28 साल बाद आखिरकार बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के मामले में लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.
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विशेष सीबीआई अदालत के जज एसके यादव ने मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. जज ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन पक्ष मजबूत सबूत पेश नहीं कर पाया. दो हजार से ज्यादा पन्नों के फैसले में, जज ने कहा कि घटना पू्र्व नियोजित नहीं थी बल्कि अचानक हुई थी.
इस मामले में बीजेपी के कद्दावर नेता आरोपी बनाए गए थे, जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, कल्याण सिंह शामिल हैं. जज ने कहा कि इन नेताओं ने भीड़ को रोकने की कोशिश की थी.
फैसले वाले दिन आडवाणी, उमा भारती, जोशी और कल्याण सिंह को पेश होने से छूट मिली. 92 साल के आडवाणी और 86 साल के जोशी और 80 वर्ष से अधिक उम्र के नृत्यगोपाल दास को स्वास्थ्य कारणों से अदालत में पेश होने से छूट मिली. उमा भारती को कोविड-19 हो गया है और इस कारण वो अदालत में पेश नहीं हो पाई जबकि कल्याण सिंह कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक हो रहे हैं.
बुधवार को अदालत में 32 में 26 आरोपी फैसला सुनने के लिए मौजूद रहे. बाकी छह अन्य आरोपी अपने घर पर ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए. टीवी चैनलों पर आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को इस मामले से जुड़े समाचार देखते हुए दिखाया गया.
अन्य आरोपियों में उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज, फैजाबाद से सांसद लल्लू सिंह, गोंडा से सांसद बृज भूषण शरण सिंह, विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा शामिल हैं.
अदालत की सुनवाई शुरू होने से पहले पांच आरोपियों ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि वे मस्जिद ढहाए जाने के मामले में कोई भी सजा पाने को तैयार हैं. एक आरोपी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 6 दिसंबर 1992 को जो हुआ था वह सही हुआ था.
बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद 6 दिसंबर 1992 को दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी. पहली एफआईआर में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और दूसरी एफआईआर में आठ नामजद लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद जनवरी 1993 में 47 अन्य मुकदमे दर्ज कराए गए थे.
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दो साल में इस केस को खत्म करने की समयसीमा तय कर दी थी. 2019 अप्रैल में वह समय सीमा खत्म हुई तो नौ महीने की समयसीमा फिर मिली. कोरोना संकट के कारण भी सुनवाई और फैसले में देर हुई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
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राम मंदिर भूमि पूजन
5 अगस्त 2020 भारतीय इतिहास में उस तारीख के रूप में दर्ज हो गई जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया. लंबे कानूनी झगड़े के बाद अयोध्या में विशाल राम मंदिर निर्माण होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया.
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राम मंदिर की नींव
नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर की नींव में नौ शिलाएं रखीं. भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 44 मिनट पर था. तय कार्यक्रम के मुताबिक पूरे विधि विधान से पूजा पाठ किया गया. अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले मोदी ने हनुमान गढ़ी जाकर दर्शन किए और आरती उतारी. टीवी चैनलों पर सुबह से ही कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जा रहा था.
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राम के दर्शन
मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करने के बाद कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "आज पूरा देश राममय और हर मन दीपमय है. सदियों का इंतजार समाप्त हुआ." सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दशकों पुराने मामले का निबटारा करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन मिली है.
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राम भक्तों का जश्न
राम मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने से भारत में राम भक्तों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी. कोरोना वायरस की वजह से राम मंदिर भूमि पूजन के लिए सीमित संख्या में मेहमानों को आमंत्रित किया गया था. ज्यादातर लोगों ने ढोल और नगाड़े बजाकर अपनी खुशी का इजहार किया. इस तस्वीर में बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता जश्न मनाते दिख रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के सहारे ही बीजेपी सत्ता के शिखर तक पहुंच पाई.
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खुशी से झूमती महिलाएं
नई दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय के बाहर महिलाएं खुशी से झूमती हुईं. राम मंदिर के लिए वीएचपी, आरएसएस और बीजेपी ने आंदोलन चलाया. आंदोलन से जुड़े दो वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
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पटाखों के साथ खुशी
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखने के बाद नई दिल्ली में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े और हवा में रंग उड़ाए. कई शहरों में राम भक्तों ने लड्डू बांटे और एक दूसरे को इस अवसर पर बधाई दी.
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खास मेहमान
पिछले कई महीनों से अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर हलचल तेज थी और तैयारियां जोरों पर थीं. राम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट ने भूमि पूजन के लिए खास तैयारी की थी. चुनिंदा मेहमानों के अलावा भूमि पूजन के लिए आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी. लोग दूर से इस पल का गवाह बने.
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सीधा प्रसारण
राम मंदिर भूमि पूजन का सीधा प्रसारण टीवी पर किया गया. कोरोना वायरस के कारण लोगों ने बड़ी स्क्रीन पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम देखा. कई शहरों में इसके लिए खास इंतजाम किए गए थे.
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लड्डू का प्रसाद
अयोध्या में प्रसाद के तौर पर पिछले कुछ दिनों से लड्डू बनाने का काम चल रहा था. भूमि पूजन के बाद 1,11,000 डिब्बों में प्रसाद के रूप में देसी घी के लड्डू वितरित किए गए. इन लड्डूओं को कई तीर्थ क्षेत्रों में वितरित भी किया जाएगा.
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अयोध्या में सैनिटाइजेशन
कोरोना वायरस के कारण पूरी अयोध्या नगरी को सैनिटाइज किया गया. तमाम रास्तों, गलियों, मंदिरों और भूमि पूजन से जुड़ी जगहों को स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सैनिटाइज किया. भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, "कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमि पूजन का कार्यक्रम मर्यादाओं के बीच हो रहा है."
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सख्त पहरा
अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन के पहले ही सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. भूमि पूजन से पहले ही अयोध्या में तीन चक्र की सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. स्थानीय पुलिस, अर्धसैनिक बल और एसपीजी के जवान तैनात किए गए थे.
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अयोध्या
अयोध्या में पिछले कुछ हफ्तों से सजावट का काम चल रहा था. जगह-जगह दीवारों पर राम के चित्र बनाए गए और सड़कों पर रंगोली बनाई गई. सरयू नदी पर मंगलवार से ही मनमोहक नजारा दिख रहा है. नदी के किनारे को भूमि पूजन के लिए रंगीन रोशनी और रंगोली से सजाया गया.