महामारी काल के दूसरे बजट में अर्थव्यवस्था को मंदी से निकालने का मानचित्र गायब रहा. सरकारी खर्च बढ़ाने की घोषणा तो की गई लेकिन जानकार इस बढ़ोतरी के पर्याप्त होने पर संदेह जता रहे हैं.
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जैसा की उम्मीद की जा रही थी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने चौथे बजट में अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकारी खर्च को बढ़ाने का वादा तो किया है, लेकिन यह बढ़ोतरी मौजूदा हालात और भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अपर्याप्त लग रही है.
पूंजी खर्च या कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए 7.50 लाख करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 35.4 प्रतिशत ज्यादा है. लेकिन यह अपने आप में कितना कारगर सिद्ध होगा यह देखना पड़ेगा.
खर्च से झिझकी सरकार
इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं कि सबसे पहले तो सरकार ने पिछले साल भी जितने खर्च की योजना बनाई थी उतना खर्च नहीं कर पाई. इसलिए इस बात पर संदेह है की इस साल भी सरकार इतना खर्च कर पाएगी.
दूसरी बात यह कि खपत को बढ़ाने के लिए सिर्फ पूंजी खर्च ही नहीं बल्कि पूरे बजट के आकार को बढ़ाना चाहिए लेकिन अरुण कुमार कहते हैं कि अगर महंगाई दर के हिसाब से इस बजट के आकार को देखा जाए तो यह मोटे रूप से पिछले बजट जितना ही है.
इसके अलावा वित्त मंत्री ने ऐसी किसी भी दूसरी सीधी राहत की घोषणा नहीं की जो मंदी के बोझ के तले दबे गरीबों, गरीबी में जा चुके मध्यम वर्गीय परिवारों और छोटे और मझोले व्यापारियों के काम आ सके. इनकम टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है और न ही गरीबों के लिए कोई आर्थिक सहायता की घोषणा की गई है.
कैसे मिलेगा रोजगार
अर्थशास्त्री आमिर उल्ला खान कहते हैं कि कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ाना और इनकम टैक्स दरों को घटाने का मुश्किल फैसला लेने का यह बहुत अच्छा मौका था लेकिन सरकार ने यह फैसला नहीं लिया.
रोजगार के मोर्चे पर भी कोई ठोस घोषणा बजट में नहीं थी. अरुण कुमार कहते हैं कि कृषि और संबंधित क्षेत्रों में ही रोजगार के बड़े अवसरों का सृजन होता है लेकिन इन क्षेत्रों के लिए असली आबंटन को नहीं बढ़ाया गया, बल्कि ग्रामीण रोजगार देने वाली योजन मनरेगा के आबंटन को घटा दिया गया.
गरीबों के हाथों में सीधे पैसे दिए जा सकते थे लेकिन वो भी नहीं किया गया. उलटे खाद्य सब्सिडी और फर्टिलाइजर सब्सिडी भी कम कर दी गई.
शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत क्षेत्रों के हाल पर भी समीक्षक निराश हैं. आमिर कहते हैं कि इस बजट में तो स्वास्थ्य और शिक्षा को तो जैसे नजरअंदाज ही कर दिया गया है. वहीं अरुण कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य कर तो खर्च को बढ़ाया नहीं ही गया, शिक्षा पर बढ़ाया है लेकिन उसमें भी ज्यादा डिजिटल कदमों की बात की गई.
न स्कूलों के नेटवर्क और सुविधाओं के विस्तार की बात की गई और ना और शिक्षकों को भर्ती करने की. आर्थिक सर्वेक्षण ने कहा है कि महामारी के दौरान निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे बड़ी संख्या में सरकारी स्कूलों में आए हैं. सरकारी स्कूलों को और समर्थन देने की बात सर्वेक्षण ने की थी लेकिन बजट में इसकी ठोस घोषणाएं नजर नहीं आईं.
आम आदमी के लिए क्या लेकर आया बजट
भारत के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. आम लोगों के लिए वित्त मंत्री के पिटारे से क्या-क्या निकला, जानते हैं.
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आयकर में कोई बदलाव नहीं
मिडल क्लास परिवार को बजट में हर साल टैक्स में राहत की उम्मीद रहती है, लेकिन इस बार के बजट में इनकम टैक्स की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
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आईटीआर गलती में सुधार का मौका
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आयकर रिटर्न अपडेट करने के लिए करदाता को ज्यादा मौका मिलेगा. करदाता जुर्माना भरकर पिछले 2 साल का इनकम टैक्स रिटर्न अपडेट कर सकता है.
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डाकघर होंगे डिजिटल
डिजिटल बैंकिंग को हर नागरिक तक पहुंचाने के उद्देश्य से देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां शुरू होंगी. सभी 1.5 लाख डाकघरों को कोर बैंकिंग सिस्टम में शामिल किया जाएगा. ये डाकघर नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम इत्यादि की भी सुविधा देंगे. डाकघर खातों व बैंक खातों के बीच ऑनलाइन फंड ट्रांसफर भी किया जा सकेगा.
तस्वीर: Payel Samanta/DW
भारत में आएगी डिजिटल करेंसी
सरकार इस साल डिजिटल करेंसी शुरू करेगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल रुपया लॉन्च करेगा. डिजिटल करेंसी के लिए ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.
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क्रिप्टो से कमाई पर मोटा टैक्स
क्रिप्टोकरंसी को लेकर भारत में निवेशकों के बीच काफी उत्साह है लेकिन सरकार ने इसे अब तक मान्यता नहीं दी है. लेकिन बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा है कि क्रिप्टोकरंसी से कमाई पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगेगा. यही नहीं क्रिप्टोकरंसी अगर उपहार के रूप में दी जाए, तो उपहार लेने वाले को अब इस पर कर देना होग.
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क्या हुआ सस्ता
बजट में कुछ सामान सस्ता करने का ऐलान भी किया गया है. चमड़े का सामान सस्ता होगा, मोबाइल फोन, चार्जर सस्ते होंगे. हीरे के गहने भी सस्ते हो जा रहे हैं.
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भारत में 5जी की एंट्री
5जी मोबाइल सेवाओं को शुरू करने के लिए 2022 में स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी.
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डिजिटल शिक्षा पर जोर
कोरोना महामारी के मद्देनजर वित्त मंत्री ने अपने बजट में डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन लर्निंग पर बहुत जोर दिया. देश में डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना होगी. साथ ही पीएम ई विद्या के प्रोग्राम 'वन क्लास, वन टीवी चैनल' के तहत टीवी चैनलों की संख्या 12 से बढ़ाकर 200 की जाएगी.
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80 लाख परिवारों को मिलेंगे सस्ते घर
2022-23 में पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के लिए 80 लाख मकानों का निर्माण पूरा किया जाएगा. साथ ही 3.8 करोड़ घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का आबंटन किया जाएगा.
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आने वाला है ई-पासपोर्ट
2022-23 में भविष्य की तकनीक से युक्त ई-पासपोर्ट जारी करेगी सरकार. इससे नागरिकों को विदेश यात्रा में सुविधा मिलेगी. ई-पासपोर्ट सामान्य तौर पर आपके रेगुलर पासपोर्ट का डिजिटल रूप होगा.
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किसान ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा
फसल का मूल्यांकन करने, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा.
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य डिजिटल इकोसिस्टम
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के लिए एक खुला मंच तैयार किया जाएगा. इसमें स्वास्थ्य प्रदाताओं के लिए डिजिटल रजिस्ट्रियां, यूनीक हेल्थ पहचान और स्वास्थ्य सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच शामिल होगी.
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400 नई वंदे भारत ट्रेनें
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि अगले तीन वर्षों में वंदे भारत श्रेणी की 400 नई ट्रेनें चलाई जाएंगी.