भूटान में 9 जनवरी को मतदान होना है. भूटान और चीन के बीच बढ़ती करीबी भारत के लिए चिंता का सबब है और नई सरकार बनने की प्रक्रिया पर भारत की नजर है.
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दो विशाल और शक्तिशाली प्रतिद्वन्द्वी देशों भारत और चीन के बीच बसा हिमालयी देश भूटान सदियों तक हिमालय की चोटियों में महफूज रहा है. लेकिन जैसे-जैसे भारत और चीन की प्रतिद्वन्द्विता बढ़ रही है, भूटान में उनकी दिलचस्पी भी बढ़ती जा रही है.
अब जबकि 9 जनवरी को थिंपू की नई संसद के लिए चुनाव होने वाले हैं तो भारत और चीन बहुत ध्यान से उसकी ओर देख रहे हैं क्योंकि दोनों ही ‘दुनिया के सबसे खुश देश‘ के रूप में जाने जाने वाले इस छोटे से देश को अपने रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं.
किंग्स कॉलेज लंदन में प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ हर्ष वी पंत कहते हैं कि दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव के प्रसार में चीन के लिए भूटान ‘आखिरी बाधाओं में से एक' है. दरअसल, भारत दक्षिण एशियाई पड़ोसियों जैसे भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव्स और श्रीलंका को अपने कुदरती प्रभाव क्षेत्र में गिनता है. पिछले कुछ सालों में चीन ने इन सभी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाया है.
इन देशों के हैं सबसे ज्यादा पड़ोसी देश
पड़ोसी देश मतलब वो देश जिनसे किसी देश की सीमा लगती है. भारत की सीमा सात देशों से लगती है. ये पड़ोसी देश बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान हैं. देखिए सबसे ज्यादा पड़ोसी किन देशों के हैं.
जाम्बिया
अफ्रीकी देश जाम्बिया 11वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. जाम्बिया की सीमा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, अंगोला, मलावी, मोजांबिक, तंजानिया, नामीबिया, जिम्बाब्वे और बोतस्वाना से मिलती है.
तस्वीर: DW/C.Mwakideu
तुर्की
तुर्की 10वां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तुर्की की सीमा अर्मेनिया, जॉर्जिया, ईरान, इराक, सीरिया, अजरबैजान, बुल्गारिया और ग्रीस से लगती है. तुर्की के आठ पड़ोसी देश हैं जिनके साथ 2,648 किलोमीटर की सीमा लगती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Altan
तंजानिया
अफ्रीकी देश तंजानिया नवां सबसे ज्यादा पड़ोसियों वाला देश है. तंजानिया की सीमा केन्या, बुरुंडी, युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, जांबिया, मलावी, मोजांबिक और रवांडा से लगती है. आठ पड़ोसी देशों से तंजानिया की 3,861 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है.
तस्वीर: DW/N. Quarmyne
सर्बिया
सर्बिया की सीमा रोमानिया, हंगरी, क्रोएशिया, बोस्निया और हरजेगोवनिया, मेसेडोनिया, बुल्गारिया, कोसोवो, और मॉन्टेनेग्रो से लगती है. नौ पड़ोसी देशों वाले सर्बिया की सीमा 2,027 किलोमीटर लंबी है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये आठवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/M. Djurica
फ्रांस
फ्रांस के पड़ोसी देशों में बेल्जियम, जर्मनी, स्विटजरलैंड, इटली, स्पेन, अंडोरा, लक्जमबर्ग, मोनाको और ब्रिटेन में शामिल हैं. इन आठ पड़ोसी देशों के साथ फ्रांस की 623 किलोमीटर लंबी सीमा है. ब्रिटेन के साथ फ्रांस की जल सीमा है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये सातवें नंबर पर है.
तस्वीर: Reuters/B. Tessier
ऑस्ट्रिया
ऑस्ट्रिया के भी आठ पड़ोसी देश हैं. इनमें हंगरी, स्लोवाकिया, चेक रिपब्लिक, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, इटली, लिश्टेनश्टाइन और स्लोवेनिया शामिल हैं. ऑस्ट्रिया की सीमा 2,562 किलोमीटर की है. सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ये छठे नंबर पर है.
तस्वीर: Imago Images/Xinhua/Guo Chen
जर्मनी
जर्मनी के सभी नौ पड़ोसी देशों के नाम नीदरलैंड्स, बेल्जियम, फ्रांस, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, पोलैंड, डेनमार्क और लक्जमबर्ग हैं. जर्मनी की सबसे सीमा चेक रिपब्लिक के साथ लगी है, जो 815 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/Y. Tang
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
सबसे ज्यादा पड़ोसी देशों के मामले में चौथे स्थान पर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो है. इसके पड़ोसी बुरुंडी, रवांडा, युगांडा, दक्षिण सूडान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, कॉन्गो रिपब्लिक, अंगोला, जाम्बिया और तंजानिया हैं. इसकी सीमा की लंबाई 2410 किलोमीटर है.
तस्वीर: AFP
ब्राजील
सबसे ज्यादा पड़ोसियों के मामले में ब्राजील तीसरे स्थान पर है. ब्राजील के 10 पड़ोसी देश हैं जिनमें सूरीनाम, गुएना, फ्रेंच गुएना, वेनेजुएला, कोलंबिया, पेरू, बोलिविया, उरुग्वे, पैराग्वे और अर्जेंटीना शामिल हैं. ब्राजील की सीमा 14,691 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: AFP/D. Ramalho
रूस
रूस के कुल 14 पड़ोसी हैं. इनमें 12 रूस की मुख्यभूमि और दो पड़ोसी मुख्यभूमि के दूर के एक इलाके के हैं. मुख्यभूमि के पड़ोसी फिनलैंड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अजरबैजान, कजाखस्तान, चीन, मंगोलिया, उत्तरी कोरिया और नॉर्वे हैं. वहीं दो और पड़ोसियों लिथुआनिया और पोलैंड के बीच रूस का कलिनिन्ग्राद का इलाका है. रूस की सीमा 20,241 किलोमीटर लंबी है.
तस्वीर: Reuters/S. Zhumatov
चीन
सबसे ज्यादा पड़ोसी देश चीन के हैं. चीन की सीमा 14 देशों से लगती है. इनमें भारत, मंगोलिया, कजाखस्तान, उत्तरी कोरिया, रूस, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, लाओस और वियतनाम शामिल हैं. इसके अलावा चीन के दो स्वायत्त इलाके हांगकांग और मकाउ भी उसके पड़ोसी हैं. चीन की थल सीमा की कुल लंबाई 22,117 किलोमीटर है.
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थिंपू और बीजिंग के बीच औपचारिक कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं. 2007 तक भारत ही भूटान की विदेश नीति की देखरेख करता रहा है. ब्रिटेन के थिंकटैंक चाथम हाउस ने दिसंबर में जारी एक रिपोर्ट में लिखा कि विदेश नीति की देखरेख के बदले "भूटान को मुक्त व्यापार और सुरक्षा" मिलती रही है.
रिपोर्ट में उपग्रह से ली गईं कुछ तस्वीरें शामिल थीं जिनमें भूटान के उत्तरी इलाके में चीनी निर्माण दिखाई दिया. अब भूटान और चीन के बीच जिस तरह की बातचीत हो रही है, चाथम के मुताबिक उसके बाद यह इलाका "चीन को मिल सकता है.”
चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि उनकी सरकार भूटान के साथ "सीमा विवाद को जल्द हल करने और कूटनीतिक रिश्ते स्थापित करने” के लिए प्रतिबद्ध है. चाथम हाउस ने कहा, "चीन उम्मीद करेगा कि उत्तरी भूटान में अपने पांव जमा लेने का समझौता भूटान के साथ कूटनीतिक रिश्तों की राह तैयार करेगा और उसे चीन के प्रभाव क्षेत्र में ले आएगा.”
प्रोफेसर पंत कहते हैं, "ऐसे समझौते के भारत के लिए बहुत बड़े निहितार्थ होंगे. अगर चीन इसमें सफल हो जाता है तो ऐसा संदेश जा सकता है कि अब अपने पड़ोस में ही भारत हाशिये पर चला गया है.”
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भारत के लिए चिंता
पिछले कुछ सालों में भारत और चीन के रिश्तों में तनाव बहुत बढ़ा है. दोनों देश 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और कई इलाकों को लेकर विवाद है. 2017 में भारत-चीन-भूटान सीमा पर स्थित डोकलाम में चीन की सेनाएं घुस आई थीं जिसके बाद 72 दिन तक सैनिक आमने-सामने रहे थे.
चाथम हाउस कहता है, "भूटान की उत्तरी सीमा में किसी तरह के बदलाव से भारत की चिंता बढ़ जाएगी कि उसके बाद ध्यान पश्चिम में स्थित डोकलाम की ओर जाएगा.”
लेकिन पंत कहते हैं कि चीन और भूटान के बीच समझौता होना ठीक ही है. वह बताते हैं, "अगर आज वे अपना विवाद हल नहीं करते हैं तो कल हालात और ज्यादा विवादग्रस्त हो जाएंगे.”
द हिंदू अखबार की कूटनीतिक संपादक सुहासिनी हैदर कहती हैं कि भारत को चिंता इस बात की है कि भूटान और चीन के बीच समझौता तय है. उनके मुताबिक 2017 के डोकलाम विवाद के बाद भूटान और चीन के बीच बातचीत में आई तेजी से भारत काफी चिंतित है.
क्या है संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना, जिसके सबसे ज्यादा सैनिक दक्षिण एशिया से हैं
शांति मिशनों में जान गंवाने वाले कर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 29 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. 2022 की थीम है- "लोग. शांति. प्रगति. साझेदारियों की ताकत."
तस्वीर: Glody Murhabazi/AFP/Getty Images
क्या है संयुक्त राष्ट्र शांति सेना
शांति सेना संयुक्त राष्ट्र का एक संगठन है जिसे हिंसाग्रस्त देशों में शांति बहाल करने के लिए तैनात किया जाता है. इसमें सैन्य, पुलिस और आम नागरिक शामिल होते हैं. यह उन इलाकों में तैनात किए जाते हैं जहां कोई अन्य देश या संस्था जा नहीं पाती या फिर जा नहीं सकती. 29 मई 1948 को इस्राएल-अरब शांति के लिए पहला मिशन शुरू करने के बाद से अब तक 72 मिशनों में शांति सैनिकों की तैनाती हो चुकी है.
तस्वीर: AFP
कहां तैनात हैं शांति सैनिक
2022 में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के तीन महाद्वीपों में 12 मिशन चल रहे हैं. यह इलाके हैं- पश्चिमी सहारा, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, माली, डी.आर. कांगो, गोलान (इस्राएल), साइप्रस, लेबनान, सूडान-दक्षिण सुडान सीमा, कोसोवो, दक्षिण सूडान, जम्मू-कश्मीर (भारत और पाकिस्तान) और मध्य-पूर्व एशिया. इस्राएल-अरब शांति के लिए 1948 में चलाया गया मध्य-पूर्व एशिया मिशन शांति सेना का पहला मिशन था, जो आज भी जारी है.
तस्वीर: Mahmoud Zayyat/AFP
किन देशों से आते हैं शांति सैनिक
शांति सेना में इस वक्त संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के करीब 87,000 कर्मी (सैनिक, पुलिस, नागरिक) सेवाएं दे रहे हैं. इनमें सबसे बड़ा हिस्सा दक्षिण एशियाई देशों का है. बांग्लादेश (6,709) नेपाल (5,706) और भारत (5,581) पहले तीन स्थानों पर हैं. पांचवें स्थान पर मौजूद पाकिस्तान(4,123) समेत भूटान(27) और श्रीलंका(565) के कर्मी भी शांति सेना का हिस्सा हैं. आज तक दुनियाभर के 10 लाख लोग शांति सैनिक रहे हैं.
तस्वीर: Dharvi Vaid/DW
शांति सेना का खर्च
शांति सेना का खर्च संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों की साझा जिम्मेदारी होती है. हालांकि शांति सेना से जुड़े मामले, देखरेख और शांति मिशनों को बढ़ाने के फैसले सुरक्षा परिषद लेती है. 2021-2022 में शांति सेना का बजट 6.38 अरब डॉलर था. दुनिया के कुल रक्षा बजट (1981 अरब डॉलर) से तुलना करें तो यह मात्र आधा प्रतिशत है. इसमें सबसे ज्यादा योगदान देने वाले पहले तीन देश हैं- अमेरिका, चीन और जापान.
तस्वीर: Spencer Platt/Getty Images
शांति मिशनों में अब तक गई जानें
1948 से आज तक 72 शांति मिशनों में 4197 शांति सैनिकों की जान जा चुकी है. इन शांति मिशनों में भारत के भी 175 कर्मियों की मौत हुई है. यह अप्रत्याशित हो सकता है लेकिन शांति मिशनों में ज्यादा मौतें बीमारियों की वजह से हुई हैं. इसके बाद दुर्घटनाओं और हमलों की वजह से हुई मौतों की बारी आती है. 2021 भी शांति सेना के लिए बुरा था. इस साल 135 शांति सैनिकों की जान गई.
तस्वीर: Albert Gonzales Farran/AFP/Getty Images
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दी श्रद्धांजलि
शांति सेना के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा कि "शांति को कभी हल्के में नहीं लिया जा सकता. हम 87,000 कर्मियों के शुक्रगुजार हैं जो संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले काम कर रहे हैं. बढ़ती हिंसा ने उनका काम और मुश्किल कर दिया है. उन्होंने दोहराया, "इस साल हम साझदारियों की ताकत पर ध्यान दे रहे हैं ताकि बातचीत से समस्याएं सुलझाई जा सकें और अहिंसा की संस्कृति फले-फूले."
विश्लेषक कहते हैं कि विदेश नीति भूटान के मतदाताओं को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करती. करीब आठ लाख लोगों के इस देश में बेरोजगारी और युवाओं की देश छोड़कर विदेश जाने की बढ़ती प्रवृत्ति ज्यादा बड़ी चिंता है.
लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि भारत भूटान का निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर का सबसे बड़ा स्रोत है. थिंपू की मुद्रा भारतीय रुपये पर निर्भर है और दोनों देशों के बीच संबंध आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं. हैदर कहती हैं, "जिसकी भी सरकार बनेगी, भारत के साथ संबंध उसके लिए अहम होंगे.”