बुल्ली बाई ऐप का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ है कि अब एक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए हिंदू महिलाओं को निशाना बनाने का मामला सामने आया है.
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सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर कथित रूप से हिंदू महिलाओं को लक्षित करने वाले एक चैनल को ब्लॉक किया गया है. उन्होंने बताया है कि सरकार मामले में आगे की कार्रवाई के लिए राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय कर रही है.
यह प्रकरण ऐसे में सामने आया है जब बुल्ली बाई नाम के ऐप पर भारत में काफी बवाल मचा हुआ है. बुल्ली बाई ऐप की जांच कर रही पुलिस ने मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. बुल्ली बाई ऐप मामले ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी, और इस कांड ने यह बताया कि महिलाएं इंटरनेट पर कितनी असुरक्षित हैं.
अब निशाने पर हिंदू महिलाएं
अश्विनी वैष्णव के संज्ञान में एक ट्विटर यूजर ने इस बात को लाया तो उन्होंने जवाब दिया कि टेलीग्राम चैनल को ब्लॉक कर दिया गया है और एजेंसियां राज्य की पुलिस के साथ कार्रवाई के लिए समन्वय कर रही है. ट्विटर यूजर ने लिखा था कि कथित चैनल पर हिंदू लड़कियां की तस्वीरें साझा की जा रही हैं, उन्हें गालियां दी जा रही हैं और उनको निशाना बनाया जा रहा है.
सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आदेश दिया है कि वह मेटा को ऐसे पेजों को तत्काल हटाने का निर्देश दे जो हिंदू लड़कियों के लिए आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट कर रहे हैं.
हाल के दिनों में विभिन्न समुदायों की महिलाओं को सोशल मीडिया पर निशाना बनाया गया है. उनकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की गई या फिर उन्हें सरेआम गाली दी गई. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली कई महिलाओं ने ऐसे संदेश के स्क्रीनशॉट साझा किए जिनमें उन्हें गालियां दी गईं.
बुल्ली बाई ऐप पर ऐसी प्रमुख मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन बोली लगाई गई जो समाज में अपने समुदाय और वंचित लोगों की आवाज बनी हैं. इस ऐप को बनाने के आरोप में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. ये सभी युवा हैं और पढ़ाई कर रहे हैं. हालांकि इनके मन में नफरत के बीज बोने वाले असली गुनाहगार गिरफ्त से बाहर है.
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ऑनलाइन उत्पीड़न झेलती महिलाएं
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के मुताबिक मार्च 2021 के अंत तक भारत में लगभग 82.5 करोड़ इंटरनेट यूजर थे. उनमें से अधिकांश वास्तविक हैं, जिनमें शरारती तत्वों की संख्या बहुत कम है. लेकिन ऐसे शरारती तत्वों में राष्ट्र, उसकी राजनीति, अर्थव्यवस्था और नागरिकों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में तबाही मचाने की घातक क्षमता होती है.
पाकिस्तान में बेड़ियां तोड़ती यह आदिवासी महिला
पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी आदिवासी इलाके में महिलाओं को राजनीति में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं है. लेकिन दुनिया बीबी ने कई चुनौतियों से पार पाते हुए स्थानीय काउंसिल में सीट जीती है.
तस्वीर: Saba Rahman/DW
मर्दों की दुनिया में दुनिया बीबी की जीत
दुनिया बीबी 58 साल की हैं. पढ़ना-लिखना तो वह नहीं जानतीं लेकिन गांव-देश की राजनीतिक हलचलों से पूरी तरह वाकिफ रहती हैं. हर सुबह उनके पति उन्हें अखबार पढ़कर सुनाते हैं. बीबी ने हाल ही में मोहमांद जिले की याकामंद काउंसिल में चुनाव जीता है. उन्होंने बड़े राजनीतिक दलों की उम्मीदवारों को हराया.
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मर्दों का अधिपत्य
बीबी उस इलाके में राजनीति कर रही हैं जहां मर्दों की चलती है. महिलाओं को तो पुरुषों के बिना घर से बाहर जाने तक की इजाजत नहीं है. उन्होंने डॉयचेवेले को बताया कि एक महिला के लिए यहां का प्रतिनिधि होना जरूरी था.
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महिला शिक्षा है प्राथमिकता
दोपहर बाद बीबी अपने पोते-पोतियों के साथ चाय पीती हैं और उनसे उनकी पढ़ाई के बारे में पूछती हैं. वह कहती हैं कि पाकिस्तान के आदिवासी इलाके की तरक्की के लिए शिक्षा जरूरी है. वह कहती हैं, “हमारे इलाके में लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत नहीं है इसलिए वे अपने फैसले खुद नहीं ले पातीं. मैं इसे बदलना चाहती हूं.”
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पति का साथ मिला
बीबी के पति अब्दुल गफ्फूर ने अपनी पत्नी का भरपूर साथ दिया है. वह कहते हैं कि इलाके में महिलाओं के मुद्दों के बारे में पुरुष ज्यादा नहीं जानते, इसलिए मैंने अपनी पत्नी को चुनाव लड़ने के प्रोत्साहित किया.
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बच्चों को गर्व है
बीबी के बच्चों को अपनी मां पर गर्व है. उनका बेटा अली मुराद नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स से ग्रैजुएट है. मुराद कहते हैं, “आमतौर पर लोग सोचते हैं कि आदिवासी महिलाओं का घर के बाहर क्या काम. मेरी मां ने यह सोच बदली है.”
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घर-बाहर दोनों की संभाल
बीबी घर के सारे काम बराबर संभालती हैं. लकड़ी लाने से लेकर कपड़े धोने और खाना बनाने तक सारे काम करते हुए वह कहती हैं कि काम-काज उन्हें सेहतमंद रखता है.
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तालिबान से अपील
बीबी पड़ोसी देश में तालिबान सरकार से अपील करती हैं कि वे भी महिलाओं को सशक्त करें, उनकी पढ़ाई पर ध्यान दें. वह कहती हैं, “अगर वे ऐसा करेंगे तो ना सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि पाकिस्तान के कबायली इलाकों में भी स्थिरता आएगी."
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ऐसे तत्व देश के नाजुक सामाजिक ताने-बाने पर भी दबाव डाल सकते हैं, जैसा कि ओपन-सोर्स ऐप बुल्ली बाई में देखा जा सकता है, जिसे "मुस्लिम महिलाओं की नीलामी" के लिए वेब प्लेटफॉर्म गिटहब पर होस्ट किया गया था. कई बार फेक प्रोफाइल बनाकर या चेहरे को मॉर्फ कर लड़कियों को ब्लैकमेल तक किया जाता है. कई बार पीड़ित लड़कियां शर्म और डर की वजह से परिवार तक अपनी पीड़ा नहीं पहुंचा पाती हैं.
कड़वी सच्चाई यह है कि साइबर ब्लैकमेलिंग, इंटरनेट पर परेशान करना और डराना-धमकाना एक बहुत बड़ा मुद्दा है, जिससे महिलाओं और उनके परिवारों को काफी तनाव होता है. यह सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है या किसी विशेष जाति या समुदाय के लिए विशिष्ट नहीं है. छोटे शहर भी बुरी तरह से प्रभावित हैं.
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2020 के दौरान भारत में कुल साइबर अपराध 50,035 थे और विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध केवल 10,405 थे. ये आंकड़े जमीनी हकीकत का एक अंश मात्र हैं. कई बार महिलाएं समाज में बदनामी के डर से भी शिकायत नहीं करती हैं, क्योंकि मर्दवादी भारतीय समाज में पीड़ित महिलाओं पर ही इल्जाम मढ़ दिया जाता है.
बुल्गारिया की मशहूर मुस्लिम शादियां
बुल्गारिया में इस छोटे से पोमाक मुस्लिम समुदाय की शादियां सिर्फ सर्दियों में होती हैं. ये तस्वीरें बताती हैं कि ये शादियां कितनी सुंदर होती हैं.
तस्वीर: Stoyan Nenov/REUTERS
बुल्गारियन दुल्हन का श्रृंगार
किमील अवदिनोवा अपनी शादी के लिए तैयार हो रही हैं. यह शादी बहुत खास है और इसे देखने के लिए पर्यटक भी आते हैं.
तस्वीर: Stoyan Nenov/REUTERS
रिबनोवो कस्बे की शादी
बुल्गारिया की रोडोप पहाड़ियों में यह छोटा सा कस्बा है जिसका नाम है रिबनोवो. इस कस्बे में रहने वाले ज्यादातर लोग पोमाक मुसलमान हैं.
तस्वीर: Stoyan Nenov/REUTERS
पोमाक यानी सताए हुए
बुल्गारिया एक धर्मनिरपेक्ष देश है लेकिन अधिकतर आबादी ईसाई है. यहां छोटा सा पोमाक मुस्लिम समुदाय भी रहता है जिसे कम्युनिस्ट तानाशाही के दौरान काफी प्रताड़ना झेलनी पड़ी. लेकिन ये लोग वे हैं जिन्होंने 16वीं-17वीं सदी के आसपास ओटोमन साम्राज्य के दौरान इस्लाम अपना लिया था.
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सिर्फ सर्दियों में शादी
पोमाक मुसलमानों की शादी सिर्फ सर्दियों में होती है. इसलिए इसका इंतजार सालभर किया जाता है.
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विशेष मेकअप
इस शादी की सबसे खास बात होती है दुल्हन का मेकअप. दुल्हन के पूरे चेहरे को जिस खूबसूरती से रंगा जाता है, उसे देखने ही बहुत से लोग आते हैं.
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परंपराएं
शादी की रस्म बहुत निजी होती है. दुल्हन के मेकअप के वक्त सिर्फ उसके ससुराल पक्ष की महिलाओं को वहां होने की इजाजत होती है.