आखिरकार भारत और ऑस्ट्रेलिया ने वो काम पूरा कर लिया है, जो पिछले करीब एक दशक से चल रहा था. दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते के अंतरिम मसौदे पर सहमत हो गए हैं और इसका ऐलान महीनेभर में हो सकता है.
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ऑस्ट्रेलिया के व्यापार और पर्यटन मंत्री डैन टेहन पिछले हफ्ते भारत के दौरे पर थे. उनकी भारतीय वाणिज्य मंत्री और अन्य नेताओं से लंबी बैठकें हुईं, जिनका मकसद था अंतरिम मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देना.
पीयूष गोयल और डैन टेहन ने एक साझा बयान भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि मार्च में बातचीत पूरी हो जाएगी. भारतीय वाणिज्य मंत्री ने कहा कि लगभग 30 दिन के भीतर अंतरिम समझौते का ऐलान हो जाएगा जिसमें दोनों देशों के हितकारी ज्यादातर पक्षों को शामिल किया गया है. मुक्त व्यापार समझौते के तहत वस्तुओं और सेवाओं के अलावा कराधान और आयात-निर्यात से जुड़ी प्रक्रियाओं को भी शामिल किया गया है.
कैसे अंजाम तक पहुंचा समझौता?
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत करीब दस साल से चल रही थी लेकिन सहमति बनना मुश्किल रहा क्योंकि दोनों देशों के व्यापारिक हालात बहुत हद तक एक जैसे हैं. मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले अर्थशास्त्री डॉ. विनोद मिश्रा कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया विकसित देश तो है लेकिन तकनीकी रूप से उतना सुदृढ़ नहीं है.
इंडिया की काली पीली टैक्सी सिडनी में
दिल्ली-मुंबई में चलने वाली एक काली पीली कार सिडनी में भी है. भारत से सिडनी पहुंचने की इस काली पीली कार की यात्रा भी बड़ी मजेदार है.
तस्वीर: Jammie Robinson
दिल्ली की कार सिडनी में
सिडनी में अक्सर सड़कों पर यह काली पीली टैक्सी घूमती दिखती है. अंदर से एकदम खांटी देसी अंदाज में सजी हुई. म्यूजिक भी देसी ही बजता है. बस चलाने वाला एक अंग्रेज है.
तस्वीर: Jammie Robinson
जेमी की कार
इस काली पीली कार के मालिक हैं सिडनी में रहने वाले जेमी रॉबिनसन. उन्होंने अपनी इस प्यारी टैक्सी को नाम दिया है ‘बॉलीवुड कार.’
तस्वीर: Jammie Robinson
भारत से प्यार
जेमी रहने वाले तो ब्रिटेन के हैं लेकिन बस गए हैं ऑस्ट्रेलिया में. पर उन्हें भारत से बहुत लगाव है. इसलिए वह कई बार भारत जा चुके हैं.
तस्वीर: Jammie Robinson
काली पीली कार
इंडिया वाली टैक्सी को जेमी रॉबिनसन ने कारों के टीवी शो में देखा था. तभी उनका इस कार पर मन आ गया और वह इसे सिडनी लाने की जुगत में जुट गए.
तस्वीर: Jammie Robinson
लाना तो संभव नहीं
नियम कानूनों के भारत से पुरानी कार को ऑस्ट्रेलिया लाना लगभग असंभव है. तो जेमी ने पुर्जे मंगाए भारत से और ऐम्बैस्डर की बॉडी खोजी ऑस्ट्रेलिया में. फिर उन्होंने कार को ऑस्ट्रेलिया में असेंबल किया, जिसमें तीन साल गए.
तस्वीर: Jammie Robinson
आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा
अब जेमी की कार सिडनी में खूब चलती है. लोग, खासकर भारतीय इस कार को अपने अलग अलग इवेंट्स के लिए किराये पर लेते हैं. और इसमें घूमना फिरना भी करते हैं, भारत जैसा आनंद लेने के लिए.
तस्वीर: Jammie Robinson
दीवाने हजारों हैं
जेमी बताते हैं कि इस पुरानी कार के बहुत दीवाने हैं. इसलिए लोग उन्हें कई बार राह चलते भी रोक लेते हैं और इस कार के बारे में पूछते हैं. उन्हें इंडिया की कार सिडनी में देखकर अचंभा होता है. यहां जेमी मशहूर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर स्टीव वॉ के साथ हैं.
तस्वीर: Jammie Robinson
जेमी का लगाव
जेमी को भारत से गहरा लगाव है. इस कार में उन्होंने अपनी कई भारत यात्राओं की यादें सहेज कर रखी हैं, जिन्हें वह अपनी सवारियों के साथ भी बांटते हैं.
तस्वीर: Jammie Robinson
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डॉयचे वेले हिंदी से बातचीत में डॉ. मिश्रा ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया के व्यापारिक क्षेत्र वही हैं जो भारत के हैं. जैसे कि ऑस्ट्रेलिया का बड़ा निर्यात कृषि और खनन से आता है. भारत भी कृषि पर निर्भर देश है. इसलिए हितों का टकराव होना लाजमी है. लेकिन इसी से सहयोग की संभावनाएं भी पैदा होती हैं.”
विशेषज्ञ पहले भी इस बात की ओर इशारा करते रहे हैं कि भारत अपने कई क्षेत्रों को लेकर संरक्षणवाद की नीति पर चल रहा है, जिस कारण मुक्त व्यापार समझौते में दिक्कत आ रही है. लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों देशों के रुख में बदलाव नजर आया, जिसका परिणाम अंतरिम समझौते के रूप में सामने आ रहा है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि रुख में बदलाव के पीछे अमेरिका और चीन के बीच हुई तनातनी और चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में गिरावट भी जिम्मेदार रही है. विदेश मंत्रालय में काम कर चुके पूर्व ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक जस्टिन ब्राउन ने द इंटरप्रेटर पत्रिका में एक लेख में इस बात का जिक्र भी किया था.
ब्राउन ने लिखा, "भारत कम उत्साहित रहा है लेकिन समझौते पर जारी बातचीत को दो वजहों से नई जिंदगी मिली. एक तो अमेरिका-चीन की प्रतिद्वन्द्विता और चीन को लेकर भारत की चिंताएं जिन्होंने भारत को नए रणनीतिक और आर्थिक साझीदार बनाने के लिए तैयार किया.”
ऑस्ट्रेलिया ने लौटाईं चुराई गईं कलाकृतियां
ऑस्ट्रेलिया ने चुराई गईं 14 कलाकृतियां भारत को लौटाने का फैसला किया है. जानिए, क्या है इन कलाकृतियों की कहानी...
तस्वीर: The National Gallery of Australia
गुजराती परिवार
यह है गुरुदास स्टूडियो द्वारा बनाया गया गुजराती परिवार का पोट्रेट. पिछले 12 साल से यह बेशकीमती पेंटिंग ऑस्ट्रेलिया नैशनल गैलरी में थी. इसे भारत से चुराया गया था और गैलरी ने एक डीलर से खरीदा था. अब गैलरी इसे और ऐसी ही 13 और कलाकृतियां भारत को लौटा रही है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
बाल संत संबन्दार, तमिलनाडु (12वीं सदी)
नैशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने इसे 1989 में खरीदा था. कुछ साल पहले गैलरी ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसके तहत चुराई गईं कलाकृतियों के असल स्थान का पता लगाना था. दो मैजिस्ट्रेट के देखरेख में यह जांच शुरू हुई.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
नर्तक बाल संत संबन्दार, तमिलनाडु (12वीं सदी)
यह मूर्ति खरीदी गई थी 2005 में. गैलरी ने ऐसी दर्जनों मूर्तियों, चित्रों और अन्य कलाकृतियों का पता लगाया कि वे कहां से चुराई गई थीं.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अलम, तेलंगाना (1851)
इस अलम को 2008 में खरीदा गया था. ऑस्ट्रेलिया की गैलरी अब 14 ऐसी कलाकृतियां भारत को लौटा रही है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
जैन स्वामी, माउंट आबू, राजस्थान (11वीं-12वीं सदी)
2003 में खरीदी गई जैन स्वमी की यह मूर्ति दो अलग अलग हिस्सों में खरीदी गई थी. गैलरी का कहना है कि उसके पास अब एक भी भारतीय कलाकृति नहीं बची है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
लक्ष्मी नारायण, राजस्थान या उत्तर प्रदेश (10वीं-11वीं सदी)
यह मूर्ति राजस्थान या उत्तर प्रदेश से रही होगी. इसे 2006 में खरीदा गया था. नैशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया 2014, 2017 और 2019 में भी भारत से चुराई गईं कई कलाकृतियां लौटा चुकी है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
दुर्गा महिषासुरमर्दिनी, गुजरात, (12वीं-13वीं सदी)
इस मूर्ति को गैलरी ने 2002 में खरीदा था. गैलरी ने कहा है कि सालों की रिसर्च, सोच-विचार और कानूनी व नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इन कलाकृतियों को लौटाने का फैसला किया गया है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
विज्ञप्तिपत्र, राजस्थान (1835)
जैन साधुओं को भेजा जाने वाला यह निमंत्रण पत्र 2009 में गैलरी ने आर्ट डीलर से खरीदा था. गैलरी की रिसर्च में यह देखा जाता है कि कोई कलाकृति वहां तक कैसे पहुंची. अगर उसे चुराया गया, अवैध रूप से खनन करके निकाला गया, तस्करी करके लाया गया या अनैतिक रूप से हासिल किया गया तो गैलरी उसे लौटाने की कोशिश करेगी.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
महाराज सर किशन प्रशाद यमीन, लाला डी. दयाल (1903)
2010 में यह पोर्ट्रेट खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
मनोरथ, उदयपुर
इस पेंटिंग को गैलरी ने 2009 में खरीदा था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
हीरालाल ए गांधी, (1941)
शांति सी शाह द्वारा बनाया गया हीरा लाल गांधी का यह चित्र 2009 से ऑस्ट्रेलिया की गैलरी में था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अनाम पोट्रेट, 1954
वीनस स्टूडियो द्वारा बना यह पोट्रेट 2009 में खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अनाम पोर्ट्रेट, उदयपुर
एक महिला का यह अनाम पोर्ट्रेट कब बनाया गया, यह पता नहीं चल पाया. इसे 2009 में खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
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ब्राउन कहते हैं कि दूसरा कारण है कोविड-19 के कारण हुए आर्थिक नुकसान ने भारत को आर्थिक बहाली के लिए नए बाजार खोजने पर केंद्रित किया है और अब वह अहम बाजारों तक पहुंचने को प्राथमिकता दे रहा है.
मुलाकातों के बाद दोनों देशों के मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि व्यापारिक सौदेबाजी के दौरान एक दूसरे की संवेदनशीलताओं का ध्यान रखा गया है. ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डैन टेहन ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया ने यह बात समझी है कि दूध, बीफ और गेहूं भारत के लिए संवेदनशील क्षेत्र हैं.”
डॉ. विनोद मिश्रा कहते हैं कि दुग्ध और कृषि क्षेत्र के संवेदनशील होने की वजह आर्थिक और राजनीतिक दोनों हैं. वह कहते हैं, "भारत में दूध और खेती छोटे किसानों के जीवनयापन का आधार है. और वहां जो मौजूदा परिस्थितियां हैं उनमें आयात बढ़ने से इन छोटे किसानों के लिए मुश्किलें पैदा होने की संभावना है.”
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क्या-क्या है समझौते में?
अंतरिम मसौदे में दोनों देशों के बीच कृषि क्षेत्र पर सबसे अहम समझौता हुआ है. दोनों देशों के बीच उत्पादों पर कर छूट देने के लिए अंतरिम समझौते का प्रयोग किया गया है. इसका अगला चरण समग्र रणनीतिक व्यापार समझौते के रूप में आने वाले महीनों में पूरा होने की संभावना है.
जिन उत्पादों और सेवाओं पर दोनों देशों ने विशेष रूप से बात की है, उनमें वाइन और शिक्षा के आदान प्रदान प्रमुख हैं. भारत ने ऑस्ट्रेलिया की वाइन पर करों में सशर्त छून देने की बात कही है. भारत की शर्त यह है कि आयातित उत्पाद न्यूनतम अर्हता मूल्य से अधिक होने चाहिए, तभी वे कर छूट के योग्य होंगे.
ऊन उद्योग में ऑस्ट्रेलिया ने चिप लगाई
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भारत में आयातित वाइन पर 150 प्रतिशत तक कर लगता है. वाइन ऑस्ट्रेलिया का एक प्रमुख निर्यात है और वह भारत के विशाल बाजार तक अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है. पिछले साल जब डैन टेहन भारत की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने कहा था, "इससे ज्यादा आनंद मुझे और किसी बात में नहीं आएगा कि मैं भारत को ऑस्ट्रेलिया की कुछ बेहतरीन वाइन सस्ते दामों पर उपलब्ध करवा सकूं. इसे हम हासिल करना चाहते हैं.”
भारत का वाइन उद्योग भी तेजी से तरक्की कर रहा है. उसे विदेशी वाइन के आने से अपना बाजार सिकुड़ने की आशंकाएं हैं. कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहोलिक बेवरेज कंपनी (CIABC) ने वाणिज्य मंत्रालय को एक पत्र भेजकर कहा, "मुक्त व्यापार समझौते के तहत छूट पाने के लिए उत्पाद में क्षेत्रीय सामग्री की कीमत 70 प्रतिशत होनी चाहिए. यानी उसमें 70 प्रतिशत स्थानीय चीजें होनी चाहिए.”
वीजा क्षेत्र
शिक्षा और पर्यटन अन्य ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर दोनों देशों में विशेष तौर पर बातचीत हुई है. ऑस्ट्रेलिया में पिछले कुछ सालों से सबसे ज्यादा पर्यटक भारत से ही आ रहे हैं. दोनों देशों ने पिछले हफ्ते ही एक सहमति पत्र पर दस्तखत कर एक-दूसरे के पर्यटकों को और ज्यादा बढ़ावा देने पर सहमति जताई है.
ऑस्ट्रेलिया की इन 7 चीजों ने बदल दी दुनिया
ऑस्ट्रेलिया दुनिया के केंद्र से दूर एक अलग-थलग देश है. लेकिन वहां जो खोजें हुई हैं, उन्होंने दुनिया के केंद्र को भी बदलकर रख दिया. जानिए, वे 7 चीजें जो ऑस्ट्रेलिया ने खोजीं...
तस्वीर: imago/PHOTOMAX
वाई-फाई
आज दुनियाभर में लोग जिस वाई-फाई की तलाश में भटकते हैं, उस तकनीक को ऑस्ट्रेलिया ने ही दुनिया को दिया. 1992 में CSIRO ने जॉन ओ सलिवन के साथ मिलकर इस तकनीक को विकसित किया था.
तस्वीर: imago/PHOTOMAX
गूगल मैप्स
मूलतः डेनमार्क के रहने वाले भाइयों लार्स और येन्स रासमुसेन ने गूगल मैप का प्लैटफॉर्म ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में ही बनाया था. उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई दोस्तों नील गॉर्डन और स्टीफन मा के साथ मिलकर 2003 में एक छोटी सी कंपनी बनाई जिसने मैप्स जैसी तकनीक बनाकर तहलका मचा दिया. गूगल ने 2004 में इस कंपनी को खरीद लिया और चारों को नौकरी पर भी रख लिया.
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ब्लैक बॉक्स फ्लाइट रिकॉर्डर
विमान के भीतर की सारी गतिविधियां रिकॉर्ड करने वाला ब्लैक बॉक्स ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डॉ. डेविड वॉरेन ने ईजाद किया था. 1934 में उनके पिता की मौत के विमान हादसे में हुई थी. 1950 के दशक में हुई यह खोज आज हर विमान के लिए अत्यावश्यक है.
तस्वीर: Reuters/Hyungwon Kang
इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर
डॉ. मार्क लिडविल और भौतिकविज्ञानी एजगर बूथ ने 1920 के दशक में कृत्रिम पेसमेकर बनाया था. आज दुनियाभर के तीस लाख से ज्यादा लोगों के दिल इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर की वजह से धड़क रहे हैं.
तस्वीर: Fotolia/beerkoff
प्लास्टिक के नोट
रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया और देश की प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्था CSIRO ने मिलकर 1980 के दशक में दुनिया का पहला प्लास्टिक नोट बनाया था. 1988 में सबसे पहले 10 डॉलर का नोट जारी किया गया. 1996 तक ऑस्ट्रेलिया में सारे करंसी नोट प्लास्टिक के हो गए थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Reserve Bank of Australia
इलेक्ट्रिक ड्रिल
इस औजार के बिना दुनिया की शायद ही कोई फैक्ट्री चलती हो. 1889 में एक इंजीनियर आर्थर जेम्स आर्नोट ने अपने सहयोगी विलियम ब्रायन के साथ मिलकर इसे बनाया था.
तस्वीर: djama - Fotolia.com
स्थायी क्रीज वाले कपड़े
कपड़ों पर क्रीज टूटे ना, इसके लिए कितनी जद्दोजहद की जाती है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के CSIRO ने 1957 में एक ऐसी तकनीक ईजाद की थी जिसके जरिए ऊनी कपड़ों को भी स्थायी क्रीज दी जा सकती है. इस तकनीक ने फैशन डिजाइनरों के हाथ खोल दिए और वे प्लेट्स वाली पैंट्स और स्कर्ट बनाने लगे
तस्वीर: Fotolia/GoodMood Photo
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मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारतीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में विशेष वीजा सुविधाएं देने की संभावना तलाशी जा रही है. शिक्षा उद्योग ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था का पांचवां सबसे बड़ा क्षेत्र है. भारत से आने वाले छात्रों की संख्या वहां सबसे ज्यादा होती है, जिस पर देश के तमाम निजी और सरकारी विश्वविद्यालय निर्भर करते हैं.
यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया भारतीय छात्रों को लुभाना चाहता है. अपने दिल्ली प्रवास के दौरान डैन टेहन ने भारतीय छात्रों के एक दल से मुलाकात कर यह संदेश देने का प्रयास किया कि ऑस्ट्रेलिया के लिए उनकी कितनी अहमियत है. ऑस्ट्रेलियाई अखबार सिडनी मॉर्निंग हेरल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 भारतीय छात्रों से देश को 6.6 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी लगभग 355 अरब भरतीय रुपयों की कमाई हुई थी.
मुक्त व्यापार समझौते में अपने कुशल युवाओं और छात्रों को वीजा छूट भारत की अहम मांग है. दोनों देशों में इस बात की संभावना तलाशी जा रही है कि भारतीय छात्रों को पढ़ाई के बाद तीन से पांच साल तक वीजा बढ़ाने की छूट दी जाए. फिलहाल, पढ़ाई के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में काम करने के लिए एक से दो साल तक का वीजा दिया जाता है.
मुक्त व्यापार से किसे होगा फायदा?
अर्थशास्त्री डॉ. विनोद मिश्रा कहते हैं कि शुद्ध अर्थव्यवस्था के नजरिए से देखा जाए तो मुक्त व्यापार हमेशा और सभी के लिए लाभप्रद होता है. उन्होंने डीडबल्यू से कहा, "ज्यादातर अर्थशास्त्री मानते हैं कि अगर सरकार लोगों को बेरोक-टोक व्यापार करने दे तो उसके फायदे हमेशा नुकसान से ज्यादा होते हैं.”
हालांकि, डॉ. मिश्रा मानते हैं कि छोटी अवधि में कुछ लोगों को मुक्त व्यापार से नुकसान हो सकता है, लेकिन आमतौर पर ज्यादातर लोगों को फायदा ही होता है. वह कहते हैं, "भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही कई मामलों में संवेदनशील हैं लेकिन कुछ क्षेत्रों में भी अगर रुकावटें हटाई जाती हैं, टैक्स घटाया जाता है तो निश्चित तौर पर दोनों देशों में रेवन्यू बढ़ेगा.”
वित्त वर्ष 2021 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 12.5 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. वित्त वर्ष 2022 के पहले दस महीनों में ही यह 17.7 अरब डॉलर को पार कर चुका है. भारत ने 12.1 अरब डॉलर का आयात किया है जबकि 5.6 अरब डॉलर का निर्यात किया है. भारत के मुख्य आयातित उत्पादों में कोयला, सोना और लीक्विड नेचरल गैस हैं जबकि भारत से डीजल, पेट्रोल, कीमती पत्थर और गहनों का निर्यात हुआ है.
कोविड टीका न लगवाने वालों पर कैसी-कैसी सख्तियां
कोविड-19 वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच विश्व के कई देशों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के अलावा टीका ना लगवाने वालों पर कई तरह से कार्रवाई हो रही है.
कनाडा के क्यूबेक प्रांत में कोविड का टीका नहीं लगवाने वालों पर नया स्वास्थ्य कर लगेगा. क्यूबेक के प्रीमियर फ्रांस्वा लगू ने 11 जनवरी को यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि टीका न लगवाने वालों के चलते प्रांतीय अस्पतालों पर बोझ बढ़ रहा है जिससे सभी नागरिकों आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. जुर्माने की रकम 100 डॉलर से तो ऊपर ही होगी. वहीं किसी मेडिकल कारण से टीका न लगवाने वालों को इससे छूट मिलेगी.
तस्वीर: Paul Chiasson/The Canadian Press/empics/picture alliance
इंडोनेशिया
फरवरी 2021 में इंडोनेशिया ने कोविड वैक्सीन न लगवाने वालों पर कार्रवाई का एलान किया. राष्ट्रपति द्वारा जारी इस आदेश में दंड तय करने का अधिकार स्थानीय प्रशासन को दिया गया था. इसके बाद राजधानी जर्काता में प्रशासन ने बताया कि टीका न लगवाने वालों को स्थानीय मुद्रा में 50 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा, या वे सरकार से मिलने वाली वेलफेयर राशि नहीं पा सकेंगे.
तस्वीर: Khalis Surry/picture alliance/AA
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में जनवरी 2016 से 'नो जैब, नो पे' पॉलिसी लागू है. इसके मुताबिक, 19 साल तक के बच्चों को अनिवार्य टीके न लगने पर उनके परिवारों को दी जाने वाली सरकारी सहायता राशि रोक दी जाएगी. साथ ही, उन बच्चों के माता-पिता को टैक्स छूट भी नहीं मिलेगी. वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया स्टेट ने सर्विस सेक्टर में काम करने वालों के लिए टीका अनिवार्य बना दिया. नॉदर्न टैरेटरी में भी यह नियम लागू है.
तस्वीर: Sydney Low/Zuma/picture alliance
ऑस्ट्रिया
15 नवंबर, 2021 से यहां बिना टीका लगवाए गए लोगों पर सार्वजनिक जगहों के इस्तेमाल की पाबंदी लगा दी गई. रेस्तरां, बार, होटल समेत ज्यादातर सार्वजनिक जगहों के लिए यह नियम लागू किया गया, जिसका काफी विरोध भी हुआ. दिसंबर में लॉकडाउन खत्म होने के बाद वहां टीका न लगवाने वालों पर प्रतिबंध जारी रहे. फरवरी 2022 से यहां कोविड वैक्सीन अनिवार्य है.
नवंबर 2021 में ग्रीस ने एलान किया कि अब वहां भी कोविड वैक्सीन न लगाने वालों पर कार्रवाई होगी. इसके मुताबिक, 60 साल से अधिक उम्र के वे लोग, जो कोविड टीका नहीं लगवा रहे हैं, उन पर करीब 100 यूरो का जुर्माना लगाया जाएगा. यह नियम जनवरी 2022 के दूसरे पखवाड़े से लागू होना है.