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कानून और न्यायभारत

भारतीय अदालतों में पांच करोड़ से ज्यादा मामले लंबित

आमिर अंसारी
२१ जुलाई २०२३

भारतीय संसद में लिखित जवाब में सरकार ने बताया है कि विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ के पार पहुंच गई है.

भारत में लंबित मामले पांच करोड़ के पार पहुंचे
भारत में लंबित मामले पांच करोड़ के पार पहुंचे तस्वीर: fikmik/YAY Images/IMAGO

संसद के मानसूत्र सत्र के पहले दिन कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में लिखित जवाब में कहा है कि देश की अलग-अलग अदालतों में लंबित मामले पांच करोड़ का आंकड़ा पार कर गए हैं. कानून मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट, 25 हाई कोर्ट और अधीनस्थ न्यायालयों में 5.02 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं.

मेघवाल ने राज्यसभा को बताया, "इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम (आईसीएमआईएस) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 1 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 69,766 मामले लंबित हैं." उन्होंने कहा, "नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 14 जुलाई तक हाई कोर्ट में 60,62,953 और जिला और अधीनस्थ अदालतों में 4,41,35,357 मामले लंबित हैं."

अदालतों में क्यों लंबित हैं मामले

कानून मंत्री का कहना है कि अदालतों में मामलों के लंबित होने के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिनमें पर्याप्त संख्या में जजों और न्यायिक अफसरों की अनुपलब्धता, अदालत के कर्मचारियों और कोर्ट के इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी शामिल है. इसके साथ ही साक्ष्यों का जुटाया जाना, बार, जांच एजेंसियों, गवाहों और वादियों जैसे हितधारकों का सहयोग भी शामिल है.

सरकार का कहना है कि मामलों के निपटान में देरी का कारण बनने वाले अन्य कारकों में विभिन्न प्रकार के मामलों के निपटान के लिए संबंधित अदालतों द्वारा निर्धारित समय सीमा की कमी, बार-बार मामले में सुनवाई का टलना और सुनवाई के लिए मामलों की निगरानी, लंबित मामलों को ट्रैक करने की व्यवस्था की कमी शामिल है.

अदालतों में मामले के निपटान के लिए पुलिस, वकील, जांच एजेंसियां और गवाह अहम किरदार निभाते हैं. यही किरदार देश में करोड़ों मुकदमों के लंबित होने का कारण भी बन रहे हैं. कई मामलों में पुलिस समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाती तो कई मामलों में वकील भी पेश नहीं होते.

भारत की निचली अदालतों में ज्यूडिशियल अफसरों के 5,388 से अधिक और हाई कोर्ट में 330 से अधिक पद खालीतस्वीर: Manish Kumar

इंसाफ की धीमी रफ्तार

वर्तमान में मामलों के निपटारे के लिए कोई निर्धारित समय-सीमा नहीं है क्योंकि अदालतें वकीलों की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई नहीं कर पाती हैं. कानून मंत्री का कहना है, "अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में है. अदालतों में मामलों के निपटारे में सरकार की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है."

हाल ही में नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड की रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि देश में लंबित मामलों में 61,57,268 ऐसे हैं जिनमें वकील पेश नहीं हो रहे हैं और 8,82,000 मामलों में केस करने वाले और विरोधी पक्षों ने कोर्ट आना ही छोड़ दिया.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि 66,58,131 मामले ऐसे हैं जिनमें आरोपी या गवाहों की पेशी नहीं होने के कारण मामले की सुनवाई रुकी हुई है. इनमें से 36 लाख से अधिक मामलों में आरोपी जमानत लेकर फरार हैं.

भारत की निचली अदालतों में ज्यूडिशियल अफसरों के 5,388 से अधिक और हाई कोर्ट में 330 से अधिक पद खाली हैं.

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