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समाज

मोदी: समुद्री विवाद का निपटारा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हो

आमिर अंसारी
१० अगस्त २०२१

सुरक्षा परिषद की परिचर्चा में मोदी ने कहा कि हमें शांतिपूर्ण तरीके से समुद्री विवाद सुलझाने की जरूरत है.

तस्वीर: PTI/dpa/picture alliance

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री सुरक्षा बढ़ाने और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय खुली बहस की अध्यक्षता की.

नरेंद्र मोदी ने कई राष्ट्राध्यक्षों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से "समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा: अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता" विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए समुद्री व्यापार और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया.

परिषद की इस तरह की बैठक की अध्यक्षता करने वाले मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं. इस बैठक में समुद्री अपराध और असुरक्षा से निपटने की रणनीति पर चर्चा हुई.

खुली परिचर्चा में मोदी ने आतंकवाद और समुद्री अपराध के लिए समुद्री मार्ग का दुरुपयोग किए जाने की ओर ध्यान दिलाते हुए चिंता जताई.

समुद्री सुरक्षा

मोदी ने समुद्री व्यापार के लिए बाधाओं को दूर करने का आह्वान किया और सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास), क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा के लिए 2015 की भारतीय रूपरेखा पर भी प्रकाश डाला.

मोदी ने कहा, "मुक्त समुद्री व्यापार के लिए यह भी जरूरी है कि हम दूसरे देशों के नाविकों के अधिकारों का सम्मान करें."

मोदी ने 'समुद्री विवादों' पर आगे कहा, "इन्हें शांति से और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक हल किया जाना चाहिए जो आपसी विश्वास को बढ़ावा देने और वैश्विक शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं."

चीन को संकेत देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के साथ भारत की समुद्री सीमा समझौते का हवाला देते हुए सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहा कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक सुलझाया जाना चाहिए.

चीन की ओर भी इशारा

अगस्त के महीने के लिए परिषद के अध्यक्ष के रूप में यूएनएससी के सदस्यों को संबोधित करते हुए मोदी ने चीन के वन बेल्ट वन रोड परियोजना का परोक्ष संदर्भ देते हुए कहा, "समुद्री संपर्क" के लिए संरचनाएं बनाते समय देशों को "वित्तीय स्थिरता" देखनी चाहिए. मोदी का इशारा हाल के सालों में बीजिंग की "ऋण-जाल" कूटनीति की ओर था.

मोदी ने बैठक में इस बात पर भी जोर दिया कि हिंद महासागर में भारत की भूमिका एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता की रही है.

मोदी ने कहा, "समुद्र हमारी साझा धरोहर है, हमारे समुद्री रास्ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार की जीवनरेखा है और सबसे बड़ी बात यह कि यह समुद्र हमारे ग्रह के भविष्य के लिए बहुत अहम है."

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अतीत में समुद्री सुरक्षा और समुद्री अपराध के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और प्रस्तावों को पारित किया है.

हालांकि, यह पहली बार है कि इस तरह की उच्चस्तरीय खुली बहस में एक विशेष एजेंडा आइटम के रूप में समुद्री सुरक्षा पर समग्र रूप से चर्चा की जा रही है.

चीन और अमेरिका भिड़े

चीन का जिक्र किए बिना अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने दक्षिण चीन सागर में चीन के गैरकानूनी समुद्री दावों को डराने और धमकाने वाला बताया. उन्होंने कहा, "हमने समुद्र में जहाजों के बीच खतरनाक मुठभेड़ों और गैरकानूनी समुद्री दावों को आगे बढ़ाने के लिए उकसावे वाली कार्रवाइयों को देखा है."

वहीं ब्लिंकेन के बयान पर यूएन में चीन के उप राजदूत दाई बिंग ने बैठक में कहा कि दक्षिण चीन सागर के मामले पर चर्चा करने के लिए सुरक्षा परिषद उचित मंच नहीं है. बिंग ने कहा, "यह देश ही दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है."

चीन, दक्षिण चीन सागर के विशाल क्षेत्रों पर दावा करता है जो वियतनाम, मलयेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया और फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्रों के साथ मिलता है. इस क्षेत्र के जरिए हर साल अरबों डॉलर का व्यापार होता है.

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