भारत सरकार निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक बिल पेश करने जा रही है. सरकार ने कहा है कि केंद्रीय रिजर्व बैंक के समर्थन वाली डिजिटल करंसी के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे.
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लोकसभा ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि निजी क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक बिल लाया जाएगा. इस बिल में सभी तरह की निजी क्रिप्टोकरंसी को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है. पिछले हफ्ते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बिटकॉइन युवाओं के लिए खतरा पैदा कर रही हैं. उन्होंने कहा था कि अगर ये गलत हाथों में पड़ जाएं तो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकती हैं.
भारत क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध का ऐलान करने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है. इससे पहले सितंबर में चीन ने क्रिप्टोकरंसी में हर तरह के लेनदेन को अवैध करार दे दिया था.
निजी करंसी पर चिंता
भारत में पिछले एक साल में क्रिप्टोकरंसी का बाजार बहुत ज्यादा बढ़ा है. पिछले साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरंसी पर लगे प्रतिबंध के आदेश को पलट दिया था जिसके बाद लोगों ने बड़ी संख्या में इसमें निवेश किया. चेनालिसिस नामक संस्था के मुताबिक पिछले एक साल में क्रिप्टोकरंसी में निवेश 600 प्रतिशत बढ़ा है.
जानिए, बिटकॉइन कैसे काम करता है
बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है
हाल में बिटकॉइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखे गए हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं. डीडब्ल्यू कोई सलाह नहीं देता लेकिन आइए आपको बताते हैं कि आखिर बिटकॉइन काम कैसे करता है.
डिजिटल मुद्रा
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है. यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है. यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है. इससे बिटकॉइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है. एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है.
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एक रहस्यमयी संस्थापक
बिटकॉइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था. यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का. 2009 में एक ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई.
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कैसे मिलता है बिटकॉइन
इसे हासिल करने के कई तरीके हैं. पहला, आप इसे कॉइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे ऑनलाइन एक्सचेंजों से डॉलर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं. दूसरा, आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं. तीसरा, आप खुद अपना बिटकॉइन बना भी सकते हैं. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है.
डिजिटल बटुए की जरूरत
बिटकॉइन खरीदने से पहले आपको अपने कंप्यूटर में वॉलेट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है. इस वॉलेट में एक 'पब्लिक' चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वॉलेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है. स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वॉलेट के रूप में किया जा सकता है.
अब बिटकॉइन से कुछ खरीदा जाए
आइए जानते हैं भुगतान के लिए बिटकॉइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है. मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं. इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वॉलेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकॉइन बैंक खाते की तरह है.
ब्लॉकचेन
मिस वाई से उनके पब्लिक वॉलेट का पता पा लेने के बाद, मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा. इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं. यह लेनदेन बिटकॉइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकॉइन ब्लॉकचेन में जमा हो जाता है.
डिजिटल युग के खनिक
अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लॉकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है. इन लोगों को नोड कहा जाता है. मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें 'माइनर' या खनिक भी कहा जाता है. ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं. इसके बाद बिटकॉइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं.
बिटकॉइन मशीन रूम
सैद्धांतिक तौर पर ब्लॉकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है. लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो. इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है.
एक विशाल सार्वजनिक बही-खाता
हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है. इसी को ब्लॉकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लॉक की तरह जमा कर लिए जाते हैं. जैसे जैसे सिस्टम में नए ब्लॉक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है. इसके बावजूद, किसने किसको कितने बिटकॉइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है. एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है.
बिटकॉइनों का विवादास्पद खनन
खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकॉइन बनाते हैं. डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लॉक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकॉइन मिलते हैं. पूरे बिटकॉइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है. वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है.
बिजली की जबरदस्त खपत
क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकॉइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है. यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावॉट ऊर्जा लेते है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के बिटकॉइन बिजली खपत सूचकांक के मुताबिक इस क्रिप्टो मुद्रा को इस नक्शे में नीले रंग में दिखाए गए हर देश से भी ज्यादा ऊर्जा चाहिए. - गुडरून हाउप्ट
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एक अनुमान के मुताबिक एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में क्रिप्टोकरंसी धारकों की संख्या डेढ़ से दस करोड़ के बीच हो सकती है. इसकी कीमत अरबों डॉलर में आंकी गई है. भारत सरकार के इस आदेश ने इन लोगों के निवेश को खतरे में डाल दिया है.
बीते जून में भारतीय रिजर्व बैंक ने ऐलान किया था कि वह अपनी डिजिटल करंसी लाने की योजना पर काम कर रहा है और इस साल के आखिर तक इसे पेश किया जा सकता है. बैंक ने बिटकॉइन, ईथीरियम और अन्य निजी करंसियों को लेकर चिंता भी जताई थी.
ससंदीय बुलेटिन के मुताबिक नए लोकसभा सत्र में लाए जाने वाले बिल में अपवाद के तौर पर कुछ विकल्प भी होंगे ताकि क्रिप्टो तकनीक को बढ़ावा दिया जाए. लेकिन इस बिल के बारे में कोई और जानकारी फिलहाल नहीं दी गई है.
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निवेशकों की नींद उड़ी
इस प्रस्तावित बिल की भाषा ने करोड़ों निवेशकों की नींद उड़ा दी है. क्रिप्टो-एजुकेशन प्लैटफॉर्म बिटाइनिंग चलाने वाले काशिफ रजा कहते हैं, "भाषा ने लोगों को परेशान कर दिया है. उद्योग को उम्मीद थी कि हाल ही में सरकार से हुई बातचीत के बाद ज्यादा अनुकूल कदम उठाए जाएंगे.”
रजा ने बताया, "जाहिर है कि उद्योग तो पूरी तरह बंद हो जाएगा. धीरे-धीरे यह इंडस्ट्री अपनी मौत मर जाएगी. बौद्धिक संपदा कहीं और चली जाएगी. निवेशकों का नुकसान होगा.”
बिटकॉइन: बातें जो शायद आपको पता न हों..
क्रिप्टो करंसी बिटकॉइन के मूल्य में हो रही बेतहाशा वृद्धि ने भी पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. लेकिन यह है क्या, कैसे काम करती है, इसे किसने शुरू किया, चलिए जानते हैं..
तस्वीर: Imago/Imagebroker/M. Weber
बिटकॉइन
बिटकॉइन एक डिजिटल करंसी है जो पारंपरिक सिक्कों और नोटों की शक्ल में मौजूद नहीं है. इसे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही रखा जा सकता है. इसके जरिए आप अब कुछ चीजें खरीद भी सकते हैं.
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कैसे जारी होते हैं बिटकॉइन
बिटकॉइन जारी करने की प्रक्रिया को "माइनिंग" कहते हैं. इसके तहत दुनिया भर के कंप्यूटरों के बीच जटिल कंप्यूटर अल्गोरिदम को हल करने का मुकाबला होता है. जो जीतता है उसे नये बिटकॉइन मिलते हैं.
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किसी का नियंत्रण नहीं
पारंपरिक मुद्राओं पर जहां केंद्रीय बैंकों का नियंत्रण होता है, वहीं बिटकॉइन पर ऐसा कोई नियंत्रण नहीं है. यूजर्स, माइनर्स और निवेशकों को मिलाकर बनी एक कम्युनिटी बिटकॉइन को संभालती है.
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किसने बनाया बिटकॉइन
आज तक पता नहीं चल पाया है कि बिटकॉइन बनाने वाले सातोशी नाकामोतो हैं कौन. ऑस्ट्रेलियाई कंप्यूटर वैज्ञानिक और उद्योगपति क्रेग राइट ने मई 2016 में दावा किया कि वह सातोशी नाकामोतो हैं लेकिन वह इसका प्रमाण नहीं दे पाये.
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रहस्य
यह भी नहीं पता कि सातोशी नाकामोतो एक छद्म नाम था या फिर कंप्यूटर डेवलपर्स के एक समूह या किसी व्यक्ति ने इस नाम का इस्तेमाल किया. यह भी साफ नहीं है कि नाकामोतो अभी जिंदा है या नहीं.
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कुल कितने बिटकॉइन हैं?
अभी तक सिर्फ 1.67 करोड़ बिटकॉइन ही जारी किये गये हैं. 2140 तक इनकी संख्या 2.1 करोड़ तक पहुंच सकती है. अभी हर दस मिनट में 12.5 बिटकॉइन जारी किये जाते हैं.
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ऊर्जा की खपत
माइनिंग कंप्यूटरों को चलाने के लिए बहुत ऊर्जा चाहिए. जितना ज्यादा दाम लगता है, उतने ही ज्यादा कंप्यूटर मुकाबले में उतरते हैं. उसी हिसाब से ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है.
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हर दिन तीन लाख ट्रांजैक्शन
मदरबोर्ड वेबसाइट ने प्रति दिन तीन लाख बिटकॉइन ट्रांजैक्शन के हिसाब से प्रति बिटकॉइन ट्रांजैक्शन 215 किलोवाट प्रति घंटा ऊर्जा की खपत का अनुमान लगाया. इससे अमेरिका में एक सामान्य परिवार की हफ्ते भर की बिजली की जरूरत पूरी हो जाएगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बिटकॉइन की सबसे छोटी इकाई
अगर आप बिटकॉइन खरीदना चाहते हैं तो आपको पूरा बिटकॉइन खरीने की जरूरत नहीं है. आप उसकी सबसे छोटी इकाई सातोशी खरीद सकते है. दस करोड़ सातोशी से मिलकर एक बिटकॉइन बनता है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/J. Kalaene
शानदार प्रदर्शन
बिटकॉइन का प्रदर्शन 2011 के बाद से किसी भी केंद्रीय बैंक की तरफ जारी मुद्रा के मुकाबले बेहतर रहा है. सिर्फ 2014 में उसका प्रदर्शन पारंपरिक मुद्रा से खराब रहा. 2017 में बिटकॉइन के मूल्य में 1,400 प्रतिशत की वृद्ध हुई है.
तस्वीर: Getty Images
लखपति-करोड़पति
अगर आपने 2013 की शुरुआत में एक हजार डॉलर के बिटकॉइन खरीदे और उन्हें बेचा नहीं है तो आज आप 12 लाख डॉलर के मालिक हैं. हालांकि बिटकॉइन के उतार चढ़ाव को देखते हुए बहुत से लोगों को अब भी इसमें ज्यादा विश्वास नहीं है.
तस्वीर: Reuters
बिटकॉइन की चोरी
9.8 लाख से ज्यादा बिटकॉइन एक्सचेंजों से हैकर्स या अंदर के लोगों ने चुरा लिये. मौजूदा एक्सचेंज रेट से देखा जाये तो 15 अरब डॉलर के बिटकॉइन चोरी हो गये. इनमें से कुछ ही बरामद हो पाये.
तस्वीर: Getty Images
बिटकॉइन का साम्राज्य
अभी तक जारी किये गये बिटकॉइन का मूल्य 283 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. इस तरह इसका कुल मूल्य वीजा या सिटी ग्रुप से भी ज्यादा है. यह बिटकॉइन के फैलते साम्राज्य की निशानी है.
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बिटकॉइन के प्रतिद्वंद्वी
बिटकॉइन दुनिया में अकेली क्रिप्टो करंसी नहीं है. ट्रेड वेबसाइट कॉइनमार्केटकेप का कहना है कि एक हजार से ज्यादा दूसरी क्रिप्टो करंसी अस्तित्व में हैं.
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood
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भारत में 2013 में क्रिप्टोकरंसी की शुरुआत हुई थी लेकिन तभी से इसे लेकर संदेह जाहिर किए जाते रहे हैं. मोदी सरकार द्वारा विवादास्पद नोटबंदी करने के बाद क्रिप्टोकरंसी के जरिए लेनदेन में धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से बढ़े. इसके बाद 2016 में रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन दो साल बाद सुप्रीमकोर्ट ने उस प्रतिबंध को पलट दिया.
बीते कुछ महीनों में भारत में क्रिप्टोकरंसी के विज्ञापनों की बाढ़ आ गई थई. कॉइनस्विचकूबर, कॉइनडीसीएक् और अन्य घरेलू क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज टीवी चैनलों, वेबसाइटों और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों पर जमकर विज्ञापन दे रहे थे.
टैम स्पोर्ट्स के एक अनुमान के मुताबिक इन कंपनियों ने हाल ही हुए टी20 वर्ल्ड कप के दौरान विज्ञापनों पर 50 करोड़ रुपये खर्च किए. आलम यह था कि दर्शकों ने प्रति मैच क्रिप्टोकरंसी के औसतन 51 विज्ञापन देखे.