्थापित करने को लेकर चर्चा की. दोनों देशों ने एक साझा बयान भी जारी किया है. कश्मीर के राजनीतिक दल इस पहल का स्वागत कर रहे हैं.

तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Bakshi

साझा बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने सभी अनुबंधों और समझौतों का कड़ाई से पालन करने और 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा और अन्य सभी क्षेत्रों में युद्धविराम का पालन करने पर सहमति व्यक्त की है. बयान के मुताबिक भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियानों के निदेशक जनरलों (डीजीएमओ) ने हॉटलाइन पर बातचीत के दौरान नियंत्रण रेखा और अन्य सभी क्षेत्रों में एक खुले, स्पष्ट और सौहार्दपूर्ण वातावरण में स्थिति की समीक्षा की.

साल 2003 में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम को लेकर समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर गोलीबारी नहीं करेगी. लेकिन साल 2020 की ही बात की जाए तो पाकिस्तान ने 4100 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया. साथ ही पाकिस्तान पर आरोप लगते आए हैं कि वह संघर्ष विराम उल्लंघन की आड़ में आतंकियों की घुसपैठ कराता है और नियंत्रण रेखा के पास बनाए गए आतंकी लॉन्चपैड का इस्तेमाल भारत में घुसपैठ कराने के लिए करता है.

साझा बयान में आगे कहा गया दोनों पक्षों ने यह दोहराया कि हॉटलाइन संपर्क के मौजूदा तंत्र और सीमा पर फ्लैग बैठकों का किसी अप्रत्याशित मतभेद या गलतफहमी का समाधान करने में इस्तेमाल किया जाएगा. बयान में यह भी कहा गया कि दोनों देश उन मुद्दों और चिंताओं पर कार्रवाई करेंगे जिनकी वजह से शांति भंग होती है और हिंसा होती है.

पाकिस्तानी सेना पर आतंकी घुसपैठ कराने के आरोप लगते आए हैं. तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Naveed

रक्षा मामलों के जानकार इस पहल पर अपनी ओर से विशलेषण कर रहे हैं कि आखिर भारत और पाकिस्तान की इस बातचीत पर क्या हासिल होने वाला है. रक्षा मामलों के जानकार सुशांत सिंह कहते हैं कि भारत को जम्मू सेक्टर के अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शांति मिलेगी जहां भारतीय गांव सीमा से लगे हैं और वे निशाना बनाए जाते हैं. साथ ही सीमा पार से घुसपैठ बंद या कम होगी क्योंकि गोलीबारी के समय आतंकी घुसपैठ करते हैं. उनका मानना है कि भारत को जान माल का नुकसान भी कम होगा. साथ ही वे बताते हैं कि पाकिस्तान के गांव जो सीमा के पास हैं वे भी शांति में रहेंगे और पाकिस्तानी सेना को नियंत्रण रेखा पर ऑपरेशनल बोझ कम उठाना पड़ेगा.

राजनीतिक दलों ने किया स्वागत

संघर्ष विराम पर सहमति को लेकर जम्मू-कश्मीर के प्रमुख राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ट्वीट किया, "हम इसका स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इसका पालन किया जाएगा. नेशनल कॉन्फ्रेंस हमेशा से ही नियंत्रण रेखा पर शांति की समर्थक रही है. संघर्ष विराम से लोग बिना जोखिम उठाए अपनी जिंदगी जी सकते हैं." जम्मू-कश्मीर की पू्र्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, "एक बड़ा और स्वागत योग्य कदम कि भारत और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के लिए सहमत हुए हैं. अगर दोनों देश सीमाओं और जम्मू-कश्मीर में हिंसा और खून खराबे के चक्र को रोकना चाहते हैं तो बातचीत ही एकमात्र रास्ता है."

जटिल है कश्मीर का मुद्दा

बुधवार को कोलंबो में श्रीलंका-पाकिस्तान व्यापार और निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि कश्मीर का मसला केवल बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत को शांति वार्ता आयोजित करने का प्रस्ताव दिया था. बड़ा सवाल यह है कि नियंत्रण रेखा पर सहमति कितनी देर तक चलती है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास में कमी कभी भी नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन साबित होने का कारण बन सकता है.

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