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गाड़ी से तो लाल बत्ती हटा दी, दिमाग से कैसे हटाएंगे?

अशोक कुमार
२० अप्रैल २०१७

भारत में राजनेताओें और अन्य वीआईपी लोगों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने के फैसले का सोशल मीडिया पर भरपूर स्वागत हो रहा है. लेकिन यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या सिर्फ बत्ती हटाने से वीआईपी कल्चर खत्म हो जाएगा?

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तस्वीर: Getty Images

भारत में लाल बत्ती वीआईपी कल्चर की निशानी मानी जाती है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ट्वीट किया, "हर भारतीय खास है. हर भारतीय वीआईपी है."

इसके बाद #LalBatti ट्विटर पर तेजी से ट्रेंड करने लगा. बहुत से लोगों ने 1 मई से लाल बत्ती का इस्तेमाल बंद करने के फैसले का स्वागत किया है. सदानंद धूमे ने लिखा कि पहली बार भारत में कोई ऐसा बैन लगा जिसकी वह तारीफ कर सकते हैं.

दूसरी तरफ, कई लोगों ने इस मुद्दे पर चुटकी भी ली है. मिसाल के तौर पर पत्रकार अंकुर भारद्वाज ने एक कार्टून पोस्ट किया जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गायों पर लाल बत्ती का निशान बनाते हुए दिखाया गया है.

कार्टूनिस्ट मंजुल ने अपने कार्टून के माध्यम से कहा है कि लाल बत्ती गाड़ी से तो हटा सकते हैं, लेकिन इससे जुड़ी राजनेताओं की मानसिकता को कैसे दूर किया जाएगा.

विनीत कुमार के ट्वीट में भी यही बात झलकती है. वह कहते हैं, "पता नहीं कि हर भारतीय वीआईपी है या नहीं, लेकिन रवींद्र गायकवाड़ निश्चित तौर पर वीआईपी कल्चर के प्रतीक हैं. उन्हें कैसे बदलें. उनके दिमाग से भी लाल बत्ती हटाएं."

शिवसेना के सांसद गायकवाड़ पिछले दिनों उस वक्त सुर्खियों में आए जब उन्होंने एयर इंडिया के एक कर्मचारी से मारपीट की थी. वहीं, पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने लिखा है कि लाल बत्ती बंद करने के बाद अगला कदम मंत्रियों के काफिले को घटाना होना चाहिए.

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